Navratri 2025: स्कंदमाता से त्रिपुरसुंदरी तक…वो देवियां जो संतान की सुरक्षा से लेकर हर घर में बसी हैं

Table of Content

Navratri 2025: नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व देवी शक्ति की उपासना का समय होता है, जिसमें हम अपनी आस्थाओं और श्रद्धा को देवी के विभिन्न रूपों में समर्पित करते हैं। नवरात्रि के पांचवे और छठे दिन देवी स्कंदमाता और देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है, जो मातृशक्ति के संरक्षण और प्रेरणा के प्रतीक हैं। इन दोनों रूपों में मां के वात्सल्य, सुरक्षा और साहस का अद्वितीय मेल देखने को मिलता है।

और पढ़ें: Navratri 2025: मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि में अपनाएं ये अचूक उपाय

देवी स्कंदमाता: मातृत्व का परम प्रतीक Navratri 2025

नवरात्रि के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। देवी स्कंदमाता का रूप मातृत्व की शक्ति को दर्शाता है। उनका चित्रण इस तरह किया जाता है कि वह अपनी गोदी में कार्तिकेय (स्कंद) को बिठाए हुए होती हैं, जो देवताओं के सेनापति के रूप में प्रसिद्ध हैं। स्कंदमाता का ये रूप जीवन में मां की भूमिका को स्पष्ट करता है।

जब एक मां अपने बच्चे को जन्म देती है, उसे पालती है, उसकी रक्षा करती है और उसे जीवन की कठिनाइयों से निपटने के लिए तैयार करती है, तो वही भाव देवी स्कंदमाता में दिखता है। वह अपने पुत्र को जीवन की चुनौतियों से लड़ने की शक्ति और साहस प्रदान करती हैं। इसी तरह, स्कंदमाता का रूप हमें यह समझाता है कि संतान की हर उपलब्धि में मां का योगदान होता है, और उनकी गोदी में संतान हमेशा नन्हा ही रहता है, चाहे वह कितनी भी ऊंचाई तक पहुंच जाए।

देवी कात्यायनी: शक्ति और साहस की प्रतीक

नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। देवी कात्यायनी का स्वरूप एक साथ सौम्य और युद्ध की देवी का है। बिहार की लोक संस्कृति में छठ पूजा की देवी कात्यायनी मानी जाती हैं, जो बच्चों के पालन-पोषण का कार्य करती हैं। उनका चित्रण एक युद्ध की देवी के रूप में किया जाता है, जिनके हाथ में त्रिशूल, भाला और तलवार होती हैं, लेकिन उनका रूप बहुत ही सौम्य और शांतिपूर्ण होता है।

यह रूप दर्शाता है कि माता कात्यायनी सुरक्षा और साहस दोनों के प्रतीक हैं। वह बच्चों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहती हैं, और उनकी पूजा हमें यह सिखाती है कि माता हर स्थिति में अपने बच्चों की रक्षा के लिए तत्पर रहती हैं। देवी कात्यायनी का यह रूप जीवन में संघर्ष और साहस के महत्व को भी समझाता है।

ललिता देवी: स्कंदमाता और कात्यायनी का आध्यात्मिक रूप

स्कंदमाता और कात्यायनी के इस रूप को ललिता देवी के नाम से भी जाना जाता है। ललिता देवी सौंदर्य, शक्ति और ज्ञान का अनुपम संगम हैं। उन्हें त्रिपुरसुंदरी और षोडशी के नाम से भी जाना जाता है, जो तंत्र साधना में सर्वोच्च स्थान रखती हैं। ललिता देवी के स्वरूप का वर्णन 16 वर्षीय युवती के रूप में किया जाता है, जिनकी चार भुजाओं में फंदा, अंकुश, गन्ना धनुष और फूलों के तीर होते हैं। वह कमल पर विराजमान होती हैं और कभी हंस या तोते की सवारी करती हैं।

ललिता देवी की पूजा से न केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि आत्मिक मुक्ति का मार्ग भी मिलता है। उनका स्वरूप इस बात का प्रतीक है कि वे जीवन के हर क्षेत्र में हमारी मार्गदर्शिका बन सकती हैं, चाहे वह व्यक्तिगत जीवन हो या आध्यात्मिक उन्नति।

आध्यात्मिक महत्व: ऊर्जा और मुक्ति का स्रोत

ललिता देवी का स्वरूप केवल सौम्यता और सौंदर्य का नहीं, बल्कि शक्ति और ऊर्जा का भी प्रतीक है। देवी महात्म्य में उनकी कथा राक्षसी शक्तियों पर विजय की है, जो अच्छाई की जीत का प्रतीक है। त्रिपुरासुर नामक राक्षस के खिलाफ देवी ललिता ने शिव के भीतर रहकर युद्ध किया और उनकी शक्ति से त्रिपुर का संहार हुआ। यह कथा अज्ञान से आत्मज्ञान की ओर यात्रा को दर्शाती है।

