जब Mohan Delkar ने अधिकारियों पर लगाया था अपमानित करने का आरोप…क्या सांसद की सुसाइड के पीछे है कोई साजिश?

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सोमवार को एक बड़ी खबर मुंबई से सामने आई। मुंबई के एक होटल में दादरा और नगर हवेली से सांसद मोहन डेलकर मृत पाए गए। मरीन ड्राइन पर होटल सी ग्रीन में उनका शव मिला। सांसद का शव जिस कमरे में मिला वहां पर एक सुसाइड नोट भी था, जो गुजराती में लिखा हुआ था। मुंबई पुलिस की मानें तो सुसाइड नोट में 40 लोगों के नाम लिखे हुए थे।

मुंबई पुलिस की शुरुआती जांच के अनुसार मोहन डेलकर ने सुसाइड की है। होटल के जिस कमरे से उनका शव बरामद हुआ था, फॉरेंसिक टीम ने 4 घंटों तक उसकी तलाशी भी की। खबरों के मुताबिक सुसाइड नोट में डेलकर ने बड़े नेताओं के नाम का जिक्र किया। डेलकर ने कहा कि कई बड़े नेता उनको अपमानित करते थे। 

होटल के कमरे में मिला मोहन डेलकर का शव

जो जानकारी हासिल हुई है उसके मुताबिक सांसद मोहन डेलकर सी ग्रीन होटल के कमरा नंबर 503 में ठहरे हुए थे। जब सुबह के वक्त उनका ड्राइवर होटल के कमरे पर पहुंचा, तो उसने कमरे की रिंग बजाई। लेकिन अंदर से कोई भी जवाब नहीं आया तो उन्होनें डेलकर को फोन मिलाया। लेकिन फोन पर भी कोई जवाब नहीं मिला, जिसके बाद ड्राइवर ने डेलकर के परिवारवालों को इसके बारे में जानकारी दी। 

इसके बाद ड्राइवर ने होटल कर्मचारियों के साथ संपर्क किया। होटल कर्मचारी ने जब रूम का दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वो अंदर से बंद था। फिर बगल वाले कमरे की बॉलकनी से ड्राइवर ने मोहन डेलकर के कमरे में प्रवेश किया। जब वो कमरे में पहुंचा तो वहां का मंजर देखकर हैरान रह गया। रूम में डेलकर का शव शॉल के फंदे से पंखे पर लटका हुआ था। इसके बाद पुलिस अधिकारियों को इसके बारे में सूचना दी। रूम से पुलिस को सुसाइड नोट मिला, जिसकी जांच की जा रही है। 

क्यों की सांसद ने सुसाइड?

इस दौरान सबसे बड़ा सवाल यही बना हुआ है कि आखिर मोहन डेलकर ने खुदकुशी क्यों की? इसकी जांच तो पुलिस फिलहाल कर ही रही है। 

लेकिन इसी बीच सांसद डेलकर का बीते साल का एक वीडियो, जो वायरल हुआ था। वो एक बार फिर से चर्चाओं में आ गया है। दरअसल, पिछले साल लोकसभा सत्र के दौरान डेलकर ने ये कहा था कि बीते चार महीनों से कुछ अधिकारियों ने मुझे अपमानित किया। मुझे झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश की गई। कोरोना महामारी के दौरान मुझे अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की इजाजत नहीं मिली, जिसकी वजह से मैं निराश हूं।

उन्होनें कहा था कि लोगों की मदद के लिए मुझे अपमानित किया गया। दादरा और नगर हवेली के मुक्ति दिवस के दौरान मेरा अपमान हुआ। दादरा और नगर हवेली के लोगों को मुझे संबोधित करने की इजाजत नहीं दी गई। मैनें जब इसके बारे में पूछा कि क्यों मुझे लोगों को संबोधित करने की परमिशन नहीं मिली, तो डिप्टी कलेक्टर और आयोजनों ने मेरे साथ गलत व्यवहार किया। वो लोग मुझे निशाना बना रहे है। मेरे खिलाफ एक साजिश चल रही है।

मोहन डेलकर के सियासी सफर पर एक नजर

मोहन डेलकर का जन्म 19 दिसंबर 1962 को सिलवासा में हुआ।  2019 लोकसभा चुनाव उन्होनें एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा था। उन्होनें बीजेपी उम्मीदवार को 9 हजार वोटों से हराया था। 2019 में मोहन डेलकर 7वीं बार सांसद चुनकर आए थे। इससे पहले वो कांग्रेस और बीजेपी का हिस्सा भी रह चुके है। 

मोहन डेलकर ने अपना करियर सिलवासा में एक ट्रेड यूनियन नेता के रूप में शुरू किया। यहां उन्होंने अलग-अलग कल-कारखानों में काम करने वाले आदिवासियों के हकों के लिए आवाज उठाई। 1985 में मोहन डेलकर ने आदिवासी विकास संगठन शुरू किया। 1989 में वो दादरा और नगर हवेली से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुने गए।

1991 और 1996 में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर इसी सीट से चुनाव लड़ा। फिर 1998 में मोहन डेलकर ने बीजेपी की तरफ से इसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा। 1999 और 2004 के चुनाव में भी वो लोकसभा पहुंचे। लेकिन इस दौरान उन्होंने निर्दलीय और भारतीय नवशक्ति पार्टी (बीएनपी) के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा।

2009 को डेलकर दोबारा से कांग्रेस में चले गए, लेकिन इस बार वो लोकसभा का रास्ता तय नहीं कर पाए। 2019 में उन्होनें कांग्रेस से अलग होकर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और एक बार फिर से लोकसभा पहुंचे। हालांकि 2020 में वो JDU में शामिल हुए। 

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