डॉ. अम्बेडकर हम शर्मिंदा हैं, समाज आज भी दलितों के प्रति दरिंदा है… दलित बेटी के साथ हुआ बलात्कार, दलित लड़के को भी पीट-पीट कर मार डाला

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देश में चुनावी माहौल है। कई बड़े राजनेता और नेता अपने हितों को साधने के लिए दलितों को आकर्षित करने की कोशिश करते हैं। वह दलितों को भरोसा दिलाते हैं कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आई तो वह उनके लिए एक ऐसा समाज बनाएंगे जहां उन्हें किसी से अलग नहीं माना जाएगा। लेकिन हकीकत इसके उलट है। वोट पढ़ने के बाद न तो सरकार दलितों की स्थिति की जांच करती है और न ही दलितों के लिए समाज बेहतर बन रहा है। कई लोग आज भी इस बात पर बहस करते हैं कि अब दलितों पर अत्याचार ख़त्म हो गए हैं, इसलिए अब उनके लिए बने सभी स्पेशल क़ानून ख़त्म कर दिए जाने चाहिए और उनके साथ स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं किया जाना चाहिए। इन लोगों को पहले खुद दलित बनकर एक दिन गुजारना चाहिए ताकि उन्हें एहसास हो सके कि आज भी दलित समाज में कुछ नहीं बदला है। लगभग 80 प्रतिशत दलित ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। आर्थिक शोषण उनकी सबसे विकट समस्या बनी हुई है। इसके अलावा लोग उनका शोषण करने से भी बाज नहीं आते हैं। हाल ही में दलित समुदाय के दो लोगों के साथ ऐसी घटना घटी जिसे सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी। मामला राजस्थान के करौली का है जहां एक आदिवासी नाबालिग बेटी को दुष्कर्म के बाद दरिंदों ने जिंदा जला दिया। दूसरा मामला भी रास्थान का है, जहां गौशाला में काम करने वाले कर्मचारी रामेश्वर वाल्मिकी की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।

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दलित बेटी को जलाया जिंदा

दलित बेटी के साथ जो हुआ वह वाकई मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है। घटना राजस्थान के करौली जिले के हिंडौन शहर की है। यहां हैवानों ने मूक-बधिर आदिवासी नाबालिग बेटी डिंपल मीणा से दुष्कर्म कर उसे जिंदा जला दिया। झुलसी पीड़िता की हालत गंभीर थी और वह 10 दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करती रही। लेकिन सोमवार को उसकी जयपुर में उपचार के दौरान मौत हो गई। हैरानी की बात तो यह है कि इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने वाले आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। मंगलवार को परिजनों ने टोडाभीम में उपखण्ड अधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की। पीड़ित के परिजनों ने बताया कि वह अपने बच्चों के साथ नई मंडी थाना क्षेत्र में किराए के मकान में रहता है और दूध व डेयरी का काम करता है। 11 मई को सुबह करीब 10-11 बजे उनकी 10 वर्षीय मूक-बधिर बेटी घर के पास सड़क पर जली हुई अवस्था में मिली। जिसे हिंडौन के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां से उसे गंभीर हालत में जयपुर रैफर कर दिया गया। लेकिन इलाज के दौरान वह मासूम जिंदगी की जंग हार गई।

इधर, पीड़िता को न्याय देने के लिए सोशल मीडिया पर भी कैंपेन चलाया जा रहा है। एक्स पर पीड़िता के अस्पताल में भर्ती होने के वीडियो खूब वायरल हो रहे है। यूजर्स ने पूछा कि हिंडौन सिटी में मूकबधिर आदिवासी नाबालिग बेटी का दरिंदो ने रेप कर शरीर को जला दिया, जिसकी 11 दिन बाद अस्पताल में मौत हो गई। इस घटना पर सरकार और पुलिस प्रशासन मौन क्यों है?

दूसरी घटना में रामेश्वर बाल्मीकि के साथ अत्याचार

अब दूसरी घटना की बात करें तो यह मामला झुंझुनू के सूरजगढ़ थाना क्षेत्र के बलौदा गांव का है। यहां गौशाला में काम करने वाले एक दलित कर्मचारी की पीट-पीटकर बेरहमी से हत्या कर दी गई। दलित कर्मचारी को शराब माफियाओं ने लाठियों से इतनी बुरी तरह पीटा कि उसकी मौत हो गई। यह घटना 14 मई की बताई जा रही है। इस दौरान आरोपियों ने पीड़ित को 6 घंटे तक बांध कर रखा और उसके पैरों और शरीर पर जगह-जगह बेरहमी से पिटाई कर थर्ड डिग्री टॉर्चर किया।

मिली जानकारी के मुताबिक, शराब माफियाओं ने रंजिश के चलते गौशाला में काम करने वाले युवक रामेश्वर वाल्मिकी (28) को उसके घर से अगवा कर लिया। इसके बाद वह युवक को एक हवेली में ले गया और इस पूरी घटना को अंजाम दिया। इस दौरान आरोपियों ने दलित युवक संग मारपीट की पूरी घटना का वीडियो बना लिया। बाद में जब यह वीडियो वायरल होकर पुलिस तक पहुंचा तो इलाके में हड़कंप मच गया।

वहीं पीड़ित की हत्या करने के बाद आरोपियों ने उसका शव उसके घर के बाहर फेंक दिया और भाग गए। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मामले के आरोपी दीपेंद्र उर्फ चिंटू, प्रवीण कुमार उर्फ पीके, सुभाष उर्फ चिंटू, सतीश उर्फ सुख निवासी बलौदा, प्रवीण उर्फ बाबा निवासी पुरी थाना सूरजगढ़ को गिरफ्तार कर लिया। इनमें से चार आरोपियों के खिलाफ पहले से ही आर्म्स एक्ट के तहत कई मामले दर्ज हैं। इसके अलावा दीपेंद्र सूरजगढ़ थाने का हिस्ट्रीशीटर है। पुलिस आगे की कार्रवाई में जुटी है।

इन दोनों घटनाओं के बाद एक बात तो तय है कि अपना पूरा जीवन दलितों के हितों के लिए समर्पित करने वाले बाबा साहेब का दलितों के लिए एक अच्छे समाज का सपना अधूरा रह गया है।

और पढ़ें: बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा बौद्ध धर्म पर लिखी गई ये पुस्तकें आपको अवश्य पढ़ना चाहिए 

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