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क्या तमिलनाडु चुनाव में अहम भूमिका निभा सकती है VK Sasikala? जानें सबकुछ…

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क्या तमिलनाडु चुनाव में अहम भूमिका निभा सकती है VK Sasikala? जानें सबकुछ…

तमिलनाडु में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसे लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है। प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) ने आगामी चुनाव बीजेपी के साथ गठबंधन में ही लड़ने का ऐलान किया है। लेकिन तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की उत्तराधकारी कही जाने वाली शशिकला (VK Sasikala) की तमिलनाडु में वापसी आगामी चुनाव में सत्ताधारी AIADMK और बीजेपी गठबंधन की नींव हिला सकती है। क्योंकि शशिकला काफी पहले से ही परोक्ष रुप से तमिलनाडु की राजनीति में एक्टिव रही है।

जयललिता की सबसे करीबी रही हैं शशिकला

साल 1980 के दशक में तत्कालीन AIADMK चीफ जयललिता के संपर्क में आने वाली शशिकला कभी जयललिता की सबसे करीबी मानी जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे उनके रिश्तों के बीच खटास आनी शुरु हो गई थी। खबरों के मुताबिक 1996 के चुनाव में जयललिता की हार के बाद शशिकला और उनके रिश्तेदारों को घर छोड़ने के लिए कह दिया गया था। कुछ समय बाद शशिकला (VK Sasikala) वापस जयललिता के पास लौट आई, लेकिन अब चीज़ें पहले जैसी नहीं रहीं।

जयललिता और शशिकला के बीच करीब तीन दशकों तक गहरी दोस्ती रही। कुछ लोग शशिकला को जयललिता की परछाई भी कहा करते थे। तमिलनाडु में उनके समर्थक जयललिता को अम्मा तो वहीं शशिकला को मौसी बुलाते थे। साल 2011 में शशिकला पर जयललिता को धीमा जहर देकर मारने का आरोप लगा था। जिसके बाद शशिकला को पार्टी से निकाल दिया गया और उनसे पूरी तरह से दूसरी बना थी।

शशिकला को मिलने वाली थी पार्टी की कमान

हालांकि, बताया जाता है कि बाद में शशिकला (VK Sasikala) ने जयललिता से माफी मांग ली और जयललिता ने उन्हें माफ भी कर दिया था। इसी बीच 2016 में जयललिता की मृत्यु हो गई। जिसके बाद पार्टी में उथल-पुथल मचनी शुरु हुई। पूर्व मुख्यमंत्री की मौत के बाद प्रदेश की सियासत में इस बात की चर्चा तेज हो गई थी कि शशिकला को पार्टी की कमान सौंपी जाएगी और अगला सीएम भी बनाया जाएगा।

तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम ने खुद ही शशिकला के नाम को विधायक दल के नेता के तौर पर प्रस्तावित किया था। जिसे लेकर पार्टी के अंदर ही विरोध शुरु हो गया था। जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार ने शशिकला को अविश्वसनीय इंसान बताया था।

शशिकला को 2017 हुई थी जेल

उसी बीच फरवरी 2017 में 66 करोड़ रुपये की बेहिसाबी संपत्ति के मामले में शशिकला और उनके रिश्तेदारों को सजा सुना दी गई। दरअसल, शशिकला पर जयललिता के साथ मिलकर आय से अधिक संपत्ति बनाने के आरोप लगे थे, जिसकी पुष्टि भी हुई थी। विशेष अदालत ने 27 सितंबर, 2014 को उन्हें सजा सुनाई थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी 14 फरवरी, 2017 को हाइकोर्ट की सजा को बरकरार रखा।

15 फरवरी 2017 को बेंगलुरु ट्रायल कोर्ट में उन्होंने आत्म समर्पण कर दिया जहाँ उन्हें कैदी संख्या 10711 आवंटित किया गया था। साथ ही उनपर दस करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। उनके आत्म समर्पण के दो दिनों बाद ही शशिकला को AIADMK की प्राथमिक सदस्यता से बाहर कर दिया गया।

