Ghaziabad News: गाजियाबाद में तैनात सहायक आयुक्त (खाद्य) अरविंद कुमार यादव को शासन ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई उन पर लगे कई गंभीर आरोपों के बाद की गई है, जिनमें कारोबारियों के प्रतिष्ठानों पर मनमानी छापेमारी, विभागीय अधिकारों का दुरुपयोग, निजी हित साधने और खाद्य गुणवत्ता सुधार में लापरवाही जैसी शिकायतें शामिल हैं। लगातार मिल रही शिकायतों और विभागीय जांच के बाद शासन ने यह कदम उठाया है।
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आरोपों का खुलासा (Ghaziabad News)
अरविंद कुमार यादव के खिलाफ शिकायतों में यह बात सामने आई कि वह अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ तालमेल नहीं रखते थे, जिसके कारण विभाग में कार्यों की सुचारु रूप से क्रियान्वयन में समस्या उत्पन्न हो रही थी। इसके अलावा, उन पर यह भी आरोप था कि वह विभागीय छापेमारी के दौरान कारोबारियों को बिना कारण परेशान करते थे, जिससे उनके प्रतिष्ठान और कारोबार को नुकसान पहुंचा।
#UP के खाद्य एवं ड्रग विभाग में भी गजब चल रहा है! दीवाली के बाद गाजियाबाद के सहायक खाद्य आयुक्त अरविंद कुमार यादव को 27 अक्टूबर को लखनऊ खाद्य आयुक्त कार्यालय से अटैच कर दिया गया, बाद में 6 नवंबर को रिलीव करने को आदेश भेजा गया, इस आदेश के खिलाफ अरविंद यादव ने खाद्य आयुक्त को… pic.twitter.com/bKn2cqYhgW
— Lokesh Rai (@lokeshRlive) December 9, 2025
आरोपों के मुताबिक, यादव खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों के अनुपालन में लापरवाही बरत रहे थे। वे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में सुधार करने की बजाय केवल कारोबारियों पर दबाव डालने में व्यस्त थे। इससे न सिर्फ कारोबारियों में भय का माहौल बना, बल्कि विभाग की छवि भी धूमिल हुई। उनके इस व्यवहार ने खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम के विपरीत कार्यवाही की और जांच के दौरान उनकी कार्यशैली को संदिग्ध माना गया।
जांच और निलंबन की प्रक्रिया
जांच में सामने आया कि अरविंद कुमार यादव के कार्यों के चलते खाद्य विभाग की छवि पर बुरा असर पड़ा था। इस पर शासन ने 27 अक्टूबर 2024 को उन्हें गाजियाबाद से लखनऊ मुख्यालय से अटैच (संबद्ध) करने का आदेश जारी किया था। इसके बाद 6 नवंबर को उन्हें गाजियाबाद से रिलीव कर दिया गया और वे लखनऊ मुख्यालय से जुड़े।
हालांकि, इस कार्रवाई के खिलाफ अरविंद कुमार यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 8 दिसंबर को हाईकोर्ट ने अटैचमेंट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए शासन और खाद्य आयुक्त से जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा। बावजूद इसके, विभागीय जांच जारी रही।
जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन ने यादव को निलंबित करने का निर्णय लिया। इस फैसले के बाद उनका मुख्यालय खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन कार्यालय, लखनऊ निर्धारित किया गया है, और उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा।
विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई
शासन ने यह भी स्पष्ट किया कि अरविंद कुमार यादव के खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही, पूरे मामले की आगे विस्तृत जांच की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में इस तरह के आरोपों की पुनरावृत्ति न हो।
कार्रवाई का राजनीतिक पहलू
इस मामले की गूंज गाजियाबाद और आसपास के क्षेत्रों में तेजी से फैल गई है, और कई राजनीतिक दलों और व्यापारियों ने इस कार्रवाई पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इस कदम को लेकर कई लोगों ने शासन की कार्रवाई की सराहना की है, जबकि कुछ का कहना है कि यह कार्रवाई व्यापारियों और विभागीय कर्मचारियों के अधिकारों के संरक्षण के लिए ज़रूरी थी।
हालांकि, इस मामले ने यह सवाल भी उठाया है कि क्या सरकारी अधिकारियों पर इस तरह की निगरानी और अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और सख्त है? और क्या भविष्य में इस तरह के मामलों में और अधिक तेजी से कदम उठाए जाएंगे?
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