Vaishno Devi Yatra New Rule: नववर्ष के मौके पर माता वैष्णो देवी के दरबार में उमड़ने वाली भारी भीड़ को देखते हुए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने यात्रियों के लिए नए नियम लागू कर दिए हैं। बोर्ड ने साफ किया है कि ये बदलाव श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखकर किए गए हैं। नए निर्देशों के मुताबिक, RFID यात्रा कार्ड जारी होने के बाद श्रद्धालुओं को अधिकतम 10 घंटे के भीतर यात्रा शुरू करनी होगी। वहीं, दर्शन के बाद 24 घंटे के अंदर कटड़ा बेस कैंप लौटना भी अनिवार्य कर दिया गया है। ये नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो चुके हैं।
क्यों जरूरी था नियम बदलना? (Vaishno Devi Yatra New Rule)
श्राइन बोर्ड का कहना है कि नए साल से पहले यात्रियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। ऐसे में ट्रैक पर भीड़ बढ़ने, सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित होने और आपात स्थिति में दिक्कतें आने की आशंका रहती है। पहले कई श्रद्धालु भवन क्षेत्र में लंबे समय तक रुक जाते थे, जिससे ओवरक्राउडिंग की समस्या बढ़ जाती थी। इसी को देखते हुए यात्रा को समयबद्ध और व्यवस्थित बनाने का फैसला लिया गया है।
क्या था पुराना नियम?
पहले RFID कार्ड मिलने के बाद यात्रा शुरू करने की कोई तय समय सीमा नहीं थी। श्रद्धालु अपनी सुविधा से कभी भी यात्रा शुरू कर सकते थे और दर्शन के बाद लौटने को लेकर भी कोई सख्ती नहीं थी। इसका नतीजा यह होता था कि भवन क्षेत्र और ट्रैक पर भीड़ लगातार बनी रहती थी।
RFID कार्ड क्या है और क्यों जरूरी?
RFID यानी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन कार्ड एक इलेक्ट्रॉनिक कार्ड होता है, जो रेडियो वेव्स के जरिए डेटा ट्रांसफर करता है। वैष्णो देवी यात्रा पर निकलने से पहले यह कार्ड यात्रा भवन से लेना जरूरी होता है। इसके जरिए बोर्ड को यह जानकारी मिलती है कि कितने श्रद्धालु यात्रा पर हैं, उनकी लोकेशन कहां है और वे दर्शन के बाद लौट चुके हैं या नहीं। सुरक्षा के लिहाज से यह सिस्टम काफी अहम माना जाता है।
दर्शन में कितना समय लगता है?
कटड़ा से भवन तक की दूरी करीब 13 किलोमीटर है। पैदल यात्रा में ऊपर चढ़ने में आमतौर पर 6 से 8 घंटे लगते हैं और उतना ही समय वापस आने में। दर्शन की लाइन में 2 से 6 घंटे तक लग सकते हैं, जबकि भीड़ ज्यादा होने पर यह समय और बढ़ जाता है। कुल मिलाकर सामान्य दिनों में पूरी यात्रा 24 से 36 घंटे में पूरी हो जाती है, लेकिन नववर्ष की भीड़ में यह 48 घंटे तक भी खिंच सकती है।
वैष्णो देवी कैसे पहुंचें?
श्रद्धालु ट्रेन से जम्मू तवी रेलवे स्टेशन तक पहुंच सकते हैं, जहां से कटड़ा बस या टैक्सी से करीब डेढ़ घंटे में पहुंचा जा सकता है। हवाई यात्रा करने वालों के लिए जम्मू और श्रीनगर एयरपोर्ट विकल्प हैं। सड़क मार्ग से भी जम्मू या पठानकोट से कटड़ा आसानी से पहुंचा जा सकता है। कटड़ा से भवन तक पैदल, बैटरी कार, घोड़ा-पिट्ठू या हेलिकॉप्टर की सुविधा उपलब्ध है। ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य है।
नए नियम से क्या होगा फायदा?
श्राइन बोर्ड के मुताबिक, नए नियमों से यात्रा ज्यादा सुरक्षित और सुव्यवस्थित होगी। ट्रैक पर जाम की स्थिति कम होगी और आपात हालात में रेस्क्यू करना आसान रहेगा। लंबे समय तक ठंड में रुकने से होने वाली बीमारियों का खतरा भी घटेगा। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह व्यवस्था ज्यादा सुरक्षित मानी जा रही है। दर्शन की प्रक्रिया भी तेज होगी और लाइन में लगने का समय कम हो सकता है।
बोर्ड ने यात्रियों की सुविधा के लिए कटड़ा रेलवे स्टेशन पर पंजीकरण केंद्र को रात 12 बजे तक खोल दिया है। श्राइन बोर्ड का साफ कहना है कि इन नियमों का मकसद श्रद्धालुओं को परेशान करना नहीं, बल्कि सभी को सुरक्षित और सुचारू दर्शन कराना है।














