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बंगाल की सियासत में चल रहा बाघ-बिल्ली का खेल, BJP अध्यक्ष ने ममता बनर्जी को बताया बिल्ली…

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बंगाल की सियासत में चल रहा बाघ-बिल्ली का खेल, BJP अध्यक्ष ने ममता बनर्जी को बताया बिल्ली…

पश्चिम बंगाल में आने वाले कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसे लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है। ममता बनर्जी के नेतृत्व में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस फिर से बंगाल मे सरकार बनाने की तैयारियों में लगी है। दूसरी ओर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2016 में 3 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ममता बनर्जी को टक्कर देने के लिए मैदान में है।

बीजेपी की ओर से दावा किया जा रहा है कि इस बार चुनाव में वे 200 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करेंगे लेकिन पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के दबदबे को भी नकारा नहीं जा सकता है। पिछले दो बार से उनकी पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाती आ रही है।

आगामी चुनाव को लेकर प्रदेश की सियासत मे हलचल तेज हो गई है। सत्तारुढ़ और विपक्षी पार्टियों के बीच जमकर बयानबाजियां हो रही है। हाल ही में सीएम ममता बनर्जी ने खुद को रॉयल बंगाल टाइगर कहा था। जिसपर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने पलटवार करते हुए उन्हें बिल्ली करार दिया है।

ममता की पार्टी के सारे खिलाड़ी हमारी ओर

बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि ‘ममता बनर्जी खुद को रॉयल बंगाल टाइगर मानती हैं। असली बाघ खुद को बाघ नहीं कहते। अब उनकी स्थिति एक बिल्ली जैसी है। यहां तक कि उनकी पार्टी के सदस्य और प्रशासनिक अधिकारी भी उनसे नहीं डरते।‘ दिलीप घोष ने कहा, ममता की पार्टी के सारे खिलाड़ी हमारी टीम में हैं, ऐसे में टीएमसी के लिए कोई भी खेल दिखाना असंभव है।

बंगाली ही बंगाल पर करेगा शासन- ममता बनर्जी

दरअसल, पिछले दिनों एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि गुजरात नहीं, बंगाली ही बंगाल पर शासन करेगा। बीजेपी जमींदारों की पार्टी है, उन्हें लूटने नहीं दूंगी।

सीएम बनर्जी ने पीएम मोदी के उस बयान का जिक्र किया, जिसमे पीएम ने कहा था कि बंगाल में सरकारी कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिलती है। ममता बनर्जी ने कहा, कौन से सरकारी कर्मचारी को सैलरी नहीं मिली है, जरा दिखाए मोदी बाबू। उन्होंने भारत सरकार पर सरकारी कंपनियों के प्राइवेटाइजेशन को लेकर भी हमला बोला था।

अब Whatsapp के जरिए मिलेगी नौकरी की जानकारी…बस इस नंबर पर भेजना होगा ये मैसेज, जान लें पूरा प्रोसेस?

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अब Whatsapp के जरिए मिलेगी नौकरी की जानकारी…बस इस नंबर पर भेजना होगा ये मैसेज, जान लें पूरा प्रोसेस?

सरकार के साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट  Whatsapp पर एक खास सुविधा की शुरुआत की है। जिसके तहत अब मजदूरों को उनके गृह राज्य में नौकरी से जुड़ी जानकारी केवल एक Whatsapp मैसेज के जरिए मिल जाएगी। Whatsapp पर एक नंबर पर ‘Hi’ का मैसेज भेजते ही अपने गृह राज्य में स्किल के मुताबिक नौकरी की जानकारी मिलेगी। ये जानकारी पूर्णत: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट के जरिए दी जाएगी।

तैयार किया ये पोर्टल

साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट की टेक्नोलॉजी इनफॉर्मेशन फोरकास्ट और एव्युलूशन काउंसिल (TIFAC) ने श्रम शक्ति मंच (SAKSHAM) नाम का एक पोर्टल तैयार किया। जिसमें उस क्षेत्र के मजदूरों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों से Whatsapp के लिए जोड़ने का काम होगा। जिससे लोगों को आसानी से नौकरी और अवसरों की जानकारी मिल पाएगी।

इस नंबर पर भेजना होगा Hi का मैसेज

सरकार द्वारा शुरू की गई इस सुविधा का लाभ उठाने के लए एक Whatsapp नंबर 7208635370 पर Hi का मैसेज लिखकर भेजना पड़ेगा। जिसके बाद चैटबॉट में मैसेज भेजने वाले के काम, अनुभव और स्किल के बारे में जानकारी मांगी जाएगी। जो जानकारी हासिल होगी, उसके मुताबिक ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम शख्स को उसके आसपास जो भी नौकरी उपलब्ध होगी, उसके बारे में बताया जाएगा।

