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ब्रेड के पैकेट पर लिखी इन बातों को न करें नजरअंदाज, वरना लगाने पड़ सकते हैं डॉक्टर के चक्कर

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ज्यादातर लोग नाश्ते में ब्रेड खाना पसंद करते हैं। ब्रेड का नाश्ता न सिर्फ झटपट बन जाता है बल्कि खाने में भी लाजवाब होता है। इसलिए ऑफिस जाने वाले ज्यादातर लोग नाश्ते में ब्रेड खाना पसंद करते हैं। लेकिन बेहद कम लोग जानते हैं कि जो ब्रेड वो खा रहे हैं वो सेहत के लिए कितनी हेल्दी है। दरअसल ब्रेड खाने में कोई बुराई नहीं है लेकिन घटिया क्वालिटी की ब्रेड खाकर अपनी सेहत खराब करना बहुत गलत है। आइए आपको बताते हैं कि किस तरह की ब्रेड नुकसानदायक हो सकती है और आप किस तरह से ब्रेड की क्वालिटी के बारे में पता लगा सकते हैं।

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प्रिजर्वेटिव की मात्रा करें चेक

कई ब्रांड्स ब्रेड की ताज़गी, स्वाद को बनाए रखने के लिए अक्सर प्रिज़र्वेटिव और एडिटिव्स का इस्तेमाल करते हैं। इससे स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। इस स्थिति में एडिटिव्स वाली ब्रेड से जितना हो सके उतना दूर रहें।

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Source: Google

ब्रेड पर लगा लेबल जरूर पढ़ें

ब्रेड की क्वालिटी जानने के लिए आपको पैकेट पर लगा लेबल जरूर पढ़ना चाहिए। इस लेबल पर पैक्ड ब्रेड और उसके ब्रांड के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी दी गई होती है। इसलिए जब भी आप दुकान से ब्रेड खरीदें तो पैकेट पर लगा लेबल जरूर चेक करें।

ब्रेड में शुगर की मात्र करें चेक

जब भी आप ब्रेड खरीदें तो लेबल चेक करके देख लें कि ब्रेड में अतिरिक्त चीनी तो नहीं डाली गई है। दरअसल, फैक्ट्री में बनी ब्रेड में अक्सर खाने की नमी बनाए रखने के लिए अतिरिक्त चीनी, गन्ने का रस, शहद और ऐसे ही दूसरे स्वीटनर का इस्तेमाल किया जाता है। यह सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होता है।

एक ही नाम के दो प्रॉडक्ट

कभी-कभी किसी ब्रांड के नाम पर डुप्लीकेट ब्रांड भी बाजार में उपलब्ध होते हैं जिनकी पैकेजिंग और लोगो तो ओरिजिनल ब्रांड से मिलते-जुलते हैं लेकिन गुणवत्ता के मामले में वे बेहद खराब होते हैं। जिससे सेहत को काफी नुकसान होता है और इन्हें खाने से कई तरह की बीमारियाँ भी हो सकती हैं। इसलिए ब्रेड खरीदते समय ओरिजिनल ब्रांड को ही प्राथमिकता दें।

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ब्रेड में एक्सट्रा नमक करें चेक

स्वाद को बेहतर बनाने के लिए, ब्रांड अक्सर ब्रैड में ज़्यादा नमक मिलाते हैं, जो एक एडिटिव के रूप में काम करता है। मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में कहा गया है कि ब्रेड के एक स्लाइस में 100-200 मिलीग्राम से ज़्यादा सोडियम नहीं होना चाहिए।

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