17 December 2023 : आज की मुरली के ये हैं मुख्य विचार

Table of Content

17 December ki Murli in Hindi – प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में रोजाना मुरली ध्यान से आध्यात्मिक संदेश दिया जाता है और यह एक आध्यात्मिक सन्देश है. वहीं इस पोस्ट के जरिये हम आपको 17 दिसम्बर 2023 (17 December ki Murli) में दिये सन्देश की जानकारी देने जा रहें हैं.

शिव जयन्ती की गिफ्ट – मेहनत को छोड़ मुहब्बत के झूले में झूलो

आज स्वयं शिव पिता अपने चारों ओर के आये हुए बच्चों से अपनी जयन्ति मनाने आये हैं। कितना बच्चों का भाग्य है जो स्वयं बाप मिलने और मनाने आये हैं। दुनिया वाले तो पुकारते रहते हैं – आओ, कब आयेंगे, किस रूप में आयेंगे, आह्वान करते रहते हैं और आप बच्चों से स्वयं बाप मनाने के लिए आये हैं। ऐसा विचित्र दृश्य कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा, लेकिन आज साकार रूप में मनाने के लिए भाग-भाग कर पहुंच गये हो। बाप भी चारों ओर के बच्चों को देख हर्षित होते हैं – वाह शालिग्राम बच्चे वाह! वाह साकार स्वरूपधारी होवनहार फरिश्ता सो देवता बच्चे वाह! भक्त बच्चों और आप ज्ञानी तू आत्मा बच्चों में कितना अन्तर है। भगत भावना का, अल्पकाल का फल पाकर खुश हो जाते हैं। 17 December ki Murliवाह-वाह के गीत गाते रहते हैं और आप ज्ञानी तू आत्मायें बच्चे थोड़ा सा अल्पकाल का फल नहीं पाते लेकिन बाप से पूरा वर्सा ले, वर्से के अधिकारी बन जाते हो। तो भक्त आत्मायें और ज्ञानी तू आत्मा बच्चों में कितना अन्तर है! मनाते भक्त भी हैं और मनाने आप भी आये हैं लेकिन मनाने में कितना अन्तर है! शिव जयन्ती मनाने आये हो ना! भाग-भाग कर आये हैं कोई अमेरिका से, कोई लण्डन से, कोई आस्ट्रेलिया से, कोई एशिया से, कितना स्नेह से आकर पहुंचे हैं। तो बापदादा, बाप की जयन्ती साथ में बच्चों की भी जयन्ती है, तो बाप के साथ बच्चों के भी जयन्ती की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो क्योंकि अकेला बाप इस साकार दुनिया में सिवाए बच्चों के कोई भी कार्य कर नहीं सकता। इतना बच्चों से प्यार है। अकेला कर ही नहीं सकता। पहले बच्चों को निमित्त बनाते फिर बैकबोन होकर वा कम्बाइन्ड होकर, करावनहार होकर निमित्त बच्चों से कार्य कराते हैं। साकार दुनिया में अकेला, बच्चों के बिना नहीं पसन्द करता। निराकारी दुनिया में तो आप बच्चे बाप को अकेला छोड़कर चले जाते हो। बाप की आज्ञा से ही जाते हो लेकिन साकार दुनिया में बाप बच्चों के बिना रह नहीं सकते। बच्चे जरूर साथ चाहिए। बच्चों का भी वायदा है साथ रहेंगे, साथ चलेंगे – सिर्फ निराकारी दुनिया तक।

