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किसानों की ट्रैक्टर रैली पर पाकिस्तान की गंदी नजर! दिल्ली पुलिस के हाथ लगे ये बड़े सबूत…

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किसानों की ट्रैक्टर रैली पर पाकिस्तान की गंदी नजर! दिल्ली पुलिस के हाथ लगे ये बड़े सबूत…

नए कृषि कानून के विरोध में केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों ने हल्ला बोला हुआ है। देशभर के किसान बीते 2 महीनों से सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं और कृषि कानून को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन हल अब तक कुछ भी नहीं निकल पाया।

तीन रूट पर रैली की मिली इजाजत

26 जनवरी यानी रिपब्लिक डे के दिन किसान ट्रैक्टर रैली निकालने जा रहे हैं। रविवार को दिल्ली पुलिस ने किसानों को तीन रूट पर रैली निकालने की मंजूरी दी। राजपथ पर परेड खत्म होने के बाद किसान टिकरी,  सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर से ट्रैक्टर दिल्ली में प्रवेश करेंगे। किसान टिकरी से 63 किमी, सिंघु से 62 किमी और गाजीपुर बॉर्डर से 46 किमी तक रैली निकाल सकेंगे।

दिल्ली पुलिस को मिले गड़बड़ी फैलाने के इनपुट्स

लेकिन किसानों की इस ट्रैक्टर रैली को शांतिपूर्ण ढंग से कराना दिल्ली पुलिस के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। ये दावा खुद दिल्ली पुलिस द्वारा ही किया गया है। दरअसल, दिल्ली पुलिस ने रैली में पाकिस्तान द्वारा गड़बड़ी फैलाने की साजिश रचने की आशंका जताई है।

दिल्ली पुलिस की तरफ से बताया गया कि उनको ऐसे इंटेलिजेंस इनपुट मिले हैं कि पाकिस्तानी आतंकी संगठन ट्रैक्टर रैली में गड़बड़ी फैला सकते हैं। पुलिस की ओर से दावा किया गया कि हाल में ही 300 से भी ज्यादा ट्विटर अकाउंट इसके लिए बनाए गए है।

पाकिस्तान में बने 308 नए ट्विटर अकाउंट

दिल्ली पुलिस के इंटेलिजेंस स्पेशल कमिश्नर दीपेंद्र पाठक ने बताया कि ट्रैक्टर रैली को बाधित करने के लिए काफी सारे इनपुट मिले थे। सोशल मीडिया पर हमने नजर बनाए रखीं। 13 से 18 जनवरी के बीच रैली को बाधित करने के लिए पाकिस्तान से 308 नए ट्विटर अकाउंटर बनाए गए। इस रैली के दौरान हिंसा करने की साजिश रची जा रही है।

दीपेंद्र पाठक ने आगे कहा कि सुरक्षा के साथ ट्रैक्टर रैली कराई जाएगी। ये दिल्ली पुलिस के चुनौतीपूर्ण होगा। 26 जनवरी को परेड खत्म होने के बाद ही किसानों की रैली शुरू होगी।

गौरतलब है कि किसानों का आंदोलन लगातार चर्चाओं का विषय बना हुआ है। जहां एक तरफ केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों को किसानों के हित में बताती हैं। वहीं कानूनों को लेकर किसानों में कई तरह के डर बने हुए है, जिसके चलते वो इसे वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर दखल देते हुए एक कमेटी भी बनाई, लेकिन विवाद अब तक सुलझ नहीं पाया।

केंद्र सरकार इस विवाद को सुलझाने के लिए किसानों को अब तक कई ऑफर दे चुकी हैं, लेकिन किसानों ने उन सभी को ठुकरा दिया और कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। भीषण ठंड के बीच किसान बीते साल नवंबर महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर जमे हुए हैं। इसी बीच किसानों के इस आंदोलन की आड़ में साजिश रचने के आरोप भी लगातार लगते आ रहे है। देखना होगा कि किसानों  को ये आंदोलन आगे क्या मोड़ लेता है…?

