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'एक हफ्ते के लिए किसानों के आंदोलन बनें हिस्सा, नहीं तो….' पंजाब की पंचायत का अजीब फरमान

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'एक हफ्ते के लिए किसानों के आंदोलन बनें हिस्सा, नहीं तो….' पंजाब की पंचायत का अजीब फरमान

नए कृषि कानून के विरोध में जारी किसानों के आंदोलन एक बार फिर से खड़ा होने लगा है। 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद जहां किसानों का आंदोलन कमजोर पड़ने लगा था, लेकिन अब एक बार फिर से इस आंदोलन तेज होने लगा है। गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद बड़ी संख्या में किसान वापस लौट गए थे। फिर गुरुवार रात को गाजीपुर बॉर्डर पर काफी हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिला, जिसके बाद दोबारा से किसान इस आंदोलन से वापस लौटने लगे है।

विर्क खुर्द ग्राम पंचायत का फरमान

किसानों का अभी भी यही कहना है कि केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि कानून को जब तक वापस नहीं लिया जाता, तब तक वो पीछे नहीं हटेंगे। किसानों को कई संगठनों, खाप पंचायत और ग्राम पंचायत का भी इस आंदोलन में साथ मिल रहा है। पंजाब के बठिंडा की विर्क खुर्द ग्राम पंचायत भी किसानों के समर्थन में एक अजीब फरमान जारी किया। पंचायत ने एकजुटता दिखाने के लिए हर परिवार से एक सदस्य को दिल्ली बॉर्डर पर हो रहे आंदोलन में शामिल होने को कहा।

विर्क खुर्द पंचायत के इस फरमान में कहा गया कि एक हफ्ते के लिए दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन का हिस्सा हर परिवार से कम से कम सदस्य को बनना होगा। पंचायत के सरपंच मनजीत कौर ने कहा कि ऐसा नहीं करने वाले पर 1500 रुपये का फाइन लगेगा और जो फाइन नहीं देगा उसका समाज में बहिष्कार किया जाएगा।

किसान आंदोलन का अब तक का पूरा हाल

गौरतलब है कि नवंबर में किसानों ने अपने इस आंदोलन को शुरू किया था। किसानों का ये आंदोलन नए कृषि कानून के विरोध में हैं। वो इसे ‘काले कानून’ बताते हुए वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन विवाद का कोई हल नहीं निकला।

गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों ने अपने आंदोलन को तेज करते हुए दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकाली। लेकिन इस रैली के दौरान दिल्ली में जगह-जगह पर हिंसक घटनाएं हो गई। जहां किसानों ने रैली शांतिपूर्ण तरीके से निकालने का फैसला लिया था, वहीं इस घटना के बाद कई किसान नेता बुरी तरह से फंस गए। कई किसान नेताओं के खिलाफ केस दर्ज हुआ।

वहीं इसके बाद किसानों का आंदोलन भी कमजोर पड़ने लगा। कुछ संगठनों ने आंदोलन वापस लेने का फैसला लिया और बड़ी संख्या में किसान अपने घरों को लौटने लगे। लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर गुरुवार रात को हुए घटनाक्रम के बाद एक बार फिर से किसानों के आंदोलन को धार मिली। वहीं आंदोलन राजनीतिक होता जा रहा है। विपक्षी पार्टियां खुलकर किसानों के समर्थन में आ गई है।

आज किसान 26 जनवरी को हुई घटना को लेकर महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को ‘सद्भावना दिवस’ के रूप में मना रहे हैं। आज किसान उपवास रख रहे हैं। इसके अलावा शुक्रवार को यूपी के मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत हुई थी, जिसमें ये फैसला लिया गया कि मुजफ्फरनगर और पश्चिमी यूपी समेत अन्यू जिलों के किसान दिल्ली कूच करेंगे। देखने वाली बात होगी कि किसानों का ये आंदोलन आगे क्या मोड़ लेगा…?

दिल्ली धमाके के बाद चर्चाओं में 'मोसाद'…क्यों इस एजेंसी से कांपती है दुनिया? जानिए इसके खतरनाक मिशन के बारे में

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दिल्ली धमाके के बाद चर्चाओं में 'मोसाद'…क्यों इस एजेंसी से कांपती है दुनिया? जानिए इसके खतरनाक मिशन के बारे में

शुक्रवार को देश की राजधानी दिल्ली में एक IED ब्लास्ट हुआ। वैसे तो ये ब्लास्ट मामूली था, लेकिन इसको लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच फिलहाल जारी है। ये हमला किसने, किस मकसद से किया इसका पता लगाया जा रहा है। जांच कर रही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के हाथ कुछ बड़े सबूत भी लगे। दिल्ली में हुए हमले के बाद एक सुरक्षा एजेंसी का नाम काफी सुर्खियों में आ रहा है और वो है मोसाद।

जांच में ‘मोसाद’ भी हो सकती है शामिल

जैसे ही शुक्रवार शाम को दिल्ली में ब्लास्ट हुआ, मोसाद एजेंसी का नाम ट्विटर पर ट्रेडिंग लिस्ट में आ गया। दरअसल, धमाके की जांच में इजरायली एजेंसी मोसाद के जुड़ने की भी संभावनाएं जताई जा रही हैं। आखिर क्या है मोसाद? क्यों इसकी इतनी चर्चाएं हो रही? क्यों  दुनिया इससे खौफ खाती है? और इस एजेंसी के बड़े कारनामे क्या है? इसके बारे में आपको बताते हैं…

जानिए इस एजेंसी के बारे में…

इजरायली एजेंसी मोसाद की स्थापना 1949 में हुई थीं। इजराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड बेन-गूरियन की सलाह पर इसकी स्थापना की गई थी। इसके पीछे उनका मकसद था कि कि एक ऐसी केंद्रीय इकाई बनाई जाए, जो मौजूदा सुरक्षा सेवाओं, सेना के खुफिया विभाग, आंतरिक सुरक्षा सेवा और विदेश के राजनीति विभाग के साथ समन्वय बनाए और सहयोग को बढ़ाने का काम करे। इस एजेंसी को 1951 में प्रधानमंत्री कार्यालय का हिस्सा बना दिया गया।

मोसाद की गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक एजेंसियों में होती हैं। इजरायल के दुश्मनों से मोसाद घुसकर बदला लेती हैं। दुनियाभर में ये एजेंसी ऐसे कई बड़े ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचा चुकी है। आइए आपको मोसाद के कुछ बड़े ऑपरेशन के बारे में बताते हैं…

जब मोसाद ने चुराया मिग 21 विमान

60 के दशक में सबसे तेज विमान रूस के मिग 21 लड़ाकू विमान को माना जाता था। इस विमान को अमेरिका भी पाना चाहता था, लेकिन इसमें अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए नाकाम रही। जिसके बाद मोसाद इस विमान को पाने की कोशिश में जुट गया। पहले और दूसरे प्रयास में तो एजेंसी सफल नहीं हो पाई, लेकिन फिर भी हार नहीं मानी। 1964 में एजेंसी को आखिरकार ये सफलता हाथ लग गई। मोसाद की महिला एजेंट ने इराक के एक पायलट के जरिए इस विमान को हासिल करने में कामयाबी हासिल की। इजराइल को मिग 21 विमान का तब फायदा हुआ, जब उसकी जंग अरब देशों से हुई। इस दौरान 6 ही दिनों में इजरायल उनको घुटने पर ले आया।

