ED Notice to Paytm: पेटीएम पर ईडी की गाज! विदेशी मुद्रा नियमों के उल्लंघन का आरोप, कानूनी दांव-पेंच में फंसी कंपनी

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ED Notice to Paytm: देश की प्रमुख फिनटेक कंपनी पेटीएम एक बार फिर विवादों में घिर गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड को फेमा (FEMA) नियमों के उल्लंघन के आरोप में कारण बताओ नोटिस (SCN) भेजा है। यह नोटिस कंपनी की दो अनुषंगी इकाइयों लिटिल इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड (LIPL) और नियरबाय इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (NIPL) के अधिग्रहण से जुड़े वित्तीय लेन-देन के संबंध में जारी किया गया है।

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ईडी ने क्यों भेजा नोटिस? (ED Notice to Paytm)

वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड (OCL) को 28 फरवरी 2025 को यह नोटिस मिला, जिसमें 2015 से 2019 के बीच हुए विदेशी मुद्रा लेन-देन में कथित अनियमितताओं का हवाला दिया गया है। कंपनी द्वारा शेयर बाजार को दी गई जानकारी के अनुसार, यह नोटिस केवल कंपनी ही नहीं, बल्कि उसकी दोनों अनुषंगी कंपनियों और उनके कुछ वर्तमान व पूर्व निदेशकों और अधिकारियों को भी भेजा गया है।

ED Notice to Paytm
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कंपनी के मुताबिक, ये लेन-देन उन अनुषंगी कंपनियों द्वारा किए गए थे, जो पेटीएम के स्वामित्व में आने से पहले स्वतंत्र रूप से काम कर रही थीं। हालांकि, अब इस अधिग्रहण की गहन जांच हो रही है, जिससे कंपनी के कॉर्पोरेट संचालन पर असर पड़ सकता है।

पेटीएम का पक्ष: कानूनी सलाह ली जा रही है

इस नोटिस के बाद पेटीएम ने स्पष्ट किया कि वह कानूनी सलाह ले रही है और नियामकीय प्रक्रियाओं के तहत उचित कदम उठाने की तैयारी कर रही है।

ED Notice to Paytm
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कंपनी ने यह भी आश्वासन दिया कि:

  • ग्राहकों और व्यापारियों की सेवाओं पर इस मामले का कोई असर नहीं पड़ेगा।
  • डिजिटल भुगतान सेवाएं और अन्य संचालन पहले की तरह सुचारू रूप से चलते रहेंगे।
  • फेमा से जुड़े इन विवादों को हल करने के लिए नियामकीय ढांचे के तहत पूरा सहयोग दिया जाएगा।

ईडी की जांच: क्या हो सकते हैं प्रभाव?

  1. फिनटेक क्षेत्र पर बढ़ती सख्ती: इस जांच को सरकार द्वारा फिनटेक कंपनियों पर बढ़ती निगरानी के तौर पर देखा जा रहा है। पहले भी कई डिजिटल पेमेंट कंपनियों पर विदेशी मुद्रा नियमों के उल्लंघन के आरोप लग चुके हैं।
  2. पेटीएम के निवेशकों पर असर: इस मामले से निवेशकों का भरोसा प्रभावित हो सकता है। स्टॉक बाजार में भी इसका असर देखने को मिल सकता है, खासकर अगर इस मामले में कोई सख्त कार्रवाई होती है।
  3. कॉर्पोरेट गवर्नेंस के लिए चेतावनी: पेटीएम जैसे बड़े ब्रांड के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और विदेशी निवेश से जुड़े मामलों में सतर्कता की जरूरत को दर्शाती है।

क्या है पेटीएम की रणनीति?

पेटीएम ने 2017 में LIPL और NIPL का अधिग्रहण किया था, ताकि डिजिटल भुगतान और ई-कॉमर्स क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत की जा सके। यह अधिग्रहण उस समय कंपनी की विस्तार नीति का अहम हिस्सा था, लेकिन अब यह सौदा जांच के घेरे में आ गया है।

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