खाटू श्याम का ‘श्याम कुंड’, जहां प्रकट हुआ था बाबा श्याम का शीश

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श्याम कुंड का रहस्य – हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा ये बात देश-विदेश में प्रसिद्ध खाटू श्याम को लेकर कही जाती है और ये बात सच भी है. दरअसल, खाटू श्याम को हारे का सहारा इसलिए कहा जाता है क्योंकि जो भी खाटू श्याम के दर्शन के लिए जाता है खाटू श्याम उसके दुःख-दर्द दूर कर देते हैं साथ ही जो भी मनोकामना होती है खाटू श्याम उसे भी पूरी करते हैं. जहाँ लोग खाटू श्याम के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं तो वहीं कई लोग ऐसे हैं जो खाटू श्याम कुंड के बारे में नहीं जानते हैं. वहीं इस पोस्ट एक जरिए हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि खाटू श्याम कुंड को लेकर क्या मान्यता है.

Also Read- क्या आप जानते हैं कि खाटू श्याम को हारे का सहारा क्यों कहते हैं?. 

खाटू श्याम मंदिर के पास है श्याम कुंड

khatu shyam kund
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खाटू श्याम का मंदिर राजस्थान के सीकर में हैं खाटू श्याम को भगवान कृष्ण ने कलयुग में अपने नाम से पूजे का वरदान दिया था और कहा था तुम्हारे दर्शन करने से सभी लोगों ने दुःख-दर्द दूर हो जाएंगे. बाबा खाटू श्याम को जहाँ उनकी माँ ने कहा था हार का सहारा बनना. तो वहीं श्रीकृष्ण ने बाबा खाटू श्याम को वरदान दिया था कि जैसे-जैसे कालयुग में पाप बढ़ेगा तब तब खाटू श्याम को लेकर आस्था बढ़ती जाएगी और इस कालयुग के समय में लोगों के बीच खाटू श्याम को लेकर इतनी आस्था है कि लोग उन्हें हारे का सहारा, खाटूश्याम हमारा कहते हैं.

साथ ही कहा जाता है कि बाबा खाटू श्याम का मंदिर में जो भी जाता है उसके सभी दुःख-दर्द हो जाते हैं और उनकी सभी लोगों की मनोकामना पूरी होती है और इस वजह से बाबा खाटू श्याम के मंदिर में लाखों लोग पहुंचते हैं लेकिन कई लोग सिर्फ बाबा खाटू श्याम के दर्शन करके ही आ वापस आ जाते हैं खाटू श्याम कुंड में नहीं जाते हैं. जिसको लेकर एक खास मान्यता है.

method of Khatu Shyam Baba puja in home
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श्याम कुंड का रहस्य क्या है

खाटू श्याम के मंदिर के पास वाले कुंड को लेकर मान्यता है कि बर्बरीक का शीश इस प्राचीन श्याम कुंड से ही निकला गया था. कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के समय भगवान कृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग दिया था . और बर्बरीक के शीश को महाभारत के युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने रूपवती नदी में बहा दिया था और बाद में शीश बहकर श्यामकुंड में आया था और श्यामकुंड से ही खाटू शयन का सिर निकला गया था.

यह कुंड गहरे और अंडाकार आकृति में बना है और इस कुंड में पानी है जिसका जल को बड़ा ही पवित्र माना जाता है. इसी के साथ इस कुंड के परिसर में लेफ्ट साइड में एक प्रवेश द्वार है जिसके अंदर प्राचीन श्याम कुंड बना हुआ है और इस प्राचीन श्याम कुंड को महिला कुंड का नाम दे दिया गया है और अब इसमें केवल महिलाएँ ही स्नान कर सकती हैं. आज के समय में श्रद्धालु इस कुंड के दर्शन करते हैं और यहाँ पर स्नान भी करते हैं.

shyam kund
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श्याम कुंड की ये है महिमा 

इस कुंड का पानी बारह महीने पवित्र जल से भरा रहता है. कुंड का जल जमीन से निकलता है इसलिए ऐसा कहा जाता है कि कुंड में जल पाताल से आता है. वहीं श्री श्याम कुंड को खाटू का तीर्थ जलाशय भी कहा जाता है. इस कुंड में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्यों की प्राप्ति होती है. वहीं श्याम कुंड के जल का चरणामृत ग्रहण करने से आत्मिक शक्ति का अनुभव होता है.

Also Read- खाटू श्याम की अर्जी कैसे लगाई जाती है? इन बातों का रखें खास ध्यान. 

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