खिलाड़ियों की मौत का लिया बदला

बात साल 1972 की है, जब म्यूनिख ओलंपिक में इजरायल ओलंपिक टीम के 11 खिलाड़ियों को मार दिया गया था। इस घटना का आरोप दो आतंकी संगठनों पर लगा। मोसाद ने इसके बार इस हमले के आरोपियों को ऐसे चुन-चुनकर मारा, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की। ये किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। हमलावर अलग-अलग देशों में जाकर छिप गए थे, लेकिन फिर भी मोसाद से वो बच नहीं पाए। मोसाद के एजेंटों ने कई देशों का प्रोटोकॉल्स को तोड़ा और अपराधियों को मारा। इसे मोसाद का सबसे लंबा ऑपेशन माना जाता है।

अर्जेंटीना में घुसकर किया अपना काम और…

1960 की बात है जब नाजियों ने यहूदियों पर जो जुल्‍म किए उसका बदला इजरायल लेना चाहता था। जब मोसाद को इसके बारे में पता चला कि नाजी युद्ध का अपराधी एडोल्फ एकमैन अर्जेंटीना में है, तो उसको पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया। मोसाद के 5 एजेंट नाम बदलकर अर्जेंटीना पहुंचे गए और एकमैन को ढूंढा। फिर उसको वहां से इजरायल भी ले आए। इतना सबकुछ हो गया और अर्जेंटीना की सरकार को मिशन में भनक तक नहीं लगी। इस ऑपरेशन ने मोसाद को दुनियाभर में एक अलग पहचान दिलाई।

अगवा किए विमान से यात्रियों को बचाया

1976 में इजरायल के यात्रियों से भरे फ्रांस के एक विमान का आतंकियों ने अरब में अपहरण कर लिया। इसके बाद मोसाद ने अपनी बुद्धिमानी और ताकत का परिचय देते हुए अपने 94 नागरिकों को बचाया। युगांडा के एंतेबे हवाई अड्डे पर इस ऑपरेशन को आज भी दुनिया के सबसे सफल हॉइजैकर्स मिशन में से एक माना जाता है।

…70 गोलियों से भून दिया

फिलीस्तीन के मशहूर नेता रह चुके यासिर अराफात के दाहिने हाथ माने जाने वाले खलील अल वजीर को मोसाद ने गोलियों से छलनी किया था। खलील अल वजीर को अबू जिहाद भी कहा जाता था, जो ट्यूनीशिया में रह रहा था। अबू को फिलीस्तीन के आतंकी संगठनों का प्रमुख माना जाता था, इजरायल में कई हमले उसी के इशारे पर हुए। जिसके चलते वो मोसाद की हिट लिस्ट में शामिल था। 30 एजेंट इस मिशन में लगे। सब एक-एक करके टूरिस्ट बनकर ट्यूनीशिया पहुंचे और वहां पर अबू जिहाद के घर का पता लगाया। फिर अबू को उसके परिवारवालों के सामने ही 70 गोलियां मारकर इस ऑपरेशन को पूरा किया।

चुराई ईरान की न्यूकिलयर मिशन की फाइल्स

2018 में ईरान में घुसकर मोसाद ने एक बेहद ही खतरनाक मिशन को अंजाम दिया। इस मिशन के तहत तेहरान में बने एक वेयरहाउस से ईरान के न्यूक्लियर मिशन वाली फाईलों को चुराना था। मिशन में दो दर्जन से भी अधिक जासूस शामिल हुए और इसमें करीबन साढ़े छह घंटे लगे। मोसाद के एजेंट्स ने करीब 50,000 पेज और 163 सीडी लेकर निकल गए।                                                      

CCTV फुटेज, लिफाफा, आधा जला दुपट्टा…जानिए दिल्ली ब्लास्ट की जांच में अब तक हाथ लगे क्या अहम सबूत?

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CCTV फुटेज, लिफाफा, आधा जला दुपट्टा…जानिए दिल्ली ब्लास्ट की जांच में अब तक हाथ लगे क्या अहम सबूत?

शुक्रवार शाम को देश की राजधानी दिल्ली में जो हुआ, उसने पूरे देश को डरा कर रख दिया। दिल्ली में जहां एक ओर बीटिंग रीट्रीट का आयोजन हो रहा था। वहीं उससे कुछ भी दूरी पर लुटियंस जोन में APJ अब्दुल कलाम रोड पर स्थित इजरायली दूतावास एक धमाका हुआ। यूं तो ये धमाका काफी मामूली ही था। किसी की चोट नहीं आई, कुछ गाड़ियों के शीशें ही टूटे। लेकिन इस धमाके को लेकर सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर है।

दिल्ली में हुए ब्लास्ट के बाद कई ही सवाल उठ रहे है कि आखिर किसने और क्यों ये ब्लास्ट किया? जिसने ये किया उसका मकसद क्या था? क्या वो डराना चाह रहा था या फिर कोई बड़ा संकेत देना चाह रहा था? कैसे इस अति सुरक्षित इलाके में ये बड़ी घटना हो गई? एजेसियों से कहां पर चूक हो गई?

CCTV फुटेज में दिखे 2 संदिग्ध

सवाल कई है, जिनका जवाब ढूंढने की कोशिश दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और इंटेलिजेंस एजेंसियां जुटी हैं। अब तक जो जानकारी हासिल हुई है उसके मुताबिक स्पेशल सेल के हाथ एक CCTV की फुटेज लगी, जिसमें एक अहम सुराग मिला। CCTV फुटेज में एक कैब से उतरते हुए दो लोग नजर आ रहे है। ये दोनों उसी जगह की ओर जाते दिख रहे है, जहां पर ब्लास्ट हुआ। इसके बाद पुलिस ने कैब के ड्राइवर से भी संपर्क किया और उन संदिग्धों का स्कैच बनाने की तैयारी हो रही है।

लिफाफे से सामने आया ईरान कनेक्शन

इसके अलावा जांच के दौरान इजरायली दूतावास के पास से पुलिस को एक लिफाफा मिला है, जिससे इस धमाके का ईरान कनेक्शन भी सामने आया। खबरों के मुताबिक लिफाफे में इस धमाके को एक ट्रेलर बताया गया और साथ में बदला लेने की बात भी कही गई। लिफाफे में 2020 में मारे गए कासिम सुलेमानी और ईरान के वरिष्ठ न्यूक्लियर वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह का भी जिक्र है।

बाहर जाने वालों पर रखी जा रही नजर

इस धमाके के बाद इमिग्रेशन और एयरपोर्ट अधिकारियों को भी अलर्ट पर रखा गया। अगले कुछ घंटों तक भारत से बाहर जाने वाले इंटरनेशनल पैसेंजर्स पर नजर रखी जा रही है। साथ ही घटना और आसपास के इलाके की CCTV फुटेज को भी खंगाला जा रहा है।

ये भी आशंका जताई जा रही है कि जिसने भी ये बम फेंका वो किसी होटल में रुका हो सकता है। इस वजह से सभी होटलों की जांच हो रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मुताबिक ये भी माना जा रहा है कि इस घटना को अंजाम देने से पहले संदिग्ध ने इलाके की रेकी की होगी। इस वजह से घटना के दो-तीन पहले की CCTV फुटेज को भी खंगाला जा रहा है।

अमोनियम नाइट्रेट के इस्तेमाल का अंदेशा

वहीं खबरों के मतुबाकि बम में अमोनियम नाइट्रेट के इस्तेमाल होने का भी अंदेशा है। खबरों के अनुसार धमाके वाली जगह पर बने गड्ढे से बॉल बेयरिंग और तारें बरामद हुई। साथ ही फॉरेंसिक टीम को अमोनियम नाइट्रेट के इस्तेमाल के निशान भी मिले। साथ ही वहां से एक पिंक कलर का आधा जला हुआ दुपट्टा मिला। धमाके से इस पिंक दुपट्टे का आखिर क्या कनेक्शन है, पुलिस इसकी तलाश में फिलहाल जुटी है।

धमाके पर इजराइल ने क्या कहा?

