ManMohan Singh Death: नहीं रहे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, 92 की उम्र में AIIMS में ली अंतिम सांस

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देश के पूर्व प्रधानमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. मनमोहन सिंह आज हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने 92 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वे लंबे समय से बीमार थे। आज उन्हें एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) के इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया गया. उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।जानकारी के अनुसार साल 2006 में मनमोहन सिंह की दूसरी बार बाईपास सर्जरी हुई थी, जिसके बाद से वह काफी बीमार चल रहे थे। गुरुवार को उन्हें सांस लेने में तक़लीफ और बेचैनी के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था।

हाल ही में संसद में पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग प्रक्रिया के दौरान उन्हें व्हील चेयर पर देखा गया था। डॉ. सिंह के परिवार में उनकी पत्नी श्रीमती गुरशरण कौर और तीन बेटियां हैं। राजनीति और भारत की समृद्धि में योगदान देने के बाद अब वे एक नए जीवन की ओर बढ़ गए हैं। आइए हम आपके साथ उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें शेयर करते हैं। साथ ही, उनके द्वारा हासिल की गई महान उपलब्धियां भी बताएंगे, जिन्हें जानकर आपके मन में उनके लिए सम्मान और बढ़ जाएगा।

और पढ़ें: 1991 में भारत को किस संकट का सामना करना पड़ा, जिससे बाहर निकलने के लिए मनमोहन सिंह ने Liberalisation का फैसला लिया?

26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के पंजाब डिवीजन में तत्कालीन अविभाजित भारत में मनमोहन सिंह का जन्म हुआ था। 2004 से 2014 तक डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री के तौर पर यूपीए सरकार का नेतृत्व किया। प्रधानमंत्री बनने से पहले 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार में उन्होंने वित्त मंत्री के तौर पर काम किया था। मनमोहन सिंह के सामाजिक और राजनीतिक जीवन के बारे में हमें बताएं।

मनमोहन सिंह एजुकेशन बैकग्राउंड

मनमोहन सिंह ने अपनी स्कूली शिक्षा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से की थी। उन्होंने दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की। मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय के अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी पढ़ाया था।

1991 के आर्थिक सुधारों में अहम रोल रहा

देश में आर्थिक सुधारों में डॉ. मनमोहन की अहम भूमिका रही। 1991 में पी वी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने बजट के दौरान उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से जुड़ी अहम घोषणाएं कीं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को नई गति मिली। इसके चलते देश में व्यापार नीति, औद्योगिक लाइसेंसिंग, बैंकिंग क्षेत्र में सुधार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति से जुड़े नियमों और विनियमों में बदलाव किए गए।

Former Prime Minister Manmohan Singh dead
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10 साल तक पीएम रहे

मनमोहन सिंह के राजनीतिक करियर की बात करें तो वे 1991 से भारतीय संसद के ऊपरी सदन, राज्य सभा के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं। 1998 से 2004 तक वे वहां विपक्ष के नेता के रूप में कार्यरत रहे। 2004 के आम चुनावों के बाद, डॉ. मनमोहन सिंह ने 22 मई को प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला। उन्होंने 22 मई, 2009 को दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से शपथ ली। वे लगातार दस वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे।

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रिजर्व बैंक के गवर्नर समेत इन पदों पर दी सेवाएं

– डॉ. मनमोहन सिंह को संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करने का अनुभव है। उन्हें 1966-1969 के आर्थिक मामलों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के लिए एक अधिकारी के रूप में चुना गया था।

– 1982 से 1985 तक, डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्यरत रहे। इस दौरान, उन्होंने बैंकिंग में कई सुधार लागू किए।

– 1985 से 1987 तक वरिष्ठ कांग्रेसी मनमोहन सिंह योजना आयोग के अध्यक्ष रहे। 1972 से 1976 के बीच उन्होंने मुख्य आर्थिक सलाहकार समेत कई पदों पर काम किया।

– मनमोहन सिंह ने 1987 से 1990 के बीच संयुक्त राष्ट्र में सेवा करते हुए विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के एक अंतर-सरकारी संगठन, दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में कार्य किया।

– 1991 में कांग्रेस के नेता मनमोहन सिंह असम से राज्यसभा के लिए चुने गए। इसके बाद उन्होंने 1995, 2001, 2007 और 2013 में एक बार फिर राज्यसभा में अपनी सेवाएं दीं। 1998 से 2004 तक भाजपा के कार्यकाल के दौरान उन्होंने राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया। 1999 में वे दक्षिण दिल्ली से चुनाव लड़े, लेकिन असफल रहे।

इन पुरस्कारों से सम्मानित

मनमोहन सिंह को भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण (1987),जवाहरलाल नेहरू बर्थ सेंटेनरी अवॉर्ड ऑफ द इंडियन साइंस कांग्रेस (1995), वर्ष के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी पुरस्कार (1993 और 1994), वर्ष के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी पुरस्कार (1993), कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का एडम स्मिथ पुरस्कार (1956), और सेंट जॉन्स कॉलेज, कैम्ब्रिज में विशिष्ट सेवा के लिए राइट पुरस्कार (1955) से सम्मानित किया गया है। डॉ. सिंह को कैम्ब्रिज और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालयों सहित कई विश्वविद्यालयों द्वारा मानद उपाधियां प्रदान की गई हैं।

और पढ़ें: आखिर क्यों नेहरू अंबेडकर के पक्ष में नहीं थे, उनके रेडिकल पक्ष से से क्यों डरते थे! 

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