CM Nitish Hijab Controversy: बिहार की महिला डॉक्टर डॉ. नुसरत परवीन के साथ हुई अपमानजनक घटना ने देशभर में गुस्सा और चिंता पैदा कर दी। 15 दिसंबर को पटना में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नियुक्ति पत्र देने के समय डॉ. नुसरत का हिजाब सार्वजनिक रूप से खींचा था। यह पूरी घटना कैमरे में कैद हो गई और वीडियो वायरल होने के बाद देश-विदेश में व्यापक आलोचना हुई।
इस घटना ने केवल एक डॉक्टर पर हमला नहीं किया, बल्कि महिलाओं की गरिमा और संविधान की मूल भावना पर भी सवाल खड़े किए। विपक्षी दलों जैसे कांग्रेस और आरजेडी ने इसे महिला की इज्जत का अपमान बताया और मुख्यमंत्री के व्यवहार पर कड़ी आलोचना की। प्रारंभिक खबरों में कहा गया कि अपमानित महसूस करने के कारण डॉ. नुसरत ने बिहार सरकार की नौकरी जॉइन करने से इनकार कर दिया, लेकिन बाद में यह स्पष्ट हुआ कि वे 20 दिसंबर को सरकारी तिब्बी कॉलेज में अपनी ड्यूटी जॉइन की।
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झारखंड सरकार ने उठाया ऐतिहासिक कदम (CM Nitish Hijab Controversy)
इस पूरे विवाद के बीच झारखंड सरकार ने डॉ. नुसरत के लिए एक ऐतिहासिक और सम्मानजनक कदम उठाया है। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने घोषणा की कि डॉ. नुसरत को झारखंड स्वास्थ्य सेवा में नौकरी का प्रस्ताव दिया गया है। इसमें उन्हें ₹3,00,000 मासिक वेतन, मनचाही पोस्टिंग, सरकारी फ्लैट और पूर्ण सुरक्षा का भरोसा दिया गया है।
डॉ. अंसारी ने कहा, “मैं पहले एक डॉक्टर हूं, फिर मंत्री। किसी डॉक्टर, बेटी या महिला के सम्मान से समझौता झारखंड में असंभव है। बिहार की यह अमर्यादित घटना हम सभी मेडिकल कर्मियों को गहराई से आहत करती है। हम महसूस कर सकते हैं कि डॉ. नुसरत और उनके परिवार पर क्या बीत रही होगी।”
उन्होंने आगे लिखा कि यह फैसला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में लिया गया है और यह स्पष्ट संदेश देता है कि झारखंड में बेटियों और डॉक्टरों के सम्मान से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने इसे ‘सम्मान की जीत’ करार दिया और कहा कि जहां अपमान हुआ, वहां झारखंड ने इंसानियत की मिसाल पेश की।
देशभर में मिली सराहना
झारखंड सरकार का यह कदम देशभर में सराहा जा रहा है। इसे महिलाओं के सम्मान, धार्मिक स्वतंत्रता और पेशेवर सुरक्षा की दिशा में सकारात्मक पहल माना जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. अंसारी ने कहा कि यह केवल डॉ. नुसरत के लिए सम्मानजनक विकल्प नहीं, बल्कि महिलाओं की गरिमा और पेशेवर सुरक्षा पर एक मजबूत राजनीतिक बयान भी है।
इस घटना के बाद डॉ. नुसरत फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी हैं, लेकिन झारखंड सरकार की ओर से दिया गया यह ऑफर उनके लिए सुरक्षित और सम्मानजनक विकल्प पेश करता है।
विरोध और सामाजिक बहस
बता दें, 15 दिसंबर को बिहार में आयोजित नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में हिजाब खींचने की घटना ने देश में सामाजिक और राजनीतिक बहस छेड़ दी। विपक्षी दलों ने इसे संविधान और महिलाओं के अधिकारों पर हमला बताते हुए कड़ी आलोचना की। इस घटना के बाद डॉ. नुसरत काफी आहत होकर बिहार छोड़ कोलकाता चली गई थीं।
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