वहीं इस ब्लास्ट को लेकर इजराइल भी सख्त है। इजराइल की ओर से धमाके को ‘आतंकी हमला’ करार दिया गया। धमाके को लेकर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारत पर ‘पूरा भरोसा’ जताया और कहा कि भारत में रह रहे इजराइल के लोगों और यहूदियों की भारत के अधिकारी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मामले को लेकर इजराइल के विदेश मंत्री से बात की और बताया कि इस घटना को हम गंभीरता से ले रहे हैं। साथ ही उन्होनें ये भी कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

Gandhi Death Anniversary: इंग्लैंड जाने से पहले गांधी जी ने दिया था मां को ये वचन, जानिए बापू से जुड़ी कुछ खास बातें…

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Gandhi Death Anniversary: इंग्लैंड जाने से पहले गांधी जी ने दिया था मां को ये वचन, जानिए बापू से जुड़ी कुछ खास बातें…

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज 73वीं पुण्यतिथि है। 30 जनवरी 1948 ही वो दिन जब खुशी का माहौल मातम में बदल गया। ये दिन इतिहास के सबसे दुखद दिनों में से एक है। इसी दिन नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को एक के बाद एक तीन गोलियां मारकर उनकी हत्या कर दी थी। अहिंसा की राह पर चलकर गांधी जी ने अग्रेंजों को अपने आगे झुकने पर मजबूर कर दिया था। महात्मा गांधी का आजादी में बड़ा अहम योगदान रहा। आज उनकी पुण्यतिथि पर उनके बारे में आपको कुछ बाते बताते हैं…

महात्मा गांधी का जन्म

2 अक्टूबर 1869 को महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ। गांधी जी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता करमचंद गांधी और माता पुतलीबाई थी। महात्मा गांधी के पिता अंग्रेजों के राज में पोरबंदर और गुजरात में रियासत के दीवान थे। गांधी जी तीन भाईयों में सबसे छोटे थे। उनका सत्य और अहिंसा से भरा जीवन अपनी मां से प्रेरित था। गांधी जी के जीवन में धर्म कि विशेष प्रभाव था।

महात्मा गांधी की शिक्षा

गांधी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से की है. इसके बाद उनके पिता का ट्रांसफर राजकोट हो गया था, जिसकी वजह से उन्होनें अपने आगे की पढ़ाई वहीं से की। 1887 में महात्मा गांधी ने राजकोट के हाई स्कूल से मैट्रि्क की शिक्षा पूरी की और इसके बाद वो अपनी आगे की पढ़ाई के लिए भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला ले लिया। घर से दूर रहने की वजह से उनके स्वास्थ्य में गिरावट आने लगी, जिसके बाद वो पोरबंदर वापस लौट गए।

1888 में गए थे इंग्लैंड

इसके बाद 4 सितंबर 1888 को बापू इंग्लैड के लिए रवाना हुए। यहां जाते वक्त उन्होनें अपनी माता को वादा किया था कि वो मासाहारी भोजन से हमेशा दूरी बनाकर रखेंगे और उन्होनें वहां पर अपने इस वचन का पालन किया। हालांकि इसकी वजह से बापू को काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। शुरुआत में शाकाहारी भोजन नहीं मिलने की वजह से गांधी जी को कई दिनों तक भूखा रहना पड़ा। इसके बाद उन्होनें लंदन में वेजीटेरियन सोसाइटी की सदस्यता ग्रहण कर ली। 3 सालों तक यहां पर रहने के बाद वो साल 1891 में भारत वापस लौट आए।

13 साल की उम्र में हुई थी शादी

महात्मा गांधी की शादी साल 1883 में कस्तूबरा गांधी से हो गई थी, वो उस समय सिर्फ 13 साल के थे। दोनों की शादी माता-पिता ने तय की थी। लोग कस्तूबरा गांधी को प्यार से ‘बा’ कहकर बुलाते थे। शादी से पहले उनकी पत्नी को पढ़ना लिखना नहीं आता था. गांधी जी ने उन्हें ये सब सिखाया। 1885 में गांधी जी के घर में बच्चे ने जन्म लिया, लेकिन कुछ समय बाद ही उसका निधन हो गया।

ऐसे हुई थी मौत

गांधी जी की मौत 73 साल पहले आज ही के दिन हुई थी। 30 जनवरी 1948 को शाम के 5 बजकर 15 मिनट पर जब गांधी जी दिल्ली के बिड़ला भवन में आयोजित प्रार्थना सभा में जा रहे थे, उस वक्त बीच रास्ते में नाथूराम गोडसे ने आकर उनके सीने पर एक के बाद एक तीन गोलियां दाग दी। जिनमें से 2 गोली तो उनके शरीर से होती हुई बाहर निकल गई, लेकिन तीसरी अटकी रही गई। इसके बाद महात्मा गांधी वहीं पर गिर गए।

महात्मा गांधी की हत्या के आरोप में 10 फरवरी 1949 को नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा सुनाई गई थी और 15 नवंबर 1949 को नाथूराम गोडसे को फांसी पर लटकाया गया। बताया जाता है कि इससे पहले भी गोडसे ने कई बार महात्मा गांधी की हत्या करने की कोशिश की थी, लेकिन वो कभी कामयाब नहीं हो पाया।

खुद को “GOD” समझते हुए इन हत्यारी नर्सों ने उतारा कई मरीजों को मौत के घाट, ‘Angels of Death’ के नाम से दुनियाभर में मशहूर

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खुद को “GOD” समझते हुए इन हत्यारी नर्सों ने उतारा कई मरीजों को मौत के घाट, ‘Angels of Death’ के नाम से दुनियाभर में मशहूर

साल 1960 में जन्मी वालट्रुड वैगनर, मारिया ग्रुबेर, इरेन लेडॉल्फ और स्टेफ़निजा मेयर ये वो नाम है जिन्होंने 20वीं शताब्दी में यूरोप में सबसे असामान्य अपराध टीमों में से एक टीम बनाई. ये चारों ऑस्ट्रियाई महिलाएं वियना के लैन्ज़ जनरल अस्पताल में नर्स के रूप में काम करती थी, लेकिन इसके अलावा वो एक और दिल दहलाने वाला काम करती थी. जिसे अंजाम देने के लिए वो ऐसे रोगियों की हत्या करती थी, जिनकी उम्र 70 साल या उससे ज्यादा थी.