National Voter's Day: क्यों 25 जनवरी को ही मनाया जाता है राष्ट्रीय मतदाता दिवस? जानिए वजह

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National Voter's Day: क्यों 25 जनवरी को ही मनाया जाता है राष्ट्रीय मतदाता दिवस? जानिए वजह

देशभर में हर साल 25 जनवरी को “राष्ट्रीय मतदाता दिवस” (National Voters Day) मनाया जाता है. इसे युवाओं को मतदान के लिए जागरुक करने और राजनीतिक प्रतिक्रिया के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. मतदान करना देश के हर जिम्मेदार नागरिक का अधिकार होता है, क्योंकि नागरिकों के वोट से ही ये निर्णय होता है कि देश में किसकी सरकार बनेगी.

क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय मतदाता दिवस?

अगर आपका ये सवाल है कि 25 जनवरी को ही क्यों हर साल राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है तो आपको बता दें कि इसे 25 जनवरी, 2011 से मनाना शुरू किया गया था. भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 में की गई थी. जिसके चलते राष्ट्रीय मतदाता दिवस को मनाने के लिए 25 जनवरी का दिन चुना गया और साल 2011 से इसे मनाने का फैसला किया गया.

ये है राष्ट्रीय मतदाता दिवस का उद्देश्य

राष्ट्रीय मतदाता दिवस का उद्देश्य लोगों की मतदान में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित करना और मतदाताओं को एक अच्छा साफ-सुथरी छवि का प्रतिनिधि चुनने हेतु वोट को लेकर जागरूक करना है. भारत के लोकतंत्र को दुनिया में मजबूत बनाने के लिए मतदाताओं समेत देश के निर्वाचन आयोग का भी खास योगदान है. इनके वजह से देश में निष्पक्ष चुनाव हो पाते हैं. राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर भारत के हर मतदाता को अपनी सक्रिय हिस्सेदारी के माध्यम से लोकतंत्र को मजबूत करने का संकल्प लेना चाहिए.

हर नागिरक को लेनी चाहिए ये शपथ

भारत के हर नागरिक को 25 जनवरी को लोकतंत्र में विश्वास रखते हुए ये शपथ जरूर लेनी चाहिए कि वो भारत की स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने की लोकतांत्रिक परंपरा को कायम रखेंगे. इसके अलावा हर चुनाव में धर्म, जाति, नस्ल, समुदाय और भाषा आधार पर प्रभावित हुए बिना निडर होकर मतदान करेंगे.

इस तरह की शपथ हर साल 25 जनवरी को लाखों लोग लिया करते हैं, लेकिन इस पर अमल करने वाले लोगों की संंख्या उतनी नहीं होती है. इसका कारण एक ये भी है कि आज भी लोग जातिवाद,साम्प्रदायिक और भाषायी आधार पर मतदान देते हैं. भारतीय नागरिकों को साम्प्रदायिक और जातीय आधार से हटकर एक सही छवि के व्यक्ति के लिए अपने वोट का इस्तेमाल करना चाहिए.

जानिए कैसा रहेगा 25 जनवरी को आपका दिन

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जानिए कैसा रहेगा 25 जनवरी को आपका दिन

जैसा कि हम सभी जानते हैं ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है, जिसके चलते हमें कभी अच्छे तो कभी बुरे दिनों का सामना करना पड़ता. वहीं आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आज का राशिफल आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन लेकर आ सकता है. तो आइए आपको बताते हैं आज के दिन के बारे में आपके सितारे क्या कहते हैं और 25 जनवरी का दिन आपके लिए कैसा रहेगा…

मेष राशि- आपका दिन मिला-जुला बीतेग. कार्यक्षेत्र से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. नए करने का मन करेगा. स्वास्थ्य बेहतर रहेगा.

वृषभ राशि- आपका दिन अच्छा बीतेगा. अचानक किसी यात्रा पर जाना पड़ सकता है. विदेश से अच्छी खबर मिलेगा. गृहस्थ जीवन में सुख शांति रहेगी.

मिथुन राशि- आपका दिन सामान्य बीतेगा. कार्यक्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. लव लाइफ में सुधार आएगा. पार्टनर के साथ दिन रोमांटिक बीतेगा.

कर्क राशि- आपका दिन बढ़िया बीतेगा. स्वास्थ्य में सुधार आएगा. गुस्से पर कंट्रोल रखें. पुरानें दोस्तों से बातचीत हो सकती है.

सिंह राशि- आपका दिन ठीक-ठाक बीतेगा. व्यापार में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा. पैसों से जुड़ा लेन-देन करने से बचें. बच्चों के साथ अच्छा वक्त बिताएंगे.

