क्या कहती है धारा 91 CRPC? कब पूछताछ के लिए थाने बुला सकती हैं पुलिस? यहां जानिए इससे जुड़ी पूरी जानकारी…

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हमें अक्सर ही ये देखने को मिलता है कि कई मामलों की जांच करने के लिए पुलिस शक के ही आधार पर ही किसी भी व्यक्ति को थाने बुला लेती है। या फिर अगर किसी के खिलाफ अगर शिकायत दर्ज कराई गई है तो पुलिस उसे पूछताछ के लिए उसे बार-बार पुलिस स्टेशन आने को कहती है और प्रताड़ित करती है। ऐसे कई मामले हमें देखने के लिए मिलते हैं, जिसमें प्रारंभिक जांच के दौरान ही सेक्शन 91 CRPC का इस्तेमाल कर व्यक्ति को पूछताछ या कोई डॉक्यूमेंट जमा करने के बहाने बार-बार थाने बुलाया जाता है। 

हालांकि इसको लेकर कुछ महीने पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला लिया था, जिसके मुताबिक बिना FIR दर्ज करें, पुलिस किसी को भी थाने नहीं बुला सकती है। ये फैसला कोर्ट ने एक मामले को लेकर दिया था। इसके बारे में जानेंगे, लेकिन उससे पहले ये जान लेते हैं कि  सेक्शन 91 CRPC के बारे में कुछ खास बात जान लेते हैं…

क्या है धारा 91 CRPC?

मामले की जांच को लेकर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी या फिर न्यायलय इस धारा 91 के तहत किसी व्यक्ति को नोटिस जारी कर ये कह सकता है कि अगर उसके कब्जे में कोई वस्तु या फिर कागजात है तो उसे जांच अधिकारी या न्यायालय के समक्ष पेश करें। 

धारा 91 कहती हैं कि अगर किसी मामले की जांच के दौरान न्यायालय या पुलिस के अधिकारी को किसी व्यक्ति पर शक है तो वो उसे धारा 91 के तहत पूछताछ के लिए बुला सकती है या फिर किसी व्यक्ति के पास ऐसी कोई वस्तु या फिर कागजात है, जो उस मामले की जांच में महत्वपूर्ण है, तो ऐसे में अधिकारी उसे नोटिस जारी कर बुला सकती है।

वहीं कोई व्यक्ति नोटिस की अवहेलना करता है और वो जानबूझकर मौजूद नहीं रहता, तो उस पर IPC की धारा 175 के तहत भी कार्रवाई हो सकती है। इसके मुताबिक उस शख्स को एक महीने की जेल या जुर्माना अर्थदंड या फिर दोनों लगाया जा सकता है। 

हाईकोर्ट ने इस पर क्या फैसला सुनाया था?

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जून 2021 में धारा 91 पर ऐतहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि धारा 154 के अंतर्गत किसी भी FIR से पूर्व प्रारंभिक जांच में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 लागू नहीं की जा सकती। यानी FIR दर्ज किए बिना किसी भी व्यक्ति को थाने बुलाकर प्रताड़ित नहीं किया जा सकता है। 

ये फैसला कोर्ट ने एक मामले को लेकर दिया था। मामला छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के सरकंडा थाना का था। यहां पर छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन बोर्ड के डायरेक्टर ने पुलिस स्टेशन में एक लिखित शिकायत की थीं। शिकायत में कहा कि राजेश्वर शर्मा ने उनकी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है।

शिकायत के आधार पर सरकंडा पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और राजेश्वर को CRPC की धारा 91 के तहत ही नोटिस जारी कर बार-बार पुलिस स्टेशन बुला रही थी। इस प्रताड़ना से तंग आकर राजेश्वर के वकील ने हाईकोर्ट में एक याचिका लगा दी थी। 

इस याचिका में कहा गया कि बिना FIR दर्ज किए ही पुलिस उनके खिलाफ धारा 91 का गलत इस्तेमाल कर रही हैं और दिन रात उन्हें थाने बुलाकर प्रताड़ित करती है। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की और गंभीरता से लेते हुए इस पर एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा कि मामला धारा 154 CRPC के तहत दर्ज नहीं है। ऐसे में आप 91 धारा CRPC का नोटिस कैसे जारी कर सकते हैं? पुलिस को ये अधिकार मिलता है कि वो FIR दर्ज करने से पहले वो अनुसंधान और जांच करें। इसमें आप धारा 91 सीआरपीसी का नोटिस जारी नहीं कर सकते हैं।  हाईकोर्ट की तरफ से तब कहा गया कि प्रारम्भिक जांच में पुलिस के द्वारा धारा 91 CRPC का नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि पुलिस यूं बिना FIR दर्ज किए किसी को भी थाने बुलाकर प्रताड़ित नहीं कर सकती। इस दौरान न्यायायल की तरफ से पुलिस के द्वारा धारा 91 का बेवजह इस्तेमाल और राजेश्वर शर्मा को परेशान करने के लिए अधिकारियों को फटकार भी लगाई थीं।

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