जानिए कौन हैं दलित वर्ग से आने वाले कांग्रेस नेता पीएल पुनिया, माने जाते हैं कांग्रेस के खास विश्वासपात्र

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लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अफवाह थी कि कांग्रेस का एक दलित नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो सकता है। जिसके बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया। क्योंकि ये नेता कोई ऐसा-वैसा नेता नहीं बल्कि कांग्रेस का बेहद भरोसेमंद नेता है, इसी नेता के दम पर कांग्रेस ने साल 2018 में छत्तीसगढ़ की सत्ता में वापसी की। कांग्रेस ने इस नेता पर हमेशा भरोसा जताया और इस भरोसे को बरकरार रखते हुए दलित नेता ने इस अफवाह पर कहा कि वह आखिरी सांस तक कांग्रेस में ही रहेंगे। दरअसल, बात करें दलित वर्ग से आने वाले कांग्रेस नेता पीएल पुनिया है। उन्हें कांग्रेस का बड़ा दलित चेहरा माना जाता है। आइए आपको बताते हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया के बारे में।

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पीएल पुनिया प्रारंभिक जीवन

दलित वर्ग से आने वाले कांग्रेस नेता पीएल पुनिया का पूरा नाम पन्ना लाल पुनिया है। पुनिया का जन्म 23 जनवरी 1945 को हरियाणा के झझर जिले में हुआ था। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से एम की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की। इसके बाद 1970 में वह आईएएस अधिकारी बने। वह 1982 से 85 तक अलीगढ़ के डीएम भी रहे। हालांकि, दलित होने के कारण उन्हें भी अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ा, इसलिए वह हमेशा दलितों की भावनाओं को समझते हुए उनके प्रति हो रहे भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाते हैं। यहां तह की जुलाई 2012 में, पुनिया अनुसूचित जाति के खिलाफ भेदभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए बॉलीवुड स्टार आमिर खान द्वारा आयोजित लोकप्रिय टीवी शो सत्यमेव जयते में नजर आए थे।

सचिवालय से संसद तक का सफर

अगर उनके राजनीतिक सफर की बात करें तो 1971 में यूपी कैडर के पूर्व आईएएस पुनिया ने 15वीं लोकसभा के दौरान राजनीति में प्रवेश किया। राजनीति में आने के बाद वह 2009 से 2014 तक बाराबंकी से लोकसभा सांसद रहे। इसके अलावा वह उत्तर प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों मायावती और मुलायम सिंह यादव के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं। 2013 से 2016 तक वह राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे।

रिटायरमेंट के बाद ज्वाइन की कांग्रेस

पीएल पुनिया साल 2005 में अपने आईएएस पद से रिटायर हो गए और रिटायरमेंट के बाद पीएल पुनिया कांग्रेस में शामिल हो गए। एक दलित नेता के तौर पर उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की, लेकिन 2007 के विधानसभा चुनाव में वह बाराबंकी की फ़तेहपुर सीट से हार गए। हालांकि, 2009 के आम चुनाव में पीएल पुनिया ने बाराबंकी सीट से जीत हासिल की। इसके बाद से जब भी कांग्रेस को अपने खेमे में दलित वोटर्स को लुभाना होता है तो वह पीएल पुनिया को आगे कर देती है।

कांग्रेस के लिए संकटमोचक बने थे पीएल पुनिया

दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को तीनों राज्यों में सबसे बड़ी जीत छत्तीसगढ़ में मिली थी। यहां 15 साल बाद कांग्रेस ने बीजेपी के किले को पूरी तरह से ध्वस्त कर जीत का परचम लहराया। राज्य में एक समय ऐसा भी था जब अजीत जोगी के पार्टी छोड़ने और कई बड़े नेताओं के नक्सली हमले में मारे जाने के बाद कांग्रेस को ख़त्म मान लिया गया था। उसी राज्य में कांग्रेस के इस शानदार प्रदर्शन के पीछे उत्तर प्रदेश के पीएल पुनिया का ही हाथ था। उस दौरान पीएल पुनिया ने संकटमोचक और गेम चेंजर की भूमिका निभाकर महज चार महीने में पार्टी को छत्तीसगढ़ की सत्ता में पहुंचा दिया था।

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