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11 मार्च को महाशिवरात्रि: क्यों मनाया जाता हैं ये पर्व? शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि तक सबकुछ जानें…

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हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का दिन बेहद खास माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। कई लोग महाशिवरात्रि के दिन शिव जी का व्रत भी रखते हैं। शिवपुराण के मुताबिक फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं। इस ब बार 11 मार्च गुरुवार के दिन महाशिवरात्रि हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि इसे मनाया की वजह क्या है? महाशिवरात्री की पूजा करने का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है?

क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि का पर्व?

महाशिवरात्रि मनाने को लेकर बहुत सारी कथाएं जुड़ी हुई हैं। कुछ लोगों क मानना है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि से जुड़ी एक और कथा ये भी है कि एक बार मां पार्वती ने भगवान शिव से सबसे श्रेष्ठ और सरल व्रत-पूजन के बारे में पूछा था, जिसका जवाब देते हुए शिव जी ने पार्वती मां से कहा कि ‘शिवरात्रि’ का व्रत सबसे श्रेष्ठ व्रत होता है। तभी से ये व्रत प्रचलित हो गया है। इस व्रत को करने से शिव जी की विशेष कृपा होती है। इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने वाले अविवाहिता को सच्चा जीवन साथी मिलता है।

पूजा  का शुभ मुहूर्त

11 मार्च को दोपहर 2 बजकर 40 मिनट से चतुर्दशी तिथि लगेगी, जो मध्यरात्रि में भी रहेगी और 12 तारीख को दिन में 3 बजकर 3 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

महाशिवरात्रि की पूजा विधि

महाशिवरात्रि के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहन लें, ध्यान रहे इस दिन आपको काले वस्त्रों को धारण नहीं करना है। इसके बाद अपने घर के नजदीक शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग का अभिषेक करें। सबसे पहले शिवलिंग पर जल अर्पित करें और फिर घी, शकर, दही और शहद भी शिवलिंग पर अर्पित करें। ऐसा करने के बाद दूध से अभिषेक करें और फिर जल से शिवलिंग को साफ करें। इसके बाद चंदन से शिवलिंग को तिलक लगाएं। इसके बाद बेल पत्र, फल-फूल अर्पित करें और एक घी का दीपक जलाएं।

इसके बाद मां पार्वती को वस्त्र, लाल रंग की चूड़ी और सिंदूर भी अर्पित करें। फिर शिव जी के मंत्र का 108 बार जाप करें और उनकी आरती कर लें। अगर आप शिव जी का व्रत रख रहे हैं तो पूजा के दौरान व्रत रखने का संकल्प जरूर लें। आप चाहे तो निर्जला और फलहार दोनों में से कोई सा भी व्रत रख सकते हैं। वहीं, अगले दिन सुबह स्नान के बाद शिवलिंग पर जल अर्पित करें और व्रत के दौरान हुई किसी भी भूल की माफी भी मांगे।

महाशिवरात्रि का व्रत करने के लाभ

जो व्यक्ति महाशिवरात्रि का व्रत करता है उन पर भगवान शिव की विशेष कृपा बनती है। जिन लोगों की शादी में परेशानी आ रही होती हैं, उन्हें इस व्रत को करने से लाभ होता है। इस व्रत को करने से हर तरह के रोग से रोग से मुक्ति मिलती है।

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