Who is CR Subramanian: देश में ऐसे कई बिजनेसमैन रहे हैं जिन्होंने बिल्कुल जीरो से शुरुआत कर अरबों की दुनिया खड़ी की। लेकिन कुछ कहानियां ऐसी भी हैं, जहां सफलता जितनी तेजी से मिली, उतनी ही तेजी से सब कुछ हाथ से निकल गया। भारतीय कारोबारी सीआर सुब्रमण्यम (CR Subramanian) की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़ाई करने वाले सुब्रमण्यम का नाम कभी देश के बड़े रिटेल उद्यमियों में लिया जाता था, लेकिन आज हालात यह हैं कि वह जेल में सजा काट रहे हैं और 1-1 रुपये के लिए मोहताज बताए जाते हैं।
छात्र जीवन से बड़े सपने- Who is CR Subramanian
सीआर सुब्रमण्यम शुरू से ही पढ़ाई में तेज थे। उन्होंने आईआईटी और आईआईएम से शिक्षा हासिल की और इंजीनियरिंग, बैंकिंग और बिजनेस सेक्टर में खुद को साबित किया। स्टूडेंट लाइफ में उन्होंने बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत भी की। शुरुआती दिनों में उनका करियर तेजी से आगे बढ़ा और उन्होंने एक सफल उद्यमी के रूप में पहचान बनानी शुरू कर दी।
1991 में रखी गई पहली नींव
साल 1991 में सुब्रमण्यम ने अपनी पहली कंपनी ‘विश्वप्रिया फाइनेंशियल सर्विसेज’ की शुरुआत की। यह एक NBFC थी, जो निवेशकों को बाजार से बेहतर रिटर्न देने का दावा करती थी। निवेशकों को लुभाने के लिए प्राइम इन्वेस्ट, एसेट बैक्ड सिक्योरिटी बॉन्ड, लिक्विड प्लस और सेफ्टी प्लस जैसी कई स्कीमें लॉन्च की गईं। बेहतर रिटर्न के वादे ने लोगों को आकर्षित किया और देखते ही देखते 587 निवेशकों ने 137 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश कर दिया।
सुभिक्षा: कम कीमत, ज्यादा बिक्री का मॉडल
1997 में सीआर सुब्रमण्यम ने चेन्नई से रिटेल चेन ‘सुभिक्षा’ की शुरुआत की। किराना सामान, फल-सब्जियां, दवाइयां और मोबाइल फोन बेचने वाली यह कंपनी महज एक मिलियन डॉलर की पूंजी से शुरू हुई थी। सुभिक्षा की रणनीति थी कम कीमत और ज्यादा बिक्री। यही मॉडल कंपनी की सबसे बड़ी ताकत बन गया।
छोटे शहरों तक पहुंच
सुभिक्षा ने सिर्फ मेट्रो शहरों पर फोकस नहीं किया, बल्कि छोटे शहरों और कस्बों तक अपनी पहुंच बनाई। यहां लोगों को सस्ती कीमत पर रोजमर्रा का सामान और दवाइयां मिलने लगीं। 1999 तक चेन्नई में सुभिक्षा के 14 स्टोर खुल चुके थे। साल 2000 में यह संख्या बढ़कर 50 हो गई।
तेजी से हुआ विस्तार
2006 तक सुभिक्षा के 420 स्टोर गुजरात, दिल्ली, मुंबई, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में फैल चुके थे। अक्टूबर 2008 तक देशभर में इसके 1,600 स्टोर हो गए। कंपनी देश की बड़ी रिटेल चेन में गिनी जाने लगी। इस दौर में सीआर सुब्रमण्यम की गिनती सफल और दूरदर्शी उद्यमियों में होती थी। अजीम प्रेमजी, ICICI वेंचर्स और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे बड़े निवेशकों का समर्थन भी उन्हें मिला।
निवेशकों का पैसा और बढ़ता जोखिम
सुभिक्षा के विस्तार के लिए सुब्रमण्यम ने विश्वप्रिया के जरिए निवेशकों से जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल किया। ब्रोकर्स के माध्यम से लोगों को 15 से 20 प्रतिशत तक रिटर्न का लालच दिया गया। कई निवेशकों को यह तक पता नहीं था कि उनका पैसा सुभिक्षा में लगाया जा रहा है। पुराने निवेशकों को नए निवेशकों के पैसों से भुगतान किया जाता रहा, जिससे भरोसा बना रहा।
2008 के बाद बिगड़ने लगे हालात
साल 2008 तक सब कुछ ठीक चलता दिख रहा था, लेकिन इसके बाद सुभिक्षा को नकदी संकट ने घेर लिया। कर्मचारियों की सैलरी और पीएफ का भुगतान रुक गया। सप्लायर्स का बकाया बढ़ता चला गया। आरोप है कि इस दौरान सुब्रमण्यम ने 80 से ज्यादा शेल कंपनियां बनाकर निवेशकों के पैसे को इधर-उधर डायवर्ट करना शुरू कर दिया।
कंपनी बंद और केस दर्ज
2009 में सुभिक्षा पूरी तरह बंद हो गई। साल 2015 में आर्थिक अपराध शाखा ने सीआर सुब्रमण्यम के खिलाफ केस दर्ज किया। जांच में सामने आया कि उन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा का 77 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं चुकाया। 2018 में प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया।
20 साल की सजा और भारी जुर्माना
20 नवंबर 2023 को चेन्नई की स्पेशल कोर्ट ने सीआर सुब्रमण्यम को निवेशकों से धोखाधड़ी का दोषी करार दिया। अदालत ने पाया कि 587 निवेशकों के 137 करोड़ रुपये से ज्यादा वापस नहीं किए गए। कोर्ट ने उन्हें 20 साल की सजा सुनाई। साथ ही 8.92 करोड़ रुपये का निजी जुर्माना और उनकी कंपनियों पर 191.98 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। इसमें से 180 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटाने के लिए रखे गए हैं।