ऐसे लोग जिनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं, वो भी इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए उन्हें एक लैंड लाइन नंबर 022-67380800 पर मिस कॉल करनी होगी। पोर्टल का इस्तेमाल इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, कृषि श्रमिकों और समेत अन्य लोग कर सकते हैं।

इस पोर्टल में देशभर के MSMEs को उस क्षेत्र के नक्शे के माध्यम से जोड़ा जाएगा। ये चैटबॉट अभी केवल दो भाषाओं हिंदी और अग्रेंजी में ही उपलब्ध होगा। इसको विस्तार करने का काम चल रहा है। जल्द ही ये दूसरी भाषाओं में भी उपलब्ध होगा।

‘मजदूरों को गृह राज्य में काम दिलाना मकसद’

TIFAC के कार्यकारी निदेशक प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संकट के दौरान इस प्लेटफॉर्म को तैयार करने का विचार आया। उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन की वजह से लाखों प्रवासी मजदूरों को अपने घर लौटना पड़ा। इस काफी लोगों की नौकरी चली गई। मजदूरों को उनके घर के आसपास गृह राज्य में नौकरी दिलाने के मकसद से ये प्लेटफॉर्म लाया गया है।

OMG: अच्छा तो इस वजह से ऑफिस, मॉल या पब्लिक टॉयलेट के दरवाजे नीचे से होते हैं खुले!

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OMG: अच्छा तो इस वजह से ऑफिस, मॉल या पब्लिक टॉयलेट के दरवाजे नीचे से होते हैं खुले!

“शौचालय” जिसे टॉयलेट के नाम से भी काफी पुकारा जाता है ये आपको ज्यादातर जगहों पर देखने को मिलेगा. इसे लेकर देश में कई अभियान भी चलाए जाते हैं. कई राज्यों में तो सड़क पर बहुत सी जगह टॉयलेट बने हुए भी हैं. ऑफिस, मॉल या फिर किसी भी पब्लिक टॉयलेट का दरवाजा नीचे से खुला देखने पर पहली बार आपके भी शायद मन में ये ही ख्याल आया होगा कि टॉयलेट का दरवाजा नीचे से खुला हुआ क्यों है, और फिर खुदी इसका कोई जवाब समझकर अपने दिमाग में जोर देना जरूरी न समझा होगा, लेकिन आपको बता दें कि कि इस तरह का दरवाजा लगाने के पीछे एक कारण है जिसे आप शायद अंजान, तो आइए बताते हैं…

यहां बना टॉयलेट के लिए पहला दरवाजा

अमेरिका में पब्लिक टॉयलेट के लिए सबसे पहले छोटा दरवाजा बनवाया गया था. इस तरह से टॉयलेट में छोटा दरवाजा लगाने के पीछे का कारण पैसे बचना नहीं था बल्कि ये उनकी एक खोज थी. हालांकि इस खोज से उन्होंने कम लकड़ी का तो इस्तेमाल कर पैसे बचाए ही इसके साथ ही लोगों की प्राइवेसी का ध्यान भी रखा. दरअसल, टॉयलेट का दरवाजा छोटा होने से अंदर मौजूद व्यक्ति के थोड़े से पैर देखने पर ये पता चल जाता है कि अंदर कोई है.

इसलिए नीचे से खुला होता है टॉयलेट का दरवाजा

वहीं, जब पब्लिक टॉयलेट हो तो इसका इस्तेमाल पूरे दिन होता है, ऐसे में वहां का फर्श भी लगातार गंदा होगा ही. इसलिए फर्श और दरवाजे के बीच जगह होने पर टॉयलेट में पोंछा लगाना, वाइपर और मॉप घुमाने में बहुत सहूलियत होती है. इसके अलावा छोटे दरवाजे लगाने के पीछे का कारण ये भी है कि कोई पब्लिक टॉयलेट का गलत इस्तेमाल न करें क्योंकि ऐसा कई बार सामने आया है कि टॉयलेट में प्रेमी जोड़े या एक से ज्यादा कोई व्यक्ति घूस जाते हैं.

