Sai Baba Caste Controversy – साईं बाबा कौन हैं? क्या यह भगवान के अवतार हैं या कोई साधारण मनुष्य जिसे लोगों ने भगवान बना दिया है. यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि जबलपुर की एक कथा में जब बागेश्वर धाम के जाने माने बाबा धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री से साईं बाबा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि, देखिये मेरी बातों से शायद कुछ लोगों को ठेस भी पहुचे लेकिन साईं बाबा कोई भगवन नहीं थे हां हो सकता है कि वो एक बाबा या फ़क़ीर हो या बाबा हों लेकिन भगवान नहीं थे.
साईं बाबा पर दिए विवादित बयान देने बाद फिर वापस अपने वही रोल में आए पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भोपाल में कहा बहुत जल्दी जिस प्रकार राम जन्मभूमि बन गई सो कृष्ण बननी चाहिए…
काम सो सिस्टम से हो रहो पहले आये राम जी फिर घनश्याम pic.twitter.com/v7uRO8hDgp— Nitinthakur (@Nitinreporter5) April 9, 2023
अगर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री पर यकीन करें तो सवाल यही उठता है कि फिर साईं बाबा कौन हैं. साई कहां से आए और कैसे बने भक्तों के साईं बाबा जिनके एक दर्शन पाकर भक्त अपना जीवन धन्य मानने लगते हैं.
साईं बाबा का जन्म कब और कहां हुआ था?
साईं बाबा कौन थे और उनका जन्म कहां हुआ था ये साईं समाज में साईं बाबा को लेकर ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब किसी के पास नहीं है. बाबा ने खुद कभी इन बातों का जिक्र नहीं किया. इनके माता पिता कौन थे इस बात की उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी थी और न ही कहीं किसी किताब में मिलता है.
ऐसा कहा जाता है कि एक बार किसी भक्त के पूछने पर साईं बाबा ने कहा था कि उनका जन्म 28 सितम्बर 1836 को हुआ था. और यही वजह है कि हर साल 28 सितम्बर को उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. हालांकि इस बात की भी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं हैं.
Sai Baba Caste Controversy
साईं बाबा ने अपने जीवन का ज्यादातर सफ़र एक मस्जिद में गुजारा जिसे वो द्वारका माई कहा करते थे. सिर पर सफेद कपड़ा बांधे हुए फकीर के रूप में साईं शिरडी में धूनी रमाए रहते थे. इनके इस रूप के कारण कुछ लोग इन्हें मुस्लिम मानते हैं. जबकि द्वारिका के प्रति श्रद्घा और प्रेम के कारण कुछ लोग इन्हें हिन्दू मानते है.
लेकिन साईं ने कबीर की तरह कभी भी अपने को जाति बंधन में नहीं बांधा. हिन्दू हो या मुसलमान साई ने सभी के प्रति समान भाव रखा और कभी इस बात का उल्लेख नहीं किया कि वह किस जाति के हैं. साईं ने हमेशा मानवता, प्रेम और दयालुता को अपना धर्म माना.
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जो भी इनके पास आता उसके प्रति बिना भेद भाव के उसके प्रति कृपा करते. साई के इसी व्यवहार ने उन्हें शिरडी का साई बाबा और भक्तों का भगवान बना दिया. हलांकि साईं बाबा का साईं नाम कैसे पड़ा इसकी एक रोचक कथा है.
फ़कीर से संत कैसे बनें साईं बाबा?
कहा जाता है कि सन् 1854 ई. में पहली बार साई बाबा शिरडी में दिखाई दिए. उस समय बाबा की उम्र लगभग 16 साल की थी. शिरडी के लोगों ने बाबा को पहली बार एक नीम के पेड़ के नीचे समाधि में लीन देखा.
कम उम्र में सर्दी-गर्मी, भूख-प्यास की जरा भी चिंता किए बगैर बालयोगी को कठिन तपस्या करते देखकर लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ. त्याग और वैराग्य की मूर्ति बने साईं ने धीरे-धीरे गांव वालों का मनमोह लिया.
कुछ समय शिरडी में रहकर साईं एक दिन किसी से कुछ कहे बिना अचानक वहां से चले गए. कुछ सालों के बाद चांद पाटिल नाम के एक व्यक्ति की बारात के साथ साई फिर शिरडी में पहुंचे.
खंडोबा मंदिर के पुजारी म्हालसापति ने साईं को देखते ही कहा ‘आओ साईं’ इस स्वागत संबोधने के बाद से ही शिरडी का फकीर ‘साईं बाबा’ कहलाने लगा.
बाबा के चमत्कार
साईं ने अपने जीवनकाल में कई ऐसे चमत्कार दिखाए जिससे लोगों ने इनमें ईश्वर का अंश महसूस किया. इन्हीं चमत्कारों ने साईं को भगवान और ईश्वर का अवतार बना दिया.
लक्ष्मी नामक एक स्त्री संतान सुख के लिए तड़प रही थी. एक दिन साईं बाबा के पास अपनी विनती लेकर पहुंच गई. साईं ने उसे उदी यानी भभूत दिया और कहा आधा तुम खा लेना और आधा अपने पति को दे देना.
लक्ष्मी ने ऐसा ही किया. निश्चित समय पर लक्ष्मी गर्भवती हुई. साईं के इस चमत्कार से वह साईं की भक्त बन गयी और जहां भी जाती साईं बाबा के गुणगाती. साईं के किसी विरोधी ने लक्ष्मी के गर्भ को नष्ट करने के लिए धोखे से गर्भ नष्ट करने की दवाई दे दी. इससे लक्ष्मी को पेट में दर्द एवं रक्तस्राव होने लगा. लक्ष्मी साईं के पास पहुंचकर साईं से विनती करने लगी.
ALSO READ: साईंबाबा भगवान नहीं, गीदड़ की खाल पहनकर कोई शेर नहीं बनता…. बागेश्वर बाबा की टिप्पणी पर…साईं बाबा ने लक्ष्मी को उदी खाने के लिए दिया. उदी खाते ही लक्ष्मी का रक्तस्राव रूक गया और लक्ष्मी को सही समय पर संतान सुख प्राप्त हुआ.
क्यों हो रहा विवाद?
दरअसल, बीते कुछ महीने पहले बाबा धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री से जब साईं बाबा से सम्बंधित सवाल पुछा गया तो तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि, मैं किसी की आस्था को ठेस नहीं पहुँचना चाहता लेकिन वो कोई भगवान नहीं थे ना वो एक फ़कीर या संत हो सकते हैं है लेकिन कोई फ़कीर नहीं.गीदड़ की खल पहनकर कोई शेर नहीं बन जाता.
Sai Baba Caste Controversy – जिसके बाद साई बाबा में आस्था रखने वाले अनुयायी उनपर भड़क उठे. और उन्हें उलूल जुलूल बातें कहने लगे उसके बाद पूरे देश भर में इस बात को लेकर घमासान हुआ लेकिन बावजूद इसके साईं बाबा को लेकर किसी सत्यता की पुष्टि नहीं हुई थी.