कन्या राशि- आपका दिन उत्तम बीतेगा. कामों में आ रही रुकावटें दूर होगी. समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा. माता-पिता के स्वास्थ्य का अधिक ध्यान रखें.

तुला राशि- आपका दिन परेशानियों से भरा बीतेगा. बने हुए काम बिगड़ने के आसार है. आत्मविश्वास की कमी रहेगी. हर परिस्थिति में जीवनसाथी साथ निभाएगा.

वृश्चिक राशि- आपका दिन शानदार बीतेगा. लंबे समय से चली आ रही टेंशन से छुटकारा मिलेगा. मेहनत का फल मिलेगा. किसी भी काम में जल्दबाजी ना करें.

धनु राशि- आपका दिन उतार चढ़ाव से भरा बीतेगा. दिन की शुरुआत कुछ परेशानियों से हो सकती है. परिवार के किसी सदस्य का स्वास्थ्य अचानक बिगड़ सकता है. खर्च बढ़ने के आसार है.

मकर राशि- आपका दिन मिला-जुला बीतेगा. मनचाहे काम पूरे ना होने से हताश हो सकते है. दोस्तों से मदद मिलेगी. बाहर का खाने-पीने से बचें.

कुंभ राशि- आपका दिन बहुत अच्छा बीतेगा. आज आपको भाग्य का साथ मिलेगा. पार्टनर के साथ रिश्ते सुधरेंगे. आज के दिन आप कोई नई चीज खरीद सकते हैं.

मीन राशि- आपका दिन सामान्य बीतेगा. कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होगी. अनजान व्यक्ति से मदद मिल सकती है. अपनी पर्सनल चीजें किसी के साथ शेयर ना करें.

ऐसा मंदिर जहां सुहागरात से पहले जरूरी है जाना, मुस्लिम भी मानते हैं ये प्रथा

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ऐसा मंदिर जहां सुहागरात से पहले जरूरी है जाना, मुस्लिम भी मानते हैं ये प्रथा

भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जिनकी अनूठी संस्कृति और परंपरा है. इन्हीं में से एक मंदिर जैसलमेर में स्थित है जो वहां के स्थानीय लोकदेवता खेतपाल महाराज को समर्पित है. इन महाराज को यहां के स्थानीय निवासी क्षेत्रपाल और भैरव भी बुलाते हैं. इस मंदिर की मान्यता है कि सुहागरात से पहले दूल्हा दुल्हन को इस मंदिर में आना होता है. वे अपने विवाह का सूत्र बंधन इस मंदिर में खोलते हैं और बाबा के आशीर्वाद से अपने वैवाहिक जीवन का नया सफ़र शुरू करते हैं. जहां भारत में सबरीमाला और कई अन्य प्राचीन मंदिरों में महिलाओं का जाना वर्जित हैं. वहीं दूसरी ओर ये मंदिर सांप्रदायिक सद्भावना की मिसाल है. यहां पूजा के लिए न ही सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाओं का भी आना जरूरी है.

महिलाएं करवाती हैं पूजा पाठ

ज्यादातर मंदिरों में अपने पुजारी पुरुष देखे होंगे, लेकिन इस मंदिर की पुजारी माली जाति की महिलाएं होती हैं. ये महिला पुजारी ही नवविवाहित जोड़े को विधि विधान से पूजा पाठ करवाती हैं. इस पूजा के करने से खेतपाल बाबा का आशीर्वाद हमेशा नए युगल पर बना रहता है. गांववालों का ये भी मानना है कि विवाह के बाद हुए इस पूजापाठ से कोई भी बड़ी समस्या जैसलमेर में आंख भी नहीं दिखा पाती.

मुस्लिम भी करते हैं पूजा

सांप्रदायिकता की मिसाल कायम किये इस मंदिर में हिंदू के अलावा सिंधी मुस्लिम भी पूजा करने आते हैं. हर मजहब और जाति के लोगों के प्रवेश की इस मंदिर में अनुमति है. स्थानीय मुस्लिम निकाह के बाद सभी परंपराएं इस मंदिर में पूरी करने आते हैं. बताया जाता है कि पुराने समय में सिंध से सात बहनें यहां आई हुईं थी. ये देवियों के रूप में जैसलमेर में कोने कोने में विराजमान हैं. खेतपाल महाराज उन्हीं के भाई हैं. मंदिर की पुजारी का कहना है कि खेतपाल महाराज की कृपा से सच्चे मन से की गई प्रार्थना पूरी होती है और महाराज उनके खेतों और इलाकों की भी रक्षा करते हैं.

