खनन माफिया मोहम्मद इकबाल पर ईडी ने कसा शिकंजा, 4000 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त

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उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में पूर्व बसपा एमएलसी हाजी इकबाल मोहम्मद के खिलाफ ईडी ने शनिवार (15 जून) को बड़ी कार्रवाई करते हुए मोहम्मद इकबाल द्वारा स्थापित अवैध यूनिवर्सिटी और 4 हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त कर ली है। इकबाल मोहम्मद  ने जब्त की गई यूनिवर्सिटी का जिम्मा अपने भाई और बेटों को दिया हुआ था। आपको बता दें कि इकबाल पिछले कई महीनों से फरार है और उसने दुबई में शरण ले रखी है। देशभर की एक दर्जन से ज्यादा एजेंसियां ​​उसके खिलाफ जांच कर रही हैं। इकबाल पर मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध खनन जैसे कई गंभीर आरोप लगे हैं।

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुताबिक, जब्त की गई सभी संपत्तियां अब्दुल वाहिद एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर हैं। इन जमीनों पर मोहम्मद इकबाल और उनके परिवार के सदस्यों का सालों से कब्जा रहा है। ईडी ने करीब 10 साल पहले खनन घोटाले में मोहम्मद इकबाल के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी।

धांधली में पूरा परिवार शामिल

यह मामला सहारनपुर में खनन पट्टों में अनियमितताओं से जुड़ा था, जिसमें पट्टाधारक महमूद अली, दिलशाद, मोहम्मद इनाम, महबूब आलम (अब मृतक), नसीम अहमद, अमित जैन, नरेंद्र कुमार जैन, विकास अग्रवाल, मोहम्मद इकबाल के बेटे मोहम्मद वाजिद, मुकेश जैन, नरेंद्र कुमार, पुनीत कुमार और कुछ अज्ञात सरकारी अधिकारियों के नाम शामिल थे। ईडी की जांच में पता चला कि सभी खनन फर्मों का स्वामित्व और संचालन मोहम्मद इकबाल के पास था। इकबाल और उसके करीबी सहयोगियों की कंपनियां और फर्म सहारनपुर और आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन में शामिल थीं।मोहम्मद इकबाल इन कंपनियों से कोई व्यावसायिक संबंध न होने के बावजूद करोड़ों रुपए के लेन-देन में शामिल था। इतना ही नहीं, मोहम्मद इकबाल ने अपने आयकर रिटर्न में इस अवैध राजस्व को छिपाया। बाद में मोहम्मद इकबाल ने सारा पैसा अब्दुल वाहिद एजुकेशनल ट्रस्ट के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया।

अधिकांश राशि असुरक्षित ऋण

जांच में पता चला कि अधिकांश धनराशि असुरक्षित ऋण और योगदान के रूप में दी गई थी। बाद में, ट्रस्ट ने इस पैसे का उपयोग विश्वविद्यालय के लिए संपत्ति खरीदने और सुविधाएं बनाने में किया। ईडी की जांच के अनुसार, ट्रस्ट ने ग्लोबल यूनिवर्सिटी में लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च किए। विश्वविद्यालय की जमीन और इमारतों का मौजूदा बाजार मूल्य 4440 करोड़ रुपये है।

जब कानून ने मोहम्मद इकबाल पर शिकंजा कसना चाहा तो वह खुद को बचाने के लिए दुबई भाग गया, जबकि उसका भाई और बेटा दुबई की जेल में हैं। मोहम्मद इकबाल और उसके पूरे परिवार के सदस्यों के खिलाफ ईडी की कार्रवाई चल रही है।

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