प्रेमानंद जी के सत्संग: क्या माला की गिनती नाम जप में आवश्यक है ?

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श्री प्रेमानंद महाराज जी जो वृंदावन में रहते हैं और राधा रानी के परम भक्त हैं. वृंदावन में महाराज जी से मिलने और उनके दर्शन करने के लिए कई लोग आते हैं और इन लोगों के कई सारे सवाल होते हैं और महाराज जी इन सवालो का उत्तर देते हैं साथ ही हल ही बताते हैं. वहीं इस बीच अब महाराज जी ने बताया है कि नाम जप में माला की गिनती आवश्यक क्यों है.

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महाराज ने बताया नाम जप में क्यों आवश्यक है माला ?

दरअसल, महाराज जी से मिलने के लिए पंजाब से एक महिला आई हैं जिनका नाम मंजू हैं. वहीं इस महिला का सवाल है कि नाम जप में माला की गिनती में क्यों उलझ जाते हैं और नाम जप में माला की गिनती आवश्यक क्यों है. वहीं इस सवाल का जवाब देते हुए महाराज ने कहा कि  माला इसलिए दी जाती है क्योंकि पहले-पहले हमारा मन नहीं लगता हैं और मन लगा इसलिए माला दी जाती हैं. वहीं माला का सहारा इसलिए जाता हैं ताकि ध्यान लगा रहे और ध्यान लगेगा तभी भजन होगा इसलिए बात माला कि नहीं बल्कि भजन की है.

इसी के साथ महाराज जी ने ये भी कहा कि माला उलझन क्यों कर रही है ये सब आपके अभ्यास पर निर्भर करता है. और जिस तरह का अभ्यास आप करेंगे उसी तरह नाम जप में माला सतह देगी और भजन में भी मन लगेगा.

महाराज ने बताया ईर्ष्या खत्म करने का उपाय

वहीं इस बीच एक महिला ने महाराज जी से मिलने आई उसने तरक्की देखकर ईर्ष्या होने को लेकर सवाल किया और महाराज ने इस सवाल का जवाब दिया है. महाराज जी से मिलने आई महिला का नाम मनीषा शर्मा है और इस महिला ने महाराज जी से सवाल किया कि दूसरों की तरक्की देखकर ईर्ष्या होती है तो क्या करें. वहीं इस सवाल का जवाब देते हुए महाराज जी ने कहा कि ये दोष है काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद मत्सक और मद्सरी. इसका मतलब ये है मुझसे आगे बढ़ रहा हैं ये सब माया माल दोष हैं.

इसी के साथ महाराज ने बताया कि अगर आप सब में अपने प्रभु को देखते हैं तो हमें ये जलन नहीं होगी. मेरे प्रभु इस रूप में ऐसा खेल रहे हैं और मेरे लिए क्या आदेश हमें ये देखना चाहिए. अगर हम ऐसा करते हैं तो जलन और ईर्ष्या नही होगी.

आपको बता दें, श्री प्रेमानंद महाराज जी राधा रानी को अपना ईश्वर और खुद को उनका भक्त मानते हैं. जहाँ सुबह 2 बजे उठकर महाराज जी वृंदावन की परिक्रमा बांके बिहारी जी, राधा वल्लब के दर्शन और परिक्रमा करते हैं तो साथ ही राधा रानी के नाम का सत्संग भी करते है.

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