बापदादा देख रहे थे कि सभी बच्चों को बाप की जयन्ती मनाने का कितना उमंग-उत्साह है। तो बाप भी देखो बच्चों के स्नेह में आपके साथ साकार शरीर का लोन लेकर पहुंच गये हैं। इसको कहते हैं अलौकिक प्यार। बच्चे बाप के बिना नहीं रह सकते और बाप बच्चों के बिना नहीं रह सकते। 17 December ki Murli प्यार भी अति है और फिर न्यारे भी अति हैं, इसीलिए बाप की महिमा ही है न्यारा और प्यारा। बच्चे बाप के लिए बहुत प्रकार की गिफ्ट चाहे कार्ड, चाहे कोई चीज़ें, चाहे दिल के उमंग के पत्र, जो भी लाये हैं बाप के पास आज के दिन वतन में सब गिफ्ट का म्यूजियम लगा हुआ है। आपका म्यूजियम है सेवा का और बाप का म्यूजियम है स्नेह का। तो जो भी सभी लाये हैं वा भेजे हैं सबका स्नेह सम्पन्न गिफ्ट बाप के पास अभी भी म्यूजियम लगा हुआ है। जिन्हों को देख-देख बाप हर्षाते रहते हैं। चीज़ बड़ी नहीं है लेकिन जब चीज़ में स्नेह भर जाता है तो वह छोटी चीज़ भी बहुत महान बन जाती है। तो बापदादा चीज को नहीं देखते हैं, 17 December ki Murli कागज के कार्ड को या पत्र को नहीं देखते हैं लेकिन उसमें समाये हुए दिल के स्नेह को देखते हैं, इसीलिए कहा कि बाप के पास स्नेह का म्यूजियम है। ऐसा म्यूजियम आपके वर्ल्ड में नहीं है। है ऐसा म्यूजियम? नहीं है। जब बाप एक-एक प्यार की गिफ्ट को देखते हैं तो देखते ही बच्चे की सूरत उसमें दिखाई देती है। ऐसा कैमरा है आपके पास? नहीं है। गिफ्ट को देखते हुए बापदादा को एक शुभ संकल्प उठा, बतायें? करना पड़ेगा। करेंगे, तैयार हैं? सोचना नहीं।

बापदादा को संकल्प उठा यह गिफ्ट तो बाप के पास पहुंच गई लेकिन साथ में बापदादा को एक और भी गिफ्ट चाहिए। आप लोगों की गिफ्ट बहुत अच्छी है लेकिन बापदादा को और भी चाहिए। तो देंगे गिफ्ट? वैसे भी यह जो यादगार मनाते हैं, शिव जयन्ती अर्थात् कुछ न कुछ अर्पण करते हैं। बलिहार जाते हैं। तो बापदादा ने सोचा, बलिहार तो सब बच्चे गये हैं। बलिहार हो गये हैं या अभी थोड़ा-थोड़ा अपने पास सम्भालकर रखा है? आज के दिन व्रत भी लेते हैं। तो बापदादा को संकल्प आया कि बच्चे जो कभी-कभी थोड़ा सा चलते-चलते थक जाते हैं, मेहनत बहुत महसूस करते हैं या निरन्तर योग लगाना मुश्किल अनुभव करते हैं, सोचते हैं हो तो जायेगा… 17 December ki Murli बाप को दिलासे देते हैं – आप फिकर नहीं करो, हो जायेगा। लेकिन बापदादा को बच्चों की थकावट वा अकेलापन या कभी-कभी, कोई-कोई थोड़ा सा दिलशिकस्त भी हो जाते हैं, पता नहीं हमारा भाग्य है या नहीं है… कभी-कभी ऐसा सोचते हैं तो यह बाप को अच्छा नहीं लगता। सबसे ज्यादा बाप को बच्चों की मेहनत अच्छी नहीं लगती। मालिक और मेहनत! बाप के भी बालक सो मालिक हैं। भगवान के भी मालिक और फिर मेहनत करें! तो अच्छा लगेगा? सुनना भी अच्छा नहीं लगता। तो बाप को संकल्प आया कि बच्चे बर्थ डे की गिफ्ट तो जरूर देते ही हैं तो क्यों नहीं आज के दिन सभी बच्चे यह गिफ्ट के रूप में दें। वह स्थूल गिफ्ट जो दी वह तो वतन में इमर्ज हो गई, लेकिन निराकारी दुनिया में तो यह गिफ्ट इमर्ज नहीं होगी। वहाँ तो संकल्प की गिफ्ट पहुंचती है। तो बाप को संकल्प आया कि आज के दिन सब बच्चों से गिफ्ट लेनी है। तो गिफ्ट देंगे या देकर फिर वहाँ जाकर वापस ले लेंगे? कहेंगे, मधुबन का मधुबन में रहा और अपने देश में अपना देश है, ऐसे तो नहीं करेंगे? बच्चे बड़े चतुर हो गये हैं। बाप को कहते हैं कि हम चाहते तो नहीं हैं वापस आये, लेकिन आ जाती है। आ जाती है तो आप स्वीकार क्यों करते हो? आ जाती है यह राइट है, लेकिन कोई चीज़ आपको पसन्द नहीं है और कोई जबरदस्ती भी दे तो आप लेंगे या वापस दे देंगे? वापस देंगे ना? तो स्वीकार क्यों करते हो? माया तो वापस लायेगी लेकिन आप स्वीकार नहीं करो। ऐसी हिम्मत है? सोचकर कहो। फिर वहाँ जाकर नहीं कहना – बाबा क्या करूँ, चाहते नहीं हैं लेकिन हो गया। 17 December ki Murli ऐसे पत्र तो नहीं लिखेंगे? आपकी हिम्मत और बाप की मदद। हिम्मत कम नहीं करना फिर देखो बाप की मदद मिलती है या नहीं। सभी को अनुभव भी है कि हिम्मत रखने से बाप की मदद समय पर मिलती है और मिलनी ही है, गैरन्टी है। हिम्मत आपकी मदद बाप की। तो संकल्प क्या हुआ? चेहरे देख रहे हैं – हिम्मत है या नहीं है! हिम्मत वाले तो हो, क्योंकि अगर हिम्मत नहीं होती तो बाप के बनते नहीं। बन गये – इससे सिद्ध होता है कि हिम्मत है। सिर्फ छोटी सी बात करते हो कि समय पर हिम्मत को थोड़ा सा भूल जाते हो। जब कुछ हो जाता है ना तो पीछे हिम्मत वा मदद याद आती है। समय पर सब शक्तियां, समय प्रमाण यूज करना इसको कहा जाता है ज्ञानी तू आत्मा, योगी तू आत्मा।