आपको बता दें कि किसी भी तरह के संबंध बनाने के लिए पब्लिक टॉयलेट्स में सख्त मनाही होती है, ये ही कारण है कि यहां के दरवाज़ा ऐसे रखे जाते हैं जिसके चलते प्राइवेसी केवल उतनी ही रहती है जितनी जरूरत है उसे ज्यादा देने पर गलत कार्य होने की संभावना है. इतना ही छोटे बच्चों को ध्यान में रखते हुए भी पब्लिक टॉयलेट के दरवाजों को फर्श से ऊपरी में बनाया जाता है, क्योंकि कई बार बच्चें अंदर से लॉक हो जाते हैं और उन्हें समझ नहीं आता कि वो लॉक कैसे खोलें. ऐसे में मदद न मिलने पर भी बच्चा दरवाजे के नीचे वाली खाली जगह से निकालकर आ सकता है.

सरकारी प्लेन से उतारे गए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, महाराष्ट्र की सियासत में बवाल

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सरकारी प्लेन से उतारे गए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, महाराष्ट्र की सियासत में बवाल

देश के लगभग कई गैर-बीजेपी शासित राज्यों में प्रदेश सरकार और राज्यपाल/उप-राज्यपाल के बीच रिश्ते कुछ ठीक नहीं है। टीएमसी शासित पश्चिम बंगाल में स्थिति पिछले कुछ सालों से ऐसी ही बनी हुई है। दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल के बीच रिश्ते पब्लिक डोमेन में है। पुडुचेरी के मुख्यमंत्री को उप-राज्यपाल से मुक्ति पाने के लिए अनशन पर बैठना पड़ रहा है।

इसी बीच महा विकास अघाड़ी शासित महाराष्ट्र से भी कुछ ऐसी ही खबर सामने आई है। महाराष्ट्र सरकार और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच रिश्ते काफी पहले से ही तल्ख रहे हैं। लेकिन अब यह विवाद बढ़ता दिख रहा है। आज कुछ ऐसा हुआ कि राज्यपाल को सरकारी प्लेन से उतरना पड़ा और उन्हें दूसरे प्लेन से अपने दौरे पर जाना पड़ा।

आधे घंटे VIP जोन में बैठे रहे भगत सिंह कोश्यारी

बताया जा रहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की ओर से राज्यपाल को सरकारी जहाज इस्तेमाल करने की मंजूरी नहीं दी गई थी। राज्यपाल को उत्तराखंड के मसूरी में आईएएस एकेडमी में होने वाले एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जाना था।

खबरों के मुताबिक फ्लाइट में बैठके के बाद गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी को उतरना पड़ा और अब वह निजी फ्लाइट के से मसूरी गए। बताया जा रहा है कि राज्यपाल लगभग आधे घंटे तक वीआईपी जोन में बैठे रहे, जिसके बाद उन्होंने सरकारी विमान इस्तेमाल नहीं करने का फैसला लिया।

राजभवन से सामने आई प्रतिक्रिया

इस पूरी घटना पर राजभवन की ओर से बयान सामने आया है। राजभवन की ओर से कहा गया कि ‘2 तारीख को राज्य सरकार को ये जानकारी दी गई थी कि राज्यपाल जानेवाले हैं। इस सिलसिले में जितने लोगो को भी इंटीमेट करना होता है सभी को जानकारी दी थी, सीएम से लेकर एविएशन और प्रिंसिपल/चीफ सेक्रेटरी। हमें राज्य सरकार की ओर से इस दौरान कभी भी इंटिमेट नहीं किया गया कि ये यात्रा नहीं कि जा सकती।‘ बताया जा रहा है कि सरकार प्लेन में बैठने के बाद कहा गया कि ये यात्रा नहीं हो पाएगी। जिसके बाद राज्यपाल ने दूसरे प्लेन का टिकट लिया और यात्रा की।

शुरु से ही तल्ख रहे हैं रिश्ते

बता दें, महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार और राज्यपाल के बीच रिश्ते शुरु से ही कुछ ठीक हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के बाद शिवसेना और बीजेपी के रास्ते अलग हो गए थे। लेकिन बीजेपी ने एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना लिया और देवेंद्र फडणवीस ने गुपचुप शपथ भी ले लिया था। तब भी राज्यपाल के रोल को लेकर सवाल उठे थे।

हालांकि, सरकार बनने के कुछ ही दिनों बाद एनसीपी ने अपना समर्थन वापस ले लिया और फडणवीस को इस्तीफा देना पड़ा था। जिसके बाद शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर सरकार बनाई थी। इस दौरान शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को निशाने पर लिया था।

