Anil Vij vs officer: कैथल की बैठक में बवाल! अनिल विज और पुलिस अधिकारी में सीधी भिड़ंत, ज़ीरो एफआईआर ने बढ़ाया पारा

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Anil Vij vs officer: जिला शिकायत निवारण समिति की शुक्रवार को हुई बैठक अचानक उस समय गर्मा गई, जब प्रदेश के परिवहन, ऊर्जा और श्रम मंत्री अनिल विज और कैथल के एक पुलिस अधिकारी के बीच ज़ीरो एफआईआर दर्ज न किए जाने को लेकर तीखी नोकझोंक हो गई। बैठक की अध्यक्षता कर रहे विज ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके पहले दिए गए निर्देशों को नज़रअंदाज़ किया, जिसके कारण मामला फिर से समिति के समक्ष लेकर आना पड़ा।

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ज़ीरो एफआईआर का मामला बना टकराव की वजह- Anil Vij vs officer

विवाद की शुरुआत तब हुई जब विज ने एक धोखाधड़ी के मामले में ज़ीरो एफआईआर न दर्ज होने पर सवाल उठाया। ज़ीरो एफआईआर की विशेषता होती है कि किसी भी थाना क्षेत्र की परवाह किए बिना इसे किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया जा सकता है। मंत्री ने इस मामले में पुलिस की सुस्ती पर नाराजगी जताते हुए पूछा कि आखिर उनके निर्देशों को समय रहते पूरा क्यों नहीं किया गया।

इस दौरान कैथल की एसपी उपासना भी बैठक में मौजूद थीं। उन्होंने मामले में हस्तक्षेप कर पुलिस की ओर से स्पष्टीकरण देने की कोशिश की, लेकिन विज इससे संतुष्ट नहीं हुए और बार-बार संबंधित अधिकारी से जवाब मांगते रहे। बैठक के एक वीडियो में विज एसपी से यह भी कहते दिखे कि “कैथल पुलिस अपना काम ठीक से नहीं कर रही।”

“मेरे आदेशों की अवहेलना कैसे?”: विज

मंत्री ने कड़े शब्दों में कहा कि समिति द्वारा दिया गया निर्देश बिल्कुल स्पष्ट था और पुलिस को तुरंत ज़ीरो एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी। विज ने एसपी से कहा, “ये मेरे आदेश हैं। इनके पालन में देरी कैसे हो सकती है?” उन्होंने दावा किया कि शिकायत समिति तक इसलिए पहुंची, क्योंकि पुलिस ने शिकायत पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

जब विज ने संबंधित अधिकारी से पूछा कि मामला अब तक दर्ज क्यों नहीं हुआ, तो अधिकारी ने दावा किया कि शिकायतकर्ता खुद अपना केस चंडीगढ़ में दर्ज करवाना चाहता था। इस पर विज ने सवाल उठाया कि क्या शिकायतकर्ता ने यह बात लिखित रूप में दी है। अधिकारी के पास कोई दस्तावेज न होने पर मंत्री ने शिकायतकर्ता को तुरंत फोन लगाया।

फोन पर खुला सच, और बढ़ी बहस

शिकायतकर्ता से हुई बातचीत में साफ हुआ कि वह कैथल में ही एफआईआर दर्ज करवाना चाहता है और पुलिस कार्रवाई से खुश नहीं है। शिकायतकर्ता के इस बयान ने मंत्री को और नाराज़ कर दिया। उन्होंने अधिकारी पर कार्रवाई न करने और शिकायत को लटकाने का आरोप लगाया।

यहां से मामला और गर्मा गया। वीडियो में अधिकारी विज से कहते सुने गए, “सर, आप न्याय नहीं कर  रहे।” इस पर मंत्री ने उत्तर दिया,“मैं न्याय कर रहा हूँ।”

लेकिन अधिकारी अपनी बात पर अड़े रहे। उन्होंने कहा कि शिकायत दर्ज न करने का आरोप गलत है और इसका दोष उन पर डालना अनुचित है। अधिकारी बोले, “आप मेरा करियर खराब कर रहे हैं। मैं इस गलती का जिम्मेदार नहीं हूँ। आप मेरे बारे में किसी से भी पूछ सकते हैं। मैं हमेशा आदेशों का पालन करता हूँ।”

विज का सख्त निर्देश: बैठक खत्म होने से पहले दर्ज हो एफआईआर

विज ने स्पष्ट किया कि प्रक्रिया की बातें अपनी जगह हैं, लेकिन सबसे पहले शिकायत दर्ज होना ज़रूरी है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “बैठक खत्म होने से पहले ज़ीरो एफआईआर दर्ज कर दें, वरना मैं आपको सस्पेंड कर दूँगा।”

बैठक के दौरान मंत्री ने सिर्फ इसी मामले में सख्ती नहीं दिखाई, बल्कि अन्य शिकायतों पर भी तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए।

अन्य शिकायतों पर भी एक्शन मोड में विज

एक युवती द्वारा उत्पीड़न की शिकायत में पुलिस पर सबूतों के बावजूद कार्रवाई न करने का आरोप लगाया गया था। इस पर विज ने मातहत अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।

इसके अलावा चार अलग-अलग मामलों में तथ्य-जांच समितियां गठित की गईं और अगली बैठक में रिपोर्ट जमा करने के आदेश दिए गए।

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