दिल्ली: यमुना स्पोर्ट्स कंपलेक्स के अधिकारियों पर महिला गार्ड ने लगाया छेड़खानी का आरोप, DCP को लिखा पत्र

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देश में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की बात करने वाले नेता या लोग आये दिन टीवी चैनल्स, सोशल मीडिया या फिर कहीं भी देखने को मिल जाते हैं। उनकी बातों को सुनकर तो ऐसा प्रतित होता है कि उनकी चले तो चुटकी में महिलाओं को ऊपर उठा दें, उन्हें बराबरी का दर्जा दे दें, उन्हें सुरक्षित फील करा दें। 

लेकिन हमारे समाज में बैठे उन गिद्धों का क्या…जिनकी बेहूदा नजरें आये दिन महिलाओं को ताड़ती रहती है और वे उन्हें अपने चंगुल में फंसाने के लिए तरकीब बुनते रहते हैं। इसी बीच दिल्ली के मशहूर यमुना स्पोर्ट्स कंपलेक्स (Yamuna Sports Complex) से ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसने एक बार फिर से महिलाओं की स्वतंत्रता, उनके स्वावलंबी बनने की सोच और उनकी सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पीड़ित महिला ने डीसीपी से की शिकायत

दिल्ली के बहुप्रतिष्ठित यमुना स्पोर्ट्स कंपलेक्स (Yamuna Sports Complex) में बतौर सुरक्षा गार्ड काम कर चुकी एक महिला ने यमुना स्पोर्ट्स कंपलेक्स के सचिव नवाब सिंह और ठेकेदार राजकुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला का कहना है कि पहले उसे नौकरी से निकाला गया, जिसके बाद उससे बदतमीजी की गई, गाली दी गई…कई तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया उसे मॉलेस्ट किया गया। जब पीड़िता ने विरोध किया तो यमुना स्पोर्ट्स कंपलेक्स में उसकी एंट्री बंद कर दी गई। 

जिसके बाद पीड़िता ने राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन सचिव आर के नागर का दरवाजा खटखटाया और अपनी आपबीती सुनाई। पीड़िता ने मजदूर कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव को लिखित रुप में शिकायत दे दी। जिसके बाद आर के नागर ने अपनी संस्था के द्वारा इस मुद्दे को उठाया। पीड़िता के साथ हुई बदतमीजी की शिकायत भी यमुना स्पोर्ट्स कंपलेक्स के अधिकारी और सरकार से की गई।

पीड़िता के मुताबिक इस घटना के बाद आरोपियों ने पीड़िता के नाम से फर्जी ई-मेल आइडी बनाया। जिसका इस्तेमाल कर आरोपियों ने आर के नागर और उनकी संस्था के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की। पीड़िता ने DCP को लिखे पत्र में इन सारी बातों का जिक्र किया है। साथ ही आरोपियों के खिलाफ जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।

ड्यूटी रोस्टर का बहाना देकर जॉब से निकाल दिया

बता दें, पीड़िता यमुना स्पोर्ट्स कंपलेक्स में काफी लंबे समय से काम कर रही थी। लॉकडाउन से ठीक पहले ठेकेदार ने उसे ड्यूटी रोस्टर बनाने का बहाना देकर 10 दिनों के लिए काम पर नहीं आने को कहा। पीड़िता के मुताबिक ठेकेदार ने कहा कि ड्यूटी रोस्टर पूरा होते ही उन्हें काम पर बुला लिया जाएगा। लेकिन उसे वापस नौकरी पर नहीं लिया गया। पीड़िता स्पोर्ट्स कंपलेक्स का चक्कर काटती रही लेकिन उसे नौकरी पर नहीं रखा गया। 

जब उसने ठेकेदार राजकुमार और स्पोर्ट्स कंपलेक्स के सचिव नवाब सिंह से ड्यूटी के संबंध में शिकायत किया तो पीड़िता को नौकरी देने की बजाय उल्टी सीधी हरकते की, बदतमीजी की और धमकी देते हुए कहा कि जो करना है कर लो, जिससे शिकायत करनी है कर लो…हमारी ऊपर तक पहुंच है। हम आपको नौकरी नहीं देंगे। जिसके बाद ये सारी घटनाएं सामने आई हैं।  

ESI हॉस्पिटल से भी छुड़ा दी नौकरी

यमुना स्पोर्ट्स कंपलेक्स से नौकरी से निकाले जाने के बाद पीड़िता ESI हॉस्पिटल में काम कर रही थी। एक दिन मेन रोड पर ठेकेदार राजकुमार की नजर पीड़िता पर पड़ी। राजकुमार ने पीड़िता से बाहर घूमने का कारण पूछा तो पीड़िता ने जॉब तलाश करने की बात कही। तब ठेकेदार ने कहा कि अपनी कंप्लेन वापस ले लो, जॉब तुम्हें मिल जाएगी। 

जिसके बाद राजकुमार पीड़िता को अपने साथ चलने को कहा। वह पीड़िता को यमुना स्पोर्ट्स कंपलेक्स के स्विमिंग पूल की ओर ले गया। जहां रुम में पहले से ही यमुना स्पोर्ट्स कंपलेक्स के सचिव नवाब सिंह बैठे हुए थे। पीड़िता के बयान के मुताबिक नवाब सिंह ने उसके सामने ही अपनी पैंट उतार दी तो वहीं ठेकेदार राजकुमार ने लड़की की छाती पर हाथ मारा, उसके साथ छेड़खानी की, बदतमीजी की। 

लड़की जैसे-तैसे अपनी जान बचाकर भाग निकली। इस घटना के बाद कई दिनों पीड़िता की तबीयत भी खराब रही। वहीं, आरोपों के मुताबिक दूसरी ओर ठेकेदार राजकुमार और उसके लोगों ने ESI हॉस्पिटल में काम कर रही पीड़िता की नौकरी भी छुड़वा दी।

इससे पहले भी शिकायत दर्ज करा चुकी है पीड़िता

पीड़िता ने इससे पहले भी दो केस दर्ज कराए थे। पहली शिकायत में पीड़िता ने अपने प्राइवेट फोटोज लीक होने को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। वहीं, फेक ई-मेल आईडी बनाकर भारतीय मजदूर कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन सचिव आर के नागर और उनकी संस्था के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने को लेकर दूसरी शिकायत दर्ज कराई गई है। 

पीड़िता का आरोप है कि प्राइवेट फोटोज लीक होने की शिकायत कराए जाने के बाद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। दूसरे मामले में भी पुलिस की ओर से कोई खास एक्शन नहीं लिया जा रहा था, जिसके बाद पीड़िता ने राष्ट्रीय महिला आयोग दिल्ली को इस मामले में पत्र लिखा। फिर महिला आयोग ने एक्शन लिया और पुलिस ने मामला दर्ज किया। 

अब पीड़िता का आरोप है कि आरोपियों पर कार्रवाई और उनसे पूछताछ करने की बजाय पुलिस बार-बार पीड़िता को ही थाने बुला रही है और पूछताछ कर रही है।

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