भूपेंद्र सिंह को कभी थी संगीत से नफरत, जानें कैसे बने बॉलीवुड के मशहूर गायक, ये है पूरी कहानी

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बॉलीवुड के मशहूर गायक भूपेंद्र सिंह का सोमवार को निधन हो गया। गजल गायक ने 82 की उम्र में अंतिम सांस ली। फिल्म और संगीत की दुनिया में ये एक बड़ी क्षति है। भूपेंद्र सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे, जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। 

मिली जानकारी के मुताबिक भूप्रेंद्र सिंह कोरोना संक्रमित थे। जिसके चलते भूप्रेंद सिंह के पार्थिव शरीर का देर रात ही मुंबई के ओशिवरा श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया। वहीं भूप्रेंद सिंह की पत्नी मिताली सिंह ने बताया कि उनके पति बीते 9 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। और फिर दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। उनके चले जाने से इंडस्ट्री में शोक की लहर है। 

भूप्रेंद सिंह ने इंडस्ट्री को दिए बेहतरीन गाने 

लीजेंड सिंगर भूप्रेंद सिंह ने इंडस्ट्री को बेहतरीन गाने दिए। वे अपने गानों के जरिये लोगों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे। होके मजबूर मुझे उसने बुलाया होगा, दिल ढूंढता है फिर वही, नाम गुम जाएगा जैसे कई गजलें भूपेंद्र सिंह ने गाए। गजलों के प्रति लोगों को आकर्षित करने का सबसे बड़ा कारण भूपेंद्र सिंह खुद रहे। उनके गानों और गजलों की एक लंबी फहरिस्त है, जिसे लोग नम आंखो के साथ सुनना और फील करना  काफी ज्यादा पसंद करते है।

इन गजलों से मिली पहचान 

भूपेंद्र सिंह की गजलों में से ये सबसे ज्यादा मशहूर है, जिन्हें लोग आज भी बड़े चाव से सुनते है। हकीकत फिल्म से होके मजबूर मुझे उसने बुलाया होगा, ऐतबार से किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है, परिचय से बीती ना बिताये रैना और मौसम से दिल ढूंढता है जैसी तमाम गजले शामिल है। 

भूपेंद्र सिंह का जन्म 6 फरवरी 1940 को अमृतसर में हुआ था। उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा। हालांकि एक समय पर भूपेंद्र सिंह को संगीत से लगाव नहीं नफरत हुआ करती थी। लेकिन इसके बावजूद वो इतने बड़े गायक कैसे बने आइए बताते है।

इस वजह से उन्हें संगीत से हुई थी नफरत

भूपेंद्र सिंह को संगीत उनके पिता प्रो. नत्था सिंह ने सिखाया था। उनके पिता पंजाब के मशहूर संगीतकारों में से एक माने जाते थे। वो पंजाब के कॉलेज में संगीत के प्रोफेसर थे। इसके अलावा उनके पिता को गिटार सिखाने को लेकर भी सख्त माना जाता था। पिता के सख्त लहजे को देखते हुए भूपेंद्र सिंह को संगीत से नफरत हो गई थी। 

ऐसे खुला उनके लिए बॉलीवुड की गलियों का रास्ता

बॉलीवुड के गायक, गजल लेखक और गिटारिस्ट भूपेंद्र सिंह उस समय मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर मदन मोहन की नजरों में आए, जब वे अपने शुरूआती करियर में ऑल इंडिया रेडियो में बतौर गिटारिस्ट काम करते थे। एक बार ऑल इंडिया रेडियो में एक कार्यक्रम रख डिनर पार्टी का आयोजन किया गया, जहां सभी बड़े-बड़े लोग शामिल हुए। इस कार्यक्रम में संगीतकार मदन मोहन भी पहुंचे और उन्होंने भूपेंद्र सिंह को वहां गाते सुना। यही वो समय था जब भूपेंद्र सिंह के लिए बॉलीवुड का रास्ता खुला। भूपेंद्र सिंह के गाने से प्रभावित होकर मदन मोहन ने उन्हें मुबंई बुलाया और फिल्म हकीकत में मोहम्मद रफी के साथ ‘होके मजबूर मुझे उसने बुलाया होगा’ गाना गाने का मौका दिया। उनका ये गाना तो काफी पॉपुलर हुआ लेकिन भूपेंद्र सिंह को उतनी पहचान नहीं मिल पाई। 

भूपेंद्र सिंह को असली पहचान इस गाने से मिली

भूपेंद्र सिंह ने वैसे तो इसके बाद एक के बाद एक कई बड़े गाने गाए। लेकिन उन्हें असली पहचान फिल्म आखिरी खत के गीत से मिली। यही से भूपेंद्र सिंह की गायकी को और उन्हें खूब पहचान मिली। वहीं 1980 में भूपेंद्र सिंह ने बांग्लादेश की गायक मिताली मुखर्जी से शादी की। दोनों ने साथ में मिलकर कई गाने गाए और खूब सुर्खियां बटोरी। दोनों का एक बेटा भी है जिसका नाम निहाल है और वे भी एक गायक है। 

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