Headlines

क्या है Green Revolution जिसने आजादी के बाद भारत को भुखमरी से बचाया, जानें इसमें क्या खामियां रहीं

Table of Content

1947 में देश को आज़ादी मिलने से पहले बंगाल में भयंकर अकाल पड़ा था, जिसमें 20 लाख से ज़्यादा लोग मारे गए थे। इसका मुख्य कारण कृषि को लेकर औपनिवेशिक शासन की कमज़ोर नीतियाँ थीं। इसलिए आज़ादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, “बाकी सब कुछ इंतज़ार कर सकता है, लेकिन कृषि नहीं।” उस दौरान भारत को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में मशहूर कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का बड़ा योगदान माना जाता है। दरअसल, उस समय स्वामीनाथन के प्रयासों से ही देश में हरित क्रांति (Green revolution) आई और भारत अनाज की कमी को खत्म करने में सफल रहा। स्वामीनाथन के प्रयासों से गेहूं समेत कई फसलों के उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई और खाद्यान्न की कमी से जूझ रहा भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बन गया। यही वजह है कि स्वामीनाथन को ‘भारतीय हरित क्रांति के जनक’ की उपाधि दी गई। लेकिन क्या वाकई हरित क्रांति एक सफल प्रयोग था? आइए जानते हैं।

और पढ़ें: क्या है मनुस्मृति? क्यो होता है इसे लेकर विवाद? बाबासाहब ने क्यो जलाई थी मनुस्मृति? जानिए सभी सवालों के जवाब

क्या है हरित क्रांति (Green revolution)?

हरित क्रांति एक कृषि सुधार था जिसने 1950 और 1960 के दशक के अंत में फसल उत्पादन में भारी वृद्धि की। इसमें पैदावार बढ़ाने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले कच्चे माल के साथ-साथ उन्नत तकनीकों और प्रौद्योगिकियों का उपयोग शामिल था। इस तकनीक की शुरूआत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेती में भी बड़ा बदलाव लाया और भारत सहित कई विकासशील देशों को अकाल की स्थिति में जाने से बचाया।

Green Revolution
source: Google

Green revolution की खामियां

वैसे तो इस क्रांति ने अनाज की उपलब्धता बढ़ाई, लेकिन इसकी कुछ बड़ी खामियां भी रही:

सिर्फ गेहूं पर जोर

गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा और मक्का सहित कई फसलों को हरित क्रांति से लाभ हुआ, गेहूं को सबसे अधिक लाभ हुआ। परिणामस्वरूप, किसानों ने उन खेतों में गेहूं की खेती शुरू कर दी, जहां पहले तिलहन और दालें उगाई जाती थीं। इस मामले में, उन्हें सरकार से अतिरिक्त धन मिल रहा था। महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलें जो हरित क्रांति से लगभग अप्रभावित थीं, उनमें कपास, गन्ना, जूट और चाय शामिल थीं।

sikh farming
source: Google

क्षेत्रीय असमानताएं

हरित क्रांति से केवल मजबूत कृषि स्थितियों वाले क्षेत्र ही प्रभावित हुए हैं। परिणामस्वरूप, उपज और कृषि प्रौद्योगिकी जैसी चीजों में क्षेत्रीय अंतर का मुद्दा और भी बदतर हो गया। अब तक पूरी फसल भूमि का केवल 40% हिस्सा ही हरित क्रांति से प्रभावित हुआ है। तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। हालांकि, इसका पश्चिमी और दक्षिणी भारत के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, न ही पूर्वी क्षेत्र पर जिसमें असम, बिहार, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा शामिल हैं।

बड़ी जोत वाले किसानों को फायदा

हरित क्रांति से सबसे ज़्यादा फ़ायदा 10 हेक्टेयर या उससे ज़्यादा ज़मीन वाले बड़े किसानों को हुआ क्योंकि उनके पास कृषि उपकरण, बेहतर बीज और खाद खरीदने के लिए वित्तीय संसाधन थे। ऐसे किसान नियमित सिंचाई की व्यवस्था भी कर पाए। 1990-91 में भारत में करीब 1,053 लाख जोतें थीं, जिनमें से सिर्फ़ 1.6 प्रतिशत ज़मीन 10 हेक्टेयर से ज़्यादा थी।

बेरोजगारी

पंजाब और कुछ हद तक हरियाणा को छोड़कर हरित क्रांति के कृषि मशीनीकरण के परिणामस्वरूप ग्रामीण कृषि मज़दूरों में व्यापक बेरोज़गारी हुई है। सबसे ज़्यादा नुकसान ग़रीबों और ज़मीन विहीन लोगों को हुआ है।

