श्री दुख भंजनी बेरी – हम सब जानते है कि पूरे भारत में सिख धर्म के विभिन्न तीर्थ स्थल है. जहाँ विश्व भर से सिख धर्म के ही नहीं बल्कि विभिन्न धर्मो के लोग माथा टेकने आते है. सिखों के प्रमुख पांच तख्तों के बारे में तो सबको पता है. यह पांचो गुरूद्वारे सिखों के काफी प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है. लेकिन भारत में कुछ ऐसे सिख तीर्थ स्थल भी है जिनके बारे में ज्यादा लोगो को नहीं पता है. आज हम आपको एक ऐसे ही सिख तीर्थ स्थल के बारे में बतायेंगे, जिसकी सिखों में बहुत ज्यादा मान्यता है. यह एक ऐतिहासिक सिख तीर्थ स्थल है जिका नाम दुःख भजनी बैरी है. जहाँ एक बैरी का पेड है जो सिखों के छठें गुरु, गुरु हरगोविंद साहिब जी ने लगाया था. वहां एक सरोवर भी है जिसकी खोज भी गुरु हरगोविंद जी ने की थी. यह बैरी का पेड और सरोवर आज भी उस स्थान पर स्थित है.
दोस्तों, आईये आज हम आपको सिखों के तीर्थ स्थल श्री दुख भंजनी बेरी के बारे में बताते है. सिखों के तीर्थ स्थल दुःख भजनी बैरी की कहानी गुरु राम दास और बीबी रजनी से जुडी है.
श्री दुख भंजनी बेरी, अमृतसर
श्री दुख भंजनी बेरी तीर्थ स्थल अमृतसर में स्थित है. इस स्थल पर एक बैरी का पेड और एक सरोवर है. सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोविंद सिंह जी ने यह बैरी इस जगह पर लगाई थी, और साथ ही इस सरोवर की खोज की थी. उसके बाद से ही गुरु जी के अनुयायियों के लिए, यह स्थान उनका तीर्थ स्थल बन गया था. उनका मानना है कि यह उनके गुरु का स्थान है. जहाँ पर स्नान करने से लोगों के पाप धूल जाते है. उनके सारे कष्ट मिट जाते है. उनके जीवन का उधार हो जाता है. जिसके बाद से हर साल लाखों लोग अपने जीवन का उधार करने के लिए इस स्थल पर आते है सरोवर में स्नान करके उस बैरी की पूजा करते है.
यहा गुरु राम दास ने की गुरुबानी की रचना
बीबी रजनी, दुनी चंद खत्री के बेटी थी. उसकी चार बेटियां थी, चारो बहुत खुबसूरत और प्रभावशाली थी. एक दिन उनके पिता ने घमंड में आ कर उनसे पूछा कि तुम्हे खाना कौन दे रहा है ? बड़ी तीन बेटियों ने कहा हमे खाना हमारे पिता देते है. लेकिन उसकी छोटी बेटी बीबी रजनी ने कहा ईश्वर सबको सबकुछ प्रदान करता है. यह सुनकर उसका पिता क्रोधित हो गया और गुस्से में उसका विवाह एक कोढ़ी के साथ कर दिया. बीबी रजनी ने भी खुशी से वह विवाह अपना लिया और साथ ही बड़े प्यार से अपने पति की सेवा करने लगी.
एक दिन बीबी रजनी का पति उसे बोला की मुझे किसी पवित्र स्थल पर ले चलो जिससे मेरी बीमार ठीक हो जाएगी, बीबी रजनी अपने पति की आज्ञा का पालन करते हुए… अपने पति को एक टोकरी में बैठा कर बहुत सारे तीर्थ स्थलों पर ले गयी, विभिन्न हिन्दू तीर्थ स्थलों के दर्शन भी करवाए. लेकिन उनके पति की बीमार में कोई सुधार नहीं हुआ. बीबी अपने पति को एक टोकरी में बैठा कर उस टोकरी को अपने सिर पर उठा कर चल रही थी. दोनों को काफी भूख लगी थी. बीबी अपने पति को एक बैरी के निचे बैठा कर, पास के गुरूद्वारे से लंगर लेने चली गयी.
बीबी का पति वहां बैठा दो कौवों के देख रहा था, वह दोनों के रोटी के लिए लड़ रहे थे. इतने में रोटी पास के सरोवर में गिर गयी, कौवें उसे उठने गए तो सरोवर में गिर गए. थोड़ी देर में वह कौवें उड़ कर वापिस भर आ गए और उनका रंग काले से सफेद हो गया. बीबी रजनी के पति को समझ आ गया था कि यह सरोवर साधारण नहीं है. इसीलिए खुद को घसीट कर सरोवर तक ले गया. और सरोवर में नहा लिया. एक दम से चमत्कार हुआ और बीबी रजनी का कोढ़ी पति, एक नोजवान लडके में बदल गया उसका कोढ़ बिलकुल ठीक हो गया.
इतनी देर में बीबी रजनी लंगर लेकर आ गयी. और अपने कोढ़ी पति की जगह उस ठीक लडके को देख कर वह चौक गयी. और अपने कोढ़ी पति को तलाशने लगी. उस लडके ने बताया कि मैं ही तुम्हारा पति हु सरोवर में स्नान करने से यह चमत्कार हुआ है मैं ठीक हो गया हु. लेकिन बीबी रजनी को यकीं नहीं हुआ. उसके पति के बहुत समझाने पर भी वह नहीं मानी. यह सब दूर बैठे गुरु राम दस जी देख रहे थे, और गुरु हरगोविंद सिंह जी की माया के बारे में सोच कर खुश हो रहे थे.
बीबी रजनी जब नाराज़ होकर अपने पति को तलाशती है तो गुरु रामदास उस बताता है कि वह लड़का सही बोल रहा है. वही तुम्हारा पति है. तुम्हारा पति गुरु जी की पवित्र सरोवर में नहाकर ही ठीक हुआ है. जिसके बाद बीबी रजनी ने मान लिया, उसका पति ठीक हो गया है. इस घटना के बाद गुरु रामदास जी ने गुरु वाणी लिखो और अपनी वनियों में गुरु जी के चमत्कारों के बारे में बताया.