Aravalli Hills Controversy: राजस्थान की पहचान और दिल्ली-हरियाणा के पर्यावरण की रीढ़ मानी जाने वाली अरावली पहाड़ियों का अस्तित्व अब खतरे में नजर आ रहा है। अरावली पहाड़ियों ने सदियों से मैदानी इलाकों को रेगिस्तान बनने से बचाया है, लेकिन हालिया सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसका बड़ा हिस्सा अब कानूनी संरक्षण से बाहर हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और नई परिभाषा (Aravalli Hills Controversy)
20 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के टीएन गोवर्धन की पुरानी याचिका पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा को मंजूरी दी है। इसके अनुसार अब केवल वही पहाड़ियां अरावली मानी जाएंगी, जिनकी धरातल से ऊंचाई 100 मीटर या उससे अधिक है। इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि अरावली की अधिकांश पहाड़ियों का लगभग 90% हिस्सा अब कानूनी संरक्षण से बाहर हो गया है।
इस फैसले के बाद पर्यावरणविदों और विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है। उनका कहना है कि अगर अरावली के ये हिस्से हट गए तो इसका प्रभाव राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के पर्यावरण, जल, मौसम और अर्थव्यवस्था पर गंभीर होगा।
राजस्थान पर प्रभाव
अरावली की पहाड़ियों का हटना राजस्थान में रेगिस्तान के विस्तार को तेज करेगा। अरावली प्राकृतिक दीवार का काम करती हैं, जो रेगिस्तानी धूल और गर्म हवाओं को रोकती हैं। इनके हटने से जयपुर, अलवर, सीकर और दौसा जैसे जिलों में रिहायशी इलाके और खेती प्रभावित होगी।
भूजल का स्तर गिरने से जल-संकट बढ़ेगा और किसानों को अपनी खेती छोड़ने पर मजबूर होना पड़ सकता है। फसलें कम होंगी और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा।
हरियाणा पर असर
हरियाणा में भी अरावली का महत्व कम नहीं है। गुरुग्राम, नूंह, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिले अरावली क्षेत्र में आते हैं। पहाड़ियों के हटने से रेत भरी हवाएं चलेंगी, मिट्टी की नमी कम होगी और कृषि उत्पादन घटेगा। भूजल का स्तर गिरने से ट्यूबवेल सूख जाएंगे, गर्मी बढ़ेगी और हिटवेव जैसी आपदाएं आम होंगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि अरावली की कमी से हरियाणा का कृषि और जल संकट गहरा सकता है, जिससे ग्रामीण इलाकों में पलायन बढ़ सकता है।
दिल्ली पर संभावित प्रभाव
राजधानी दिल्ली भी अरावली पहाड़ियों के नुकसान से अछूती नहीं रहेगी। अरावली की पहाड़ियों के हटने से राजस्थान की धूल सीधे दिल्ली पहुंचेगी, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ेगा। गर्मियों में तापमान तेजी से बढ़ेगा और मानसून पर भी इसका असर दिखाई देगा। इससे श्वसन रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है।
पर्यावरणविदों की चेतावनी
विशेषज्ञों और पर्यावरण संगठनों का कहना है कि अरावली पहाड़ियों का संरक्षण सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि जल, हवा और जीवन रक्षा के लिए भी बेहद जरूरी है। अगर पहाड़ियों को हटने दिया गया तो न केवल राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के पर्यावरण पर असर पड़ेगा, बल्कि लोगों की जीवन शैली और स्वास्थ्य भी प्रभावित होंगे।
कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अरावली पहाड़ियों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, और अब सवाल यह है कि क्या राज्य सरकारें और केंद्र इस प्राकृतिक धरोहर की सुरक्षा के लिए तुरंत कदम उठाएंगे या नहीं।