ये है पूजा का विधि विधान

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विवाह के बाद सबसे पहले नवविवाहित जोड़े इस मंदिर जाते हैं. और अपने बंधन को खोलते हैं. विवाह सूत्र बंधन को खोलने की परंपरा काफी पुरानी है और तब से चली आ रही है जब से जैसलमेर राज्य स्थापित हुआ था. अगर किसी वजह से कोई मंदिर नहीं पहुंच पाता है तो वह एक अलग से नारियल निकाल कर रख देते हैं. इस नारियल को बाद में भैरव को समर्पित कर दिया जाता है. अगर कोई ऐसा करना भूल जाता है तो खुद क्षेत्रपाल उसके घर पर नारियल मांगने जाते हैं. पहले इस मंदिर में किसी की इच्छा पूरी हो जाने पर बलि भी चढ़ाई जाती थी, पर अब इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

अगर यहां 21 साल तक महिलाएं रहती है वर्जिन, तो मनाया जाता है धूमधाम से जश्न, जानिए वजह?

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अगर यहां 21 साल तक महिलाएं रहती है वर्जिन, तो मनाया जाता है धूमधाम से जश्न, जानिए वजह?

दक्षिण अफ्रीका एक ऐसा देश है जहां आज भी जिंदगी जंगलों में बसती है। पुरानी परंपराओं और कुरितियों से जकड़े हुए लोग है। जो इन परंपराओ के नाम पर ऐसे ऐसे काम करते है जिसके बारे में हम या आप सोच भी नही सकते है। यहां बसने वाले ट्राइब्स के बारे में कहा जाता है कि ये लोग शहरी जीवन को अपने आस पास भी नहीं आने देना चाहते। इनके लिए इनकी परंपराए सबसे ऊपर है, जिसे सबको मानना ही होता है।

हालांकि आपने इनकी कई अनोखी परंपराओं के बारे में सुना होगा, लेकिन कुछ परंपराए ऐसी भी है जो आपको आश्चर्यचकित कर देगी। आज हम आपको एक ऐसी ही परंपरा के बारे में बताने जा रहे है।

ये अनोखी परंपरा दक्षिण अफ्रीका की जूलू जनजाति में निभाई जाति है। जहां अगर कोई लड़की 21 सालों तक वर्जिन रह जाती है तो उसके परिवार वाले इस बात की खुशी जाहिर करते हुए जश्न मनाते है, जिसमें पूरा समुदाय इकट्ठा होता है। इस परंपरा को ओमेमूलू परम्परा कहा जाता है। इस दौरान लड़की को सजा कर पूरे जनजाति के लोग उसे आस पास नाचते गाते है। और उसे कई तरह से गहने, कपड़े और मंहगे उपहार देते है। इस दौरान लड़की को अर्धनग्न करके गाय के फैटी टिशू को पहनाया जाता है। अगर सेरेमनी के दौरान ये टिशू फट जाता है तो फिर लड़की ने अपने वर्जिन होने को लेकर झूठ बोला है।

जश्न को पूरा करने के लिए परिवार वाले जानवर की बलि देते है। जो इस बात का प्रतीक होता है कि उनके घर की लड़की 21 सालों तक वर्जिन थी। जूलू जनजाति में शादी से पहले किसी लड़की का किसी से शारिरिक संबंध बनाना अपवित्र माना जाता है। इसलिए हर लड़की को इस परंपरा को निभाना ही पड़ता है। हालांकि जो इसके लिए मना कर देती है तो उसे अपवित्र मान लिया जाता है।

आपको बता दे कि जूलू जनजाति दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी जनजातियों में से एक है। इनकी करीब 1 करोड़ की आबादी है। इनके जश्न में ढोल का महत्व काफी होता है। जिसे ये लोग खुद ही बनाते है। ये हर जश्न में ढोल जरूर बजाते है, जो शुभता का प्रतीक होता है। इनका बाहरी जीवन से कोई खास नाता नहीं होता और न ही ये किसी बाहरी को अपने जीवन में दखलअंदाजी करने देते है।

इस जनजाति की एक महिला ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि दुख की बात ये है कि इस तरह की परंपरा केवल औरतों के लिए ही होती है, मर्द किसी परंपरा को क्यों नहीं निभाते। जूलू जनजाति की ये परंपरा इन्हें सबसे अलग और अफ्रीका की खास जनजाति बनाती है।

इस जगह को क्यों कहा जाता है “विधवाओं की घाटी”? जानकर वजह आप भी रह जाएंगे दंग!

