Top 5 Gurudwaras in Italy: इटली के पांच गुरुद्वारे जो कहानी कहते हैं खेतों, शहरों और संघर्षों से उभरी सिख विरासत

Table of Content

Top 5 Gurudwaras in Italy: कहानी शुरू होती है उन पंजाबी युवाओं से, जो कभी खेतों में काम करने या फैक्टरियों में रोज़गार की तलाश में इटली पहुंचे थे। कंधों पर थकान, आंखों में सपने और दिल में गुरबाणी की मिठास लिए ये लोग अपने साथ सिर्फ कपड़े नहीं, बल्कि अपनी पूरी विरासत लेकर इटली आए थे। शुरुआत में वे अपने-अपने कमरों, छोटे गोदामों या अंदाज़न किराए की जगहों में एक-दूसरे के साथ बैठकर अरदास करते थे। किसी ने सोचा नहीं था कि वही छोटे-छोटे संगत स्थल एक दिन बड़े और भव्य गुरुद्वारों का रूप ले लेंगे। समय के साथ परिवार जुड़े, कम्युनिटी बढ़ी और फिर खड़े हुए वे पांच गुरुद्वारे, जो आज इटली में बसे हर सिख परिवार के लिए उम्मीद और अपनी पहचान का स्थायी चिन्ह बन चुके हैं।

और पढ़ें: गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की बहादुरी और कुर्बानी की पूरी कहानी, जो आपको गर्व से भर देगी

गुरुद्वारा सिंह सभा, रेजियो एमिलिया (Top 5 Gurudwaras in Italy)

एमिलिया-रोमाग्ना के दिल में बना यह गुरुद्वारा इटली में सिखों की संगठित कहानी का पहला अध्याय है। 1990 के शुरुआती वर्षों में, जब पो घाटी  में पंजाबी मजदूरों का पहला बड़ा समूह आया, तो उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत थी एक ऐसी जगह की, जहाँ वे अपने मन का बोझ उतार सकें और अपने गुरुओं के शब्द सुन सकें। इन्हीं जरूरतों से जन्म हुआ रेजियो एमिलिया के सबसे पहले और सबसे पुराने गुरुद्वारे का। यह स्थान शुरुआती संघर्षों और आशाओं का प्रतीक बन गया जहां मजदूर एक-दूसरे को सहारा देते थे, जहां हर रविवार को घर जैसे स्वाद का लंगर मिलता था और जहां पहली बार सिख समुदाय ने इटली में मजबूती से अपने कदम रखे।

गुरुद्वारा श्री गुरु कलगिधर साहिब, नोवेलारा

सन 2000 में उद्घाटन के साथ नोवेलारा का यह गुरुद्वारा एक ऐतिहासिक मोड़ लेकर आया। यह पहला ऐसा गुरुद्वारा था जिसे स्थानीय प्रशासन से औद्योगिक जमीन पर निर्माण की औपचारिक अनुमति मिली। उसकी उद्घाटन समारोह में इटली के तत्कालीन प्रधानमंत्री रोमानो प्रोडी की मौजूदगी ने साफ कर दिया कि सिख समुदाय अब इटली की पहचान का हिस्सा बन चुका है। आज यह गुरुद्वारा यूरोप के सबसे बड़े धार्मिक केंद्रों में से एक है। वैसाखी के दिनों में पूरा नोवेलारा पंजाब की तरह रंगों, ढोलों, भंगड़े और विशाल लंगर से खिल उठता है। यहां किए गए सामुदायिक कार्य, आपदा राहत और चैरिटी गतिविधियां इस गुरुद्वारे की प्रभावशाली भूमिका को और मजबूत करती हैं।

गुरुद्वारा श्री गुरु नानक दरबार, रोम

रोम में बसे सिख समुदाय की कहानी बिल्कुल फिल्मों जैसी है। लगभग 30 सिख पुरुषों ने 1990 के दशक में एक किराए के वेयरहाउस में संगत शुरू की थी। उनके पास न बहुत साधन थे, न आरामदायक जगह लेकिन श्रद्धा और आपसी भाईचारे ने उस स्थान को गुरुद्वारा बना दिया। बाद में परिवार आए, बच्चे हुए, और धीरे-धीरे यह छोटा वेयरहाउस एक पूर्ण विकसित गुरुद्वारे में बदल गया। रोम के आसपास के क्षेत्रों जैसे Fiumicino और Fregene में भी नई संगतें बनती गईं। आज इस गुरुद्वारे की दीवारों में उस शुरुआती संघर्ष की झलक भी है और आज की सफलता की कहानी भी, क्योंकि यह जगह अब धार्मिक कार्यक्रमों से लेकर समुदाय की आवाज़ उठाने तक कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाती है।

