अब देश में जनगणना भी होगी DIGITAL: जन्म से मृत्यु तक का डेटा रहेगा सरकार के पास, जानें क्या होगा इसका पूरा प्रोसेस?

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भारत में शुरुआत से ही जनगणना घर-घर जाकर की जाती रही है। जनगणना के लिए सरकारी कर्मचारी लोगों के घर जाकर एक फॉर्म भरवाते हैं, जिसमें परिवार के सदस्यों के नाम से लेकर जेंडर, धर्म, जाति और रोजगार जैसे सवाल होते हैं। लेकिन भारत में अब जनगणना का तरीका बदलने जा रहा है। अब जनगणना अलग और आधुनिक तरीके से करने की तैयारी है, जिसका नाम है ई-जनगणना। ये जनगणना पूरी तरह से डिजिटल और ऑटोमेटिक अपडेट के साथ होगी।

शाह ने किया क्या ऐलान? 

सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह ने असम में महानिदेशालय के कार्यालय भवन का उद्घाटन करने के बाद एक बड़ा ऐलान किया। अमित शाह ने देश में ई-जनगणना पर जोर दिया। उन्होंने आगे कहा कि ई-जनगणना में अगले 25 सालों के विकास की नीतियों पर जोर दिया जाएगा। 

अमिनगांव में जनगणना कार्यालय के उद्घाटन के बाद शाह ने कहा कि असम जैसे संवेदनशील राज्य में जनगणना का डिजिटलीकरण और भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगली जनगणना ई-मोड के जरिए होगी। 2024 तक जनगणना को रजिस्टर किया जाएगा। बच्चे के जन्म होते ही उसका नाम रजिस्टर में जोड़ दिया जाएगा और उसके 18 वर्ष के बाद बालिग होते ही मतदाता के तौर पर रजिस्टर किया जाएगा। वहीं मृत्यु के बाद मतदाता का नाम भी ऑटोमैटिक डिलीट हो जाएगा। शाह के मुताबिक, ई-जनगणना से जनगणना में आसानी होगी और देश की विकास नीतियों पर सही तरीके से काम होगा। उन्होंने ये भी कहा कि ई-जनगणना एकदम सटीक और वैध होगी।

ई-जनगणना से खुलेगा NRC का रास्ता?

गौरतलब हैं कि असम में NRC पहले से ही लागू है। लेकिन शाह के ऐलान के बाद NRC  की चर्चा एक बार फिर से होने लगी है, जो कि विवादों से घिरा हुआ है। माना जा रहा है कि डिजिटलीकरण के बाद देश में NRC को भी लागू करने का रास्ता खुल सकता है।

बता दें कि NRC यानि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन एक रजिस्टर है। भारत सरकार की योजना के मुताबिक, इस रजिस्टर में भारत में रह रहे वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाएगा। अमित शाह पहले भी कह चुके है कि NRC पूरे देश में लागू किया जाएगा, जिसे लेकर 2019 में काफी विवाद हुआ था। लोगों ने सड़कों पर उतरकर NRC के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया था, जिसने कई जगह हिंसक रूप तक ले लिया। प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना था कि दस्तावेजों की कमी के चलते अगर कोई व्यक्ति अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाया तो वो भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा। जबकि देश में ऐसे कई लोग है जिनके पास अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज़ नहीं है।

बताते चलें कि भारत में अभी तक हर 10 सालों में जनगणना होती रही है। इससे पहले जनगणना 2011 में हुई थी और उसके बाद 2021 में होनी थी। लेकिन देश में आए कोरोना वायरस की लहर के कारण नहीं हो पाई। देश में जनगणना करना काफी कठिन होता है। इस दौरान कई सरकारी कर्मचारियों की मदद ली जाती है, सरकारी अध्यापकों की भूमिका इसमें अहम मानी जाती है, लेकिन इस दौरान कई गलतियां भी हो जाती है जिससे एकदम सटीक जनगणना जुटाना मुश्किल हो जाता है।

ई-जनगणना क्या है ?

ई-जनगणना डिजिटली रजिस्टर की जाएगी, जिसमें जन्म से लेकर मृत्यु तक का रिकॉर्ड ऑनलाइन रखा जाएगा। इस दौरान जनगणना ऑटोमेटिक अपडेट होती रहेगी। साथ ही ये बिल्कुल सटीक और वैध होगी।

ई-जनगणना के फायदे क्या हैं?

1. ई-जनगणना 100 प्रतिशत सही होगी।

2. ई-जनगणना के आधार पर देश के विकास के लिए नीतियां तैयार की जाएगी।

3. देश में आधुनिक तकनीकी के जरिए ई-जनगणना की शुरुआत होगी।

4. जन्म से लेकर मृत्यु तक की पूरी डिटेल रजिस्टर की जाएगी।

5. 18 साल के बाद जनगणना रजिस्ट्रार कार्यालय से ही मतदाता के तौर पर रजिस्टर कर दिया जाएगा और मृत्यु के बाद डिटेल डिलीट कर दी जाएगी।

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