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इस जगह को क्यों कहा जाता है “विधवाओं की घाटी”? जानकर वजह आप भी रह जाएंगे दंग!

दुनिया में ऐसे बहुत से शहर है जो अपनी किसी न किसी खासियत के कारण प्रसिद्ध है। लेकिन क्या आप ये सोचते है कि कोई ऐसा भी शहर हो सकता है जो अपनी बुरी यादों के लिए मशहूर होगा। जी हां, एक ऐसा शहर, जहां केवल विधवाए रहती है। जहां एक ही दिन में पूरा कब्रिस्तान भर गया था। जहां महीनों बीत जाने के बाद भी मातम पसरा हुआ है। जहां आज भी किसी तरह के जश्न से पहले लोग अपनों को याद करके आंसू बहाते है।

जी हां एक ऐसा ही शहर है अफगानिस्तान में। अफगानिस्तान के नंगरहार नाम की जगह पर एक साल पहले शुक्रवार को नमाज के वक्त एक मस्जिद के अंदर धमाका हुआ। धमाके में नमाज पढ़ रहे 64 लोगों की मौत हो गई थी। चारो तरफ केवल लाशे ही लाशे थी, बच्चों और महिलाओं की चीख पुकार थी। इस आतंकी हमले में 34 महिलाओं ने अपने पतियों को खो दिया था। देखते ही देखते पूरा कब्रिस्तान कब्र से भर गया था। घाटी में एक साथ 34 महिलाओं के विधवा हो जाने के कारण इस घाटी को विधवाओं की घाटी कहा जाने लगा।

इस धमाके को एक साल हो गया है, लेकिन इस हमले में मारे गए लोगों का गम उनके परिवार वाले भुला नहीं पा रहे है। यहां आज भी आतंकी हमले का खौफ इतना ज्यादा है कि अब नमाज पढ़ने के लिए लोग अकेले नहीं जाते है। मस्जिद में सुरक्षाबलों की निगरानी में लोग नमाज पढ़ते है। यहां तक कि किसी शादी समारोह में भी सुरक्षा दी जाती है। ताकि एक साल पहले की घटना फिर से न दोहराई जाए।

एक साल हो जाने के बाद भी आज तक इस हमले की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली। कोई नही जानता है कि मस्जिद में नमाज पढ़ रहे लोगो को निशाना क्यों बनाया गया, और किसने ऐसी नापाक हरकत की। हमले में मारे गए लोगों के परिवार वाले किसी भी तरह का जश्न मनाने से डरते है। वो अपनो को याद करके आंसू बहाते है। ये एक साल किसी बुरे सपने से कम नहीं है। महिलाओं में आज भी अपने पतियों को खो देने का दर्द साफ नजर आता है। एक साथ इतनी महिलाओं के विधवा होने से पड़े इस घाटी के नाम को सुनकर भी लोगो की रूंह कांप जाती है। ये घाटी आज भी पूरी तरह से विरान है। और ये कोई नहीं जानता कि इनकी विरान जिंदगी कब तक ऐसे ही चलती रहेगी।

आज के समय में फैशन स्टेटमेंट बन चुकी है बिकिनी, कभी एड के लिए हर मॉडल ने कर दिया था इंकार!

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आज के समय में फैशन स्टेटमेंट बन चुकी है बिकिनी, कभी एड के लिए हर मॉडल ने कर दिया था इंकार!

आज के समय बीच या किसी समुद्री तटों पर आपको काफी तादाद में लड़कियां बिकिनी पहने हुए दिख जायेंगी. मॉडर्न वर्ल्ड में ये जबरदस्त फैशन ट्रेंड बनती जा रही है. अपनी बॉडी फ्लोंट करने के लिए बॉलीवुड तो क्या हॉलीवुड एक्ट्रेस भी इसका सहारा लेती हैं. लेकिन क्या आपके मन में ये सवाल नहीं आता कि आखिर बिकनी बनाने का आईडिया सबसे पहली बार किसे आया होगा? या इसे पहली बार किसने पहन कर देखा होगा? आज इन्हीं सब सवालों के जवाब हम आपको देंगे.

