15 की उम्र में सुपरस्टार, बिन ब्याही मां और मुख्यमंत्री से ‘अफेयर’, 5 बार मुख्यमंत्री बनी थी ये दिग्गज एक्ट्रेस

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एक ऐसी एक्ट्रेस जो मात्र 15 साल की उम्र में ही सुपरस्टार बन गई थीं…हिंदी से लेकर कन्नड़, तमिल और तेलुगु जैसी कई भाषाओं की फिल्मों में उन्होंने काम किया..उनकी एक्टिंग से हर कोई प्रभावित था. कहा जाता है कि उनके घर के बाहर डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स की लाइन लगी होती थी. वो पहली ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने स्कर्ट पहनकर भूमिका निभाई थी…इसी अभिनेत्री ने जब राजनीति में कदम रखा तो इतिहास रच दिया…इनके नाम 5 बार मुख्यमंत्री बनने का भी रिकार्ड है. लेकिन पूरे जीवन में इन्हें प्यार नसीब नहीं हुआ था. इस लेख में हम आपको बिन ब्याही मां बनी दिग्गज अभिनेत्री और राजनेता जयललिता के बारे में बताऊंगा, जिन्हें लोग प्यार से अम्मा बुलाया करते थे.

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13 साल की उम्र में शुरु कर दिया था काम

24 फरवरी 1948 को मैसूर में जन्मी जयललिता के सर से पिता का साया बचपन में ही उठ गया था. पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां जीवन यापन करने के लिए बेटी को लेकर बेंगलुरु आ गईं. बाद में उनकी मां ने तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया और अपना फिल्मी नाम ‘संध्या’ रख लिया. जब वो स्कूल में ही पढ़ रही थीं, उसी समय उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने के लिए राजी कर लिया. पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने 1961 में यानी मात्र 13 साल की उम्र में ही ‘एपिसल’ नाम की एक अंग्रेजी फिल्म में काम किया.

इसके बाद मात्र 15 साल की आयु में ही वो कन्नड़ फिल्मों में मुख्‍य अभिनेत्री की भूमिकाएं करने लगी. कन्नड भाषा में उनकी पहली फिल्म ‘चिन्नाडा गोम्बे’ है, जो 1964 में प्रदर्शित हुई. इसके बाद उन्होंने तमिल फिल्मों की ओर रुख किया और ऐसी स्कर्ट पहनकर भूमिका अदा करने वाली पहली अभिनेत्री बनीं.

ऐसे हुई राजनीति में इंट्री

अपने 20 साल के करियर में इन्होंने 140 से अधिक फिल्मों में काम किया. जब वो अपने करियर की ऊंचाइयों पर थी, उसी दौर में उन्हें मशहूर एक्टर सुपरस्टार शोभन बाबू से प्रेम हो गया. वह फिल्म जगत की पार्टियों में अक्सर साथ में नजर आते थे. जयललिता जानती थी कि शोभन बाबू शादीशुदा हैं, तब भी वह अपने दिल पर काबू न कर सकी और शादी के लिए उन्हें प्रपोज कर दिया. लेकिन दोनों की शादी नहीं हो सकी. दूसरी ओर 3 दशकों तक साउथ सिनेमा पर राज करने वाले एमजी आर यानी एमजी रामचंद्रन इन दिनों राजनीति में अपनी दावेदारी मजबूत करने में लगे हुए थे. पहले वह कांग्रेस के सदस्य थे, बाद में डीएमके में शामिल हुए और उसके बाद 1972 में अपनी खुद की पार्टी बनाई और नाम रखा AIADMK.

1977 के चुनावों में AIADMK की जीत हुई और एमजी आर सीएम बन गए. चूंकि जयललिता और एमजीआर एकदूसरे को लंबे समय से जानते थे, दोनों ने साथ में 28 से ज्यादा सुपरहिट फिल्में दी थी. ऐसे में 1982 आते आते एमजीआर ने अपनी पार्टी में जयललिता की एंट्री करा दी. बाद में अंग्रेजी में उनकी वाक क्षमता को देखते हुए पार्टी प्रमुख रामचंद्रन ने उन्हें राज्यसभा में भिजवाया और राज्य विधानसभा के उपचुनाव में जितवाकर उन्हें विधानसभा सदस्य बनवाया. एमजी रामचंद्रन ने ही जयललिता को एक सफल राज नेत्री बनाया था.

पार्टी में जयललिता के उदय ने विपक्षी नेताओं के साथ-साथ उनके करीबी लोगों को भी चिंता में डाल दिया था. हालांकि, एमजीआर और जयललिता के अफेयर की खबरें भी सामने आई लेकिन दोनों में से किसी ने भी इस पर आधिकारिक रुप से कुछ नहीं कहा. इसके बाद जयललिता ने अपने भतीजे सुधाकरन को गोद ले लिया. जयललिता के उदय के कारण अब AIADMK के भीतर ही उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा जाने लगा था. कई नेता एमजीआर को जयललिता के खिलाफ भड़काने लगे थे. स्थिति ऐसी हो गई कि 1984 में जब मस्तिष्क के स्ट्रोक के चलते रामचंद्रन अक्षम हो गए तब जयललिता ने मुख्यमंत्री की गद्‍दी संभालनी चाही, लेकिन तब रामचंद्रन ने उन्हें पार्टी के उप नेता पद से भी हटा दिया था.

5 बार तमिलनाडु की सीएम बनीं जयललिता

वर्ष 1987 में रामचंद्रन का निधन हो गया और इसके बाद अन्ना द्रमुक दो धड़ों में बंट गई. एक धड़े की नेता एमजीआर की विधवा जानकी रामचंद्रन थीं और दूसरे की जयललिता, लेकिन जयललिता ने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. 1989 में जयललिता की पार्टी ने राज्य विधानसभा चुनावों में 27 सीटें जीती और वह तमिलनाडु की पहली निर्वाचित नेता प्रतिपक्ष बनीं.

वर्ष 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद हुए चुनावों में उनकी पार्टी ने कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा और सरकार बनाई. वो 24 जून 1991 से 12 मई 1996 तक राज्य की पहली निर्वाचित मुख्‍यमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री रहीं. इसके बाद जयललिता ने 2001, 2002, 2011 और 2015 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. 2001 में सीएम के रुप में उनका कार्यकाल कुछ महीने का ही रहा था. 2016 में उनकी मृत्यु हो गई. इनकी राजनीति थोड़ी विवादों में जरुर रही लेकिन जयललिता ने काफी जनसमर्थन हासिल किया था.

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