Top 5 temples Delhi in Hindi – देश की राजधानी दिल्ली न केवल भारत के सबसे बड़े शहरों में से एक है, बल्कि आधुनिकता प्राचीनता, संस्कृति, कला, वास्तुकला और आध्यात्मिकता का अद्भुत संयोजन भी है. अगर हम दिल्ली के जाने-माने मंदिर के बारे में बात करें तो ये मंदिर अपने आध्यात्मिक माहौल, शांत माहौल, भक्तो का इनके प्रति अटूट विश्वास, अद्भुद वास्तुकला और कारीगिरी के लिए इतने विख्यात है की दिल्ली के साथ साथ देश के लगभग हर हिस्से और विदेशो से टूरिस्ट और श्रद्धालु यहाँ घूमने के लिए आते है.
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अगर आप भी इस भीड़ भाड़ भरी दिल्ली में घूमने के लिए लालकिले, कुतुब मीनार के अलावा आध्यात्मिकता और श्रद्धा भाव में डूबी हुई जगहों कि तलाश में हैं तो दिल्ली के कुछ खास धार्मिक स्थल और मंदिर आपकी यात्रा के लिए एक दम सही जगह हैं जहाँ आप अपनी हर दिन की संघर्ष भरी जिदंगी से दूर अपना कुछ समय आध्यात्मिक रस में डूबे माहौल और प्रभु के श्री चरणों में व्यतीत कर सकते है. इस लेख में आगे आप दिल्ली के प्रसिद्ध और सबसे अधिक घूमें जाने वाले मंदिर के बारे में जानने वाले है इसीलिए इस लेख को आखिर तक जरूर पढ़े-
Akshardham Mandir – Top 5 temples Delhi
भगवान स्वामीनारायण को समर्पित नई दिल्ली में स्थित अक्षरधाम मंदिर भारत के सबसे बड़े हिंदू मंदिर परिसर में से एक है. अक्षरधाम मंदिर को स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर भी कहा जाता है दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है अक्षरधाम मंदिर. यह मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला के लिए जाना जाता है. देखने में काफी आकर्षक होने के कारण यहां साल के 12 महीने लोगों की भीड़ लगी रहती है.
अक्षरधाम मंदिर के इष्टदेव स्वामीनारायण जी हैं. इस मंदिर को बनवाने में लगभग 11000 कारीगरों का इस्तेमाल किया गया था. साथ ही इसे बनाने में लगभग 5 साल का समय लगा था. ये दुनिया का सबसे विशाल हिंदू परिसर होने की वजह से 26 दिसंबर 2007 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया.
कालकाजी मंदिर (Kalkaji Mandir)
कालकाजी मंदिर: राजधानी दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है कालकाजी का मंदिर. जिसका निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था. यह मंदिर दक्षिणी दिल्ली के कालका जी में स्थित है. इसे मनोकामना सिद्धपीठ और जयंती काली पीठ भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि असुरों द्वारा देवताओं को सताए जाने पर ब्रह्मा जी की सलाह से देवताओं ने यहां शिवा यानी शक्ति की आराधना की थी.
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देवी के प्रसन्न होने पर देवताओं ने उनसे असुरों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की. साथ ही शास्त्रों में इस बात का वर्णन मिलता है कि महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण पाण्डवों को यहां लेकर आए थे. यहां पांडवों द्वारा माता काली की पूजा करके विजय प्राप्त करने का वर प्राप्त किया गया.
झंडेवालान माता मंदिर (Jhandewalan Mandir)
झण्डेवालान माता मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक है. मान्यता है. कि यहां लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. यहां बड़ी संख्या में भक्तजन माता रानी के दर्शन करने के लिए आते हैं. खासतौर से नवरात्र में यहां भक्तों की भीड़ काफी ज्यादा बढ़ जाती है. इस मंदिर के बारे में ऐसी पौराणिक कथा है कि मंदिर की स्थापना से पहले इस स्थान पर काफी शांत वातावरण रहता था जिस कारण कई लोग यहां प्रशिक्षण करने के लिए आते थे.
जिनमें से एक श्री बद्रीदास जी थे जो एक व्यापारी थे और माता रानी के भक्त भी थे. एक दिन बद्रीदास जी जब प्रशिक्षण में मग्न थे तब उन्हें भूमि में मंदिर के होने का एहसास हुआ. और उन्होंने भूमि की खुदाई शुरू करवा दी. खुदाई के दौरान उन्हें वहां से एक झण्डा और माता रानी की प्रतिमा मिली जिस कारण इसका नाम झंडेवाला रख दिया गया.
Top 5 temples Delhi – Chatarpur Mandir
छतरपुर मंदिर गुंड़गांव-महरौली मार्ग के पास छतरपुर इलाके में स्थित है. यह मंदिर दिल्ली के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक है. यह मंदिर माता कात्यायनी को समर्पित है, इसलिए इसका नाम भी कात्यायनी शक्तिपीठ रखा गया है. इस मंदिर की स्थापना कर्नाटक के संत बाबा नागपाल जी ने की थी. मंदिर का शिलान्यास सन् 1974 में श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ द्वारा किया गया था. यह मंदिर लगभग 70 एकड़ में फैला हुआ है.
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प्राचीन हनुमान मंदिर (Old Hanuman Mandir)
कनॉट प्लेस में स्थित इस हनुमान मंदिर को काफी प्राचीन बताया जाता है. मान्यता है कि यहां उपस्थित हनुमान जी स्वयंभू हैं. इसी मंदिर के पास बना शनि मंदिर भी काफी प्राचीन है. इस मंदिर का जुड़ाव महाभारत काल से है. कहते हैं कि दिल्ली का ऐतिहासिक नाम इंद्रप्रस्थ है, जिसे यमुना नदी के किनारे पांचवों द्वारा बसाया गया था. उस समय पांडव इंद्रप्रस्थ पर और कौरव हस्तिनापुर पर राज्य करते थे. ये दोनों ही कुरु वंश से निकले थे. इंद्रप्रस्थ की स्थापना के समय पांडवों ने इस शहर में पांच हनुमान मंदिरों की स्थापना की थी. ये मंदिर उन्हीं पांच में से एक है.
कहते हैं कि मध्यकालीन समय में तुलसीदास जी ने भी अपने दिल्ली यात्रा के समय इस मंदिर के दर्शन किये थे. इस हनुमान मंदिर के वर्तमान इमारत का निर्माण आंबेर के महाराजा मान सिंह प्रथम (1540-1614) ने मुगल सम्राट अकबर के शासन काल में कराया था. इसका विस्तार महाराजा जयसिंह द्वितीय (1688-1743) ने जंतर मंतर के साथ ही करवाया था. इसके बाद भी इमारत में समय समय पर कुछ कुछ सुधार, बदलाव आदि होते रहे.