कोरोना पॉजिटिव होने के बाद कितने वक्त तक नहीं होता दोबारा संक्रमण का खतरा? कब तक शरीर में रहती है एंटीबॉडी? जानिए…

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वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का खतरा कम होने का नाम नहीं ले रहा। इस वक्त भारत ही कोरोना से  सबसे ज्यादा प्रभावित है। कोरोना का नया वेरिएंट देशभर में तबाही मचा रहा है। रोजाना लाखों की संख्या में लोग इस वायरस की चपेट में आ रहे हैं। हालांकि राहत भरी बात ये है कि बड़ी संख्या में लोग इस वायरस को मात देकर रिकवर भी हो रहे हैं। लेकिन क्या कोरोना से ठीक हुए मरीज दोबारा इस वायरस का शिकार हो सकते हैं? वो कितने महीनों तक इस वायरस से सुरक्षित रह सकते हैं? ये सवाल अक्सर लोगों के मन में उठता होगा। आइए आज हम आपके साथ इससे जुड़ी कुछ अहम जानकारी साझा करें…

8 महीनों तक रहती हैं Antibody

दरअसल, इटली के शोधकर्ताओं ने एंटीबॉडीज को लेकर कुछ जरूरी जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि कोरोना संक्रमित हो चुके मरीजों के शरीर में कितने महीनों तक एंटीबॉडीज रहती है, जिससे तब तक उन्हें वायरस का खतरा नहीं रहता। शोधकर्ताओं की मानें तो 8 महीनों बाद तक मरीज के खून में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज रहती है। 

मिलान के सैन राफेल अस्पताल के मुताबिक मरीज की उम्र, बीमारी की गंभीरता या फिर किसी और बीमारी का शिकार होने के बाद भी ये एंटीबॉडीज खून में मौजूद रहती हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो जब तक किसी शख्स के शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडीज बनी रहती है, तब तक उसमें इस वायरस का खतरा खत्म हो जाता है।  

162 लोगों पर की गई स्टडी

शोधकर्ताओं ने इटली के ISS नेशनल हेल्थ इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर काम किया। इसके लिए उन्होंने एक स्टडी की। इस स्टडी का हिस्सा कोरोना के लक्षण वाले 162 लोगों को बनाया गया। इनको कोरोना की पहली लहर के दौरान इमरजेंसी रूम में रखा गया। इन सभी लोगों के ब्लड सैंपल मार्च और अप्रैल में लिए गए। इनमें से करीब 29 मरीजों की मौत हो गई थीं। फिर जो लोग सर्वाइव करने में कामयाब हुए उनके ब्लड सैंपल को फिर से नवंबर में लिया गया।  

एक साझा बयान में शोधकर्ताओं ने बताया कि कोरोना संक्रमित होने के बाद 8 महीनों तक मरीजों के शरीर में बीमारी से लड़ने वाली एंटीबॉडीज पाई गई। केवल तीन ही मरीज ऐसे थे, जिनमें लंबे वक्त तक एंटीबॉडीज नहीं मिली। 

स्टडी को ‘नेचर कॉम्यूनिकेशन्स साइंटिफिक जर्नल’ में प्रकाशित किया गया। इस स्टडी का हिस्सा दो तिहाई पुरुषों को बनाया गया, जिनकी औसत उम्र 63 थी। वहीं 57 फीसदी ऐसे भी मरीजों को शामिल किया गया, जो पहले किसी बीमारी जैसे हाईपरटेंशन या डायबिटीज का शिकार थे। 

एक्सपर्ट्स के मुताबिक जब पहली बार वायरस से संक्रमित होते है, तो शरीर आसानी से उससे लड़ने में कामयाब नहीं होता है, लेकिन जब संक्रमण दूसरी बार हो जाए तो इम्यून सिस्टम उससे निपटने में पूरी तरह प्रशिक्षित होता है। साथ ही पहले से ज्यादा बेहतर एंटीबॉडीज भी बनाता है। 

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