20 सालों में कुछ इतना बदल गया कारगिल, इन 5 जगहों पर अद्भुत हैं नज़ारे

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Tourist Places in Kargil – कारगिल युद्ध, हमारे जवानों की बहादुरी का वो किस्सा जो पीढ़ी दर पीढ़ी देशवासियों को सुनाया जाएगा। 1999 से अब तक इस शौर्य गाथा को 20 बरस बीत चुके हैं। हालांकि इन सालों में ये रणभूमि कई बदलावों के दौर से गुजरी। लेकिन शहीदों के उस अदम्य साहस की कहानी आज तक कारगिल की हर एक दीवार बयां करती हैं। यहां कदम रखते ही आपके दिल में खुद ब खुद देशभक्ति की लौ जाग्रत हो उठेगी। यहां मौजूद युद्धपोतों और शहीद रणबाकुरों को देखकर आपका सीना गर्व से फूल जायेगा।

जम्मू कश्मीर के मुख्य पर्यटन स्थलों में शुमार आज के कारगिल को देखकर ये कहना थोड़ा मुश्किल होगा कि कभी ये भारत-पाकिस्तान के बीच हुए महासंग्राम का अखाड़ा बन गया था। इसका नवीनीकरण सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने में पूरी तरह से सफल रहा है। तो आइये देखें तब से अब तक कितना बदल गया कारगिल

वॉर मेमोरियल

वॉर मेमोरियल इस क्षेत्र के द्रास में स्थित है। ये उन शूरवीरों और अधिकारियों की याद में बनाया गया है जो कारगिल युद्ध में देश के लिए हंसते हंसते कुर्बान हुए थे। ये सैलानियों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। यहां पर देश विदेशों से तमाम लोग आ कर फोटोशूट करवाते हैं। कई फिल्मों की शूटिंग भी इन खूबसूरत वादियों में हो चुकी है। यहां की मनोज पांडेय वॉर गैलरी में पाकिस्तानी सेना के वो हथियार और तोपें मौजूद हैं, जो युद्ध स्थल से बरामद हुए थे। यहां आप जून से सितंबर के महीने में आराम से घूम सकते हैं।

सुरु वैली – Tourist Places in Kargil

हिमालय पर्वतमाला में बसी सुरु वैली की तो छटा ही अद्भुत है। ये प्रकृति के उस खूबसूरत सपने जैसा है जिसके दीदार के लिए बार बार आंखें तरसती हैं। जब यहां से लहलहाती हुई सुरु नदी पर्वतों से निकलती है, तो वो दृश्य वाकई देखने लायक होता है। वसंत के महीने में इस जगह का आकर्षण दुगुना हो जाता है जब चारों ओर यहां खुबानी और सेब के पेड़ फलते फूलते नज़र आते हैं। मई के महीने में जा रहे लोग इन पेड़ों में पिघलती बर्फ को देख सकते हैं, जो यकीन मानिये आपके शानदार अनुभवों में से एक होगा। ट्रैकिंग और रॉक क्लाइम्बिंग के लिए भी ये जगह मशहूर है।

लामायुरू मोनेस्ट्री

ये लद्दाख के सबसे पुराने और सबसे बड़े मठों में से एक है। इस मठ का इतिहास 11वीं सदी से शुरू होता है जब बौद्ध भिक्षु अर्हत मध्यन्तिका ने लामायुरु में मठ की नींव रखी थी। माना जाता है कि महिद्ध नरोपा गुफा के पास साधना करने आए और झील सूख गई, इसके बाद यहां लामायुरु मठ की स्थापना हुई। शहर की चकाचौंध और शोर शराबे से दूर, इस जगह पर आपको बिल्कुल शांत वातावरण की अनुभूति होगी।

मुलबेख मोनेस्ट्री – Tourist Places in Kargil 

ये जगह यहां बसे एक मुलबेख नामक गांव में स्थित है जो कारगिल से लेह की ओर गुज़रते वक़्त रास्ते में पड़ता है। ये मठ रोड से 200 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है। मठ में मौजूद मैत्रीय बौद्ध की मूर्तियों से जुड़ी लोगों की बड़ी ही रोचक धारणा है। लोग मानते है कि ये मूर्तियां लद्दाख के उन मिशनरीज द्वारा लाई गईं हैं, जिन्होंने इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म की शुरुआत की थी। इन मूर्तियों की कलाकृतियों से ये प्रतीत होता है, कि वो मिशनरीज तिब्बत से नहीं बल्कि किसी दूसरी जगह से आये थे।

और पढ़ें: दिल्ली के 5 सबसे प्रसिद्ध मंदिर, जहां लगा रहता है भक्तों का तांता

सनी मठ – Tourist Places in Kargil

सनी मठ सबसे पुराना और बौद्दों का प्रसिद्द धार्मिक स्थलों में से एक है। इसका निर्माण कुषाण राजा, कनिष्कब ने किया था। मठ के परिसर में एक छोटे सा पुस्तकगृह है जिसमें बौद्द और तिब्बती धर्म की पौराणिक किताबें रखी है। हर साल जुलाई- अगस्त के महीने में यहां आयोजित किया जाने वाला मास्क डांस आकर्षण का केंद्र है।

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