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‘दो रुपये वाले डॉक्टर’ से लेकर 105 साल की महिला तक…पद्म श्री पाने वाले इन अनजान चेहरों की कहानी आपको करेगी प्रेरित!

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‘दो रुपये वाले डॉक्टर’ से लेकर 105 साल की महिला तक…पद्म श्री पाने वाले इन अनजान चेहरों की कहानी आपको करेगी प्रेरित!

गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म पुरस्कार का ऐलान किया गया। सोमवार शाम को पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री पुरस्कार के नामों का ऐलान हुआ। इस बार इन सम्मान को पाने वालों की लिस्ट में कई बड़ी हस्तियों के नाम हैं, लेकिन कुछ नाम तो ऐसे भी हैं, जिनको शायद आप पहचानते भी ना हो। लेकिन हम जब आपको इनके बारे में बताएंगे, उनकी अलग-अलग प्रेरणा देने वाली कहानियों के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में जानकर आपको यकीनन गर्व महसूस होगा। आइए आपको आज हम पद्म पुरस्कारों की लिस्ट में शामिल कुछ ऐसे ही नामों और उनकी कहानियों के बारे में बताते हैं…

अपनी पेटिंग से बनाई पहचान

बिहार के मधुबनी में रहने वाली एक महिला दुलारी देवी का नाम भी पद्म श्री पुरस्कारों की लिस्ट में शामिल है। महज 12 साल की छोटी से उम्र में दुलारी की शादी हो गई। इसके बाद अपने 6 महीने के बेटी की मौत का दुख लेकर वो 7 सालों के बाद मायके वापस आ गईं। यहीं से शुरू हुई उनके संघर्ष की कहानी। दुलारी ने घरों में जाकर झाड़ू-पोंछा करने का काम किया। लेकिन कुछ समय के बाद पेटिंग बनानी शुरू कर  दी। इसके बाद उनका पेटिंग बनाने का सिलसिला थमा नहीं। दुलारी अब तक 7 हजार मिथिल पेटिंग बना चुकी हैं। साल 2012-13 में इनको राज्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। गीता वुल्फ की पुस्तक फॉलोइंग माइ पेंट ब्रश और मार्टिन लि कॉज की फ्रेंच में लिखी पुस्तक मिथिला में दुलारी की जीवन गाथा व कलाकृतियां सुसज्जित हैं। सिर्फ देश ही नहीं बल्कि दुनिया में कई बड़ी हस्तियां दुलारी की पेटिंग की मुरीद हैं। वो महिला जिसने पढ़ाई-लिखाई की उम्र में शादी कर ली, आज वो लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी और अब उन्हें इस  बड़े सम्मान से सम्मानित किया गया।

105 की महिला को भी मिला सम्मान

तमिलनाडु की एम. पप्पम्माल को पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। 105 साल की एम. पप्पम्माल भवानी नदी के किनारे ऑर्गनिक फार्म चलाती हैं।

दो रुपये वाले डॉक्टर को पद्म श्री

उत्तरी चेन्नई में डॉ टी. वीराघवन को ‘दो रुपये वाले डॉक्टर’ के नाम से जाना जाता है। बीते साल अगस्त महीने में ही निधन हो गया। अब उनको पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। डॉ टी. वीराघवन 1973 से मरीजों का इलाज केवल 2 रुपये की फीस लेकर ही कर रहे हैं। बाद में अपनी फीस उन्होनें बढ़ाकर 5 रुपये कर दी थी। डॉ वीराघवन की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि आसपास के डॉक्टरों ने एकजुट होकर उनके खिलाफ विरोध करना शुरू कर दिया कि वो अपनी फीस कम से कम 100 करें। जिसके जवाब में उन्होनें फीस लेना बंद कर दिया।

आचार्य रामयत्न शुक्ल का नाम भी सूची में शामिल

काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष और संस्कृत प्रकांड विद्वान आचार्य रामयत्न शुक्ल का नाम भी शामिल है। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में प्रोफेसर के पद पर काम कर चुके हैं। 89 वर्ष की उम्र में भी आचार्य रामयत्न शुक्ल नई पीढ़ी को संस्कृत से जोड़ने के लिए मुफ्त शिक्षा की मुहिम चला रहे हैं।

छुटनी देवी ने कुप्रथा के खिलाफ किया संघर्ष

झारखंड की छुटनी देवी को उनकी समाज सेवा के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। छुटनी देवी को 25 साल पहले डायन बताकर उन्हें घर से निकाल दिया गया था। इस अपमान के बाद भी वो टूटी नहीं। बीते 25 सालों से अपने मायके में रहकर वो इस अंधविश्वास और कुप्रथा के खिलाफ अभियान चला रही हैं। केवल झारखंड ही नहीं देश के अलग अलग हिस्सों में डायन प्रथा की शिकार महिलाएं उनसे मदद मांगने जाती हैं। छुटनी प्रतिदिन अपने खर्च पर गरीबों को भोजन भी कराती हैं।

गॉडफादर के रूप में जाने वाले डॉक्टर को सम्मान

बिहार के भागलपुर के रहने वाले डॉक्टर दिलीप कुमार की पहचान ‘गॉडफादर’ के रूप में होती हैं। समाज और चिकित्सा सेवा में अच्छा काम करने के लिए उनको पद्म सम्मान से नवाजा गया। 93 साल के डॉ दिलीप कुमार सिंह करीबन 68 साल में लाखों गरीबों का मुफ्त और कुछ से मामूली पैसा लेकर इलाज करते आ रहे हैं।

एक रुपये फीस लेने वाले सुजीत भी सम्मानित

78 साल के सुजीत चटोपाध्‍याय को भी सूची में शामिल हैं। सुजीत पूर्वी बर्धमान के अपने घर में पाठशाला चलाते हैं। वो पूरे साल की महज एक रुपये ही फीस लेते हैं। सुजीत को रिटायर हुए 15 साल से भी ज्यादा हो गए। वो थैलीसीमिया को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाते हैं।