गुरुद्वारा सिंह सभा साहिब, टर्नी

उम्ब्रिया के छोटे शहर टर्नी में 2005 में बना यह गुरुद्वारा इटली में सिख पहचान के खुले और आत्मविश्वास से भरे दौर का प्रतीक है। रेलवे स्टेशन के पास बने इस गुरुद्वारे का मकसद ही था कि समुदाय अब छिपकर नहीं, बल्कि गर्व के साथ अपने धर्म को सामने लाए। यह स्थान नोवेलारा के मॉडल से प्रेरित होकर स्थानीय प्रशासन के सहयोग से खड़ा किया गया और जल्दी ही इंटरफेथ डायलॉग का केंद्र बन गया। यहां कैथोलिक समूहों के साथ कार्यक्रम होते हैं, बच्चों के लिए पंजाबी और धर्म की शिक्षा की पहल चलती है और युवा सिखों के लिए सांस्कृतिक गतिविधियों की जगह भी यही है। यह गुरुद्वारा दिखाता है कि इटली में पहचान सिर्फ बचाई नहीं जा रही, बल्कि आत्मविश्वास के साथ बढ़ाई भी जा रही है।

दरबार श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी, पर्मा

पर्मा के पास सैन प्रोस्पेरो गांव में स्थित यह गुरुद्वारा पहली नजर में ही मन को खींच लेता है। शहर से दूर फैली हरी-भरी फ़ार्मलैंड्स के बीच खड़ा यह विशाल गुरुद्वारा बिल्कुल पंजाब के किसी धार्मिक केंद्र जैसा लगता है। स्थानीय संगत बताती है कि इसका निर्माण संत बाबा बलदेव सिंह बुलंदपुरी की प्रेरणा से हुआ। ऊंची छतों वाला शांत और भव्य दरबार साहिब, खिले हुए रंगों से सजा हॉल और अंदर गूंजती गुरबाणी यहां आने वाले हर व्यक्ति को गहराई से छू जाती है। कई संगत अपने अनुभव बताते हुए कहते हैं कि यहां बैठकर उन्हें एक अनोखी शांति महसूस होती है मानो वे इटली नहीं, अपने गांव की पवित्र जमीन पर बैठे हों। पर्मा का यह गुरुद्वारा आज आध्यात्मिकता, सेवा और संस्कारों का एक मजबूत केंद्र बन चुका है।

खबरों की मानें तो, इटली में आज लगभग 60 से अधिक गुरुद्वारे मौजूद हैं और करीब एक लाख सिख यहां रहते हैं। लेकिन इन पांच गुरुद्वारों की कहानी खास है, क्योंकि ये उन दिनों की यादें समेटे हुए हैं जब सिख समुदाय संघर्ष कर रहा था, खुद को स्थापित कर रहा था और एक सुरक्षित आश्रय खोज रहा था। आज ये सभी गुरुद्वारे न सिर्फ धार्मिक स्थल हैं, बल्कि भाषा, संस्कृति, शिक्षा और मानवता के केंद्र भी हैं।

और पढ़ें: Sikhs in US Army: World War से 2024 तक… अमेरिकी सेना में सिखों के शौर्य की कहानी

vickynedrick@gmail.com

vickynedrick@gmail.com https://nedricknews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

Trending News

Editor's Picks

Is AI Replacing Tech Jobs? Exploring the Impact of Artificial Intelligence on the Workforce

  Introduction: The Rise of AI in Technology Artificial Intelligence (AI) has emerged as a transformative force within the technology sector, fundamentally altering how businesses operate and innovate. Over recent years, we have witnessed a remarkable surge in AI applications, ranging from machine learning algorithms to natural language processing systems, that are now integral components...

UP BJP New President: यूपी भाजपा को मिला नया चेहरा, संगठन की कमान अब पंकज चौधरी के हाथ

UP BJP New President: उत्तर प्रदेश भाजपा को आखिरकार नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। शनिवार को एकमात्र नामांकन होने के बाद जिस नाम पर पहले ही सहमति बन चुकी थी, उस पर रविवार को औपचारिक ऐलान कर दिया गया। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय परिसर स्थित सभागार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यवेक्षकों...

Kanpur News: एक जैसे चेहरे ही नहीं, फिंगरप्रिंट भी सेम! कानपुर का अनोखा मामला, विज्ञान हैरान

Kanpur News: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से एक ऐसा हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसने आम लोगों के साथ-साथ विज्ञान के जानकारों को भी सोच में डाल दिया है। विज्ञान अब तक यही मानता आया है कि दुनिया में किसी भी दो इंसानों के फिंगरप्रिंट और आंखों की रेटिना एक जैसी नहीं...

राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार Dr Ramvilas Das Vedanti का निधन, अयोध्या और संत समाज में शोक की लहर

Dr Ramvilas Das Vedanti: राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता और अयोध्या से पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार सुबह मध्य प्रदेश के रीवा में निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। जानकारी के अनुसार, वे 10 दिसंबर को दिल्ली से रीवा पहुंचे थे, जहां उनकी रामकथा चल रही थी। इसी दौरान...

Bhim Janmabhoomi dispute: रात में हमला, दिन में फाइलें गायब! भीम जन्मभूमि विवाद ने लिया खतरनाक मोड़

Bhim Janmabhoomi dispute: महू स्थित संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मभूमि से जुड़ा राष्ट्रीय स्मारक एक बार फिर बड़े विवाद के केंद्र में है। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मेमोरियल सोसायटी, महू में कथित तौर पर हुई गंभीर वित्तीय अनियमितताओं, फर्जीवाड़े और सत्ता हथियाने के आरोपों ने इस ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय महत्व के स्मारक की गरिमा...

Must Read

©2025- All Right Reserved. Designed and Developed by  Marketing Sheds