महिला नागा साधुओं की विचित्र और रहस्यमयी दुनिया

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Mahila Naga Sadhu Details – पुरुष नागा साधुओं के समान इनका भी अखाड़े में प्रवेश बेहद कठोर होता है. महिला नागा साधु बहुत कम अवसरों पर नजर आती हैं, ये अक्सर कुंभ मेले या माघ मेले के समय ही सार्वजनिक जीवन में नजर आती हैं. वरना ये हमेशा सांसारिक जीवन से दूर घने जंगलों, पहाड़ों, गुफाओं में ही रहती हैं. इनके जीवन के बारे में जानकारी बहुत ही कठिनता से मिलती है क्योंकि ये आम लोगों से बात करने से भी दूर रहती हैं.

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नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया के बारे में सभी लोगों ने जरूर सुना होगा. लेकिन महिला नागा साधुओं का जीवन सबसे निराला और अलग होता है. गृहस्थ जीवन से दूर हो चुकीं महिला नागा साधुओं की दिन की शुरुआत और अंत दोनों पूजा-पाठ के साथ ही होती है. इनका जीवन कई तरह की कठिनाइयों से भरा होता है. नागा साधुओं को दुनिया से कोई मतलब नहीं होता है और इनकी हर बात निराली होती है.

केवल कुंभ या महाकुंभ में ही नजर आती हैं

महिला नागा साधुओं (Mahila Naga Sadhu Hindi) की दुनिया केवल ईश्वर भक्ति में लीन होती है. वे जंगल-पहाड़ों से बाहर निकलकर केवल कुंभ या महाकुंभ में ही नजर आती हैं और फिर अचानक से गायब भी हो जाती हैं. ताे चलिए आपको महिला नागा साधुओं की रहस्मयी दुनिया के बारे में बताएं और जाने कि इनके नागा बनने की प्रक्रियक क्या है और ये पुरुष नागा साधुओं से कैसे अलग हैं.

विदेशी महिलाएं भी बनती हैं नागा

देश ही नहीं, विदेश से आई महिलाएं भी नागा साधू बनती हैं. ये विदेशी महिलाएं भी दीक्षा की पूरी प्रक्रिया पूरी करती हैं और तप में लीन रहती हैं.

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अखाड़े बनाते हैं नागा साधु

Mahila Naga Sadhu Details – महिला नागा साधु बनने के बाद सभी साधु-साध्वियां उन्हें माता कहकर पुकारती हैं. माई बाड़ा में महिला नागा साधु होती हैं जिसे अब विस्तृत रूप देने के बाद दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा का नाम दिया गया है. साधु-संतों में नागा एक पदवी होती है. साधुओं में वैष्णव, शैव और उदासीन संप्रदाय हैं. इन तीनों संप्रदायों के अखाड़े नागा साधु बनाते हैं.

जानिए कैसे बनती हैं Mahila Naga Sadhu

पुरुष नागा साधु नग्न रह सकते हैं, लेकिन महिला नागा साधु को इसकी इजाजत नहीं होती है. पुरुष नागा साधुओं में वस्त्रधारी और दिगंबर (निर्वस्त्र) होते हैं. महिलाओं को भी दीक्षा दी जाती है और नागा बनाया जाता है, लेकिन वह सभी वस्त्रधारी होती हैं. महिला नागा साधुओं को अपने मस्तक पर तिलक लगाना जरूरी होता है. लेकिन वह गेरुए रंग का सिर्फ एक कपड़ा पहन सकती हैं जो सिला हुआ नहीं होता है. इस वस्त्र को गंती कहा जाता है.

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जानिए कैसे बनती हैं महिला नागा साधु

  • पुरुष नागा साधु नग्न रह सकते हैं, लेकिन महिला नागा साधु को इसकी इजाजत नहीं होती है. पुरुष नागा साधुओं में वस्त्रधारी और दिगंबर (निर्वस्त्र) होते हैं. महिलाओं को भी दीक्षा दी जाती है और नागा बनाया जाता है, लेकिन वह सभी वस्त्रधारी होती हैं. महिला नागा साधुओं को अपने मस्तक पर तिलक लगाना जरूरी होता है. लेकिन वह गेरुए रंग का सिर्फ एक कपड़ा पहन सकती हैं जो सिला हुआ नहीं होता है. इस वस्त्र को गंती कहा जाता है.
  • नागा साधु बनने से पहले महिला की बीते जीवन के बारे में जाना जाता है. यह देखा जाता है कि वह ईश्वर के प्रति समर्पित है या नहीं. नागा साधु बनने के बाद कठिन साधना कर सकती है या नहीं. नागा साधु बनने से पहले महिला को जीवित रहते अपना पिंडदान करना होता है और मुंडन कराना पड़ता है.
  • इसके बाद महिला को नदी में स्नान कराया जाता है. महिला नागा साधु पूरा दिन भगवान का जाप करती हैं और सुबह ब्रह्ममुहुर्त में उठ कर शिवजी का जाप करती हैं. शाम को दत्तात्रेय भगवान की पूजा करती हैं. दोपहर में भोजन के बाद वह शिवजी का जाप करती हैं. अखाड़े में महिला नागा साधु को पूरा सम्मान दिया जाता है.
  • कुंभ मेले के दौरान नागा साधुओं के साथ ही महिला साधु भी शाही स्नान करती हैं. हालांकि, पुरुष नागा के स्नान करने के बाद वह नदी में स्नान करती हैं. अखाड़े की महिला नागा साधुओं को माई, अवधूतानी या नागिन कहकर बुलाया जाता है. लेकिन माई या नागिनों को अखाड़े के किसी प्रमुख पद के लिए नहीं चुना जाता है.

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