पर्यावरण पर असर

साइंस डायरेक्ट और जर्नल ऑफ एथनिक फूड्स जैसे विज्ञान-केंद्रित वेब प्रकाशनों के अनुसार, यह सही है कि नए हाइब्रिड बीज अधिक उपज दे रहे हैं। लेकिन यह बहुत महंगा था। उर्वरकों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया और पहले की तुलना में अधिक सिंचाई की आवश्यकता थी। इस वजह से, अब मिट्टी में अधिक रसायन घुल गए हैं और हरियाणा जैसे उपजाऊ क्षेत्रों में भी मिट्टी की उर्वरता कम हो रही है।

Green Revolution
Source: Google

कुल मिलाकर, हरित क्रांति भारत की एक बड़ी उपलब्धि थी और इसने औद्योगिक देशों की तरह भारत को खाद्य सुरक्षा में मजबूत बनाया। भारत ने कृषि में एक सफल वैज्ञानिक क्रांति देखी। लेकिन खाद्य सुरक्षा के लिए पर्यावरण, रसायनों का उपयोग और गरीब किसानों जैसे कुछ कारकों को कहीं न कहीं नजरअंदाज कर दिया जाता है।

और पढ़ें: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में सिखों का बसेरा, जानिए कैसे बना यहां मिनी पंजाब

vickynedrick@gmail.com

vickynedrick@gmail.com https://nedricknews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

Trending News

Editor's Picks

DoT latest news

DoT latest news: टेलीकॉम सेक्टर में सर्कुलर इकॉनमी की ओर भारत का बड़ा कदम, DoT और UNDP ने मिलकर शुरू की राष्ट्रीय पहल

DoT latest news: भारत का टेलीकॉम सेक्टर आज सिर्फ कॉल और इंटरनेट तक सीमित नहीं रह गया है। यह देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था, गवर्नेंस, फाइनेंशियल इन्क्लूजन और सामाजिक बदलाव की रीढ़ बन चुका है। इसी तेजी से बढ़ते डिजिटल इकोसिस्टम को टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में दूरसंचार विभाग (DoT) और संयुक्त...
Jabalpur Viral Video

Jabalpur Viral Video: जबलपुर में वायरल वीडियो पर मचा बवाल, नेत्रहीन छात्रा से अभद्रता के आरोपों में घिरीं भाजपा नेता

Jabalpur Viral Video: मध्य प्रदेश के जबलपुर से सामने आया एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो ने न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि आम लोगों को भी झकझोर कर रख दिया है। इस वीडियो में एक महिला नेता को एक नेत्रहीन छात्रा के...
Vaishno Devi Yatra New Rule

Vaishno Devi Yatra New Rule: नए साल से पहले वैष्णो देवी यात्रा में बड़ा बदलाव, RFID कार्ड के साथ समय सीमा तय, जानें नए नियम

Vaishno Devi Yatra New Rule: नववर्ष के मौके पर माता वैष्णो देवी के दरबार में उमड़ने वाली भारी भीड़ को देखते हुए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने यात्रियों के लिए नए नियम लागू कर दिए हैं। बोर्ड ने साफ किया है कि ये बदलाव श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखकर...
Banke Bihari Temple Trust Bill

Banke Bihari Temple Trust Bill: श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट कानून 2025 लागू, अब कैसे होगा मंदिर का संचालन?

Banke Bihari Temple Trust Bill: उत्तर प्रदेश में श्री बांके बिहारी मंदिर से जुड़ा एक अहम फैसला अब पूरी तरह से लागू हो गया है। श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट बिल 2025 को विधानसभा और विधान परिषद से पास होने के बाद राज्यपाल की मंजूरी भी मिल गई है। इसके साथ ही यह विधेयक अब...
BMC Election 2024

BMC Election 2024: ठाकरे बंधुओं का गठबंधन टला, सीटों के पेंच में अटका ऐलान, अब 24 दिसंबर पर टिकी नजरें

BMC Election 2024: महाराष्ट्र में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल लगातार गर्म होता जा रहा है। खासतौर पर उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के संभावित गठबंधन ने सियासी गलियारों में हलचल बढ़ा दी है। दोनों दलों के बीच गठबंधन का...

Must Read

©2025- All Right Reserved. Designed and Developed by  Marketing Sheds