कॉमिक के जरिए बनाया नाम

पश्चिम बंगाल के नारायण देबनाथ के नाम सबसे लंबी कॉमिक स्ट्रिप चलाने का रिकॉर्ड है। वो पिछले 70 से भी अधिक समय से बंगाली कॉमिक स्ट्रिप्‍स बनाते आ रहे हैं। वो ऐसे पहले और इकलौते भारतीय कॉमिक हैं, जिनको डीलिट मिला। 97 साल की उम्र में वो आज भी कॉमिक्‍स बनाने की कोशिशें करते रहते हैं।

संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए इन्हें मिला सम्मान

राजस्थान के लाखा खान को संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा गया। लाखा खान 6 भाषाओं में गाते हैं, जिनमें हिंदी, मारवाड़ी, सिंधी, पंजाबी और मुल्तानी शामिल हैं। वो मांगणियार समुदाय में प्यालेदार सिंधी सांरगी बजाने वाले इकलौते कलाकार हैं। 71 साल के लाखा खान यूरोप, ब्रिटेन, रूस और जापान समेत कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं।

इस देश के कानूनी इतिहास में एक काला अध्याय माना जाता है ये किस्सा, जब 14 वर्षीय बच्चे को दी गई थी सजा-ए-मौत!

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इस देश के कानूनी इतिहास में एक काला अध्याय माना जाता है ये किस्सा, जब 14 वर्षीय बच्चे को दी गई थी सजा-ए-मौत!

“सजा-ए-मौत” ये शब्द जब अदालत की चार दीवारी में पुकारा जाता है तो इसकी गूंज अपराधी तक नहीं आस पास के सभी लोगों के दिलों तक छू सी जाती है. हालांकि जब कोई व्यक्ति ऐसा खतरनाक या कहें कि घिनौना काम करता है तभी उसे अदालत द्वारा “सजा-ए-मौत” की सजा सुनाई जाती है. वहीं, आज हम आपको एक ऐसा हैरान कर देने वाला किस्सा बताने जा रहे हैं, जिसमें केवल 14 वर्षीय बच्चे को मौत की सजा सुनाई गई थी.

दरअसल, ये किस्सा आज का नहीं बल्कि 75 साल पहले अमेरिका में हुआ है. सबसे हैरानी की बात तो ये है कि 14 साल के बच्चे को सजा सुनाने में अदालत ने केवल 10 मिनट लिए और उस बच्चे को “सजा-ए-मौत” दी थी, आइए आपको साल 1944 में घटी इस खौफनाक घटना के बारे में बताते हैं…

मौत की सजा पाने वाले बच्चे का नाम जॉर्ज स्टिनी था. ये अफ्रीकन-अमेरिकन यानी अश्वेत था. उस दौर में श्वेत लोग अश्वेत लोगों से रंग की वजह काफी भेदभाव करते थे, जिसके चलते ऐसा कहा जाता है कि बच्चे को सजा-ए-मौत देने का फैसला एकतरफा था क्योंकि इस दौरान जिस जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था, वो सभी श्वेत थे.

इस किस्से की शुरुआत 23 मार्च, 1944 को शुरू हुई थी. इस दिन जॉर्ज और उसकी बहन कैथरीन अपने घर के बाहर खड़े थे. इस दौरान वहां पर 2 लड़कियां 11 साल की बैटी जून बिनिकर और 8 साल की मेरी एमा थॉमस किसी फूल को ढूंढते हुए आईं. जिसके बारे में उन्होंने जॉर्ज और उसकी बहन कैथरीन से पूछा. जिसके चलते उन लड़कियों की मदद करने के लिए जॉर्ज उनके साथ चला गया और फिर बाद में वो अपने घर लौटकर आ गया, लेकिन वहां से वो दोनों लड़कियां गायब हो गईं.

दोनों लड़कियों की मिली लाशे

ऐसे में जब गायब हुईं दोनों लड़कियों को उनके घर वालों ने ढूंढना शुरू किया तो इस दौरान मालूम हुआ कि वो आखिरी बार जॉर्ज के साथ देखी गई थीं. जिसके चलते वो जॉर्ज के पिता के साथ लड़कियों को आसपास के इलाकों में ढूंढने लगे, लेकिन फिर भी वो नहीं मिली. बाद में दोनों लड़कियों की लाशे रेलवे ट्रैक के पास कीचड़ में मिली. सिर पर गहरी चोट लगी हुई थी जिस वजह से दोनों की मौत हो गई थी.

“11 वर्षीय बैटी से बनाना चाहता था संबंध”

वहीं, दोनों की लाश मिलने के बाद पुलिस ने शक के आधार पर जॉर्ज को गिरफ्तार किया और उससे पूछताछ की. जिसके बाद पुलिस ने बताया कि जॉर्ज द्वारा अपना जुर्म कबूल कर लिया गया है और उसी ने दोनों लड़कियों को मारा है. पुलिस के मुताबिक जॉर्ज 11 साल की बैटी के साथ संबंध बनाना चाहता था, मगर वो 8 साल की मेरी के रहते ये नहीं कर सकता था तो इस वजह से उसने मेरी को मारने का प्रयास किया और फिर दोनों लड़कियां उससे भिड़ गईं. इसके बाद जॉर्ज ने लोहे के रॉड से दोनों लड़कियों के सिर पर मारा, जिससे उनकी मौत हो गई. पुलिस के अनुसार दोनों लड़कियों की चोट इतनी भयंकर थी कि उनके सिर के चार से पांच टुकड़े हो गए थे.

कबूलनाम पर नहीं था हस्ताक्षर

पुलिस अधिकारी द्वारा एक लिखित बयान दिया गया, जिसमें लिखा कि जॉर्ज ने अपनी गलती को मान लिया, लेकिन इसमें हैरानी वाली बात ये रही कि उस लिखित बयान पर जॉर्ज के हस्ताक्षर ही नहीं थे. हालांकि किसी ने भी इसपर ध्यान नहीं दिया. उसके बाद करीब तीन महीनों तक जॉर्ज को कोलंबिया की जेल में रखा गया. इस दौरान जॉर्ज को उसके परिवार तक से मिलने नहीं दिया गया.