बापदादा को एक बात की बहुत खुशी है, पता है किस बात की? बोलो। (बहुतों ने सुनाया) सब ठीक बोल रहे हो लेकिन बाप का संकल्प और है। आप बहुत गुह्य सुना रहे हो, नॉलेजफुल हो गये हो ना।

बापदादा खुश हो रहे थे कि कई बच्चों ने पत्र और चिटकी लिखी है कि हम 108 में आयेंगे, बहुत चिटकियां आई हैं। बापदादा ने सोचा जब इतने 108 में आयेंगे, तो 108 की माला पांच लड़ियों की बनानी पड़ेगी। तो 5-6-7-8 लड़ियों की माला बनायें ना? जिन्होंने संकल्प किया है, लक्ष्य रखा है बहुत अच्छा है। लेकिन सिर्फ इस संकल्प को बीच-बीच में दृढ़ करते रहना। ढीला नहीं करना। ऐसे तो नहीं कहेंगे माया आ गई – अब पता नहीं आयेंगे या नहीं! पता नहीं, पता नहीं… नहीं करना। पता कर लिया, आना ही है। दृढ़ता का ठप्पा लगाते रहना। हाँ मुझे आना ही है, कुछ भी हो जाए, मेरा निश्चय अटल है, अखण्ड है। ऐसा अटल-अखण्ड निश्चय है? तो माया को हिलाने के लिए भेजें? नहीं? डरते हो? माया आपसे डरती है और आप माया से डरते हो? माया अपने दरवाजे देखती है, यहाँ खुला हुआ है, यहाँ खुला हुआ है। ढूँढती रहती है। आप घबराते क्यों हो? माया कुछ नहीं है। कुछ नहीं कहो तो कुछ नहीं हो जायेगी। 17 December ki Murli आ नहीं सकती, आ नहीं सकती, तो आ नहीं सकती। क्या करें….? तो माया का दरवाजा खोला, आह्वान किया। तो अच्छी बात है कि बहुत बच्चों ने 108 में आने की प्रामिस किया है। किया है ना? जिन्होंने कहा है कि हम 108 में आयेंगे – वह लम्बा हाथ उठाओ। अच्छी तरह से ड्रिल करो। बहुत अच्छा, मुबारक हो। यह नहीं सोचो कि 108 में कितने आयेंगे, हम कहाँ आयेंगे – यह नहीं सोचो। पहले गिनती करने लग जाते हैं – दादी आयेंगी, दीदी आयेंगी, फिर दादे भी आयेंगे, एडवांस पार्टी वाले भी आयेंगे। हमारा नम्बर आयेगा या नहीं, पता नहीं! बापदादा ने कहा कि बापदादा 8-10 लड़ों की माला बना देंगे, इसलिए आप यह चिंता नहीं करो। औरों को नहीं देखो, आपको नम्बर मिल ही जाना है, यह बाप की गैरन्टी है। आप किनारा नहीं करना। माला के बीच में धागा खाली नहीं करना। एक दाना बीच से टूट जाए, निकल जाए तो माला अच्छी नहीं लगेगी। सिर्फ यह नहीं करना, बाकी बाबा की गैरन्टी है आप जरूर आयेंगे।