वहीं, कुछ महीने पहले राज्यपाल ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नाम एक व्ययंगात्म पत्र लिखा था। जिसमें कोरोना काल में पूजा स्थलों को नहीं खोले जाने को लेकर टिप्पणी की गई थी। जिसे लेकर महाराष्ट्र की सियासत में बवाल भी मचा था।

'आप जैसे कुत्ते', महिलाओं को पीटने की धमकी…तेलंगाना के सीएम ने कहे अपशब्द, मच गया बवाल

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'आप जैसे कुत्ते', महिलाओं को पीटने की धमकी…तेलंगाना के सीएम ने कहे अपशब्द, मच गया बवाल

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने हाल ही में कुछ ऐसे अपशब्दों का इस्तेमाल किया, जिसको लेकर बवाल मच गया है। सीएम राव ने एक रैली में प्रदर्शन कर रहे लोगों को ‘कुत्ता’ कह दिया। सिर्फ यही नहीं मुख्यमंत्री ने प्रदर्शन कर रही प्रदर्शनकारियों को पीटने तक की धमकी दे दी। चंद्रशेखर राव के बयान के बाद सियासी बवाल मच गया है। विपक्षी पार्टियां उनको घेरते हुए माफी मांगने को कह रही हैं।

दरअसल, के चंद्रशेखर राव नागार्जुन सागर में सरकारी योजना का शिलान्यास करने के बाद रैली को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान कुछ लोग उन्हें ज्ञापन देना चाहते थे, जिसमें महिलाएं और युवा शामिल थे। ये लोग सीएम की रैली के दौरान ही नारेबाजी करने लगे। जिस पर केसीआर ने पहले तो पुलिस से पेपर लेने को कह दिया। इसके बाद सीएम ने उन लोगों से कहा कि रैली में बाधा ना डाली जाए और वहां से चले जाए। लेकिन जब नारेबाजी जारी रही, तो चंद्रशेखर राव अपना आपा खो बैठे और इस दौरान कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिसको लेकर बवाल खड़ा हो गया।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने कहा कि वो पेपर देना चाहते हैं, उसको ले लो और मुझे शांति से सुनो। अगर नहीं सुनना चाहते, तो कृपया यहां से चले जाइए। सीएम ने आगे ये भी कहा कि आपके इन बेवकूफी भरे कामों से कोई भी परेशान नहीं होगा। बेवजह आपको पीटा जाएगा। आपके जैसे बहुत लोग देखे हैं अम्मा। आपके जैसे कई कुत्ते हैं। यहां से आप चले जाइए।

रैली में इस्तेमाल किए गए अपशब्दों के बाद सीएम केसीआर विपक्ष के निशाने पर आ गए। विपक्षी पार्टियां उनसे इस बयान के लिए माफी मांगने को कह रही हैं। तेलंगाना कांग्रेस प्रभारी मनकीत टैगोर ने कहा कि सीएम ने सार्वजनिक रैली में महिलाओं को ‘कुत्ता’ कहा। उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि ये लोकतंत्र है और आपके यहां तक पहुंचने की वजह वहां खड़ी हुई महिलाएं ही हैं। वो लोग हमारे बॉस हैं। माफी मांगों चंद्रशेखर।’

वहीं बीजेपी ने भी इसको लेकर मुख्यमंत्री केसीआर को घेरा। बीजेपी प्रवक्ता कृष्णा सागर राव ने सीएम की इस टिप्पणी को हिंदुओं और बीजेपी का अपमान बताया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि केसीआर ने वहां मौजूद लोगों की तुलना राक्षसों से कर यादवों का अपमान किया।

कृष्णा सागर राव ने कहा कि सीएम ने बीजेपी को निशाने पर लेते हुए ये बयान दिया, जो खास तौर से यादवों पर सीधा हमला है। नागार्जुन सागर के पास विशाल यादव मतदाता हैं। इस अपमानजनक तुलना की हम कड़ी निंदा करते हैं और इस अनुचित अपमान के लिए माफी की मांग करते हैं।

तो भारत-चीन के बीच बन रही बात? पैंगोंग झील को लेकर हुआ ये समझौता, जानिए कितनी पीछे हटेगीं दोनों देश की सेना?

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तो भारत-चीन के बीच बन रही बात? पैंगोंग झील को लेकर हुआ ये समझौता, जानिए कितनी पीछे हटेगीं दोनों देश की सेना?

