BNS Section 115: पुलिस का थप्पड़ अब मज़ाक नहीं, BNS धारा 115 के तहत हो सकती है 1 साल की जेल या 10 हजार का जुर्माना

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BNS Section 115: हम में से बहुत से लोग ऐसे मामले देखते हैं, जहां पुलिसकर्मी गुस्से में आकर किसी आम नागरिक को थप्पड़ मार देते हैं या बात-बात पर धक्का-मुक्की कर बैठते हैं। अक्सर लोग इसे “सिस्टम का हिस्सा” समझकर चुप हो जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा। BNS (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 115 के तहत, अगर कोई पुलिसकर्मी बिना वजह किसी नागरिक के साथ मारपीट करता है, तो वो कानूनन अपराध है, जिसकी सज़ा भी तय है।

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क्या कहती है BNS धारा 115? (BNS Section 115)

BNS की धारा 115 बिल्कुल साफ तौर पर कहती है कि कोई भी पुलिसकर्मी अगर बिना किसी वैध कारण के किसी को थप्पड़ मारता है या शारीरिक हिंसा करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। इसमें दोषी पाए जाने पर एक साल तक की जेल या ₹10,000 तक का जुर्माना या फिर दोनों सज़ाएं एक साथ दी जा सकती हैं।

यह नियम ये साफ करता है कि कानून सबके लिए बराबर है — चाहे वो वर्दी में हो या आम नागरिक। पुलिस का काम सुरक्षा देना है, डर फैलाना नहीं। और अगर कोई पुलिसकर्मी अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करता है, तो आम जनता को अब चुप रहने की जरूरत नहीं है।

आपके साथ ऐसा हो जाए तो क्या करें?

अगर किसी पुलिसकर्मी ने आपके साथ गलत बर्ताव किया है या मारपीट की है, तो घबराइए मत। ये रहे कुछ ज़रूरी कदम जो आप उठा सकते हैं:

  1. सबसे पहले नज़दीकी थाने में जाकर उस पुलिसकर्मी के खिलाफ FIR दर्ज करवाएं।
    • FIR दर्ज करवाना आपका कानूनी हक है। थाने वाले इंकार नहीं कर सकते।
  2. घटना के समय तुरंत 100 या 112 नंबर पर कॉल करें।
    • ये हेल्पलाइन रिकॉर्ड होती हैं, इसलिए बाद में ये आपके लिए सबूत के तौर पर काम आ सकती हैं।
  3. अगर लोकल थाना FIR दर्ज करने से मना करे, तो आप इसकी लिखित शिकायत जिला पुलिस अधीक्षक (SP), पुलिस कमिश्नर या पुलिस महानिदेशक (DGP) से कर सकते हैं।
  4. मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराना भी एक मजबूत विकल्प है।
    • पुलिस की ज्यादती को मानवाधिकार उल्लंघन के तौर पर लिया जाता है।
  5. ज़रूरत पड़ने पर आप कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं।
    • न्यायिक हस्तक्षेप से दोषी पुलिसकर्मी के खिलाफ सीधी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

क्यों ज़रूरी है ये जानकारी?

आज भी कई लोग यही मानते हैं कि पुलिस के खिलाफ कुछ नहीं किया जा सकता, लेकिन अब कानून पहले से ज़्यादा मजबूत और नागरिक-केंद्रित हो चुका है। BNS में ऐसे बदलाव किए गए हैं जिससे आम नागरिक की सुरक्षा और गरिमा का पूरा ध्यान रखा जा सके।

ये जानना बेहद ज़रूरी है कि पुलिस आपकी सेवा के लिए है, डराने के लिए नहीं। और अगर वो अपनी सीमा लांघे, तो आप उसे कानून के दायरे में ला सकते हैं।

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