14 साल का बच्चा नहीं होता नाबालिग

जॉर्ज के मामले की सुनवाई के लिए केवल एक दिन में ही एक ज्यूरी का गठन किया गया. कोर्ट द्वारा जॉर्ज के बचाव में वकील चार्ल्स प्लोडन को रखा गया. इन्होंने जॉर्ज के बचाव में केवल एक ही दलील दी कि उससे किसी वयस्क की तरह पेश न आया जाए, हालांकि उस दौर में अमेरिका में 14 साल के बच्चे को वयस्क ही माना जाता था, जिसके चलते चार्ल्स की दलील खारिज हो गई.

अश्वेतों को कोर्टरूम में नहीं जाने दिया

इस मामले में हैरानी की बात ये रही कि मामले की सुनवाई करने वाले सभी जज श्वेत थे. सुनवाई के दौरान कोर्टरूम में 1 हजार से भी अधिक लोग थे, लेकिन उनमें एक भी अश्वेत नहीं था क्योंकि उनको अंदर घुसने नहीं दिया गया था. इस केस में जज की बेंच ने जॉर्ज के खिलाफ 3 गवाहों को पेश किया गया था, जिसमें पहला लड़कियों की लाश ढूंढने वाला शख्स था, दूसरा दोनों लड़कियों का पोस्टमॉर्टम करने वाला डॉक्टर. वहीं, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार दोनों लड़कियों के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था. वहीं, जॉर्ज के वकील ने कोर्ट में 1 भी गवाह पेश नहीं कर सके थे.

जॉर्ज को अपने बचाव में नहीं बोलने दिया 

इतना ही नहीं, इस मामले में हैरानी की बात ये रही कि कोर्ट में जॉर्ज के सवालों को क्रॉस चेक भी नहीं किया जा रहा था और ना ही उसे अपने बचाव में बोलने दिया जा रहा था. इस मामले के लगभग ढाई घंटे तक सुनवाई चली और केवल 10 मिनट में ही कोर्ट ने उसे दोषी करार करते हुए मौत की सजा सुना दी थी. इस दौरान एक और खासियत ये थी कि जॉर्ज अपने आप को बेकसूर बता रहा था, हालांकि उसको ये साबित करने के लिए मौका ही नहीं दिया गया.

इलेक्ट्रिक चेयर से दी दर्दनाक मौत

आपको बता दें कि उस दौर में लोगों को मौत की सजा इलेक्ट्रिक चेयर से दी जाती थी, जिसके चलते जॉर्ज को इलेक्ट्रिक चेयर से बांधा गया. ऐसा कहा जाता है कि जॉर्ज की लंबाई 5 फीट कम थी, जिस वजह से वो कुर्सी पर फिट नहीं हो पा रहा था जिसके चलते उसे किताबों पर बिठाया गया. कुछ लोगों का कहना है कि वो किताब बाइबिल थी. वहीं, जॉर्ज को इस तरह से बैठाने के बाद 2400 वोल्ट का बिजली का तेज झटका दिया गया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई.

70 साल बाद दोबारा खोली गई मामले की फाइल

अमेरिका में सबसे कम उम्र में मौत की सजा पाने वाले में जॉर्ज का नाम शामिल है. बता दें कि जॉर्ज की मौत के 70 साल बाद यानी साल 2014 में उसके केस को एक बार फिर खोला गया था, जिसके अनुसार जॉर्ज के साथ अन्याय हुआ था. जॉर्ज के बयान साफ नहीं थे जिससे ये पता चले कि उसी ने दोनों लड़कियों का खून किया था, जिसके चलते उसे बेगुनाह करार दिया गया. आपको बता दें कि इस मामले को अमेरिका के कानूनी इतिहास में एक काला अध्याय माना जाता है, इसमें एक बेगुनाह को दर्दनाक तौर पर सजा-ए-मौत दी गई थी.

इतिहास का एक सनकी शासक जिसे लंबे सैनिकों से था प्यार, जानिये राजा की रेजिमेंट का काला सच

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इतिहास का एक सनकी शासक जिसे लंबे सैनिकों से था प्यार, जानिये राजा की रेजिमेंट का काला सच

इतिहास में ऐसे शासकों की कमी नहीं है जिनकी अजीबोगरीब सनक थी. कई राजा ऐसे थे जो अपनी सनक की वजह से ही मशहूर थे. इनमें से ही एक प्रशा राज्य का राजा था जिसका 1932 में जर्मनी में विलय हो गया था. इस राजा का नाम किंग फ्रेडरिक विलियम (Frederick William I of Prussia) था जिसको अपनी रेजिमेंट में लंबी सैनिकों को शामिल करने की सनक थी. और हैरान करनी वाली बात तो ये है कि प्रशा के शासक को लड़ाई में एक इंच भर भी दिलचस्पी नहीं थी बल्कि ये महज उसके शौकों में शुमार था. एक समय ऐसा था जब प्रशा की सेना सिर्फ 38,000 सैनिकों तक ही सीमित थी लेकिन राजा के शौक के चलते ये संख्या 83,000 सैनिकों की हो गई. हालांकि राजा के शासन में जनता को किसी प्रकार को कोई दुःख नहीं था. उसकी छवि जनता के समक्ष काफी न्यायप्रिय और दयावान राजा की थी. लेकिन उसके अजीब से शौक के चलते प्रशा के आसपास इलाकों में वो काफी चर्चित था.

रेजिमेंट में भर्ती होने की थी राजा की सिर्फ एक शर्त   

फ्रेडरिक विलियम की रेजिमेंट का ऑफिशियल नाम The Grand Grenadiers of Potsdam था. लेकिन उसको पॉट्सडैम जायंट्स (Potsdam Giants) या The Long Guys (लॉन्ग गाइज) के नाम से जाना जाता था. राजा की सैनिकों को रेजिमेंट में शामिल करने की बस एक छोटी सी शर्त हुआ करती थी. वो शर्त ये थी कि बस व्यक्ति की लंबाई छह फीट से ज्यादा होनी चाहिए. फ्रेडरिक की रेजिमेंट में इसी शर्त के चलते यूरोप के हजारों लोग इस फ़ौज में जुड़े थे. उसकी फ़ौज में सबसे ज्यादा लंबे व्यक्ति की हाईट 7 फीट और 1 इंच थी. आयरलैंड मूल के उस सैनिक का नाम जेम्स किर्कलैंड था.