आपको बता दें कि वैगनर ने केवल 23 साल की उम्र में मॉर्फिन के ओवरडोज से एक मरीज को पहली बार मारा था. इस दौरान उसे भगवान की भूमिका निभाते हुए और अपने हाथों में जीवन और मृत्यु की शक्ति रखने का आनंद मिला. उसने 19 साल के ग्रुबेर, 21 साल के लेडॉल्फ और “house mother” of the group 43 वर्षीय स्टेफ़निजा मेयर को अपने यहां भर्ती कर एक टीम बनाई.

वो बात अलग है कि लीथल इंजेक्शन से अधिक असर नहीं होने की वजह से इस ग्रुप ने अपना खुद का एक मर्डर मेथड का अविष्कार किया, जिसका नाम “डेथ पैवेलियन” रखा. इसके तहत ग्रुप का एक सदस्य पीड़ित के सिर को पकड़ता था और उसकी नाक को दबाकर बंद कर देता था और फिर दूसरा सदस्य पीड़ित के मुंह में पानी तब तक डालता रहता था जब तक वो बेड पर ही बेजान न पड़ जाएं. आमतौर पर ऐसा ही होता था कि बुजुर्ग रोगियों के फेफड़ों में तरल पदार्थ होता था, जिसके वजह से पानी से मर्डर करने वाली बात कभी सामने नहीं पाती थी.

इस ग्रुप ने एक स्थानीय सराय में कुल 6 साल में 49 हत्याएं की थी, जिसे उन्होंने बाद कबूल किया. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि ये ग्रुप 200 हत्याओं के लिए भी जिम्मेदार हो सकते हैं. आज भी इन सभी नर्सों को लोग ‘Angels of Death’ के नाम से जानते हैं. साल 1839 में निर्मित, वियना, लेन्ज जनरल हॉस्पिटल, ऑस्ट्रिया में चौथा सबसे बड़ा हॉस्पिटल था, जिसमें कुछ 2,000 कर्मचारी थे और वहां ज्यादातर कई मरीज 70 से अधिक के उम्र के थे.

वैगनर को मरीजों को मारने की धारणा उस वक्त मिली जब उससे एक 77 वर्षीय महिला ने अपना दुख खत्म करने के लिए कहा, जिसके बाद वैगनर ने मॉर्फिन के ओवरडोज की मदद से महिला की हत्या कर दी. इस दौरान उसने खुद को भगवान की भूमिका निभाते पाया, जिससे उसमें उसे आनंद आया. उस लगा कि उसके हाथों में जीवन और मृत्यु की शक्ति है. इतना ही नहीं इस बारे में वैगनर ने अपने खास दोस्तों को भी बताया जिससे जानकर उन्हें अच्छा लगा.

मामले की जांच कर रहे अधिकारियों का कहना है कि वैगनर समूह की साध्वी स्वेगाली थी, जो अपने शिष्यों को घातक इंजेक्शन की सही तकनीकों के बारे में बताते हुए पानी से इलाज करना सिखाती थी. वहीं जब किसी रोगी को झुंझलाहट होती या वो किसी तरह की शिकायत करता जैसे चादरों को भिगोना, खर्राटे लेना, दवा लेने से मना करना या फिर ऐसे समय में मदद मांगना जब नर्स को असुविधा हो तो ऐसे में वो मरीजों को उसी रात मौत के घाट उतारने की योजना बना लेती थी और फिर वैगनर और उसके साथी मिलकर हत्या को अंजाम देते थे.

साल 1988 तक ये हत्या का मामला काफी ज्यादा फैलने लगा, जिसके बाद जब शुरू की गई. अप्रैल 1989 में वार्ड के प्रभारी डॉ. जेवियर पेसेंडरॉर्फ को निलंबित किया गया था लेकिन उसके बाद भी हत्या के कई मामले सामने आते रहे. वहीं दूसरी ओर हत्यारे लापरवाही बरतने लगे, जिसके चलते उनका पर्दाफाश हो गया. साल 1989 के फरवरी में जब वालट्रैड वैगनर और उसके साथियों ने काम के बाद कुछ ड्रिंक किया. नशे में वो बुजुर्ग मरीज जूलिया द्रापाल की पानी से हत्या कर देने के बारे में बात करते हुए हंसने लगे तभी पास में खड़े एक डॉक्टर ने उनकी बातें सुन ली और बहुत ज्यादा डर गया.

ये सुनने के बाद उसने पुलिस के पास जाकर सारी बातें बता दी. जिसके बाद 6 हफ्ते की जांच चली और 7 अप्रैल को सभी 4 संदिग्धों की गिरफ्तारी की गई. बता दें कि इन चारों को ‘Angels of Death’ भी कहा जाता था, जिन्होंने पूछताछ के दौरान 49 हत्या की बात कबूल कर ली. जहां वैगनेर पर अकेले 39 हत्या का आरोप लगा, तो वहीं वीनस स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख अलोइस स्टैचर ने इरेने लीडोल्फ के हवाले से कहा कि पिछले 2 सालों में वैगनर द्वारा 100 रोगियों की हत्या की गई थी. जबकि टीम के अन्य सदस्य स्टेफ़निजा मेयर ने ये स्वीकार कर लिया कि उसने बहुत बार वैगनर की मदद की.

आपको बता दें कि जैसे-जैसे ये मुकदमा आगे बढ़ता गया, वैसे-वैसे वैगनर हत्याओं में अपनी भूमिका पर चर्चा करने से हिचकने लगी और फिर साल 1990 के अंत तक उसने अपने 39 हत्या के मामलों में इस बात का दावा किया कि उनमें से उसने दस की हत्या मरीज के दर्द को कम करने के लिए की थी. इन हत्याओं को ऑस्ट्रिया के इतिहास का सबसे क्रूर और बड़ा क्राइम बताया था, इतना ही नहीं जज और वैगनर और उनके साथियों के डिफेंडर ने भी उनसे कोई सहानुभूति नहीं दिखाई.

टॉफियां खिलाकर नाबालिग बच्चियों को बनाता था हवस का शिकार, जानिए कौन था ये खतरनाक सीरियल ‘बेबी किलर’

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टॉफियां खिलाकर नाबालिग बच्चियों को बनाता था हवस का शिकार, जानिए कौन था ये खतरनाक सीरियल ‘बेबी किलर’

वो साइकिल पर घूमता था गली-चौराहें, कांधे पर थैला लटकाए हुए जिसमें रहती ढेरों टॉफियां थी, न तो वो कोई फरिश्ता था और ना ही कोई ऐसा शख्स था. जो बच्चों के लिए खुशियों की वजह बनता, बल्कि वो एक दरिंदा था जो पहले बच्चों को बहलाता, टॉफी देकर फुसलाता था और फिर उनके साथ ऐसी हरकत करता जिसके बारे में मात्र सोचने पर ही आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी. बच्चियों को टॉफी से एक पल के लिए खुश करने वाला ये वैहशी दरिंदा पहले उनको अगवा करता था और फिर उन्हें ही अपने हवस का शिकार बनाने के बाद मौत के घाट उतार देता था.

ये किस्सा अमृतसर के ब्यास के रहने वाले एक ऐसे खतरनाक सीरियल ‘बेबी किलर’ का है जो अपना शिकार बच्चियों को बनाता था. दरबारा सिंह नामक ये ‘बेबी किलर’ कद-काठी से पतला-दुबला और लंबा था. ये सेना में नौकरी करने के बाद साल 1975 में पठानकोट के एयर फोर्स स्टेशन का अधिकारी बन गया था, वहीं नौकरी के दौरान दरबारा सिंह पर एक मेजर के परिवार पर हैंड ग्रेनेड फेंकने का आरोप लगा था, जिस आरोप से वो बाद में बरी हो गया.