आज तो मनाने आये हैं, मुरली चलाने थोड़ेही आये हैं। तो और जो भी हो वह माला में आ जाओ, 108 की माला में सबको वेलकम है। यह तो भक्ति मार्ग वालों ने 108 की माला बना ली। 17 December ki Murliबापदादा तो कितनी भी बढ़ा सकता है। सिर्फ इसमें गिफ्ट तो बाप जरूर लेगा, गिफ्ट को नहीं छोड़ेगा। छोटी सी गिफ्ट है कोई बड़ी नहीं है, क्योंकि बाप ने सभी बच्चों का 6 मास का चार्ट देखा। तो क्या देखा? अगर कोई भी बच्चे थोड़ा भी नीचे-ऊपर होते हैं, अचल से हलचल में आते हैं तो उसका कारण सिर्फ 3 बातें मुख्य हैं, वही तीन बातें भिन्न-भिन्न समस्या या परिस्थिति बनकर आती हैं। वह तीन बातें क्या हैं?

अशुभ वा व्यर्थ सोचना। अशुभ वा व्यर्थ बोलना और अशुभ वा व्यर्थ करना। सोचना, बोलना और करना – इसमें टाइम वेस्ट बहुत होता है। अभी विकर्म कम होते हैं, व्यर्थ ज्यादा होते हैं। व्यर्थ का तूफान हिला देता है और पहले सोच में आता है, फिर बोल में आता है, फिर कर्म में आता है और रिजल्ट में देखा तो किसी का बोल और कर्म में नहीं आता है लेकिन सोचने में बहुत आता है। जो समय बनाने का है, वह सोचने में बीत जाता है। तो बापदादा आज यह तीन बातें सोचना, बोलना और करना – इनकी गिफ्ट सभी से लेने चाहते हैं। तैयार हैं? जिन्होंने दे दी वह हाथ उठाओ। हाथ का वीडियो अच्छी तरह से एक-एक साइड का निकालो। बड़ा हाथ उठाओ। ड्रिल नहीं करते हो इसीलिए मोटे हो जाते हो। अच्छा, सभी ने यह दे दिया। वापस नहीं लेना। यह नहीं कहना कि मुख से निकल गया, क्या करें? मुख पर दृढ़ संकल्प का बटन लगा दो। दृढ़ संकल्प का बटन तो है ना? क्योंकि बापदादा को 17 December ki Murliबच्चों से प्यार है ना। तो प्यार की निशानी है, प्यार वाले की मेहनत देख नहीं सकते। बापदादा तो उस समय यही सोचते कि बापदादा साकार में जाकर इनको कुछ बोले, लेकिन अब तो आकारी, निराकारी है। बिल्कुल सभी मेहनत से दूर मुहब्बत के झूले में झूलते रहो। जब मुहब्बत के झूले में झूलते रहेंगे तो मेहनत समाप्त हो जायेगी। मेहनत को खत्म करें, खत्म करें नहीं सोचो। सिर्फ मुहब्बत के झूले में बैठ जाओ, मेहनत आपेही छूट जायेगी। छोड़ने की कोशिश नहीं करो, बैठने की, झूलने की कोशिश करो।

