सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी से जुड़ी है गुरुद्वारा श्री रणजीतगढ़ साहिब की कहानी

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Gurudwara Shri Ranjitgarh Sahib details Hindi – हम सब जानते है कि सिखों के लिए उनके धर्म से उपर कुछ भी नहीं है. सिखों का धार्मिक स्थल उनका गुरुद्वारा होता है. वैसे तो पूरे भारत में सिखों के मुख्य पांच गुरूद्वारे है, जहाँ पांच तख्त बनाए गए है. लेकिन इन गुरुद्वारों से अलग भी कुछ गुरूद्वारे है. जिनका सिख धर्म में बहुत महत्व है. कुछ गुरुद्वारों के निर्माण सिखों गुरुओं ने करवाएं थे, लेकिन कुछ गुरूद्वारे ऐसे भी है, जो गुरुओं के बाद उनके अनुयायिओं ने अपने गुरुओं के यादों को संरक्षित रखने के लिए बनाए गए थे. पूरे भारत में से विभिन्न गुरूद्वारे है, जो सिखों में अपने गुरुओं के यादों में बनाए है. चमकौर साहिब में बहुत से गुरूद्वारे है जिनकी कहानी सिख गुरुओं से जुडी है.

दोस्त, आईये आज हम आपको एक ऐसे गुरूद्वारे के बारे में बतायेंगे, जिसका सम्बंध गुरु के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी से है. इन गुरुद्वारे का नाम गुरुद्वारा श्री रणजीतगड़ साहिब, चमकौर है आईये जानते है इस गुरूद्वारे के बारे में कुछ खास बातें.

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गुरुद्वारा श्री रणजीतगढ़ साहिब की कहानी

गुरुद्वारा श्री रणजीतगड़ साहिब, चमकौर साहिब (Gurudwara Shri Ranjitgarh Sahib) से थोड़ी दूर पूर्व में स्थित है. गुरुद्वारा श्री रणजीतगड़ साहिब उस जगह पर स्थित है जहाँ सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी और खालसा ने मुगल की बहुत बड़ी सेना हो हराया था. हम आपको बता दे कि यह गुरुद्वारा जनवरी 1703 की चमकौर के पहली सिख लड़ाई से है.

यह घटना उस समय की है जब सिखों के 10वें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी 1703 की शुरुवात में कुरुक्षेत्र से आनंदपुर साहिब लौट रहे थे.  उसी समय दो शाही सेनापति, सैय्यद बेग और अलीफ खान भी सैनिकों के एक समूह के साथ लाहौर की ओर बढ़ रहे थे. गुरु गोविंद सिंह जी के प्रति शत्रुता रखने वाले कहलूर के राजा अजमेर चंद में पैसे देने का वादा करके उन मुगलों के शाही सैनिकों को गुरु गोविंद सिंह जी पर हमला करने के लिए राजी कर लिया था. उन मुगलों में गुरु जी पर हमला कर दिया था यह लड़ाई उसी जगह हुई जहाँ अभी गुरुद्वारा श्री रणजीतगढ़ साहिब स्थित है. इस लड़ाई में सिखों की अपने गुरु के प्रति समर्पण की भावना दिखी, और सैय्यद बेग का गुरु गोबिंद सिंह से आमना-सामना हुआ, तो वह उन्हें देखकर इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने तुरंत पाला बदल लिया. मुगलों ने अपने सहयोगी के फैसले से गुस्सा होकर दोगुनी शक्ति से हमला किया. लेकिन फिर भी हर गए.

जीत को दर्शाने के लिए रखा गया इस गुरुस्वारे का नाम

जैसा हमने पहले ही बताया है कि यह लड़ाई जनवरी 1703 में हुई थी. इस लड़ाई में सिखों ने मुगलों को बहुत बुरी तरह हराया था, मुगलों की यह एकऐतिहासिक हर थी. इस लड़ाई की जीत (रणजीत) को दर्शाने के लिए, लड़ाई के स्थान पर इस गुरूद्वारे का निर्माण किया गया था, रणजीत का मतलब है जिसने धरती को जीत लिया हो . इस गुरूद्वारे का नाम गुरुद्वारा श्री रणजीतगड़ साहिब रखा गया. चमकौर साहिब में बहुत से गुरूद्वारे है जिनमे से एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा, गुरुद्वारा श्री रणजीतगड़ साहिब है .

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