1946 में हुई थी शुरुआत!

1939 से 1945 तक द्वितीय विश्व युद्ध का दौर था, इस दौरान यूरोप में पैसे की काफी कमी हो गई थी. मानव इतिहास का सबसे घातक युद्ध कहा जाने वाले इस युद्ध में ज्यादातर पैसा इस्तेमाल में लाये जाने वाले सामान की पूर्ति करने में लग गया. जिसके चलते यूरोप में खाने की चीज़ों से लेकर कपड़े की कमी हो गई. इसके बाद अमेरिका ने आर्डर दिया कि महिलाओं के स्विमसूट में कटौती की जाए, क्योंकि इन्हें बनाने में अधिक कपड़े का इस्तेमाल होता था. इन सभी स्थिति को देखते हुए एक फ्रेंच मैकेनिकल इंजिनियर लुईस लेअर्द ने 5 जुलाई 1946 को बिकिनी ईजाद की जिसने दुनिया में तहलका मचा दिया.

कैसे हुआ बिकिनी का नामकरण?

दरअसल जिस जगह पर सबसे पहले बिकिनी ईजाद की गई उस जगह का नाम पहले ही बिकिनी अटॉल था. ये पहले अमेरिका की परमाणु परीक्षण साइट हुआ करती थी. यहां अमेरिका अपने न्यूक्लियर हथियारों का परीक्षण करता था लेकिन समय की मार देखते हुए यहां बिकिनी बनाने का फैसला किया गया. इसके नाम पर विचार करने में तीन दिन बीत गए थे लेकिन तब भी लोग इसको मार्केट में उतारने में डर रहे थे. ऐसे में बिकिनी अटॉल के नाम पर इसका नाम बिकिनी रख दिया गया.

बिना प्रचार के हुई हिट!

bikini

बिकिनी तैयार तो हो गई थी, लेकिन कोई भी मॉडल इसका प्रचार करने को तैयार नहीं थी. जैसे ही ये मार्केट में आई, स्पेन और इटली ने इस पर बैन लगा दिया. इसके बाद आखिरकार कैसिनो डी पेरिस एक 19 वर्षीय फ्रांसीसी पोर्न डांसर मिशेलाइन बर्नार्डिनी ने इसका ऐड ऐड किया. इस एड के बाद मिशेलाईन की ख़ूबसूरती के चर्चे चारों तरफ होने लगे. लोग उन्हें ख़त के जरिये तारीफें भेजने लग. बताया जाता है इस एड के बाद मिशेलाईन को 2 दिन के भीतर 50,000 ख़त मिले थे. जिसके बाद धीरे धीरे बिकिनी की डिमांड बढ़ गई.

National Girl Child Day: क्यों 24 जनवरी को मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस? जानिए

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National Girl Child Day: क्यों 24 जनवरी को मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस? जानिए

देशभर में हर वर्ष 24 जनवरी को राष्‍ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) मनाया जाता है. इस मनाने के पीछे का मकसद देश की हर लड़की को सभी मामले में अधिक से अधिक से सहायता और सुविधाएं मुहैया कराना है. इतना ही नहीं सदियों से लड़कियों को लेकर हो रहे भेदभाव को लेकर लोगों को जागरुक करने के लिए भी इस दिवस को मनाया जाता है. वहीं राष्‍ट्रीय बालिका दिवस को 24 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व होता है…

राष्‍ट्रीय बालिका दिवस का महत्‍व

भारत सरकार ने राष्‍ट्रीय स्‍तर पर लड़कियों के विकास के लिए एक अभियान को शुरू कर राष्‍ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत की है. देश के लोगों में लड़कियों को लेकर जागरुक करना और समाज निर्माण में महिलाओं का बराबर का योगदान है ये बताना इस दिवस को मनाने का मकसद है.

राष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास

देशभर में 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) मनाया जाता है. इसी दिन देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को नारी शक्ति के तौर में याद किया जाता है, ये ही वो दिन जब इंदिरा गांधी ने पहली बार प्रधानमंत्री का पद संभाला था. यही कारण है कि राष्ट्रीय बालिका दिवस के लिए 24 जनवरी का दिन चुना गया.