उस दौरान किसी को जरा सा भी अंदाजा न था कि दरबारा सिंह की नीयत और सोच इतनी ज्यादा खौफनाक है कि वो अपने हवस को पूरा करने के लि मासूमों को शिकार बनाने लगेगा और उसे खून करने की एक सनक चढ़ जाएगी. यू तो दरबारा सिंह इंसान था लेकिन उसने अपने जीवन में जैसे-जैसे काम किए हैं उससे तो वो एक हैवान से भी बढ़कर है.

अपने सीनियर ऑफिसर पर हैंड ग्रेनेड फेंकने का आरोपी कब एक हैवान का रूप ले लेगा किसे पता था, लेकिन सनक में इसने कई मासूमों की जिंदगी छीन ली. जिस वजह से उसे ‘बेबी किलर’ के नाम से भी जाना जाने लगा. बता दें कि दरबारा सिंह हमेशा अपनी साइकिल से घूमता रहता और उसके पास एक बैग में टॉफियां भरी रहती थीं. टॉफी का लालच देते हुए वो मासूम बच्चों को सुनसान इलाके में ले जाकर उनके साथ दुष्कर्म कर उन्हें मौत के घाट उतार देता था.

साल 1996 में कपूरथला में दरबारा सिंह ने एक अप्रवासी मजदूर की नाबालिग बच्ची को अपने हवस का शिकार बनाया और उसे मौत के घाट उतार दिया. इसी मामले से उसका नाम पहली बार सामने आया था, तो वहीं साल 1977 में उसे रेप और हत्या के प्रयास का दोषी पाया गया. इस दौरान उसे तीन अलग-अलग मामलों के लिए 30 साल तक जेल की सजा सुनाई गई और उसे कपूरथला जेल से जालंधर सेंट्रल और फिर लुधियाना सेंट्रल जेल में कैद किया गया, लेकिन साल 2003 में उसकी दया याचिका को मंजूर कर लिया गया. जिसके चलते उसके अच्छे व्यवहार को देखते हुए उसे 10 साल में ही रिहा कर दिया गया.

रिहा होने के बाद भी दरबारा के अंदर छिपा हैवान है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था, एक बार फिर ये हैवान जागा और दरिंदगी करने लगा. ये मासूम बच्चों को अलग अलग तरीके से फंसाता था. कभी मिठाई, कभी टॉफी, कभी समोसा तो कभी पटाखों का लालच देता और फिर मासूमों को अपने चंगुल में फंसा लेता था. अपनी हवस को पूरा करने के लिए वो सुबह 10 बजे से दोपहर 12.30 बजे के बीच निकलता और बच्चों को दबोच लेता था.

कपूरथला में एक के बाद एक लगभग 23 बच्चे लापता हुए जिनमें से पुलिस ने 6 ऐसे बच्चों को बरामद किया जिनकी उम्र 10 साल से कम थी. पुलिस के अनुसार उसने 17 में से ज्यादातर बच्चों के साथ रेप को अंजाम दिया और फिर उनके शवों को रैया खदूर साहिब रोड पर पुल के पास दफन कर दिया. पुलिस ऐसा मानती थी कि दरबारा ने कई हत्याओं के बारे में बताया ही नहीं. मृतक बच्चों में 15 लड़कियां और 2 लड़के थे, जिसमें सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूरों के बच्चे थे.

साल 2004 में उसको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. हैरत की बात तो ये है कि जब उसे जालंधर के SSP के सामने पेश किया गया तब उसने ये बयान दिया कि अगर उसे पुलिस अभी गिरफ्तार नहीं करती तो वो और भी बच्चों को वो अपना शिकार बनाता. वहीं, साल 2008 में दरबारा को फांसी की सजा सुनाई गई लेकिन इसे कम करके उम्रकैद में बदल दिया गया.

वहीं अगर बात करें दरबारा सिंह की निजी जिंदगी तो वो 3 बच्चों का पिता है लेकिन उसकी पत्नी उसकी घिनौनी हरकतों से तंग आ गई और उसे घर बाहर कर दिया था. बता दें कि उम्रकैद की सजा के दौरान 6 जून 2018 को दरबारा की मौत हो गई, वहीं, जब उसकी मौत की खबर उसकी पत्नी को दी तो उसकी पत्नी ने शव लेने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि वे इस दरिंदे के शव को अग्नि नहीं देंगे. जिसके बाद जेल के अधिकारियों ने दूसरे दिन उसका अंतिम संस्कार करवाया. एक बुरे व्यक्ति का अंत भी आखिरकार बुरा ही हुआ और उसके शव को अग्नि देने के लिए तक कोई राजी न हुआ.

NOTE: ये जानकारियां अलग अलग स्त्रोतों से उठाई गई है इनमें से किसी भी जानकारी की पुष्टि नेड्रिक न्यूज नहीं करता.

शौक बना सनक का कारण, लड़कियों की हत्या कर अंडरगारमेंट से करता था ऐसा काम जानकर आप भी रह जाओगे दंग

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शौक बना सनक का कारण, लड़कियों की हत्या कर अंडरगारमेंट से करता था ऐसा काम जानकर आप भी रह जाओगे दंग

कहते हैं “शौक बड़ी चीज है” और इसे पूरा करने के लिए व्यक्ति कुछ भी करने को तैयार रहता हैं. जब शौक को पूरा करने के लिए व्यक्ति दीवाना सा होता है तो उसे अपनी जान तक की परवाह नहीं होती है, दिखता है तो बस अपना शौक. दुनिया में कई लोग हैं जिनके तरह-तरह के शौक होते हैं, वहीं आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका शौक लड़कियों का अंडरगारमेंट चुराना था और उसका ये शौक सनक में बदल गया. उसकी खबर तब हुई जब कई लड़कियों की मौत की खबरें सुर्खियां बटोर ने लगी.

इस शख्स को लड़कियों के अंडरगारमेंट्स चुराने का शौक था और वो धीरे-धीरे उसके सिर खून बनकर सवार हो गया, जिसके बाद वो एक सनकी हत्यारा बन बैठा, वो भी ऐसा वैसा नहीं बल्कि एक खूंखार सीरियल किलर.

यूनाइटेड स्टेटस के कंसास में जन्मा ये शख्स खुद को ‘BTK किलर’ सुनना बहुत पसंद करता था. अब आप सोच रहें होंगे भला ये ‘BTK’ होता क्या है या इसका मतलब क्या है, तो आपको बता दें कि BTK में B का मतलब BIND यानि बांधना, T का मतलब TORTURE यानि यातना देना और K का मतलब KILL यानि मार डालना है.

किसी को नहीं हुआ 30 साल तक शक

‘BTK किलर’ के नाम से मश्हूर ये शख्स यूनाइटेड स्टेट्ट के कंसास के सबसे बड़े शहर विचिटा में रहता था, जिसने काफी लंबे वक्त दोतरफा जिंदगी जी और इसका किसी को इल्म तक नहीं होने दिया कि आखिरकार वो असल में है क्या. 30 सालों तक उस पर किसी को भी कोई शक नहीं हुआ.