अप्रैल-मई में होगा तमिलनाडु विधानसभा चुनाव

अब शशिकला जेल से रिहा हो गई हैं। खराब सेहत के कारण उन्हें जल्द रिहा कर दिया गया है। उनकी रिहाई से तमिलनाडु की राजनीति में हलचल मचना लाजिमी है। अब सबकी जुबां पर एक ही सवाल है कि क्या मौजूदा परिस्थितियों में शशिकला की रिहाई तमिलनाडु की राजनीति में कुछ असर डाल सकती है?

शशिकला (VK Sasikala) की रिहाई ऐसे समय में हुई है, जब अप्रैल-मई में तमिलनाडु में विधानसभा का चुनाव होना है। बताया जाता है कि शशिकला का तमिलनाडु की राजनीति पर का काफी असर था और आगे भी रहेगा। अब जेल से रिहा होने के बाद प्रदेश की सियासत में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या शशिकला खुद को जयललिता की वारिस के रूप में प्रोजेक्ट कर चुनाव में आती है या फिर अपना नया वजूद सामने पेश करेगी?

तमिलनाडु में काफी पहले से है द्रविड़ दलों का प्रभुत्व

बता दें, तमिलनाडु की सियासत में काफी पहले से ही द्रविड़ दलों का आधिपत्य रहा है। आजादी के लगभग दो दशक तक प्रदेश में कांग्रेस का बोलबाला था लेकिन साठ के दशक में हिंदी विरोधी आंदोलनों में द्रविड़ दल उभर कर सामने आए और पहली बार 1967 में DMK द्वारा गैर कांग्रेसी सरकार बनाई गई थी।

उसके बाद से ही तमिलनाडु की राजनीति में द्रविड़ दल प्रमुख रहे हैं। मौजूदा समय में भी राज्य में द्रविड़ दलों का ही प्रभुत्व है। DMK और AIDMK यहां के प्रमुख राजनीतिक दल हैं जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस राज्य की तीसरी बड़ी पार्टी है। ऐसे में तमिलनाडु की राजनीति में शशिकला की एंट्री से क्या बदलाव होंगे, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

16 दिसंबर, 2012 से 20 मार्च तक निर्भया के इंसाफ का सफर, जानिए…

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16 दिसंबर, 2012 से 20 मार्च तक निर्भया के इंसाफ का सफर, जानिए…

देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 की वो रात आम नहीं थी, इस रात एक बेटी की आबरु से छह लोग खेल रहे थे. वो कहर रही थी, वो चिल्ला रही थी लेकिन दरिंदों के कानों तक एक आवाज न जा रही थी. वो उसके साथ दरिंदगी और हैवानियत की सभी हदें पार करते रहे है. यहां तक कि उस पीड़िता को निवस्त्र कर चलती बस से दिसंबर की उस सर्द रात में सड़क पर फेक दिया था.

जी हां, हम बात कर रहे हैं राजधानी दिल्ली के मुनिरका में हुए निर्भया के साथ हैवानियत की उस रात की. भले ही उस काली रात को बीते 7 साल और कुछ महीने क्यों न हो गए हो लेकिन आज भी उसे याद कर हर मां-बाप के आंखों से अश्क बहता है. देश का कोई नागरिक नहीं चाहता कि जैसे निर्भया के साथ हुआ वैसे किसी ओर के साथ दोहराया जाए. हर कोई चाहता था तो बस निर्भया के दोषियों का फांसी के फंदे पर लटकाना, जो कि आज यानी 20 मार्च, 2020 को पूरा हुआ और निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा हो गई. आइए आपको निर्भया गैंगरेप और हत्या का पूरा मामला विस्तार से बताते हैं…

