Harish Rana passive euthanasia case: गाजियाबाद के रहने वाले 31 वर्षीय हरीश राणा के पैसिव यूथनेशिया (निष्क्रिय इच्छामृत्यु) से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। एम्स की मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि अब इस मामले में कुछ करना जरूरी हो गया है और किसी व्यक्ति को ऐसी हालत में लंबे समय तक जिंदा रखना सही नहीं है। इसी के साथ कोर्ट ने हरीश के माता-पिता को 13 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से मिलने के लिए बुलाया है।
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एम्स की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख (Harish Rana passive euthanasia case)
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन शामिल हैं, ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की ताजा मेडिकल रिपोर्ट पर गौर किया। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि हरीश के ठीक होने की संभावना लगभग शून्य है। इस रिपोर्ट को देखने के बाद बेंच ने कहा कि अब समय आ गया है कि इस मामले में निष्क्रिय इच्छामृत्यु को लेकर फैसला लिया जाए।
गाजियाबाद के हरीश राणा की कहानी सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि एक परिवार की 13 साल लंबी पीड़ा की दास्तान है। 31 वर्षीय हरीश वर्ष 2013 में एक भयावह हादसे के बाद से बिस्तर पर हैं। चौथी मंज़िल से गिरने के बाद वे तब से अब तक वेजिटेटिव स्टेट में जी रहे हैं ना बोल सकते हैं, ना किसी… pic.twitter.com/Px3DI2VyK2
— निर्मोही (@up_ka_l_adka) December 20, 2025
13 साल से वेजिटेटिव स्टेज में हैं हरीश राणा
हरीश राणा पिछले 13 वर्षों से बेहोशी की हालत में हैं और पूरी तरह बिस्तर पर निर्भर हैं। माता-पिता ने अपनी याचिका में बताया है कि लंबे समय तक बिस्तर पर पड़े रहने की वजह से उनके शरीर में कई घाव हो गए हैं। न तो उन्हें होश है और न ही किसी तरह की सामान्य प्रतिक्रिया।
पहले भी गंभीर हालत की पुष्टि कर चुकी है मेडिकल रिपोर्ट
एम्स की रिपोर्ट से पहले नोएडा जिला अस्पताल की प्राथमिक मेडिकल बोर्ड ने भी हरीश की स्थिति को बेहद दयनीय बताया था। रिपोर्ट के मुताबिक, हरीश के गले में सांस लेने के लिए ट्यूब लगी है और पेट में फीडिंग ट्यूब के जरिए उन्हें पोषण दिया जा रहा है। उनकी हालत में सुधार की कोई ठोस उम्मीद नहीं जताई गई थी।
फैसले से पहले माता-पिता से बात करना चाहता है कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि किसी भी अंतिम निर्णय से पहले वह हरीश के माता-पिता निर्मला राणा और अशोक राणा से व्यक्तिगत रूप से बातचीत करेगा। कोर्ट ने आदेश दिया है कि एम्स की मेडिकल रिपोर्ट अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और माता-पिता की ओर से पेश हो रहीं अधिवक्ता रश्मि नंदकुमार को भी उपलब्ध कराई जाए।
वकीलों से सुप्रीम कोर्ट की भावुक टिप्पणी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने वकीलों से कहा, “हम अब उस स्थिति में पहुंच गए हैं जहां अंतिम फैसला लेना जरूरी हो गया है। यह रिपोर्ट बेहद दुखद है और हमारे लिए भी यह फैसला आसान नहीं है, लेकिन हम इस लड़के को हमेशा इसी हालत में नहीं रख सकते।” कोर्ट ने सभी पक्षों से सहयोग की अपील भी की।
कैसे हुआ था हादसा, जिसने बदल दी हरीश की जिंदगी
खबरों की मानें तो, हरीश राणा 20 अगस्त 2013 को पंजाब यूनिवर्सिटी में बी-टेक की पढ़ाई कर रहे थे। उसी दौरान वह अपने पीजी आवास की चौथी मंजिल से गिर गए। हादसे में उनके सिर में गंभीर चोट आई। कई अस्पतालों में इलाज चला, लेकिन हालत में कोई खास सुधार नहीं हुआ और वह वेजिटेटिव स्टेज में चले गए। तब से अब तक वह इसी अवस्था में हैं।
क्या है पैसिव यूथनेशिया
बता दें, निष्क्रिय इच्छामृत्यु में मरीज को दिए जा रहे कृत्रिम जीवन रक्षक उपायों, जैसे वेंटिलेटर या फीडिंग सपोर्ट, को हटा लिया जाता है। इसके बाद मरीज की मृत्यु स्वाभाविक रूप से हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि ऐसा फैसला तभी लिया जाएगा जब प्राथमिक और द्वितीयक मेडिकल रिपोर्ट एक जैसी हों।