हत्या कर अंडरगारमेंट्स भी पहनता

आपको बता दें कि ‘BTK किलर’ का असली नाम डेनिस रेडर था, इसकी एक पत्नी और 2 बच्चे है. लोगों की नजर में एक साधारण सी जिंदगी जीने वाले डेनिस के खूनी कारनामों को जानकर तो इंसान क्या शैतान तक का दिल दहला सकता है. लगभग 30 साल तक डेनिस रेडर ने पहले लड़कियों की हत्या की और उसके बाद उनके अंडरगारमेंट्स भी पहनता था. इस तरह की हरकत वो केवल अपनी सेक्शुअल संतुष्टि के लिए किया करता था.

एक परिवार के 4 सदस्यों को बनाया पहला शिकार

डेनिस रेडर ने 15 जनवरी 1974 में सबसे पहली हत्या को अंजाम दिया था, उस दौरान उसके सनक का शिकार एक परिवार के चार सदस्य हुए और उसने उन सभी को बड़ी बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया. इस दौरान 38 साल के जोसेफ, जोसेफ की 34 साल की पत्नी जूली, उनके 11 साल और 9 साल के बेटे को डेनिस रेडर ने हत्या कर दी.

वहीं, इस हत्या के लगभग 1 महीने बाद साल 1974 में डेनिस रेडर की तलाश करते हुए 21 साल की कैथरिन और 19 साल का भाई केविन उसके घर जा पहुंचे जहां रेडर मौजूद था. उस दौरान किसी भी तरह की देरी किए बिना डेनिस ने अपने तमंचे के बल पर दोनों भाई और बहन को सरेंडर करने पर मजबूर कर दिया, जिसके बाद केविन से कहा कि वो अपनी बहन को बांध दें और फिर रेडिन ने केविन को भी अपने ही बिस्तर से बांध दिया.

इस दौरान जब केविन ने अपने आपको छुड़ाने की कोशिश की तो सनकी रेडर ने उसके सिर में 2 गोलियां मार दी जिसके चलते केविन की मौत हो गई. इसके बाद रेडर ने कैथरिन का गला दबाकर हत्या करनी चाही लेकिन कैथरिन ने हिम्मत और बहादुरी दिखाते हुए उससे पूरी ताकत से लड़ी और फिर कैथरिन पुलिस को फोन करने में कामयाब तो रही लेकिन उसे पहले ही गंभीर चोटें लग चुकी थी जिस वजह से उसकी मौत हो गई. इस हत्या को अंजाम देने के लगभग 3 साल बाद रेडर ने फिर एक महिला को अपना शिकार बनाया और ये महिला एक जासूस थी. इस महिला का रेडर ने दम घोंटकर मार डाला.

लेटर में कबुला था अपना गुनाह

रेडर ने अक्टूबर 1974 में एक लेटर लिखा था जिसमें उसने अपने गुनाहों के बारे में जिक्र किया था. लेटर में उसने हर उन हत्याओं का जिक्र किया लिखा था, जिसे उसने बड़ी ही क्रूरता से अंजाम दिया था. इतना ही नहीं, इस लेटर को रेडर ने विचिटा में स्थित एक लाइब्रेरी में एक किताब के अंदर छिपा दिया था. हालांकि ये लेटर बाद में स्थानीय मीडिया के हाथ लगा. रेडर ने साल 1978 में विचिटा रेडियो स्टेशन को एक लेटर लिखा था जिसमें उसमें अपने गुनाहों को कबूल करते हुए सभी हत्यों के बारे में विस्तार से बताया था.

महिलाओं की जान लेने की रेडर की ये सनक साल 1974 से लेकर 1991 तक चरम पर थी. वो चाहता थी कि लोग उसके वैहशी और खूंखार व्यक्तित्व से डरे, जिससे उसकी दहशत में जिंदगी जीने को मजबूर हो और उससे कांप उठें, इतना ही नहीं वो इसके लिए अक्सर ही मीडिया और पुलिस से अपने लेटर के जरिए जुड़ता रहता और उसकी इसी चाहत ने उसकी गिरफ्तारी करवाई.

सीरियल किलर रेडर ने साल 2004 से 2005 के बीच पुलिस को एक फ्लॉपी डिस्क भेजी. इसमें उसने अपने खूनी कारनामों का जिक्र किया था और फिर क्या था पुलिस ने भी टेक्निशियन्स की मदद ली और पता लगा ही लिया कि फ्लॉपी में दिखने वाले शख्स का नाम डेनिस है. आगे की जानकारी में पुलिस को पता चला कि इस फ्लॉपी को पार्क सिटी लाइब्रेरी और Christ Lutheran Church के इलाके में तैयार किया गया है. पुलिस ने पाया कि इस Christ Lutheran Church का प्रेसिडेंट भी डेनिस रेडर है.

आखिरकार साल 2005 में पुलिस ने डेनिस को गिरफ्तार कर ही लिया तब जाकर उसके गुनाहों की पोल खुली. वहीं, जब मासूम से चेहरे के पीछे छिपा भयानक चेहरा उसके घरवालों और पड़ोसियों को दिखा तो वो हैरान रह रह गए. साल 2005 में डेनिस पर कई हत्याओं का मुकदमा दर्ज करते हुए 18 अगस्त को उसे 175 साल की जेल की सजा सुनाई गई, जोकि साल 2180 में जाकर पूरी होगी. वहीं, अगर बात करें रेडर की पत्नी की तो उसने उसको तलाक दे दिया और कभी-कभी रेडर की बेटी उससे बात कर लेती है.

इस खूंखार लेडी सीरियल किलर को खून बहाकर मिलता है चरम सुख, एक हॉलीवुड हॉरर मूवी से हुई थी प्रभावित

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इस खूंखार लेडी सीरियल किलर को खून बहाकर मिलता है चरम सुख, एक हॉलीवुड हॉरर मूवी से हुई थी प्रभावित

हर किसी की जिंदगी के लक्ष्य अलग होता है, मायने अलग होते हैं. अपने जीवन खुशियों को हासिल करने के लिए सभी की अपनी ही अलग-अलग वजह होती है. कोई अपने परिवार के साथ खुश रहता है तो किसी को अकेले रहने में खुशी मिलती है. कोई किसी की खुशी में अपनी खुशी ढ़ूंढ लेता है, तो कोई किसी को दुख पहुंचाकर खुशियां ढ़ूंढ़ने की कोशिश करता है. खुश होने का सबका अपना ही अलग अलग फॉर्मूला होता है लेकिन क्या आप ये सोच सकते हैं कि किसी को मौत के घाट उतारकर या फिर किसी का खून बहाकर कोई चरम सुख यानि सेक्शुअल प्लेजर को अनुभव कर सकता है.

