अब जनगणना में शामिल होगा ‘संप्रदाय’ का कॉलम, जानिए जाति और धर्म से कैसे होगा अलग?

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India Census 2025 Schedule: भारत में जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन COVID-19 महामारी के कारण इसे टाल दिया गया। तब से इसकी तारीखों के बारे में कोई निश्चित जानकारी (India Ki Janganana Kab Hogi) नहीं मिल पाई। हालांकि, अब जानकारी सामने आई है कि जनगणना अगले साल से शुरू होने जा रही है। इसके आंकड़े साल 2026 में जारी किए जा सकते हैं। इस बार की जनगणना कई मायनों में अलग होने जा रही है। दरअसल, कहा जा रहा है कि इस बार की जनगणना में संप्रदाय (Sect column in Census) को लेकर भी सवाल पूछे जाने की संभावना है। लोगों से उनके संप्रदाय से जुड़ी जानकारी भी जुटाई जा सकती है।

और पढ़ें: सितंबर से शुरू हो सकती है जनगणना! भारत में कितनी जातियां हैं, जानिए क्या कहता है 2011 की जनगणना का डेटा

जनगणना में संप्रदाय का कॉलम- Sect column in Census

अब तक जनगणना पैटर्न में केवल धर्म और वर्ग के बारे में पूछताछ की गई है। इसके अलावा, एससी, एसटी और सामान्य श्रेणियों को ध्यान में रखा जाता है। लेकिन इस बार, यह भी पूछा जा सकता है कि वह किस संप्रदाय से संबंधित है। आइए अब इसे एक उदाहरण से समझाने का प्रयास करें। उदाहरण के लिए, जातियों में ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य जैसे समूह शामिल हैं, जबकि इस्लाम में शिया और सुन्नी शामिल हैं। केंद्र सरकार संप्रदाय, वर्ग और धर्म के आधार पर जनगणना के आह्वान पर विचार कर रही है।

caste census
Source – Google

इसे जाति और धर्म से कैसे अलग समझा जा सकता है?

जनगणना में ‘संप्रदाय’ का कॉलम आमतौर पर किसी व्यक्ति की धार्मिक या सांस्कृतिक पहचान से संबंधित होता है, लेकिन इसे जाति और धर्म (Caste and Religion in Census) से अलग तरीके से देखा जाता है। इसका उद्देश्य है कि यह व्यक्ति के धार्मिक समुदाय या उप-समुदाय को दर्ज करे, जो कि मुख्य धर्म के भीतर एक विशिष्ट समूह या परंपरा हो सकता है।

  1. धर्म: धर्म से तात्पर्य उस प्रमुख धार्मिक समूह से है, जिससे व्यक्ति संबंधित है, जैसे हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, आदि।
  2. जाति: जाति का संबंध भारत के सामाजिक ढांचे से होता है, खासकर हिंदू धर्म में विभिन्न जातियों और उपजातियों से। उदाहरण के लिए, ब्राह्मण, क्षत्रिय, यादव आदि।
  3. संप्रदाय: संप्रदाय का संबंध धर्म के भीतर एक उप-समूह या परंपरा से होता है। यह एक ऐसी पहचान हो सकती है जो व्यक्ति की धार्मिक मान्यताओं या परंपराओं में अधिक बारीकी से परिलक्षित होती है।

उदाहरण द्वारा समझें

  • धर्म: यदि एक व्यक्ति हिंदू धर्म से संबंधित है, तो उसका धर्म कॉलम में ‘हिंदू’ दर्ज होगा।
  • जाति: यदि वही व्यक्ति हिंदू धर्म में ब्राह्मण जाति से संबंधित है, तो उसका जाति कॉलम में ‘ब्राह्मण’ लिखा जा सकता है।
  • संप्रदाय: यदि वह व्यक्ति ‘वैष्णव’ संप्रदाय का अनुयायी है, तो संप्रदाय कॉलम में ‘वैष्णव’ दर्ज किया जा सकता है, जो कि हिंदू धर्म के भीतर भगवान विष्णु के अनुयायियों का एक संप्रदाय है।

इसी तरह, मुस्लिम समुदाय में भी धर्म ‘मुस्लिम’ होगा, जाति ‘सैयद’ या ‘पठान’ हो सकती है, और संप्रदाय में ‘सुन्नी’ या ‘शिया’ दर्ज किया जा सकता है। इस तरह, संप्रदाय एक ऐसा कॉलम है जो व्यक्ति की धार्मिक पहचान को और बारीकी से समझने में सहायक होता है, जबकि जाति और धर्म उससे व्यापक और विभिन्न सामाजिक ढांचे को दर्शाते हैं।

डिजिटल तरीके से जुटाए जाएंगे आंकड़े

साथ ही, यह देश में पहली बार होगा जब जनगणना के आंकड़े जुटाने के लिए डिजिटल तरीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए एक अनूठा पोर्टल बनाया गया है। आपको बता दें कि कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने समुदाय के हिसाब से जनगणना कराने की मांग की है। मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि समुदाय के आंकड़े ज़्यादा सटीक नियम बनाने में काफ़ी उपयोगी हो सकते हैं।

Indian population
Source: Google

जनगणना में कितने सवाल किए जाएंगे?

कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जनगणना में 31 सवाल पूछे जाएंगे। इसमें परिवार का कुल संख्या,  परिवार की मुखिया महिला है या नहीं, कमरों की संख्या और परिवार के पास फोन, स्कूटर या बाइक है या नहीं, जैसे सवाल शामिल हैं। रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े कई सवाल भी पूछे जाएंगे।

और पढ़ें: उत्तराखंड में जाति का इतिहास है बहुत पुराना, जानिए राज्य की सबसे पुरानी जाति कौन-सी रही है

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