RSS का क्यों बढ़ रहा है मस्जिद प्रेम, Rahul Gandhi से डर या कुछ और…

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हुकूमत बनाए रखने के लिए RSS ने किया मस्जिद का रुख 


जहाँ कांग्रेस ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) का आगाज किया है. वहीं इस बीच RSS ने भी मस्जिद का रुख गया है. कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) की बात करें तो इसमें अभी तक कई विपक्षी दल इस यात्रा में हिस्सा ले रहे हैं और ग्राउंड लेवल पर  कांग्रेस को यात्रा की अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है, जो कि कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत है. वहीं बीजेपी की सरकार का ‘रिमोट कंट्रोल’ कहे जाने वाला संघ भी देश में अपनी हुकूमत बनाए रखने के लिए मस्जिद और मुसलमानों का सहारा लेते दिख रहा है.

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा



कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) की शुरुआत करी है और ये यात्रा 3570 किलोमीटर की है जो कि 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों तक जाएगी और कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी कन्याकुमारी से 5 महीने चलने वाली इस यात्रा का आगाज कर दिया है. 

वहीं कांग्रेस का इस यात्रा का मकसद बीजेपी को चुनौती देने के साथ-साथ खुद को बचाना भी है साथ ही विपक्षी दलों में खुद को साबित करने की चुनौती भी है.

RSS का मस्जिद दौरा



जहाँ कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) में काफी हद तक विपक्षी दल हिस्सा ले रहे हैं. वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भी दिल्ली के इमाम हाउस का दौरा किया है. RSS प्रमुख सुबह के समय ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन का ऑफिस पहुंचे और इस मस्जिद के बंद कमरे में भागवत करीब एक घंटे चीफ इमाम डॉ. उमर अहमद इलियासी के साथ रहे। वहीं किसी मुस्लिम धार्मिक संगठन के प्रमुख से RSS चीफ की मस्जिद में यह पहली मुलाकात है। डॉ. इलियासी ने कहा कि हमारा DNA एक ही है, सिर्फ इबादत करने का तरीका अलग है। RSS प्रमुख ने उनके बुलावे पर उत्तरी दिल्ली में मदरसा ताजवीदुल कुरान का दौरा किया था। वहां वे बच्चों से भी मिले। वहीं इस मुलाकात के ठीक बाद चीफ इमाम RSS चीफ को राष्ट्रपिता और राष्ट्रऋषि बताया है.

RSS का मस्जिद प्रेम


आरएसएस ने मस्जिद और मुसलमानों के सबसे प्रभावशाली धार्मिक नेता से मिलकर देश में हिन्दू-मुस्लिम वाली आग को ठंडा करने में लगे हैं जिससे  देश में संग का वर्चस्व बना रहे. हाल ही में भागवत मान ने एक बयान देते हुए कहा था कि “हालत ये हो गई है कि एक आम मुसलमान का रास्ते पर चलना तक दुश्वार हो गया है और उसे हिक़ारत की नजरों से देखा जाने लगा है. वहीं भागवत के इस बयान  का मतलब था कि ” कोई भी हिंदू,मुसलमानों के विरूद्ध नहीं सोचता है. आज के मुसलमानों के पूर्वज भी हिंदू थे.”इसी के साथ उन्होंने एक बार ये कहा कि, “एक राम जन्मभूमि का आंदोलन था जिसमें हम अपनी प्रकृति के विरुद्ध किसी ऐतिहासिक कारण से उस समय सम्मिलित हुए, हमने उस काम को पूरा किया. अब हमको कोई आंदोलन करना नहीं है. वहीं इन सभी बयान का मतलब ये है कि पिछले कई दशकों से जो मुस्लिम समुदाय आरएसएस को अपना दुश्मन मानता आया है और उससे जुड़े सदस्यों को नफ़रत की निगाह से देखता आया है इस बयान से वो आंखों में प्रेम,मोहब्बत और भाईचारे की कोशिश करते हुए सत्ता पर कायम रहेगा.

मस्जिद और मदरसे के दौरे के पीछे है रणनीति



RSS के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की बीते दिनों हुई मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठक और हाल के मस्जिद और मदरसे के दौरे के पीछे एक रणनीति है जिसका पूरा लाभ बीजेपी को मिलने वाला है. इन बैठक, मस्जिद के दौरे से अल्पसंख्यक समुदाय खासकर मुस्लिमों में भरोसा बढ़ेगा। जिसका फायदा 2024 के होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिल सकता है. वहीं संग केवल मुस्लिमों को ही नहीं, ईसाई और सिख अल्पसंख्यकों को भी अपने करीब लाने में जुटा है। 

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