शिव जयन्ती अर्थात् बच्चों के मेहनत समाप्त की जयन्ती। ठीक है ना? बाप को भी बच्चों पर फेथ है। पता नहीं कैसे कोई-कोई किनारा कर लेते हैं जो बाप को भी पता नहीं पड़ता। छत्रछाया के अन्दर बैठे रहो। ब्राह्मण जीवन का अर्थ ही है झूलना, माया में नहीं। माया भी झुलाती है। अमृतवेले देखो माया ऐसे झुलाती है जो सूक्ष्मवतन में आने के बजाए, निराकारी दुनिया में आने के बजाए निद्रालोक में चले जाते हैं। कहते हैं योग डबल लाइट बनाता है लेकिन माथा भारी हो जाता है। तो माया भी झूला झुलाती है लेकिन माया के झूले में नहीं झूलना। आधाकल्प तो माया के झूले में खूब झूलकर देखा है ना। क्या मिला? मिला कुछ? थक गये ना! अभी अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलो, खुशी के झूले में झूलो। शक्तियों की अनुभूतियों के झूले में झूलो। इतने झूले आपको मिले हैं जो यहाँ के प्रिन्स-प्रिन्सेज को भी नहीं होंगे।17 December ki Murli चाहे जिस झूले में झूलो। अभी प्रेम के झूले में झूलो, अभी आनंद के झूले में झूलो। अभी ज्ञान के झूले में झूलो। कितने झूले हैं! अनगिनत। तो झूले से उतरो नहीं। जो लाडले होते हैं ना तो मां-बाप यही चाहते हैं कि बच्चे का पांव मिट्ठी में नहीं पड़े या गोदी में हो या झूले में हो या गलीचों में हो। मिट्टी में पांव नहीं जाये। ऐसे होता है ना? तो आप कितने लाडले हो! आप जैसा लाडला कोई है? परमात्म लाडले बच्चे अगर देहभान में आते हैं तो देह क्या है? मिट्टी है ना! देह को क्या कहते हैं? मिट्टी, मिट्टी में मिल जायेगी। तो यह मिट्टी है ना। मिट्टी में पांव क्यों रखते हो? मिट्टी अच्छी लगती है? कई बच्चों को मिट्टी अच्छी लगती है, कई मिट्टी खाते भी हैं। लेकिन आप नहीं खाना, पांव भी नहीं रखो। संकल्प आना अर्थात् पांव रखना। संकल्प में भी देह-भान नहीं आवे। सोचो, याद रखो कि हम कितने लाडले हैं, किसके लाडले हैं! सतयुग में भी परमात्म लाडले नहीं होंगे। दिव्य आत्माओं के लाडले होंगे। लेकिन इस समय परमात्म बाप के लाडले हो। तो बच्चों ने हिम्मत के हाथ से गिफ्ट दी इसलिए बापदादा उसकी थैंक्स करते हैं, शुक्रिया, धन्यवाद। अच्छा।

चारों ओर के अति-अति भाग्यवान बच्चे जो स्वयं शिव बाप से शिवजयन्ती मना रहे हैं, ऐसे पदमगुणा तो क्या लेकिन जितना भी ज्यादा में ज्यादा कहो वह भी थोड़ा है। ऐसे महान भाग्यवान आत्मायें, सदा बाप की आज्ञा पर हर कदम रखने वाले बाप के स्नेही और समीप आत्मायें, सदा मालिकपन के अचल आसन निवासी सो भविष्य सिंहासन निवासी श्रेष्ठ आत्माओं को, सदा बाप के साथ-साथ मौज से मुहब्बत के झूले में झूलते हुए साथ चलने वाले ऐसे बापदादा के साथी बच्चों को बापदादा का बर्थ डे की मुबारक और यादप्यार स्वीकार हो, बाप का सभी मालिकों को नमस्ते।