जी हां, ये आपको जानकर जरूर थोड़ा अजीब लग रहा होगा, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी खूंखार लेडी सीरियल किलर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे खौफ का दूसरा नाम कहा जाए तो गलत नहीं होगा. मॉस्को की रहने वाली 27 वर्षीय महिला जो लोगों को केवल मारती ही नहीं थी बल्कि उनका खून बहाकर सेक्शुअल प्लेजर की अनुभूति भी करती थी, तो आइए आपको इस लेडी सीरियल किलर के बारे में बताते हैं…

ये किस्सा है एलेना लोबाचेवा का जो साल 1998 में आई हॉलीवुड हॉरर मूवी ‘Bride of Chucky’ से इस कदर प्रभावित थी कि उसमें दिखाए गए हत्या वाले भाग को उसने अपने जीवन में ही उतार लिया. इतना ही नहीं, एलेना लोबाचेवा मूवी में दिखाए गई खौफनाक गुड़िया जो कई हत्याएं करती है, उसी गुड़िया का टैटू तक अपने हाथ पर गुदवाया था. यहां तक कि महिला इतनी सनकी थी कि रूस के सबसे खुंखार सीरियल किलर एलेक्जेंडर पिचुस्किन को अपना गुरु मानती थी, और तो और उसकी देवता की तरह पूजा भी करती थी.

बता दें कि एलेक्जेंडर पिचुस्किन ने 49 से अधिक लोगों की हत्या की थी, जिसे एलेना लोबाचेवा अपना गुरु मान बैठी थी. एलेना जल्द ही लोगों को खौफनाक मौत देने लगी और बन बैठी गुनाहों की दुनिया की एक ऐसी खिलाड़ी जिसने एक के बाद एक हत्याओं को अंजाम देने शुरू कर दिया और अपने खतरनाक मंसूबे को अंजाम देने के लिए उसने हत्यारों के एक गैंग को जॉइन कर लिया, जिसका लीडर 23 साल का पावेल वाइटोव था. मॉस्कों को शराबियों और बुरे लोगों से मुक्ति दिलाने के नाम पर इस गैंग ने जुलाई 2014 से फरवरी 2015 के बीच में लगातार 14 हत्याओं को अंजाम दिया था.

एक बार तो इस गैंग ने एक कारपेंटर को मौत के घाट उतारने के लिए उसकी जिस निर्ममता से उस पर वार किया वो दिल दहला देने वाला था. इस गैंग के पांच सदस्यों ने कार्पेंटर को 171 बार चाकू घोंपा था. हद तो तब पार हुई जब लोबाचेवा और विटोव ने एक व्यक्ति की हत्या के लिए एक हथौड़े का उपयोग किया. उसके सिर पर दोनों ने हथौड़े से मारकर हत्या कर दी. हथौड़े से उस शख्स के सिर पर इतना जबरदस्त वार किया कि उसकी खोपड़ी के टुकड़े उसके शव से लगभग 16 फिट दूर जा गिरे.

एलेना लोबाचेवा ज्यादातर उन लोगों का अपना शिकार बनाती थी जो लोग बेघर होते थे और फिर उन्हें डरावने मास्क पहनकर डराते हुए मौत के घाट उतार देती थी. इसके अलावा वो हत्या के बाद जोर जोर से शैतानी हंसी भी हंसती थी.

चाहे कोई भी मुजरिम क्यों न हो उसे एक न एक दिन तो पुलिस के चंगुल में आना ही होता है. ज्यादातर मुजरिमओं की आखिरी नियति यही होती है. ऐसा ही कुछ एलेना लोबाचेवा के साथ भी हुआ और वो भी एक दिन पुलिस के हाथ लग ही गई. जिसके बाद उसने अपने गुनाहों को कबूल कर लिया और बताया कि लोगों की सिलसिलेवार तरीके से एक के बाद एक लोगों की हत्या कर उसे चरम सुख की प्राप्ति होती है. वहीं, जब कोर्ट में उसके मामले की सुनवाई की जा रही थी तब ज्यूरी ने कहा था कि इस महिला को किसी के मरने से बहुत सुख मिलता है. इसने कोर्ट में माना कि गैंग के द्वारा किए गए बहुत से हत्याओं में से 6 में वो शामिल रही.

अगर गैंग के लीडर विटोव की बात की जाए तो उसने कोर्ट के सामने कहा था कि लोबाचेवा जब लोगों को मरती थी तो उसे ऐसे करते देख मुझे बहुत ज्यादा खुशी मिलती थी और वो किसी को भी मारने से पहले उन्हें यातनाएं देने और उनके शव को क्षत-विक्षत करने की बात करती और जब भी हम किसी की हत्या करते तो वो जोर-जोर से हंसा करती थी.

गौरतलब ये हैं कि जब पुलिस ने इस गैंग के घर की तलाशी ली तो उन्होंने पांच धारदार चाकू बरामद किए. साथ ही पुलिस के हाथ कंप्यूटर से लोगों को सिलसिलेवार मारने का ब्यौरा लगा. हैरतअंगेज बात तो ये है कि कंप्यूटर में से बरामद किए गए ब्यौरा में कुछ वीडियो और तस्वीरें ऐसी थी जिसमें लोगों को मारने से पहले टॉर्चर किया जा रहा था.

आखिरकार साल 2017 में इस गैंग के पांचों सदस्यों को कोर्ट ने सजा सुनाई ही दी. जब कोर्ट ने गैंग के लीडर पावेल विटोव को उम्रकैद की सजा सुनाई तो वो उस दौरान भी हंस रहा था. वहीं, कोर्ट ने लेडी सीरियल किलर एलेना लोबाचेवा को 13 साल की कैद की सजा सुनाई. बता दें कि जब कोर्ट एलेना लोबाचेवा को सजा सुनाई तो उसकी मां ने कहा था कि उन्हें इस बात का थोड़ा सा भी अंदाजा न था कि उनकी बेटी इस कदर खून की प्यासी है.

जानिए कैसा रहेगा 30 जनवरी को आपका दिन

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जानिए कैसा रहेगा 30 जनवरी को आपका दिन

जैसा कि हम सभी जानते हैं ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है, जिसके चलते हमें कभी अच्छे तो कभी बुरे दिनों का सामना करना पड़ता। वहीं आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आज का राशिफल आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन लेकर आ सकता है। तो आइए आपको बताते हैं आज के दिन के बारे में आपके सितारे क्या कहते हैं और 30 जनवरी का दिन आपके लिए कैसा रहेगा…

मेष राशि- आपका दिन सामान्य रहेगा। भविष्य से जुड़े फैसलें सोच-समझकर लें। कार्यक्षेत्र में अच्छा दिन बीतेगा। कामों में आ रही अड़चनें दूर होगीं।

वृषभ राशि- दिन की शुरुआत बढ़िया होगीं। परिवार में सुख शांति का माहौल रहेगा। आत्मविश्वास बढ़ेगा। दुश्मनों से थोड़ा सावधान रहें।

मिथुन राशि- आपका दिन ठीक ठाक रहेगा। आर्थिक स्थिति मजबूत होगीं। आज के दिन नए काम शुरू करने से बचें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

कर्क राशि- दिन आपका मिला जुला रहेगा। किसी खास व्यक्ति से मुलाकात हो सकती है। परिवार की चिंता सताएगी। मन उदास रहेगा।

सिंह राशि- दिन आपका ठीक ठाक रहेगा। मेहनत अनुसार नतीजे मिलेंगे। शादीशुदा जिंदगी में चला आ रहा तनाव कम होगा। फिजूलखर्च ना करें।

कन्या राशि- आपका दिन बढ़िया बीतेगा। आज मनचाही चीज खरीद सकते हैं। आर्थिक स्थिति सुधरने के आसार है। जीवनसाथी  के साथ रिश्ते और मजबूत होंगे।