16 दिसंबर, 2012 की रात 

16 दिसंबर, 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा निर्भया अपने एक दोस्त के साथ साकेत के सेलेक्ट सिटी मॉल में फिल्म ‘लाइफ ऑफ पाई’ देखने के लिए गई थी. फिल्म देखने के बाद जब दोनों ऑटो के लिए सड़क पर खड़े हुए तो उस सर्द रात में कोई भी ऑटो चालक जाने के लिए तैयार नहीं हो रहा था. ऐसे में एक ऑटो चालक तैयार तो हुआ लेकिन उसने उन दोनों को मुनिरका के बस स्टैंड तक छोड़ने के लिए कहा और फिर वो दोनों मुनिरका के बस स्टैंड पर उतर गए, उस दौरान लगभग रात के 8:30 बज रहे थे.

मुनिरका बस स्टैंड के पास एक सफदे रंग की बस खड़ी हुई थी और उसमें बैठा एक नाबालिग पालम मोड और द्वारका जाने के लिए आवाज लगा रहा था. वहां, पहुंचने पर निर्भया और उसके दोस्त ने देखा कि बस में पहले से कुछ लोग बैठे हुए हैं, जिसके बाद वो दोनों भी बस में बैठ गए लेकिन ये दोनों इस बात से अंजान थे कि इनकी खुशियों पर अब काले साये ने दस्तक दे दी है. इस दौरान चलती बस में ड्राइवर और कंडेकटर के अलावा चार लोगों ने निर्भया से दुष्कर्म किया.

इतना ही नहीं, उसके प्राइवेट पार्ट में लोह की रोड तक डालकर हैवानियत की, जिससे उसके अंदुरुनी अंग पर भी काफी असर पड़ा. हद तो तब पार हुई जब निर्भया समेत उसके दोस्त को भी उन हैवानों ने मिलकर मारा और उस रात कड़कड़ाती ठंड में मुनिरका की सड़क पर दोनों को निवस्त्र कर फेंक दिया. मौके पर पहुंची पुलिस ने पीड़िता निर्भया और पीड़त दोस्त को तुरंत दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया.

सिंगापुर में ली निर्भया ने आखिरी सांस

निर्भया की हालत इतनी ज्यादा खराब थी कि उसे आगे के इलाज के लिए देश से बाहर सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. निर्भया के अंदरुनी अंग बुरी तरह से जख्मी हो चुके थे, ऐसे में रोज वो जिंदगी और मौत का सामना करती रही लेकिन फिर घटना के 13 दिन बाद यानी 29 दिसंबर, 2012 की रात करीब सवा दो बजे उसने अपमना दम तोड़ दिया था.

घटना के दो दिनों में दोषियों को किया था गिरफ्तार

निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले में लगभग 80 लोगों को गवाह बनाया गया था. घटना के दो दिन बाद 18 दिसंबर, 2012 को पुलिस ने 6 दोषियों में से 4 दोषियों- राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया था. वहीं, दिल्ली पुलिस ने 5वें दोषी को 21 दिसंबर, 2012 को गिरफ्तार किया था जोकि नबालिग था. जबकि 6वें दोषी अक्षय ठाकुर को दिल्ली पुलिस ने बिहार से गिरफ्तार किया था.

जेल में बंद आरोपी बस चालक ने की थी आत्महत्या

निर्भया के छह दोषियों में से एक दोषी बस चालक राम सिंह ने 11 मार्च, 2013 को तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी. जबकि एक दोषी घटना के दौरान नबालिग होने के कारण लगभग 3 साल तक बाल सुधार केंद्र में रखा गया था, जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया.

7 साल और 3 महीने बाद मिला निर्भया को इंसाफ

इस कांड के बाद हर देशवासी उसी दिन का इंतेजार कर रहा था, जब निर्भया को इंसाफ मिले. निर्भया के साथ दरिंदगी की हदें पार करने वाले हैवानों को फांसी पर चढ़ाया जाए और वो दिन आया 20 मार्च 2020 को. इसी दिन निर्भया के चारों आरोपियों को फांसी दी गई. 20 मार्च के सुबह 5.30 बजे मुकेश, विनय और अक्षय और पवन को तिहाड़ जेल नंबर तीन में फांसी के फंदे पर लटकाया गया था. इस इंसाफ को मिलने में करीब-करीब 8 सालों का वक्त लग गया. 

