भाजपा को पढ़नी चाहिए बाबा साहेब की ये 22 प्रतिज्ञाएं

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बाबा साहेब अंबेडकर अपने समय के एक प्रसिद्ध राजनेता, समाज सुधारक और एक लोकप्रिय विचारधारक थे। बाबा साहेब अंबेडकर दलित जाति मे पैदा हुये थे, जिसके चलते उन्हे जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा था। छोटी उम्र से ही उन्हे समझ आ गया था कि हमारे समाज मे दलितो की दशा कितनी दयनीय है। उस समय हमारे समाज मे दलितो को इंसान होने के अधिकारो से भी वंचित रखा जाता था। जिसके चलते बाबा साहेब ने दलितो के हको के प्रति आवाज उठाई, हिन्दू धर्म की कुर्तियों को अपनाने से इंकार किया। दलितो को अपने हको के प्रति जागरूक किया। बाबा साहेब अपने समय के सबसे पढे लिखे व्यक्तियों मे से थे, उन्होने संविधान का भी निर्माण किया था। लेकिन इतने महान इंसान होने के बाद भी उन्हे जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा। जिसके चलते उन्होने कहा की हिन्दू धर्म मे जातिगत भेदभाव होने की वजह से वह हिन्दू पैदा तो हो गए लेकिन हिन्दू करेंगे नहीं, बाबा साहेब अंबेडकर ने अपने अंतिम दिनो मे बोध धर्म अपना लिया था ओर साथ ही अपने 22  प्रतिज्ञाएं भी लिखी थी, जो बोध धर्म अपने समय बाबा साहेब ने ली थी।

दोस्तो, क्या आप जानते है कि बाबा साहेब की वह 22  प्रतिज्ञाएं क्या थी ? और क्या वह 22 प्रतिज्ञाएं बीजेपी ने कभी पढ़ी है ? क्यों कि बीजेपी बातें और उनके काम मैच नहीं होते…. आज हम आपको बाबा साहेब की 22  प्रतिज्ञाएं के बारे मे बताएँगे।

और पढ़ें : जानिए क्यों अंबेडकर को शुरुआत में ब्राह्मण समझते थे गांधी  

क्या भाजपा ने बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञाएं पढ़ी है?

हमने कई बार बीजेपी के नेताओ से बाबा साहेब की विचारधारा के समर्थन मे बोलते सुना है। बीजेपी के नेताओ द्वारा कई बार कहा जाता है कि वह बाबा साहेब अंबेडकर को बहुत मानते है। लेकिन यह बातें उनके काम ने नहीं दिखती है। जैसे कुछ समय पहले बीजेपी ने बाबा साहेब के नाम को संविधान मे किए गए उन्हे हस्ताक्षर से ढूंढकर निकाला और कहा की सारे सरकारी कागजो पर अब से बाबा साहेब का पूरा नाम लिखा जाएगा। लेकिन आम तौर पर ऐसा नहीं होता है, तो बाबा साहेब के साथ ऐसा व्यवहार क्यों ?

खुद को बाबा साहेब की विचारधारा का बताने वाले बीजेपी नेता, बाबा साहेब द्वारा लिखा संविधान को  बदलने की बात करते है। बाबा साहेब अंबेडकर ने हिन्दू धर्म को छोड़ कर, बोध धर्म अपना लिया था। लेकिन बीजेपी के कुछ नेता खुद को कट्टर हिंदुवादी बताते है। ऐसे लोगो ने  क्या बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञाएं पढ़ी होंगी ? या बाबा साहेब के नाम पर बहुजनों का समर्थन चाहिए ?

कुछ लोगो का कहना है कि भाजपा ने जाति-आधारित भेदभाव और हिंसा से निपटने के लिए पर्याप्त काम नहीं किया है, जो भारत में कमजोर वर्ग को प्रभावित कर रहा है। उनका तर्क है कि पार्टी को इन मुद्दों के समाधान के लिए अधिक सक्रिय रुख अपनाना चाहिए।

बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञाएं

बाबा साहेब ने यह 22 प्रतिज्ञाएं हिन्दू धर्म मे जातिगत भेदभाव से परेशान होकर बोध धर्म अपना समय ली थी, अब हर बोध सभा मे इनकी प्रतिज्ञाएं ली जाती है।

  1. मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूंगा और न ही मैं उनकी पूजा करूंगा।
  2. मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूंगा और न ही मैं उनकी पूजा करूंगा।
  3. मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूंगा और न ही मैं उनकी पूजा करूंगा।
  4. मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करता हूं।
  5. मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे। मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूं।
  6. मैं श्रद्धा (श्राद्ध) में भाग नहीं लूंगा और न ही पिंड-दान दूंगा।
  7. मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन करने वाले तरीके से कार्य नहीं करूंगा।
  8. मैं ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह को स्वीकार नहीं करूंगा।
  9. मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता हूं।
  10. मैं समानता स्थापित करने का प्रयास करूंगा।
  11. मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुसरण करूंगा।
  12. मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित परमितों का पालन करूंगा।
  13. मैं सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और प्यार भरी दयालु रहूंगा तथा उनकी रक्षा करूंगा।
  14. मैं चोरी नहीं करूंगा।
  15. मैं झूठ नहीं बोलूंगा।
  16. मैं कामुक पापों को नहीं करूंगा।
  17. मैं शराब, ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन नहीं करूंगा।
  18. मैं महान आष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करूंगा एवं सहानुभूति और अपने दैनिक जीवन में दयालु रहने का अभ्यास करूंगा।
  19. मैं हिंदू धर्म का त्याग करता हूं जो मानवता के लिए हानिकारक है और उन्नति और मानवता के विकास में बाधक है क्योंकि यह असमानता पर आधारित है, और स्व-धर्मं के रूप में बौद्ध धर्म को अपनाता हूं।
  20. मैं दृढ़ता के साथ यह विश्वास करता हूं की बुद्ध का धम्म ही सच्चा धर्म है।
  21. मुझे विश्वास है कि मैं (इस धर्म परिवर्तन के द्वारा) फिर से जन्म ले रहा हूं।
  22. मैं गंभीरता एवं दृढ़ता के साथ घोषित करता हूं कि मैं इसके (धर्म परिवर्तन के) बाद अपने जीवन का बुद्ध के सिद्धांतों व शिक्षाओं एवं उनके धम्म के अनुसार मार्गदर्शन करूंगा।

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