जितनी ज्यादा लंबाई, उतना मोटा वेतन

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सनक की हद पार तो तब हो गई जब राजा ने लंबाई के आधार पर सैनिकों को वेतन देना शुरू किया. सैनिकों की जितनी ज्यादा लंबाई होती थी उन्हें उतना ही मोटा वेतन मिलता था. लंबे सैनिकों की राजा के रेजिमेंट में खूब मौज थी. उनकी काफी अच्छे से आवभगत भी की जाती थी. साथ ही उनको खूब सम्मान मिलता था. वे काफी शानो शौकत में रहते थे. उनके रहने के लिए भव्य आवास बनाए गए थे जिनमें उन्हें लजीज व्यंजन परोसे जाते थे. इसके साथ ही उनकी वर्दी भी ख़ास तरीके से बनायी जाती थी जिससे वे और लंबे दिखे. पॉट्सडैम जायंट्स के लिए नीले रंग की वर्दी होती थी और ग्रेनेडियर कैप. ग्रेनेडियर कैप की 45 सेंटीमीटर लंबाई होती थी जिससे वो और लंबे दिखते थे.

फ्रेडरिक की रेजिमेंट का काला सच !

भले ही फ्रेडरिक की रेजिमेंट के सैनिक काफी ऐशो आराम से जीते हों, लेकिन उनकी जिंदगी इतनी भी आसान नहीं थी जितनी दूर से प्रतीत होती थी. इसके पीछे का एक काला सच भी था. दरअसल राजा की रेजिमेंट में कई लोग अपहरण करके या खरीदकर भी शामिल हुए थे. कई परिवारों से लंबे व्यक्ति को राजा धन देकर खरीद लेता था. जमींदार भी अपने सबसे लंबे मजदूर को फ्रेडरिक को सौंप देते थे. दूसरे देश के शासक भी फ्रेडरिक को खुश करने के लिए ऐसा करते थे. यही नहीं अपने सैनिकों को राजा मनोरंजन के लिए भी इस्तेमाल करता था. कभी जब राजा उदास होता था तो वह 200-300 सैनिकों को जमा करता और उनको वाद्ययंत्र देकर नाचने-गाने को कहता. अगर वह बीमार पड़ता तो सैनिकों को उसके बेडरूम में मार्च करना पड़ता था.

राजा की सनक का ये है भयानक उदाहरण

इससे भी बड़ी सनक का एक और उदाहरण था. उसने एक खास रैक बना रखा था. उस रैक में पहले से लंबे सैनिकों को खींचा जाता था ताकि उसकी लंबाई और बढ़ सके. इस वजह से कई सैनिक की मौत हो गई. फ्रेडरिक यही नहीं रुका, वो चाहता था कि यूरोप में लंबी रेजिमेंट हमेशा बरक़रार रहे. इसके लिए उसने लंबे सैनिकों और अपने राज्य की लंबी महिलाओं को संबंध बनाने पर मजबूर किया ताकि उनसे जो नई नस्ल पैदा हो उसकी लंबाई ज्यादा हो. 1740 में फ्रेडरिक ने अपनी अंतिम सांस ली थी जिसके बाद उसके बेटे फ्रेडरिक ग्रेट ने 1806 में इस रेजिमेंट को भंग कर दिया था.

सुषमा स्वराज: जानिए ‘भारतीयों की मसीहा लेडी’ की अनसुनी कहानी

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सुषमा स्वराज: जानिए ‘भारतीयों की मसीहा लेडी’ की अनसुनी कहानी

भाजपा की कद्दावर नेता और व्यक्तित्व की धनी सुषमा अपने फैसलों को लेकर काफी अटल स्वभाव की थी. अगर उन्हें भारतीयों की मसीहा का टाईटल दिया, तो बिल्कुल भी अतिश्योक्ति नहीं होगी. जब जब किसी दूसरे देश में भारतीयों पर विपदा आई, सुषमा बतौर विदेश मंत्री उनके लिए ढाल बनकर खड़ी रहीं. उन्होंने सैन्य ऑपरेशन चला के मुश्किल में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वतन वापसी करवाई. बता दें कि राजनीति की सबसे कुशल नेता सुषमा ने पिछले साल यानि 6 अगस्त 2019 की तारीख को अपनी अंतिम सांस ली.

2014 में सौंपा गया था विदेश मंत्री का पद

साल 2014 में सुषमा को विदेशमंत्री का पद सौंपा गया था. पद संभालने के बाद से विदेश में रह रहे भारतीयों की हरसंभव मदद करने वाली सुषमा ही थीं. यमन में जब हाउथी विद्रोहियों और सरकार के बीच जंग छिड़ी तो हजारों भारतीय इस जंग के बीच में फंस गए. जंग लगातार बढ़ती जा रही थी और सऊदी अरब की सेना लगातार यमन में बम गिरा रही थी. इसी बीच यमन में फंसे भारतीयों ने विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज से मदद की गुहार लगाई. इसमें साढ़े पांच हज़ार लोगों की जान सुषमा के चलते बच पाई थी. इसमें से 4640 भारतीय थे.

मासूम गीता को लाया गया वापिस

सुषमा के विदेश मंत्री रहते हुए 15 साल पहले भटककर सरहद पार पाकिस्‍तान पहुंच गई 8 साल की मासूम गीता को भारत लाया जा सका. गीता जब भारत लौटी तब उसकी उम्र 23 साल हो चुकी थी. गीता भारत आने के बाद सबसे पहले विदेशमंत्री सुषमा स्‍वराज से मिली. कुछ ऐसा ही कोलकाता की जूडिथ डिसूजा केस में भी हुआ. जूडिथ को 9 जून को काबुल से अगवा कर लिया गया था. सुषमा स्‍वराज की कोशिशों के बाद अफगान अधिकारियों ने जूडिथ की रिहाई सुनिश्‍चित करवाई.