निर्भया की वकील जिसने पीड़ित परिवार के साथ तय किया संघर्ष का सफ़र, IAS बनने का था सपना

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निर्भया की वकील जिसने पीड़ित परिवार के साथ तय किया संघर्ष का सफ़र, IAS बनने का था सपना

20 मार्च 2020 ही वो दिन था जब निर्भया को 8 सालों के लंबे इंतेजार के बाद इंसाफ मिला. इस दिन ही निर्भया गैंगरेप कांड के चारों आरोपियों को फांसी दी गई थीं. सामाजिक यातनाओं और पीड़ित के परिवार के इस संघर्ष के सफ़र में एक और महिला थी जो हीरो बनकर सामने आई. वो महिला न सिर्फ पीड़ित परिवार के दुःख के घड़ी की हमराही बनी बल्कि इस सफ़र में उनके साथ डट कर खड़ी रही. इस महिला का नाम सीमा कुशवाहा है. वो निर्भया के साथ दरिंदगी के बाद हुए प्रदर्शन में भी शामिल थी. बताया जा रहा है ये उनका पहला केस है.

शुरू से इस मामले से हुई हैं जुड़ी

सीमा कुशवाहा इस मामले से बिलकुल शुरू से जुड़ी हुई हैं. इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन पर जो निर्भया रेप केस के बाद प्रदर्शन हुआ था उसमें सीमा कुशवाहा भी शामिल थी. इसके बाद उन्होंने इस केस को लड़ने की ठान ली थी. उन्होंने सोचा कि वो वकील हैं तो क्यूं न वो इस केस को खुद ही लड़ें. सीमा का कहना है कि अगर वो मामले को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट, लिस्टिंग के लिए नहीं कोशिश करती तो मामला लटका ही रहता.

दिल्ली यूनिवर्सिटी की रही हैं स्टूडेंट

निर्भया रेप केस के दौरान सीमा ट्रेनी थी. उन्होंने अपनी लॉ की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी से की है. साथ ही बताया जाता है कि वो निर्भया ज्योति लीगल ट्रस्ट से भी जुड़ी हैं. इस ट्रस्ट को रेप केस में कानूनी सलाह देने के लिए निर्भया के परिवार ने ही बनाया था. इसके अलावा सीमा ने एक इंटरव्यू में इस बात का भी जिक्र किया था कि उनका सपना सिविल परीक्षा देकर IAS बनने का था.

ग्रामीण इलाके से ताल्लुक रखती हैं सीमा

सीमा बताती है कि वो ऐसी जगह से आती हैं जहां लड़कियों को ज्यादा आजादी नहीं है. इसके बावजूद समाज की बेड़ियों से ऊपर उठकर वो वकील बनी. इन सारी परिस्थितियों से गुजरने के बाद अब उन्हें कुछ भी नामुमकिन नहीं लगता. सीमा का कहना है मैं ग्रामीण इलाके से आती हूं जहां लड़कियों को पढ़ाया नहीं जाता. उन्हें अपने हक़ के लिए लड़ना पड़ता है. उन्होंने कहा कि फिलहाल वो रुकेंगी नहीं. उन्होंने देश की और बेटियों को न्याय दिलाने का जिम्मा उठाया है.