भारत और चीन के बीच सीमा पर विवाद बीते करीबन कई महीनों से भी चल रहा है। इस दौरान भारतीय सेना के जवान ड्रैगन की हर चाल का मुंहतोड़ जवाब देते हुए नजर आ रहे हैं। आज यानी गुरुवार को राज्यसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ा ऐलान करते हुए बताया कि चीन के साथ पेंगोग झील को लेकर समझौता हुआ है। दोनों देश की सेनाएं आपसी सहमति से पीछे हट रही हैं। राजनाथ सिंह ने बताया कि पेंगोंग के नॉर्थ और साउथ बैंक को लेकर दोनों देशों में समझौता हुआ।

ऐसे वापस लौटेगीं दोनों देश की सेनाएं

24 जनवरी को भारत-चीन के कोर कमांडर स्तर की नौवें बैठक के बाद दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति बनी। अब बुधवार से दोनों देशों ने अपने सैनिकों को पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट से पीछे हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राज्यसभा में रक्षा मंत्री ने बताया कि दोनों देशों के बीच सैनिकों की वापसी को लेकर जो ये समझौता हुआ, उसके अनुसार लेक इलाके में दोनों पक्ष अग्रिम मोर्चे पर सेना की वापसी करेंगे। चीन अपनी सेना की फिंगर 8 के पूरब की ओर रखेगा।

वहीं चीन के साथ हुए समझौते के मुताबिक भारत अपनी सेना की टुकियों को फिंगर 3 के पास स्थित धन सिंह थापा पोस्ट पर वापस लौटेगी। वहीं राजनाथ सिंह ने ये भी बताया कि 2020 में जो भी निर्माण किया गया, उसको साउथ बैंक से हटाया जाएगा और पहले वाली स्थिति को ही लागू किया जाएगा।

’48 घंटों के अंदर होगी बैठक’

इसके अलावा समझौते के अनुसार नॉर्थ बैंक से दोनों पक्ष अपनी गतिविधियों को अस्थायी रूप से बंद करेंगे, जिसमें पेट्रोलिंग भी शामिल है। पेट्रोलिंग तब ही शुरू होगी, जब राजनीतिक लेवल पर सेना बातचीत करके समझौता करेगी। रक्षा मंत्री ने संसद में बताया कि चीन की सेना के साथ पैंगोग झील से सैनिकों की वापसी के 48 घंटों के अंदर सीनियर कमांडर लेवल की बैठक की जाएगी, जिसमें बाकी मुद्दों को सुलझाने का प्रयास होगा।

राजनाथ सिंह ने कहा कि इस बातचीत से हमने कुछ भी खोया नहीं। LAC पर अभी भी कुछ पुराने मुद्दे हैं, जिन पर सरकार ध्यान देगी और आगे भी बातचीत करेगी।

‘एक इंच जमीन भी नहीं लेने देंगे’

राज्यसभा में राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत की ओर से चीन को ये साफ किया गया कि LAC पर कोई बदलाव ना किया जाए और दोनों देशों की सेना अपनी अपनी जगह पर पहुंच जाएं। हम अपनी एक भी इंच जगह किसी को नहीं लेने देंगे। चीन ने बीते साल भारी संख्या में गोला-बारूद इकट्ठा किया गया था। हमारी ओर से सेना ने चीन के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की। विवाद को सुलझाने के लिए सितंबर से दोनों पक्ष के बीच बातचीत की गई। हमारी लक्ष्य LAC पर यथास्थिति करना ही है।

गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच विवाद की शुरुआत बीते साल अप्रैल-मई के महीने में हुई थीं। ये पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब चीन ने पैंगोंग झील पर अपना दावा बढ़ाना चाहा। इसके बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच गतिरोध बढ़ने लगा। जून के महीने में भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प भी हो गई। गलवान घाटी में हुई इस झड़प के दौरान भारत के 20 जवान शहीद हो गए। चीन को भी इस दौरान भारी नुकसान पहुंचा, लेकिन उसने अब तक ये नहीं बताया कि कितने सैनिक इस झड़प के दौरान मारे गए।

इस बाद से दोनों देशों के सैनिकों के बीच लगातार टकराव की स्थिति बनी रही। हालांकि अब पैंगोंग झील को लेकर जो समझौता हुआ है, उससे गतिरोध थमने के आसार दिखते हुए नजर आ रहे हैं।

मनरेगा नहीं होता तो कोरोना काल में क्या होता, जरा सोचिए…RJD सांसद

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मनरेगा नहीं होता तो कोरोना काल में क्या होता, जरा सोचिए…RJD सांसद