सुषमा की हुई है लव मैरिज

सुषमा स्वराज और स्वराज कौशल का प्रेम विवाह हुआ था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दोनों के दिलों में  प्रेम के बीज पड़ने कॉलेज के दिनों से शुरू हो गए थे. सुषमा शर्मा और स्वराज कौशल की मुलाकात पंजाब यूनिवर्सिटी के चंडीगढ़ के लॉ डिपार्टमेंट में हुई थी. दोनों 13 जुलाई 1975 को शादी के बंधन में बंधे थे. दोनों को अपने परिवारवालों को मनाने में काफी पापड़ बेलने पड़े थे. पर अंत में वे मान गए.

जानिए कैसा रहेगा 26 जनवरी को आपका दिन

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जानिए कैसा रहेगा 26 जनवरी को आपका दिन

जैसा कि हम सभी जानते हैं ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है, जिसके चलते हमें कभी अच्छे तो कभी बुरे दिनों का सामना करना पड़ता। वहीं आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आज का राशिफल आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन लेकर आ सकता है। तो आइए आपको बताते हैं आज के दिन के बारे में आपके सितारे क्या कहते हैं और 26 जनवरी का दिन आपके लिए कैसा रहेगा…

मेष राशि- आपका दिन सामान्य रहेगा। छात्रों को आज अधिक मेहनत करने की जरूरत है। मन मुताबिक परिणाम नहीं मिलने से हताश हो जाएंगे। हर परिस्थिति में दोस्तों का सहयोग मिलेगा।

वृषभ राशि- आपका दिन ठीक ठाक बीतेगा। कामों में आ रही बाधाएं कम होने के आसार है। कोई भी फैसला जल्दबाजी में ना लें। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।

मिथुन राशि- दिन आपका बढ़िया बीतेगा। जीवनसाथी के साथ अच्छा वक्त बिताएंगे। किसी दूसरे के विवाद में पड़ने से बचें। गुस्से पर थोड़ा कंट्रोल रखें।

कर्क राशि- आपका दिन अच्छा बीतेगा। परेशानियां कम होगी। आर्थिक स्थिति मजबूत होने के आसार है। फिजूलखर्च से बचने की जरूरत है।

सिंह राशि- दिन की शुरुआत परेशानियों से होगी। मन उदास रहेगा। बने बनाए काम भी बिगड़ सकते हैं। परिवार की सलाह के बिना कोई बड़ा फैसला ना लें।

कन्या राशि- आपका दिन मिला जुला रहेगा। नौकरी के क्षेत्र में अच्छी खबर मिलने के आसार है। आज के दिन आंख बंद करके हर किसी पर भरोसा ना करें।

तुला राशि- आपका दिन ठीक ठाक रहेगा। पारिवारिक समस्याएं कम होगी। आज के दिन थोड़ा संभलकर रहें। अनजान लोगों से दूरी बनाकर रखें।

वृश्चिक राशि- दिन आपका अच्छा रहेगा। कार्यक्षेत्र में प्रगति होने के आसार है। मन से किए कामों में सफलता जरूर मिलेगी। स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही ना बरतें।

धनु राशि- दिन आपका सामान्य रहेगा। आज के दिन मनचाही चीज आप खरीदकर घर ला सकते हैं। दिल आपका खुश रहेगा। परिवार में सुख शांति का माहौल बना रहेगा।

मकर राशि- नए काम शुरू करने से बचें। जिम्मेदारियों का बोझ आप पर बढ़ेगा। जल्दबाजी में जोखिम भरा कदम ना उठाएं। आपका दिन उतार चढ़ाव से भरा रहेगा।

कुंभ राशि- दिन आपका ठीक ठाक बीतेगा। सामाजिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी। जीवनसाथी के साथ अनबन होने के आसार है। आज के दिन आपकी बातें किसी को ठेंस पहुंचा सकती हैं।

मीन राशि- दिन आपका सामान्य रहेगा। भाग-दौड़ करनी पड़ सकती है। परिवार में थोड़ा टेंशन का माहौल रहेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें

भारत में स्थित इस मंदिर में मां लक्ष्मी के करें दर्शन, दूर हो जाएगी सभी आर्थिक समस्याएं!

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भारत में स्थित इस मंदिर में मां लक्ष्मी के करें दर्शन, दूर हो जाएगी सभी आर्थिक समस्याएं!

कहते हैं जिसके पास पैसा और सिर पर धन की देवी मां लक्ष्मी का हाथ होता है उसका कोई बाल भी बाका नहीं कर सकता है. इसलिए हर किसी की ये ही इच्छा होती है कि उस पर मां लक्ष्मी सदैव प्रसन्न रहें. वहीं, अगर हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताए जहां जाने से आप मालामाल हो जाएंगे या यूं कहें कि आपकी लॉटरी लग जाएगी तो?

शायद आपको ये कोई मजाक लग रहा होगा या फिर फिजूल की बातें लेकिन ये बिल्कुल सच है. दरअसल, आज हम आपको भारत में स्थित एक 900 साल पुराने मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो वास्तुशिल्प शैली और श्रद्धालुओं के संकट दूर किए जाने के लिए मश्हूर है. आइए आपको उस मंदिर के बारे में विस्तार से बताते हैं…

यहां स्थित हैं मां लक्ष्मी का मंदिर

हम आपको मां लक्ष्मी के जिस मंदिर (Lakshmi Devi Temple) के बारे में बताने जा रहे हैं. वो कर्नाटक (Karnataka) के हसन से 16 किलो मीटर की दूरी डोदगादवल्ली (Doddagaddavalli) नामक गांव में स्थित है. इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां वाले सभी श्रद्धालुओं की इच्छा पूरी होती है और आर्थिक समस्या भी दूर हो जाती है.

होसाला काल से निर्मित है ये मंदिर

900 साल पुराने मां लक्ष्मी मंदिर को लेकर इतिहासकार का कहना है कि होयसल सम्राज्य के शासक विष्णुवर्धन के काल में 1113-14 में इस मंदिर का निर्माण हुआ था. ऐसा भी कहा जाता है कि ये मंदिर होयसल वास्तुशिल्प शैली (Hoysala Architecture Style) के काफी पुराने मंदिरों में से एक है.

दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं भक्त

इस मंदिर में विशेष तौर पर मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है. होसाला काल के दौरान निर्मित 4 मंदिर वाली मंदिर शैली का ये मंदिर एकमात्र उदाहरण है. यहां पर देवी मां के दर्शन करने के लिए कई भक्त दूर-दूर से आते हैं.

इन देवी-देवताओं की भी हैं मूर्ति स्थापित

आपको बता दें कि ये मंदिर चारों दिशाओं में 4 कमरे बना हुआ है और बीच में एक केन्द्र से आपस में जुड़ा हैं. पूर्व की तरफ गर्भगृह में महालक्ष्मी विराजित हैं, उनके दाहिने हाथ में शंख और बाएं हाथ में चक्र है. देवी लक्ष्मी के दोनों तरफ 2 परिचारिकाओं की मूर्तियां हैं. इस मंदिर में नृत्यरत भगवान शिव, समुद्र देवता वरुण और भैंसे पर सवार यम की प्रतिमाएं भी मौजूद हैं. जबकि उतरी कमरे में देवराज इंद्र की मूर्ति विराजमान है. इसके अलावा देवराज इंद्र का व्रज लेकर इंद्राणी भी वहां मौजूद हैं.

Republic Day 2021: राफेल समेत ये चीजें पहली बार परेड में आएंगी नजर…जानिए इस बार देखने मिलेंगे क्या-क्या बदलाव?

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Republic Day 2021: राफेल समेत ये चीजें पहली बार परेड में आएंगी नजर…जानिए इस बार देखने मिलेंगे क्या-क्या बदलाव?

26 जनवरी यानी रिपब्लिक डे हर भारतवासी के लिए बेहद खास होता है। यही वो दिन था जब देश का संविधान लागू हुआ। गणतंत्र दिवस को भारत में एक राष्ट्रीय त्योहार की तरह मनाया जाता है। इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है। रिपब्लिक डे पर होने वाली परेड का अपना अलग ही महत्व होता है। लोग हर साल रिपब्लिक डे पर होने वाली परेड का बेसब्री से इंतेजार करते है। हर बार ही परेड को खास और आर्कषक बनाने के लिए कुछ बदलाव होते हैं। 

इस बार पहली बार ऐसा होगा जब कोरोना महामारी के साये के बीच रिपब्लिक डे मनाया जाएगा। कोरोना के चलते रिपब्लिक डे परेड पर भी काफी असर पड़ेगा। मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग जैसी चीजें परेड में नजर आएंगी। इसके अलावा इस बार परेड में पहली बार राफेल लड़ाकू विमान नजर आएंगे। इस बार की रिपब्लिक डे परेड में क्या खास होगा और क्या अलग…आइए इसके बारे में आपको बता देते हैं…

– राफेल लड़ाकू विमान की एंट्री पिछले साल यानी 2020 में ही भारत में हुई। राजभवन में होने वाली परेड में पहली बार राफेल लड़ाकू विमान नजर आएंगे। 

– इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर महिला फाइटर पायलट भावना कांत इतिहास रचने जा रही हैं। भावना रिपब्लिक डे परेड में शामिल होने वाली पहली महिला फाइटर पायलट होगीं। वो भारतीय वायुसेना की ओर से निकाली जाने वाली झांकी का हिस्सा होंगी, जिसकी थीम इस बार मेक इन इंडिया है। इस दौरान भारतीय वायुसेना तेजस, लाइट कॉमबैट हेलिकॉप्टर, रोहिणी रडार, आकाश मिसाइल और सुखोई 30एमकेआई का प्रदर्शन करेगी।

– बांग्लादेश के 122 सैनिक भी इस बार की परेड का हिस्सा बनेंगी। ऐसी तीसरी बार होगा जब किसी दूसरे देश की सैन्य टुकड़ी राजपथ पर दिखाई देगी। पहले 2016 में फ्रांस, तो वहीं 2017 में UAE गणतंत्र दिवस मार्च में हिस्सा ले चुका है। 

– बीते 5 दशकों से भी ज्यादा समय के बाद पहली बार ऐसा होगा जब रिपब्लिक डे परेड में कोई भी विदेश मेहमान मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत नहीं करेगा। पहले ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन आने वाले थे। उन्होनें भारत का निमंत्रण भी स्वीकार कर लिया था। लेकिन इसके बाद अचानक ही ब्रिटेन में कोरोना का नया स्ट्रेन मिला और वहां पर हालात बेकाबू होने शुरू हो गए। जिसके चलते जॉनसन ने अपना भारत  दौरा रद्द कर दिया। 

– कोरोना महामारी की वजह से परेड इस बार छोटी होगी। परेड की लंबाई केवल 3.3 किलोमीटर ही होगी। आमतौर पर ये 8.2 किलोमीटर होती है। कोरोना की वजह से परेड विजय चौक से नेशनल स्टेडियम तक ही होगी। 

– परेड के हर दस्ते की चौड़ाई पर भी इस बार असर पड़ेगा। सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने के चलते इस बार दस्ते की चौड़ाई 12X8 ही होगी। आमतौर पर ये 12X12 होती है। इसमें 144 सैनिक हर बार होते है, लेकिन इस बार 96 ही होंगे। साथ ही परेड में मौजूद हर शख्त को मास्क पहनना होगा। परेड में खास कोविड बूथ भी बनाए जाएंगे, जिसमें डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ मौजूद रहेंगे।

– हर साल गणतंत्र दिवस की परेड को देखने को लिए जहां एक लाख 15 हजार से भी अधिक लोग आते है, वहीं इस बार केवल 25 हजार लोगों को ही इजाजत मिली है। 

– इसके अलावा एक बदलाव ये भी होगा कि इस बार परेड का हिस्सा बच्चे नहीं बनेंगे। 15 साल से कम उम्र के बच्चे परेड में शामिल नहीं होंगे। 

– अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से जुड़े तमाम काम चल रहे हैं। वहीं इसी बीच रिपब्लिक डे परेड में भी ऐतिहासिक राम मंदिर की झलक देखने को मिलेगी। उत्तर प्रदेश की झांकी में राम मंदिर की प्रस्तुति दिखेगी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला दिया था। जिसके बाद 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर का भूमि पूजन किया गया।  

– पहली बार रिपब्लिक डे परेड में लद्दाख की झांकी भी शामिल होगी। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद अब लद्दाख की झांकी परेड में दिखेगी। 

– पंजाब की झांकी भी इस बार परेड में काफी खास होगी। क्योंकि नौवें सिख गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी के सर्वोच्च बलिदान को समर्पित होगी। 

26th January Special: रिपब्लिक डे से जुड़ी इन रोचक बातों के बारे में क्या जानते हैं आप?