वरदान:-

17 December ki Murli ब्राह्मण जीवन में सदा मेहनत से मुक्त रहने वाले सर्व प्राप्ति सम्पन्न भव

इस ब्राह्मण जीवन में दाता, विधाता और वरदाता – तीनों संबंध से इतने सम्पन्न बन जाते हो जो बिना मेहनत रूहानी मौज में रह सकते हो। बाप को दाता के रूप में याद करो तो रूहानी अधिकारीपन का नशा रहेगा। शिक्षक के रूप में याद करो तो गॉडली स्टूडेन्ट हूँ, इस भाग्य का नशा रहेगा और सतगुरू हर कदम में वरदानों से चला रहा है। हर कर्म में श्रेष्ठ मत-वरदाता का वरदान है। ऐसे सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न रहो तो मेहनत से मुक्त हो जायेंगे।

स्लोगन:-बुद्धि का हल्कापन व महीनता ही सबसे सुन्दर पर्सनालिटी है।

 

 

Also Read- बागेश्वर महाराज के प्रवचन: लाभ किसमें है? अमृत या भागवत, बाबा जी ने बता दिया उपाय. 

vickynedrick@gmail.com

vickynedrick@gmail.com https://nedricknews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

Trending News

Editor's Picks

Is AI Replacing Tech Jobs? Exploring the Impact of Artificial Intelligence on the Workforce

  Introduction: The Rise of AI in Technology Artificial Intelligence (AI) has emerged as a transformative force within the technology sector, fundamentally altering how businesses operate and innovate. Over recent years, we have witnessed a remarkable surge in AI applications, ranging from machine learning algorithms to natural language processing systems, that are now integral components...

UP BJP New President: यूपी भाजपा को मिला नया चेहरा, संगठन की कमान अब पंकज चौधरी के हाथ

UP BJP New President: उत्तर प्रदेश भाजपा को आखिरकार नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। शनिवार को एकमात्र नामांकन होने के बाद जिस नाम पर पहले ही सहमति बन चुकी थी, उस पर रविवार को औपचारिक ऐलान कर दिया गया। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय परिसर स्थित सभागार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यवेक्षकों...

Kanpur News: एक जैसे चेहरे ही नहीं, फिंगरप्रिंट भी सेम! कानपुर का अनोखा मामला, विज्ञान हैरान

Kanpur News: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से एक ऐसा हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसने आम लोगों के साथ-साथ विज्ञान के जानकारों को भी सोच में डाल दिया है। विज्ञान अब तक यही मानता आया है कि दुनिया में किसी भी दो इंसानों के फिंगरप्रिंट और आंखों की रेटिना एक जैसी नहीं...

राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार Dr Ramvilas Das Vedanti का निधन, अयोध्या और संत समाज में शोक की लहर

Dr Ramvilas Das Vedanti: राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता और अयोध्या से पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार सुबह मध्य प्रदेश के रीवा में निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। जानकारी के अनुसार, वे 10 दिसंबर को दिल्ली से रीवा पहुंचे थे, जहां उनकी रामकथा चल रही थी। इसी दौरान...

Bhim Janmabhoomi dispute: रात में हमला, दिन में फाइलें गायब! भीम जन्मभूमि विवाद ने लिया खतरनाक मोड़

Bhim Janmabhoomi dispute: महू स्थित संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मभूमि से जुड़ा राष्ट्रीय स्मारक एक बार फिर बड़े विवाद के केंद्र में है। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मेमोरियल सोसायटी, महू में कथित तौर पर हुई गंभीर वित्तीय अनियमितताओं, फर्जीवाड़े और सत्ता हथियाने के आरोपों ने इस ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय महत्व के स्मारक की गरिमा...

Must Read

©2025- All Right Reserved. Designed and Developed by  Marketing Sheds