तुला राशि- दिन की शुरुआत तनाव से होगी। सुबह सुबह कोई परेशान करने वाली खबर मिल सकती है। पार्टनर के साथ झगड़ा होने के आसार है। आज के दिन गुस्से पर कंट्रोल रखें।

वृश्चिक राशि- आपका दिन सामान्य रहेगा। संतान की ओर से अच्छी खबर मिलेगीं। लंबे वक्त से चली आ रही परेशानी से छूटकारा मिलेगा। किसी दूसरे के विवाद में उलझने से बचें।

धनु राशि- आपका दिन शानदार बीतेगा। परिवार में हंसी खुशी का माहौल रहेगा। आज किसी खास व्यक्ति से सरप्राइज मिल सकता है। अटके काम पूरे होंगे।

मकर राशि- दिन आपका ठीक ठाक बीतेगा। पुराने रोग परेशान करेंगे। भाग दौड़ करनी पड़ सकती है। कोई भी फैसला जल्दबाजी में ना लें।

कुंभ राशि- आज के दिन थोड़ा सतर्क रहें।  किसी की भी बातों में ना आएं। अनजान व्यक्ति आपका फायदा उठाने की कोशिश कर सकता है। मुसीबत पड़ने पर दोस्तों का साथ मिलेगा।

मीन राशि- दिन अच्छा बीतेगा। व्यापार में तरक्की होने के आसार है। निवेश के लिए दिन अच्छा हैं। दुश्मनों पर आप हावी पड़ेंगे।

जानिए एक सनकी कॉन्सटेबल का खौफनाक सच, रेप और हत्या के बाद चुरा लेता था लड़कियों के अंडरगारमेंट्स

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जानिए एक सनकी कॉन्सटेबल का खौफनाक सच, रेप और हत्या के बाद चुरा लेता था लड़कियों के अंडरगारमेंट्स

आज हम आपको एक वैहशी दरिंदे के बारे मे बताने जा रहे हैं जिसने लोगों की रक्षा करने के लिए शपथ ली थी, लेकिन किसा को क्या पता था कि वो वर्दी के रूप में रक्षक नहीं बल्कि एक भक्षक है. ये एक ऐसा सीरियल रेपिस्ट, किलर और लुटेरा था जो खूंखार अपराध से पहले एक रक्षक की वर्दी पहनता था, तो आइए आपको इसके बारे में हैरान कर देने वाला मामला बताते हैं…

दरअसल, ये किस्सा कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले के माकिल गांव में साल 1969 में पैदा हुए उमेश रेड्डी का है. ये अपने बचपन में एक औसत छात्र था और फिर आगे चलकर उसकी नौकरी सीआरपीएफ में लग गई. जिसके चलते इस नौकरी में उसकी पहली पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में हुई थी. भले ही उसके तन पर वर्दी थी लेकिन दिमाग में खूंखार वारदातों को अंजाम देने की सनक थी.

उमेश को लेकर ऐसा कहा जाता है कि साल 1996 में उसकी नौकरी डिस्ट्रिक्ट आर्म्ड रिजर्व में लगी. उस दौरान उस पर पहली बार नवंबर दिसंबर के महीने में चित्रदुर्ग की ही एक लड़की के साथ रेप करने का आरोप लगाया गया. इसी साल ही उसने एक और वारदात को अंजाम दिया. इस दौरान उसने एक और लड़की का पहले रेप किया फिर उसे मौत के घाट उतार दिया. इसके बाद तो मानों कॉन्सटेबल उमेश रेड्डी ने एक बात मन में गांठ बांध ली थी कि चाहे वो नौकरी में रहे या न रहे लेकिन वो गुनाहों को अंजाम देना नहीं छोड़ेगा.

हुआ ये कि साल 2002 के आने तक उमेश रेप, हत्या और लूट जैसे कई अपराधों के आरोप लगे. मैसूर, मुंबई, अहमदाबाद, बेंगलुरु और बड़ौदा में उसके खिलाफ विभन्न मामले दर्ज किए गए. इसी साल उमेश पर घिनौने वारदातों को अंजाम देने के करीब 19 मामले दर्ज किए गए और फिर साल 2009 के आते आते तो ये वारदात बढ़कर 25 मामले में जुड़ गई. इसी साल उमेश को पुलिस ने धरदबोचा लेकिन वो पुलिस को चकमा देकर मौके से फरार हो गया और उसके बाद भी अपराधों को अंजाम देना बरकरार रखा.

वहीं, जब उमेश, पुलिस के हाथ लगा तब जाकर उसके करतूतों का बंद चिट्ठा खुलता चला गया. बता दें कि उमेश के कत्लेआम और दुष्कर्मों के तरीके हर किसी को दंग कर देने वाला था. जानकारी के अनुसार उमेश ज्यादातर ऐसे वक्त में महिलाओं को अपना शिकार बनाता जब वो अपने घर में अकेली होती थीं. इस दौरान वो सबसे पहले महिला को चाकू दिखाता और उसे अपने कब्जे में ले लेता था. उसके बाद महिला के हाथ बांध देता और फिर बलात्कार करता था. इतना ही नहीं रेप करने के बाद वो घर में चोरी भी करता था और लड़कियों के अंडरगारमेंन्ट्स चुरा ले जाता था. गिरफ्तारी के दौरान पुलिस को उमेश के बैग से महिलाओं के अंडरगारमेंन्ट्स बरामद किए थे. इतना ही नहीं कहा ये भी जाता है कि वो महिलाओं के कपड़े तक भी पहना करता था.

18 फरवरी 2009 में उमेश रेड्डी को कोर्ट ने उसके अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाई. इतनी ही नहीं निचली कोर्ट, हाईकोर्ट यहां तक की सुप्रीम कोर्ट तक में उसकी मौत की सजा माफ करने की अर्जी दी गई लेकिन उसकी इस याचिका को खारिज कर दिया गया. कर्नाटक हाईकोर्ट ने तो सुनवाई के दौरान ही उमेश पर टिप्पणी की थी कि ‘वो तो दानव है.’

बता दें कि साल 2012 में राष्ट्रपति से उमेश की मां ने भी रहम की भीख मांगते हुए अपने इकलौते बेटे की मौत की सजा कम करने की गुहार लगाई पर साल 2013 में राष्ट्रपति ने भी सजा टालने से मना कर दिया. उमेश रेड्डी को हिंदाल्गा में बेलगावी सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया अब वो जेल में अपने जीवन के अंतिम दिन गिन रहा है.

बता दें कि इस दौरान 2013 में उमेश रेड्डी को लेकर एक कन्नड़ फिल्म भी बनाई गई. जिसका नाम तब ‘उमेश रेड्डी’ रखा गया. वहीं, जब फिल्म रिलीज हुई तब उमेश की 75 साल की मां गोवारम्मा ने कोर्ट से अपील की कि उसके बेटे का नाम फिल्म से हटा दिया जाए. जिसके बाद कोर्ट ने फिल्म से ‘रेड्डी’ शब्द हटाने का आदेश जारी किया और फिर 2 सितंबर 2013 को इस फिल्म को फिर से रिलीज किया गया और उमेश रेड्डी नाम हटाकर ‘खतरनाक’ रखा गया.

नोट: उमेश रेड्डी से जुड़ी जानकारी की पुष्टि नेड्रिक न्यूज नहीं करता. इस बारे में सभी जानकारियां अलग अलग श्रोतों से जुटायी गई है