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26th January Special: रिपब्लिक डे से जुड़ी इन रोचक बातों के बारे में क्या जानते  हैं आप?

26 जनवरी का दिन भारतवासियों के लिए काफी खास होता है। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था और इसी के बाद से हर साल देश में इस दिन रिपब्लिक डे मनाया जाता है। हर देशवासी के लिए ये दिन बेहद खास होता है। 26 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश होता हैं। इस दिन लोग अपने घरों पर परेड अपने घरों पर टीवी के आगे देखते हैं। वैसे तो ये बात 26 जनवरी से जुड़ी कई बातें आप जानते होंगे। लेकिन हम आपको आज ऐसी कुछ रोचक बातों के बारे में बताने जा रहे है, जिसके बारे में आपको शायद ही मालूम होगा…

26 जनवरी का खास महत्व 

सीधे सरल शब्दों में समझा जाए तो भारत में 26 जनवरी 1950 से कानून राज की शुरुआत हुई थी। इसे भारत का राष्ट्रीय त्योहार कहा जाता है। हर साल इस दिन कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष भारत के मुख्य अतिथि के तौर पर इस सेलेब्रेशन में शरीक होते हैं। इंडिया गेट पर अलग अलग राज्यों से निकली झांकियों का नज़ारा देखते ही हर भारतवासी का दिल गर्व से फूला नहीं समाता है। इस दिन राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी जाती है। साथ ही गगन में वायुसेना के करतब देख एक पल के के लिए भी पलक झपकाने का दिल नहीं करता है। हालांकि इस साल कोरोना महामारी के बीच रिपब्लिक डे मनाया जा रहा है। जिसके चलते कई बदलाव देखने को मिलेंगे। 

पहले इस दिन मनाया जाता था स्वतंत्रता दिवस 

इस बात से बहुत कम ही लोग वाकिफ होंगे कि 1947 से पहले काफी सालों तक इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। दरअसल साल 1929 के दिसंबर महीने में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मीटिंग में एक प्रस्ताव पास हुआ। पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में इस प्रस्ताव के मुताबिक अगर ब्रिटिशर्स 26 जनवरी 1930 तक भारत को अधिराज्य का दर्जा नहीं दिया गया तो भारत खुद को पूरी तरीके से आजाद घोषित कर देगा। इस प्रस्ताव के बावजूद भी ब्रिटिश सरकार ने 1930 तक ऐसा नहीं किया। जिसके बाद पूर्ण आजादी की लड़ाई के बीज वहीं से पड़ने शुरू हुए और सक्रिय आंदोलन शुरू किया गया। नतीजन 26 जनवरी 1930 के दिन नेहरू ने रवि नदी के किनारे तिरंगा फहराया और भारत ने इसी दिन अपना पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया। 1947 तक आजादी मिलने से पहले भारत का स्वतंत्रता दिवस 26 जनवरी को ही मनाया जाता रहा था।

इतने दिन में तैयार हुआ था भारत का संविधान 

15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटिश राज से मुक्त हुआ जिसके बाद देश में आजादी का त्यौहार मनाने की तारीख बदल दी गई। बता दें कि 26 नवंबर 1949 में ही हमारा संविधान बनकर तैयार हो गया था लेकिन इसे लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया, जिसके बाद से इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। भारत की आजादी के बाद संविधान सभा गठित की गई। हालांकि इसका काम 9 दिसंबर 1946 से शुरू हो चुका था। इस लंबे चौड़े संविधान को बनने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था। और संविधान सभा ने दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान अपने अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद को 1949 में सौंप दिया था। संविधान के निर्माण के समय कुल 114 दिनों की बैठक हुई थी। जिसके बाद सभा के 308 सदस्यों ने अनेक सुधारों और बदलावों के बाद 24 नवंबर 1949 में इसकी दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किए।

क्या है डॉ. भीमराव अंबेडकर का संविधान से कनेक्शन ?

जब भी संविधान का नाम लिया जाता है, तो उसका जिक्र करते समय एक शख्स का नाम बार बार लिया जाता है। उस शख्स का नाम डॉ. भीमराव अंबेडकर है। उन्हें संविधान का पिता कहा जाता है। दरअसल संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों में जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद समेत अंबेडकर का नाम भी शामिल था। ये सभी सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों ने चुने थे। इस संविधान सभा में कुल 22 कमिटी थी जिसमें सबसे अहम प्रारूप कमिटी यानि ड्राफ्टिंग कमिटी थी। इस कमिटी का काम पूरे संविधान का निर्माण और उसे लिखना था। इसके अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे। जिसके बाद से ही इन्हें संविधान के पिता का दर्जा दिया गया।

वरुण का जबरा फैन: वेन्यू पर एक्टर के लिए खास गिफ्ट लेकर पहुंचा शख्स, थी ये ख्वाहिश, लेकिन…

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वरुण का जबरा फैन: वेन्यू पर एक्टर के लिए खास गिफ्ट लेकर पहुंचा शख्स, थी ये ख्वाहिश, लेकिन…

एक्टर वरुण धवन अपनी लॉन्ग टाइम गर्लफ्रेंड नताशा दलाल के साथ आखिरकार शादी के बंधन में बंध ही गए हैं। बीते दिन 24 जनवरी को वरुण ने नताशा के साथ अलीबाग में शादी रचाई। बॉलीवुड में लंबे वक्त के बाद किसी बड़े स्टार की शादी हुई। इस ग्रैंड वेडिंग पर हर किसी नजरें थीं। लेकिन कोरोना महामारी के दौर में कुछ खास रिश्तेदार और दोस्त ही इस शादी में शामिल हुए।