ललिता देवी के अनुयायी उनकी साधना से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और भौतिक समृद्धि प्राप्त करते हैं। साधना के द्वारा उनके भीतर छिपी हुई कुंडलिनी ऊर्जा जागृत होती है, जो जीवन में बुरी बाधाओं को दूर करने में मदद करती है। तंत्र-मंत्र परंपरा में उन्हें “शिवा” कहा जाता है, जो शिव के साथ एकात्मता का प्रतीक हैं।

पूजा विधि और आराधना: समर्पण का मार्ग

देवी ललिता की पूजा विशेष रूप से सरल लेकिन समर्पण की आवश्यकता वाली होती है। उनकी पूजा के लिए ललिता सहस्रनाम का पाठ किया जाता है, जिसमें उनके 1000 नामों का जाप किया जाता है। यह पाठ मानसिक शांति और जीवन में सफलता लाने में सहायक होता है। इसके अलावा, “ॐ श्री महा त्रिपुर सुंदरी महामन्त्राय नमः” जैसे दुर्लभ मंत्रों का जप किया जाता है, जो पूजा के दौरान विशेष प्रभावशाली माने जाते हैं।

देवी ललिता की पूजा में समर्पण और पवित्रता की आवश्यकता होती है। साधक को शांतिपूर्ण वातावरण में लाल वस्त्र पहनकर पूजा करनी चाहिए। ताजे फूलों से अर्घ्य अर्पित करने और चंदन-कुमकुम से तिलक करने से पूजा में विशेष फल मिलता है।

और पढ़ें: श्रीकृष्ण की ऐसी 10 अद्भुत और दिव्य लीलाओं के बारें में जिन्हें देखकर हर कोई उन्हें भगवान मानने लगे

vickynedrick@gmail.com

vickynedrick@gmail.com https://nedricknews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

Trending News

Editor's Picks

Who is CR Subramanian

Who is CR Subramanian: 1600 स्टोर, 3500 करोड़ का खेल… और फिर ऐसा मोड़ कि आज जेल में पाई-पाई को तरस रहा है ये कारोबारी

Who is CR Subramanian: देश में ऐसे कई बिजनेसमैन रहे हैं जिन्होंने बिल्कुल जीरो से शुरुआत कर अरबों की दुनिया खड़ी की। लेकिन कुछ कहानियां ऐसी भी हैं, जहां सफलता जितनी तेजी से मिली, उतनी ही तेजी से सब कुछ हाथ से निकल गया। भारतीय कारोबारी सीआर सुब्रमण्यम (CR Subramanian) की कहानी भी कुछ ऐसी...
Bath in winter

Bath in winter: सर्दियों में नहाने से डर क्यों लगता है? जानिए रोज स्नान की परंपरा कहां से शुरू हुई और कैसे बनी आदत

Bath in winter: उत्तर भारत में सर्दियों का मौसम आते ही नहाना कई लोगों के लिए सबसे बड़ा टास्क बन जाता है। घना कोहरा, जमा देने वाली ठंड और बर्फ जैसे ठंडे पानी को देखकर अच्छे-अच्छों की हिम्मत जवाब दे जाती है। यही वजह है कि कुछ लोग रोज नहाने से कतराने लगते हैं, तो...
Sikhism in Odisha

Sikhism in Odisha: जगन्नाथ की धरती पर गुरु नानक की विरासत, ओडिशा में सिख समुदाय की अनकही कहानी

Sikhism in Odisha: भारत में सिख समुदाय की पहचान आमतौर पर पंजाब से जोड़कर देखी जाती है, लेकिन देश के पूर्वी हिस्सों, खासकर ओडिशा में सिखों की मौजूदगी का इतिहास उतना ही पुराना, जटिल और दिलचस्प है। यह कहानी केवल धार्मिक प्रवास की नहीं है, बल्कि राजनीति, औपनिवेशिक शासन, व्यापार, औद्योगीकरण और सामाजिक संघर्षों से...
Ambedkar and Christianity

Ambedkar and Christianity:आंबेडकर ने ईसाई धर्म क्यों नहीं अपनाया? धर्मांतरण पर उनके विचार क्या कहते हैं

Ambedkar and Christianity: “मैं एक अछूत हिंदू के रूप में पैदा हुआ था, लेकिन हिंदू के रूप में मरूंगा नहीं।” डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर की यह पंक्ति सिर्फ एक व्यक्तिगत घोषणा नहीं थी, बल्कि सदियों से जाति व्यवस्था से दबे समाज के लिए एक चेतावनी और उम्मीद दोनों थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन जाति प्रथा...
Silver Reserves Top 5 Countries

Silver Reserves Top 5 Countries: जानिए दुनिया में ‘सिल्वर किंग’ कौन और भारत की क्या है स्थिति

Silver Reserves Top 5 Countries: 2025 में अगर किसी ने निवेशकों को सच में हैरान किया है, तो वह चांदी है। अब तक लोग सोने को सबसे सुरक्षित निवेश मानते आए थे, लेकिन इस साल चांदी ने रफ्तार के मामले में सोने को भी पीछे छोड़ दिया। कीमतें इतनी तेजी से बढ़ीं कि बाजार में...

Must Read

©2025- All Right Reserved. Designed and Developed by  Marketing Sheds