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भोपाल के हॉस्टल से 26 लड़कियां हुई गायब, सरकार ने सौंपी थी ये जिम्मेदारी 

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक बड़ी खबर समाने आई है और ये खबर 26 लड़कियों के गायब होने की है. दरअसल, बाल आयोग ने भोपाल में एक चिल्ड्रन होम हॉस्टल में से 26 लड़कियों के गायब होने की जानकारी दी है और अब जिस  संस्था के पदाधिकारी एवं हॉस्टल के संचालक के खिलाफ परवलिया पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है. जिसके बाद अब इस मामले में जाँच की जा रही है.

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जानिए क्या है मामला 

जानकारी के अनुसार, जसी चिल्ड्रन होम हॉस्टल से 26 लड़कियां गायब हुई है वो आंचल मिशनरी संस्था द्वारा संचालित किया जाता है और यहॉस्टल भोपाल जिले की हुजुर्ग तहसील के फंदा ब्लॉक में स्थित तारा सेवनिया अथवा तराईसेवनिया गांव में है. वहीँ इस हॉस्टल में लड़कियों के गायब होने की जानकारी तब मिली जब शुक्रवार 5 जनवरी 2024 को मध्य प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों ने इस हॉस्टल का निरीक्षण किया. वहीं इस निरीक्षण के पता चला कि इस हॉस्टल में मध्य प्रदेश के सीहोर, रायसेन, छिंदवाड़ा एवं बालाघाट जिलों के अलावा गुजरात, राजस्थान और झारखंड राज्य की लड़कियां रहती हैं. हॉस्टल के रजिस्टर पर कुल 68 लड़कियों की एंट्री है लेकिन हॉस्टल में मात्र 41 लड़कियां ही उपस्थित मिली. इसी के साथ बाल आयोग में दावा किया है कि चिल्ड्रन होम के नाम से यह हॉस्टल बिना अनुमति के संचालित किया जा रहा था.

26 लड़कियों के गायब होने की नहीं मिली जानकारी 

वहीं बाल आयोग ने इस हॉस्टल को लेकर ये भी जानकारी दी कि इस संस्था को जर्मनी से फंडिंग होती है. हॉस्टल के संचालक का नाम श्री अनिल मैथ्यू है. वह स्वयं को सरकारी प्रतिनिधि बताते हैं, और जो अनाथ अथवा लावारिस बच्चे सड़कों से रेस्क्यू किए जाते हैं और उसके बाद उन्हें अपने हॉस्टल में ले जाते हैं. वहीं ये भी कहा गया है कि लड़कियों की उम्र 6 साल से 18 साल के बीच में है और 68 में से 40 लड़कियों को इस हॉस्टल में रहने के बदले हॉस्टल संचालक की मर्जी के अनुसार पूजा एवं प्रार्थना करनी पड़ती है.

वहीं जब गैरहाजिर बच्चियों के संबंध में हॉस्टल संचालक से पूछा गया तो उसने कोई जवाब नहीं दिया. इसी के साथ निरिक्षण किचन में मांस मिला साथ ही ये भी पता चला कि हॉस्टल में रहने वाली लड़कियों को धार्मिक स्वतंत्रता नहीं दी गई है बल्कि एक विशेष प्रकार की प्रार्थना करने के लिए बाध्य किया गया है. इसी के साथ हॉस्टल में कहीं भी सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं. रात में 2 महिलाओं‎ के अलावा 2 पुरुष गार्ड रहते हैं.‎ जबकि, बच्चियों की सुरक्षा के लिए सिर्फ महिला गार्ड ही होना चाहिए.

सरकार ने सौंपी थी ये जिम्मेदारी 

इसी के साथ प्रियंक कानूनगो ने इस मामले को लेकर बताया कि मप्र सरकार ने एक एनजीओ को चाइल्ड हेल्प लाइन पर आने वाली शिकायतों को सुनने और मुश्किल में फंसे बच्चों को रेस्क्यू करने का काम सौंप रखा है. एनजीओ संचालक ने भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र में आंचल नाम से हॉस्टल बनाया है. एनजीओ के कर्मचारियों ने चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 पर आए डिस्ट्रेस और मुश्किल में फंसे बच्चों के कॉल के आधार पर साल 2020 से रेस्क्यू शुरू किया. अब तक 43 बच्चियों को रेस्क्यू किया. वहीं प्रियंक कानूनगो का कहना है कि इस संस्था ने बच्चों को भोपाल की बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सामने पेश करने के बजाय सीधे हॉस्टल में रखा. नियमानुसार सीडब्ल्यूसी के सामने पेश कर, बालिका गृह में भेजा जाना था.

बाल आयोग ने सीएस को लिखा पत्र

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण ‎आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सीएस को लेटर में लिखा, ‘भोपाल के आंचल बालगृह का निरीक्षण किया गया. इस दौरान बालगृह के अधिकारियों एवं बालगृह में मौजूद बच्चों से बातचीत की. इसमें पता चला कि बालगृह न तो पंजीकृत है और न ही मान्यता प्राप्त है. संलग्न सूची में 68 निवासरत बच्चियां दर्ज थीं. निरीक्षण के दौरान 41 बच्चियां ही मिलीं. सभी बच्चियां बाल कल्याण समिति के आदेश के बिना रह रही हैं. बालगृह के अधिकारियों द्वारा बताया गया कि बच्चों को चाइल्ड इन स्ट्रीट सिचुऐशन से रेस्क्यू कर बिना बाल कल्याण समिति में प्रस्तुत किए यहां रखा जा रहा है. यह बालगृह पूर्व में रेलवे चाइल्ड लाइन चलाने वाली संस्था संचालित कर रही है.

अवैध तरीके से किया जा रहा इस हॉस्टल का संचालन

इसी के साथ इस मामले की जाँच कर रहे एसपी प्रमोद कुमार सिन्हा ने बताया कि चाइल्ड वेलफेयर समिति में बच्चियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं. उनके बयानों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. अब तक की जांच में बच्चियों के साथ किसी प्रकार की यौन उत्पीड़न, मारपीट संबंधी बात सामने नहीं आई है. सभी पहलुओं पर मामले की जांच की जा रही है. आंचल चिल्ड्रन होम का संचालन अवैध तरीके से किया जा रहा था. इसी आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है.

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