शादी में पहुंचा एक खास फैन

वरुण और नताशा की वेडिंग लगातार चर्चाओं में बनी हुई हैं और सोशल मीडिया पर इस क्यूट कपल की तस्वीरें भी खूब वायरल हो रही हैं। वरुण की शादी से जुड़ा एक और किस्सा सामने आया है। वरुण की शादी के वेन्यू पर उनका एक जबरा फैन स्पेशल गिफ्ट लेकर वहां पहुंच गया।

देखा चाहता था ये खास गिफ्ट

जी हां, वरुण का एक बड़ा फैन शादी के दिन वेन्यू के बाहर पहुंच गया। इस दौरान वो अपने हाथों से बनाए गए वरुण के ढेरों स्कैच भी लेकर आया था। वरुण के इस फैन का नाम शुभम बताया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शुभम एक्टर वरुण धवन के बहुत बड़े फैन है। वो 8 सालों से वरुण की सारी फिल्म देखते आ रहे हैं और उनको बहुत पसंद करते हैं। वरुण की शादी के दिन शुभम मुंबई के प्रभादेवी एरिया से गिफ्ट देने के लिए वेन्यू पर पहुंचे।

शुभन वरुण के लिए अपने हाथों से बनाए गए स्कैच लेकर आए थे। एबीपी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक 15 साल से शुभम वरुण के लिए वरुण के स्कैच बना रहे है। वो इनमें से कुछ स्कैच वरुण को शादी के गिफ्ट के तौर पर देना चाहते थे। हालांकि ये संभव नहीं हो पाया। क्योंकि कोरोना के चलते शुभम को अंदर जाने की इजाजत नहीं मिल पाई। हालांकि शुभम का कहना है कि वो फिर भी दुखी नहीं है और अगली बार वरुण से मिलने की कोशिश करेंगे।

बना चुका है वरुण के इतने स्कैच

बता दें कि एक बार शुभम को वरुण से मिलने का मौका मिल पाया है। 2018 में शूटिंग के दौरान वो एक्टर से मिले थे। इस दौरान भी शुभम ने वरुण को कुछ स्कैच गिफ्ट किए थे। शुभम वरुण के अलग-अलग लुक में स्कैच बनाते रहते हैं। वो अब तक एक्टर के कुल 96 स्कैच बना चुके हैं।

नताशा दलाल एक फैशन डिजाइनर हैं। वरुण और वो बचपन से दोस्त थे, लेकिन अब ये दोनों जीवनसाथी बन गए। वैसे तो अगर कोरोना काल नहीं होता तो पिछले साल ही वरुण और नताशा ने शादी कर ली होती। लेकिन अब 2021 में फाइनली ये क्यूट कपल एक-दूजे का हो ही गया।

नहीं सुधरा ड्रैगन! फिर चीनी सैनिकों ने की घुसपैठ की कोशिश, भारतीय सेना ने कुछ यूं सिखाया सबक

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नहीं सुधरा ड्रैगन! फिर चीनी सैनिकों ने की घुसपैठ की कोशिश, भारतीय सेना ने कुछ यूं सिखाया सबक

बीते साल अप्रैल-मई में भारत और चीन के बीच विवाद की शुरुआत हुई थीं। अब 2021 भी दस्तक दे चुका है, लेकिन अब तक दोनों देशों के बीच तनातनी का ये सिलसिला लगातार जारी है। भारत और चीन के बीच विवाद को सुलझाने के लिए कई दौर की बैठकें भी हो चुकी। फिर भी अब तक इसका कोई भी समाधान नहीं निकल पाया।

बीते दिन यानि रविवार को ही पूर्वी लद्दाख के मोल्डो में भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच 9वें दौर की बातचीत हुई थी, जो करीबन 15 घंटों तक चली। लेकिन इसी बीच एक और बड़ी खबर सामने आई है। इस बातचीत से पहले एक बार फिर LAC पर भारत और चीन के सैनिक भिड़ गए थे।

फिर भिड़े भारत और चीन के सैनिक

खबरों के मुताबिक सिक्कम में भारत और चीन के सैनिकों के बीच एक बार फिर से झड़प हुई। तीन दिन पहले सिक्कम के ना कूला में चीनी सैनिकों द्वारा बॉर्डर पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश की। इस दौरान चीन के सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की, जिसका उन्हें मुंहतोड़ जवाब मिला। भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों की इस चाल को कामयाब नहीं होने  दिया और चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया।

हालात अब काबू में…

बताया ये भी जा रहा है कि इस झड़प में दोनों तरफ के कुछ जवान जख्मी हुई। मिली जानकारी के मुताबिक झड़प के दौरान भारतीय सेना के 4 और 20 चीन के जवान घायल हुए। अभी वहां पर हालात काबू में बताए जा रहे हैं। इस झड़प के दौरान हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया गया। हालांकि इस खबर की अब तक आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

बातचीत का ठोंग रच रहा चीन

गौरतलब है कि एक तरफ चीन लगातार भारतीय क्षेत्रों में घुसपैठ की कोशिश कर रहा, वहीं दूसरी तरफ बातचीत करने का दिखावा भी कर रहा है। रविवार को चीन के कहने पर ही कोर कमांडरों की बैठक हुई थीं, जो काफी लंबी चली। ये बैठक रविवार सुबह शुरू हुई थी और देर रात तक चली। इस बैठक में कोई नतीजा तो नहीं निकला, लेकिन भारत ने टकराव वाली जगह से चीनी सैनिकों को पीछे हटाने की बात कही।

गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा। दोनों देशों के सैनिक इस वक्त भी आमने-सामने हैं। इससे पहले भी पिछले साल जून के महीने में भारत और चीन के सैनिकों के बीच बॉर्डर पर हिंसक झड़प हुई थीं। इस खूनी झड़प में भारतीय सेना के 20 से ज्यादा जवान शहीद हुए, जबकि चीन ने अपने यहां का आंकड़ा अब तक छिपाकर रखा हुआ है। इसके बाद भी कई बार भारत और चीन के सैनिक कई बार भिड़ चुके हैं।