कैसे मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस?

राष्ट्रीय बालिका दिवस के दौरान कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं. इस कार्यक्रम में “बेटी बचाओ अभियान”, “सही लिंग अनुपात” और लड़कियों के लिए स्‍वस्‍थ्‍य व सुरक्षित माहौल तैयार करना शामिल है.

क्‍यों मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस?

देशभर में राष्ट्रीय बालिका दिवस इस वजह से मनाया जाता है जिससे समाज में लड़कियों की स्थिति अच्छी हो सके. उन्हें देश में समान अधिकार मिलने के साथ ही अन्य सुविधाएं भी मिलें जो लड़कों को बिना कहे ही मिल जाते हैं. इसके अलावा उन्हें भी फैसला लेने का अधिकार दिया जाए. चाहे वो फैसले घर के संबंध में हो या फिर निजी ही क्‍यों न हों. वहीं, लड़कियों के प्रति गलत सोच को सही करने के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस को मनाया जाता है. लड़कियां किसी भी लड़के से कम शक्तिशाली नहीं होती है एक बार वो कुछ करने की ठान ले तो उन्हें सफलता जरूर हासिल होती है. लोगों को ये समझना चाहिए कि समाज में लड़कियों की भी बराबर का भागीदारी है और वो किसी से कम नहीं है.

जानिए कैसा रहेगा 24 जनवरी को आपका दिन

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जानिए कैसा रहेगा 24 जनवरी को आपका दिन

जैसा कि हम सभी जानते हैं ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है, जिसके चलते हमें कभी अच्छे तो कभी बुरे दिनों का सामना करना पड़ता. वहीं आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आज का राशिफल आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन लेकर आ सकता है. तो आइए आपको बताते हैं आज के दिन के बारे में आपके सितारे क्या कहते हैं और 24 जनवरी का दिन आपके लिए कैसा रहेगा…

मेष राशि- आपका दिन बढ़िया बीतेगा. आर्थिक समस्याएं दूर होगी. परिवार के साथ अच्छा समय बिताएंगे. आज के दिन पैसों से जुड़ा लेन-देन करने से बचना चाहिए.

वृषभ राशि- आपका दिन सामान्य रहेगा. कार्यक्षेत्र में चली आ रही समस्याएं दूर होने के आसार है. आप अपने अच्छे व्यवहार से लोगों का दिल जीत लेंगे. स्वास्थ्य के लिहाज से दिन कमजोर रह सकता है.

मिथुन राशि- आपका दिन ठीक ठाक रहेगा. कामकाज के सिलसिले में बेहतर नतीजे मिलेंगे. घर में सुख शांति का माहौल रहेगा. जल्दबाजी में कोई भी काम ना करें.

कर्क राशि- आपका दिन शानदार बीतेगा. रुके काम पूरे होंगे. किस्मत का आज भरपूर साथ मिलेगा. नए काम शुरु करने के लिए दिन शुभ है.

सिंह राशि- आपका दिन मिला जुला बीतेगा. कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होगी. परिवार के साथ अच्छा समय बिताएंगे. खान-पान का खास ध्यान रखें.

कन्या राशि- आपका दिन उतार चढ़ाव से भरा बीतेगा. लंबे वक्त से चली आ रही परेशानी दूर होगी. किसी भी काम को कल पर ना टालें. स्वास्थ्य सामान्य रहेगा.

तुला राशि- नौकरीपेशा लोगों को आज अच्छी खबर मिलने के आसार है. सैलरी मिलने के आसार है. मेहनत का आज फल जरूर मिलेगा. घर का माहौल बढ़िया रहेगा.

वृश्चिक राशि- आज के दिन आपको खर्चों पर नियंत्रण रखना चाहिए. कोई भी नई चीज खरीदने से बचें. भविष्य को ध्यान में रखकर ही फैसला लें. माता-पिता का ख्याल रखने की जरूरत है.

धनु राशि- आपका दिन सामान्य बीतेगा. पुरानी परेशानी दूर होगी. आज आप भविष्य को लेकर थोड़े चिंतत हो सकते हैं. हर परिस्थिति में दोस्तों का साथ मिलेगा.

