Banke Bihari Temple Trust Bill: उत्तर प्रदेश में श्री बांके बिहारी मंदिर से जुड़ा एक अहम फैसला अब पूरी तरह से लागू हो गया है। श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट बिल 2025 को विधानसभा और विधान परिषद से पास होने के बाद राज्यपाल की मंजूरी भी मिल गई है। इसके साथ ही यह विधेयक अब विधिवत कानून बन गया है। सोमवार को विधानसभा के प्रधान सचिव प्रदीप दुबे ने दोनों सदनों में इसकी औपचारिक जानकारी दी। कानून बनने के बाद अब श्रद्धालुओं और आम लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि इस नए कानून से क्या बदलाव देखने को मिलेंगे।
क्यों लाया गया नया कानून? (Banke Bihari Temple Trust Bill)
श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट कानून, 2025 लाने के पीछे सरकार का मकसद मंदिर की धार्मिक परंपराओं को सुरक्षित रखना, प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत करना और श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं देना है। इसके साथ ही मंदिर की चल-अचल संपत्ति और भक्तों द्वारा चढ़ाए जाने वाले चढ़ावे के सही और पारदर्शी प्रबंधन के लिए एक स्पष्ट कानूनी ढांचा तैयार किया गया है।
मंदिर की संपत्ति और चढ़ावे पर ट्रस्ट का नियंत्रण
नए कानून के तहत अब श्री बांके बिहारी मंदिर में मिलने वाला हर तरह का चढ़ावा, दान और सहयोग राशि ट्रस्ट के अंतर्गत आएगी। इसमें देवी-देवताओं को अर्पित भेंट, नकद दान, चेक, धार्मिक अनुष्ठानों से प्राप्त राशि और आभूषण शामिल होंगे। मंदिर को मिलने वाला हर प्रकार का दान और सहयोग मंदिर की संपत्ति माना जाएगा और उसका प्रबंधन ट्रस्ट के माध्यम से किया जाएगा।
18 सदस्यों वाला होगा ट्रस्ट
इस कानून के तहत एक न्यास यानी ट्रस्ट का गठन किया जाएगा, जिसमें कुल 18 सदस्य होंगे। इनमें 11 सदस्य मनोनीत किए जाएंगे, जबकि सात सदस्य पदेन होंगे। मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल तीन साल का तय किया गया है। ट्रस्ट मंदिर के प्रशासन, वित्तीय प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधाओं से जुड़े फैसले लेगा।
विधानमंडल में कैसे पास हुआ बिल?
श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट विधेयक, 2025 को विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान विधानसभा और विधान परिषद में पेश किया गया था। 13 और 14 अगस्त को इस पर विस्तार से चर्चा हुई, जिसके बाद इसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इसके बाद विधेयक को राज्यपाल के पास भेजा गया, जहां से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन गया।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी भी रही अहम
इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी भी काफी अहम मानी जा रही है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने श्री बांके बिहारी मंदिर में पैसे देकर विशेष दर्शन और देहरी पूजा की परंपरा पर कड़ी नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि इस तरह की व्यवस्था भगवान के शोषण जैसी है।
विशेष दर्शन पर उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट में मंदिर में दर्शन के समय और देहरी पूजा बंद करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने कहा था कि दोपहर 12 बजे के बाद मंदिर के कपाट बंद होने के बावजूद भगवान को एक मिनट का भी आराम नहीं मिलता। ज्यादा पैसे देने वालों को विशेष दर्शन की अनुमति मिल जाना पूरी तरह गलत है।
अब 7 जनवरी 2026 को होगी अगली सुनवाई
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर्ड कमेटी को नोटिस जारी किया था। इस मामले में अगली सुनवाई 7 जनवरी 2026 को होगी। माना जा रहा है कि नया कानून मंदिर की व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और श्रद्धालुओं के बीच समानता सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभा सकता है।














