Shivraj Patil: वो गृह मंत्री जो आतंक के बीच सूट बदलते रहे, विवादों में रहे हमेशा

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Shivraj Patil: पूर्व गृह मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शिवराज पाटिल का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। देश की राजनीति में उनके लंबे और विवादों से भरे सफर को याद किया जा रहा है। महाराष्ट्र के लातूर जिले के चाकूर गांव में 1935 में जन्मे पाटिल ने अपने राजनीतिक जीवन में कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं। वे न केवल इंदिरा और राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे, बल्कि 2004 से 2008 तक यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल में देश के गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली।

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पाटिल का राजनीतिक करियर उल्लेखनीय था। 1980 से लगातार सात बार लातूर से लोकसभा चुनाव जीतने वाले पाटिल ने संसद में लंबा अनुभव प्राप्त किया। उनके पास हिंदी, मराठी और अंग्रेजी भाषाओं में अच्छी पकड़ थी। मंत्री के साथ-साथ वे लोकसभा स्पीकर और राज्यपाल जैसे प्रतिष्ठित पदों पर भी रहे। उनके नेतृत्व और प्रशासनिक अनुभव के कारण उन्हें कई बड़े मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन गृह मंत्रालय का कार्यकाल उनके करियर में सबसे विवादास्पद दौर बन गया।

गृह मंत्रालय का कार्यकाल और “सीरियल ड्रेसर” विवाद (Shivraj Patil)

शिवराज पाटिल के गृह मंत्री रहते हुए देश कई आतंकी हमलों की चपेट में आया। 2005 से 2008 के बीच हैदराबाद, मालेगांव, जयपुर, अहमदाबाद, बेंगलुरु और दिल्ली में श्रृंखला विस्फोट हुए, जिनमें सैकड़ों लोग मारे गए। विपक्षी दलों ने लगातार उनकी सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी पर सवाल उठाए। लेकिन सबसे अधिक विवाद उस समय शुरू हुआ जब 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट हुए। उस रात राजधानी के विभिन्न इलाकों में धमाके हुए, लेकिन मीडिया ने गृह मंत्री की अलग-अलग पोशाकों पर ध्यान दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाटिल ने उस दिन कम से कम तीन बार सूट बदला। पहले सफेद बंद गला, फिर काला और फिर दोबारा सफेद। वे अलग-अलग ब्लास्ट साइट्स पर पहुंचे और हर बार नई ड्रेस में टीवी कैमरों के सामने आए। आलोचकों ने इसे गंभीर लापरवाही बताया। इकोनॉमिक टाइम्स ने लिखा कि ‘टीवी चैनल तबाही के दृश्य दिखा रहे थे, लेकिन गृह मंत्री अपने वार्डरोब में व्यस्त थे।’ इस विवाद के बाद पाटिल को जनता और मीडिया ने “सीरियल ड्रेसर” का तमगा दे दिया।

मुंबई हमले और इस्तीफे का दौर

सिर्फ दिल्ली के विस्फोट ही नहीं, बल्कि 26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले ने उनके गृह मंत्री पद को और विवादों में घेर दिया। लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने ताज होटल, ओबेरॉय, नरीमन हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस जैसे प्रतिष्ठित स्थलों पर हमला किया। तीन दिन तक चली मुठभेड़ में 166 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। इस हमले के दौरान एनएसजी कमांडो को दिल्ली से मुंबई भेजने में देरी के आरोप लगे। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि पाटिल उस समय टीवी अपीयरेंस और कपड़े बदलने में व्यस्त थे।

हालांकि पाटिल ने दावा किया कि तीन घंटे के अंदर वह एनएसजी कमांडो के साथ मुंबई पहुंच गए, लेकिन जनता और विपक्ष के गुस्से को शांत नहीं कर पाए। इसके बाद कांग्रेस वर्किंग कमिटी में उन्हें तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा और अंततः 30 नवंबर 2008 को उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस्तीफा सौंप दिया। उनके इस्तीफे के बाद पी. चिदंबरम को गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। अमेरिकी राजदूत की वीकलीक्स केबल में उन्हें ‘स्पेक्टेक्युलरली इनेप्ट’ बताया गया था।

राजनीतिक वनवास और राज्यपाल का कार्यकाल

गृह मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पाटिल कुछ समय राजनीतिक वनवास में रहे। 2010 में उन्हें पंजाब का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने 2015 तक सेवा की। उनके जीवन में यह दौर अपेक्षाकृत शांत और विवादों से दूर रहा। 2014 में अपनी आत्मकथा में उन्होंने 26/11 के हमले का जिक्र नहीं किया, जो एक और चर्चा का विषय बना।

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