मकर राशि- आज आपको भाग-दौड़ करनी पड़ सकती है. परिवार के साथ अच्छा समय बिताएंगे. स्वास्थ्य का खास ध्यान रखने की जरूरत है. जरूरत से ज्यादा तनाव लेने से बचने चाहिए.

कुंभ राशि- आपका दिन अच्छा रहेगा. लंबे वक्त से अटके कामों में आज सफलता हासिल हो सकती है. घर में टेंशन का माहौल रहेगा. गुस्से पर काबू रखने की जरूरत है.

मीन राशि- आपका दिन ठीक ठाक बीतेगा. अनजान लोगों से थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है. किसी पर भी ज्यादा भरोसा ना करें. आज के दिन केवल अपने काम से मतलब रखें.

जेल में कैदी कैसे काटते है अपना दिन? मिलती हैं क्या-क्या सुविधाएं? जान लें इसके बारे में…

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जेल में कैदी कैसे काटते है अपना दिन? मिलती हैं क्या-क्या सुविधाएं? जान लें इसके बारे में…

भारत में जेल की जिंदगी कैसी होती है ये हर किसी के लिए एक बड़ा सवाल है। जेल का जीवन के बारे में हम सोचने लगते हैं कि मेहनत की जिदगी, यातना से भरा जीवन। एक सेल में झुंड के झुंड कैदी लेकिन असल में जेल की जिंदगी होती है कैसी आइए इस बारे में आपको हम बताते हैं।

आज भी अधिकांश जेलों में बंदियों को वक्त और जिम्मेदारी बताने के लिए घंटे की गूंज उठाया जा रहा है। हर साठ मिनट बाद घंटे बाजाए जाते हैं ताकि कैदियों को उनकी जिम्मेदारी बता होती रहे। सुबह से शाम तक चार बार घंटे बजाया जाता है लेकिन हर बार अलग अलग कारणों से बजायी जाती है।

कैदियों की दिनचर्या शुरू करवाने वाला पहला घंटा सुबह पांच बजे गूंजता है। जिससे कैदी नित्य क्रिया के बाद सात बजे प्रार्थना सभा में इकट्ठा होते हैं और फिर बंदियों को काम पर भेज दिया जाता है। 11 बजे कैदियों काम लौटते है और खाना खाकर फिर दोपहर में एक बजे कैदियों को अपने हिस्से का काम तेज करने को कहा जाता है।

अगर बात तिहाड़ जेल में कैदियों की जिंदगी की करें तो तिहाड़ जेल में भी कैदियों का रूटीन सुबह 5 बजे से रात 8 बजे तक कैदियों का एक रूटीन फिक्स है। यहां सभी कैदी सुबह 5 बजे उठते है और फिर साढ़े पांच बजे उनकी खुले में गिनती की जाती है। फिर आधे घंटे के बाद यहां भी हर एक कैदी प्रार्थना करने के लिए इकट्ठा होते हैं और उसी बीच चाय बांटी जाती हैं।

जिन कैदियों की कोर्ट में सुनवायी होती है उन्हें साढ़े 6 बजे जेल से कोर्ट ले जाया जाता है। 7 बजे फोन पर कैदियों को उनके परिवार वालों से बात करवाई जाती है। साढ़े 7 बजे कैदी बैरक, जेल परिसर के साथ साथ अपने कपड़ों को साफ करते हैं।

8 से 11 बजे का समय कैदियों का पढ़ने का वक्त होता है जिसमें उन्हें हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, पंजाबी और बांग्ला भाषा सिखायी जाती है फिर 9 बजते ही परिजनों से मुलाकात करवाने का समय आ जाता है। साढ़े 11 में कैदियों के बीच खाना बंटा जाता है। 12 से 3 बजे तक कैदियों की गिनती की जाती है फिर जेल में उन्हें बंद किया जाता है।

3 बजे कैदियों के बीच फिर से चाय बांटी जाती है। 4 बजे का वक्त कैदियों को कानूनी सलाह देने का होता है और 4 से 6 बजे तक खेलने का समय होता है और उनके टीवी देखने का वक्त भी यही होता है। 6 बजे उन्हें खाना बंटा जाता है और साढ़े 6 बजे शाम की प्रार्थना की जाती है। 7 बजे एक बार फिर कैदियों की काउंटिंग की जाती है। 8 बजे तक हर कैदी को बैरक में बंद किया जाता है।