केंद्र सरकार की ओर से पिछले दिनों सदन में बजट पेश किया गया। जिस पर अभी भी सदन में चर्चा जारी है। बजट को लेकर विपक्षी पार्टियों ने केंद्र की मोदी सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए थे। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में अपने संबोधन के दौरान कई सरकारी कंपनियों को बेचने की बात भी कही थी। जिसे लेकर सवाल उठे थे।

इसी बीच बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में आरजेडी सासंद मनोज कुमार झा ने बजट को लेकर केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि आम बजट से जाना जाने वाला बजट आज खास बजट बन गया है।

सरकार पर बरसे आरजेडी सांसद

गुरुवार को सदन को संबोधित करते हुए मनोज कुमार झा ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को निशाने पर लिया। उन्होंने एक शेर के साथ अपने संबोधन की शुरुआत की। आरजेडी सांसद ने कहा…

चमन में इख्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है

हम ही हम हैं तो क्या हम हैं, तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो

केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए बजट को लेकर मनोज कुमार झा ने कहा, 90 के दशक से देखने में आ रहा है कि कभी आम बजट से जाना जाने वाला बजट आज खास लोगों के लिए खास बजट हो गया है। उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि बजट को आम आदमी, किसान,छोटे कारोबारियों के हित ध्‍यान में रखकर बजट बनाया जाए।

आरजेडी नेता ने मनरेगा पर उठे सवालों को लेकर सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, मनरेगा योजना को लेकर कई सवाल उठाए जाते रहे हैं, लेकिन अगर मनरेगा नहीं होती तो कोरोनाकाल में क्या होता, इसके बारे में सोचिए?

पीएम ने उड़ाया था मनरेगा का माखौल

बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के कई बड़े नेता मनरेगा को लेकर कांग्रेस पर पहले ही हमला बोल चुके हैं। पीएम ने लोकसभा में 2015 में मनरेगा के हवाले कांग्रेस को निशाने पर लिया था और इसे कांग्रेस की नाकामियों का स्मारक बताया था।

उन्होंने कहा था, ‘मेरी राजनीतिक सूझ बूझ कहती है कि मनरेगा को कभी बंद मत करो। मैं ऐसी गलती नहीं कर सकता हूं। क्योंकि मनरेगा आपकी विफलताओं का जीता जागता स्मारक है। आजादी के 60 साल के बाद आपको लोगों को गड्ढे खोदने के लिए भेजना पड़ा। ये आपकी विफलताओं का स्मारक है और मैं गाजे-बाजे के साथ इस स्मारक का ढोल पीटता रहूंगा।‘

लेकिन कोरोनाकाल में मनरेगा देश के मजदूरों के लिए वरदान साबित हुआ। अब मोदी सरकार की ओर से मनरेगा का बजट भी बढ़ाया गया है। क्योंकि मौजूदा समय में सरकार के पास कोई ऐसा मजबूत नीति नहीं है जो इतनी बड़ी आबादी को गारंटी के साथ काम दिला सके।

तुषार कपूर ने चुप्पी से फिल्मों में कमाया नाम, जानिए इनसे जुड़ी कुछ खास बातें…

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तुषार कपूर ने चुप्पी से फिल्मों में कमाया नाम, जानिए इनसे जुड़ी कुछ खास बातें…

अपनी एकटिंग से काफी लोगों का दिल जीतने वाले बॉलीवुड एक्टर तुषार कपूर का जन्म 20 नवंबर, 1976 को मुंबई में हुआ था. फिल्मी दुनिया में इन्होंने डायलॉग बोलकर कामयाबी हासिल करने की बजाए गूंगे में एकटिंग कर ज्यादा नाम कमाया है. फिल्म गोलमाल सीरीज से इन्हें लोगों के बीच ज्यादा पहचान मिली है, तो आइए आज हम आपको तुषार कपूर के जीवन से जुड़ी खास बाते बताते हैं…

तुषार कपूर को तो एकटिंग की दुनिया में आना ही था, क्योंकि घर में पिता, मां से लेकर बहन तक फिल्मी दुनिया में हैं. जहां इनके पिता जितेंद्र बॉलीवुड के लीजेंड अभिनेताओं में से एक है तो वहीं इनकी मां शोभा कपूर एक फिल्म निर्माता हैं. जबकि बहन एकता कपूर फिल्म और टेलीविजन निर्माता हैं. बता दें कि तुषार कपूर सरोगेसी से पिता बने है जिनसे उन्हें एक बेटा है जिसका नाम लक्ष्य है.

