Godda Bhikhmanga Chowk: गोड्डा जिले के हर चौक की अपनी अलग पहचान और कहानी है, लेकिन इनमें सबसे अनोखा और चर्चित चौक है नेहरू चौक, जिसे आज भी लोग प्यार से भिखमंगा चौक के नाम से जानते हैं। पुराने समाहरणालय से सटे दाईं ओर स्थित यह चौक जिले के मुख्य चौक के बेहद करीब है और अपने आसपास मौजूद कई महत्वपूर्ण कार्यालयों और मैदानों के कारण दिनभर जीवंत रहता है।
इस चौक के आसपास जिला शिक्षा विभाग, नगर परिषद कार्यालय, सूचना जनसंपर्क कार्यालय, मेला मैदान और गांधी मैदान जैसे महत्वपूर्ण स्थल हैं। इनकी वजह से यहां हमेशा लोगों का आना-जाना बना रहता है। चाहे सुबह की चहल-पहल हो या शाम की हलचल, भिखमंगा चौक का माहौल हमेशा जीवंत रहता है।
चाय और भुजा की खास पहचान (Godda Bhikhmanga Chowk)
भिखमंगा चौक का आकर्षण सिर्फ इसकी ऐतिहासिकता तक ही सीमित नहीं है। यहां की चाय की दुकान पूरे जिले में खास पहचान रखती है। सुबह-सुबह लोग यहां चाय पीने आते हैं और दिनभर बातचीत का सिलसिला चलता रहता है। इसके बगल में स्थित भुजा की दुकान भी कम प्रसिद्ध नहीं है। स्थानीय लोग, जनप्रतिनिधि, अधिकारी, पत्रकार और यहां तक कि दूसरे जिलों से आए लोग भी इस चौक पर रुककर भुजा का स्वाद जरूर चखते हैं। धीरे-धीरे यह चौक गोड्डा की स्वाद परंपरा का भी अहम हिस्सा बन गया है।
भिखमंगा चौक का नाम और पीछे की कहानियां
भिखमंगा चौक नाम की उत्पत्ति को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। गोड्डा के स्थानीय निवासी सुरजीत झा बताते हैं कि शुरू में इस चौक का नाम झारखंड के वीर स्वतंत्रता सेनानी शेख भिखारी के सम्मान में भिखारी चौक रखा गया था। समय के साथ बोलचाल की भाषा ने इसका रूप बदल दिया और यह धीरे-धीरे भिखमंगा चौक के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
इसके अलावा एक और कहानी भी लोगों के बीच लोकप्रिय है। बताया जाता है कि कई साल पहले आसपास के सरकारी दफ्तरों से काम कराने के लिए दलाल और एजेंट अक्सर इसी चौक की चाय दुकानों पर बैठते थे। ये लोग लोगों से पैसे लेकर उनके काम कराने का दावा करते थे। धीरे-धीरे लोग मजाक-मजाक में इस जगह का नाम भिखमंगा चौक कहना शुरू कर दिया। यही नाम धीरे-धीरे जनता की जुबान पर चढ़कर स्थायी पहचान बन गया।
नेहरू चौक और भिखमंगा चौक का संगम
स्थानीय चाय दुकान के मालिक कमल कुमार बताते हैं कि कई साल पहले जिला प्रशासन ने यहाँ पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा स्थापित की थी और आधिकारिक रूप से इसका नाम नेहरू चौक रखा गया। लेकिन दिलचस्प यह है कि प्रतिमा आज भी वहीं है। बावजूद इसके, लोग अब भी इसे अपने पुराने नाम भिखमंगा चौक से ही याद करते हैं। यही इस चौक की असली पहचान बन गई है इतिहास, स्वाद और स्थानीय संस्कृति का अनोखा संगम।
भिखमंगा चौक सिर्फ एक चौक नहीं, बल्कि गोड्डा की सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर बन चुका है। चाहे चाय की महक हो, भुजा का स्वाद या नाम के पीछे की मजेदार कहानियां, यह चौक जिलेवासियों के दिलों में हमेशा अपनी अलग जगह बनाए रखता है।