अगर बात करें तुषार कपूर की पढ़ाई की तो इन्होंने स्टेफन एम रॉज कॉलेज से BBA की डिग्री ली और यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन से पढ़ाई की है. वहीं, साल 2001 में तुषार कपूर ने अपने करियर की शुरूआत की. इन्होंने फिल्म “मुझे कुछ कहना है” से अपना करियर शुरू किया. इस फिल्म में उनके अपोजिट में अभिनेत्री करीना कपूर थीं. इस फिल्म को लेकर तुषार को उनकी एक्टिंग के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ डेब्यू कलाकार के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. हालांकि इनकी कुछ फिल्में तो खास नहीं रहीं लेकिन आलोचकों ने उनकी सरहाना की.

तुषार कपूर इसके बाद फिल्म खाकी में नजर आए थे, जोकि मल्टी स्टारर फिल्म है. बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने काफी अच्छी कामयाबी की थी. इस फिल्म के बाद में तुषार फिल्म क्या कूल है हम में नजर आए थे और इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर बहुत अच्छा बिजनेस किया. इसके अलावा तुषार ने हिंदी सिनेमा में कई बेहतरीन फिल्मों से अपने दर्शकों का मनोरंजन किया.

प्रसिद्ध फिल्में

तुषार कपूर की कई फिल्म प्रसिद्ध फिल्में ये हैं- मुझे कुछ कहना है, क्या कूल हैं हम,शूट आउट ऐट लोखंडवाला, ये दिल, गायब, खाकी, गोलमाल सीरीज, कुछ तो है, गुड बॉय बैड बॉय, हल्ला बोल, द डर्टी पिक्चर ,बजाते रहो, क्या कूल है हम सीरीज और शू इन द सिटी.

बिरसा मुंडा: आजादी का वो अनसंग हीरो जिन्हें अंग्रेजों ने दे दिया था जहर

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बिरसा मुंडा: आजादी का वो अनसंग हीरो जिन्हें अंग्रेजों ने दे दिया था जहर

बिरसा मुंडा, समाज के वो हीरो जिन्होंने अंग्रेजों के मन में इतना भय पैदा कर दिया जिसकी वजह से उनकी मौत आज भी एक रहस्यमयी घटना बनी हुई है. मुंडा को आज के समय में काफी संकुचित समाज वर्ग जानता है. क्योंकि आजादी के हीरो कहे जाने वाले मुंडा के संघर्ष को उचित सम्मान और पहचान नहीं मिल सकी जितनी देश के लिए कुर्बान होने वाले बाकी स्वतंत्रता सेनानियों को मिली है. आइये आजादी के इस अनसंग हीरो की जिंदगी की जानें रोचक दास्तां.

1875 में हुआ था जन्म

मुंडा को 19वीं सदी के आदवासी का प्रमुख जननायक कहा जाता है. उनका जन्म 15 नवंबर 1875 में बिहार प्रदेश के रांची जिले के उलीहातू गांव में हुआ था. उस दौरान झारखंड और बिहार एक ही राज्य हुआ करते थे और बंगाल का भी विभाजन नहीं हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई साल्गा गांव में की, जिसके बाद वो चाईबासा इंग्लिश मिडल स्कूल में पढ़ने आये. उन्होंने वहां पर क्रिश्चियनिटी को करीब से जाना. उन्होंने महसूस किया कि आदिवासी समाज हिंदू धर्म को सही से नहीं समझ रहा.

अंग्रेजों ने छीने आदिवासियों के अधिकार

जब भारत में अंग्रेजों का राज नहीं था तब उससे पहले जंगल और जमीन आदिवासियों के लिए मां के समान हुआ करते थे. लेकिन अंग्रेजों के आकर सब तहस नहस कर दिया. साथ ही आदिवासियों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया. लेकिन बिरसा मुंडा की अगुआई में आदिवासियों ने बेगार प्रथा के खिलाफ मोर्चा खोला और सफल रहे. इसके अलावा आदिवासी जो पहले से ही वहां की सामंती और जमींदारी व्यवस्था से लड़ते आ रहे थे उसे बिरसा मुंडा ने और धार देने का काम किया.

मुंडा ने डाले ‘उलगुलान’ के बीज

आदिवासियों को हमारे देश में हमेशा ही दरकिनार किया जाता रहा है. उनके संसाधनों को छीन कर उन्हें गुलाम के मानिंद जीने को विवश किया जाता है. लेकिन इसको ख़त्म करने के लिए मुंडा ने आदिवासियों के बीच ‘उलगुलान’ के बीज डाले थे. उलगुलान का अर्थ होता है उथल-पुथल. ये उलगुलान शोषण के खिलाफ, अपने हकों और अधिकारों को वापिस पाने के लिए, झूठ और फरेब के खिलाफ, ब्रितानी और सामंती व्यवस्था के खिलाफ थी. मुंडा मानते थे इन सब के खिलाफ ‘उलगुलान’ से बेहतर कोई जवाब नहीं है. इसके अलावा सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाया था. उनके द्वारा गठित ‘गोरिल्ला सेना’ ने कई समय तक अंग्रेजों से जंग जीती.

रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत

birsa munda

25 साल की उम्र में चक्रधरपुर में बिरसा की गिरफ्तारी हो गई. ये माना जाता है कि अंग्रेजों के खिलाफ व्यापक असर को देखते हुए कारागार में उन्हें जहर दे दिया गया था. लेकिन लोगों से कहा कि कारागार में हैजे की वजह से उनकी मौत हो गई. उन्होंने 9 जून 1900 में अपनी अंतिम सांस ली. लेकिन अंग्रेजों का ये तर्क किसी के गले नहीं उतरा. जिसके बाद देश आज भी भारत माता के हीरो के रूप में उन्हें याद करता है. हमारे देश के संसद के सेंट्रल हॉल में भी उनका चित्र टांगा गया है. 

आज दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात करेंगे नीतीश कुमार, कहा- LJP की भूमिका तय करेगी BJP

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आज दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात करेंगे नीतीश कुमार, कहा- LJP की भूमिका तय करेगी BJP

बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन ने जीत हासिल कर सरकार बनाई। सरकार बनने के लगभग तीन महीनों बाद प्रदेश में पिछले दिनों मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है। सरकार बनने के बाद पहली बार हुए मंत्रिमंडल विस्तार में एनडीए के 17 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली। एनडीए के कुछ नेताओं ने इसे लेकर सवाल भी उठाए।

पिछले दिनों एक बीजेपी विधायक ने कहा था कि मंत्रिमंडल विस्तार में जातिगत संतुलन का ध्यान नहीं रखा गया। वहीं, दूसरी ओर कुछ दागी नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल करने पर विपक्षी पार्टियों ने नीतीश कुमार को निशाने पर लिया था। इसी बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली पहुंच गए हैं और आज गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले हैं।

नीतीश कुमार का पूरा बयान

दिल्ली में नीतीश कुमार ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने पीएम से मुलाकात के सवाल पर कहा, बिहार चुनाव के बाद मुझे आकर मिलना ही था, उसी को लेकर आए हैं। कोरोना का दौर चलने से पहले भी हम यहां आये थे। अब तो आने-जाने की शुरुआत हो गई है। राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार पर नीतीश कुमार ने कहा, वह तो हो ही गया है, कहीं कोई दिक्कत नही है।

एलजेपी की भूमिका बीजेपी तय करेगी

विपक्षी पार्टियों की ओर से मंत्रिमंडल में शामिल कुछ मंत्रियों को लेकर सवाल उठाए गए थे। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, जिनको बिहार के क-ख-ग-घ की जानकारी नहीं है, उनकी बातों पर क्या टिप्पणी करना। उन्होंने कहा, बिहार में 15 सालों में कितनी प्रगति हुई है, यह अध्ययन करने की बात है।

एनडीए गठबंधन में एलजेपी की भूमिका पर नीतीश कुमार ने कहा, उनलोगों ने बिहार के चुनाव में क्या किया, यह तो सबको मालूम है। आगे बीजेपी तय करेगी। हम तो कोई नोटिस नहीं लेते हैं।

एलजेपी को मिली थी 1 सीट पर जीत

बता दें, एनडीए गठबंधन में बीजेपी की सहोयगी पार्टियां जदयू और एलजेपी एक दूसरे को थोड़ा भी पसंद नहीं करती है। एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान समेत पार्टी के कई नेता लगातार बिहार की नीतीश सरकार पर हमलावर रहे हैं। बिहार चुनाव में एलजेपी ने जदयू को बड़ा झटका दिया था। चुनाव परिणाम के बाद जदयू के कई नेताओं ने आरोप लगाया था कि बिहार चुनाव में एलजेपी ने बोट कटवा का काम किया।

जिसके कारण कई सीटों पर जदयू की हार हुई थी। 243 विधानसभा सीटों वाले बिहार में एलजेपी को बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में मात्र 1 सीट पर जीत मिली थी, लेकिन पार्टी के किसी भी नेता को नीतीश मंत्रिमंडल में जगह नही मिली है। जिसे लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है।