ऐसा वकील जिनकी संस्कृत में फर्राटेदार दलीलों के आगे जजों की भी खिसक जाती है हवा

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ऐसा वकील जिनकी संस्कृत में फर्राटेदार दलीलों के आगे जजों की भी खिसक जाती है हवा

भारत में संस्कृत का हिंदी से भी ऊपर स्थान है. पुराणों और एतिहासिक ग्रंथों में संस्कृत भाषा को उच्च दर्जा मिला हुआ है. इसे देवलोक की भाषा माना जाता है. लेकिन पश्चिमी सभ्यता के देश में पांव पसारने के बाद से ही ये भाषा धीरे धीरे कहीं विलुप्त सी होती दिख रही है. मौजूदा समय में देश में 22 भाषाओं में संस्कृत सबसे कम बोली जाने वाली भाषा है. लेकिन अभी तक देश में इसके वर्चस्व को कायम रखने वाले कई ऐसे लोग जिंदा है. इसी कड़ी में महादेव की नगरी काशी में एक वकील है जो पिछले 42 सालों से संस्कृत में दलीलें दे रहे हैं.

1978 मे छेड़ी थी मुहिम

ये बात आपको भले ही थोड़ी चौकाने वाली लगे पर बिलकुल सच है. वाराणसी के इस वकील का नाम आचार्य श्याम उपाध्याय है. ये देश के इकलौते ऐसे वकील हैं जो अपनी दलील संस्कृत भाषा में देते हैं. कोर्ट में होने वाली सारी गतिविधियां यानि पत्र लिखने से कोर्ट में बहस तक की सभी चीजें वे संस्कृत में ही देते हैं. 1978 में उन्होंने इसकी शुरुआत की थी और तब से अब तक वे अपने इस कदम से पीछे नहीं हटे हैं.

बचपन से ही ठान ली थी बात

इस बारे में मीडिया से बात करते हुए आचार्य श्याम उपाध्याय ने बताया कि उनके पिता ने बचपन में उन्हें बताया था कि कचहरी का सारा कामकाज उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी में ही होता है. इसमें संस्कृत भाषा का कहीं दूर दूर तक प्रयोग नहीं होता. जिसके बाद ही उन्होंने वकील बनकर इस भाषा को न्याय दिलाने की ठान ली थी. उनका कहना है कि अब तक वे हजारों मुक़दमे संस्कृत भाषा में ही लड़ चुके हैं. और जीत भी चुके हैं.

जजों को आती है काफी दिक्कतें

जाहिर है ये भाषा आम नहीं है तो उपाध्याय को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा होगा. इस बारे में किस्से बताते हुए श्याम बताते हैं कि शुरुआती दिनों में तो मुवक्किल के उनके द्वारा लिखे गए कागजात को देखकर जज हैरान हो जाते थे. हालांकि किसी नए जज के आने पर आज भी ऐसा होता है. जज को दलीलें सुनने में कठिनाई होने के चलते उन्हें अनुवादक की मदद लेनी पड़ती है. सिर्फ कोर्ट में ही नहीं वे आम बोलचाल भाषा में भी संस्कृत का ही इस्तेमाल करते हैं. उनकी कोशिश है कि संस्कृत भाषा को भी देश में खासी अहमियत मिलनी चाहिए.

चॉकलेट लवर्स के लिए एक बेहद बुरी खबर! अब बस 10 सालों की मेहमान है चॉकलेट, होने वाला है ऐसा…

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चॉकलेट लवर्स के लिए एक बेहद बुरी खबर! अब बस 10 सालों की मेहमान है चॉकलेट, होने वाला है ऐसा…

आपको अपने आसपास ऐसे बहुत कम ही लोग दिखाई देंगे जिन्हें चॉकलेट नहीं पसंद होगी. ऐसे लोगों का मिलना मुश्किल ही नामुमकिन है. मतलब साफ है कि ज्यादातर सभी लोग चॉकलेट खाना पसंद करते हैं. जिस वजह से चॉकलेट की भारत तो क्या पूरी दुनिया में काफी खपत है. 2002 से 2013 तक का डेटा देखें तो चॉकलेट की 1.64 लाख टन की खपत उस दौरान 2.28 लाख टन तक पहुंच चुकी थी. और वर्तमान समय तक अनुमान है कि ये आंकड़ा निश्चित ही बढ़ चुका होगा. ये इजाफा करीब 13% की दर से है. लेकिन आपको ये जानकर काफी दुःख होगा कि अब ये चॉकलेट धीरे धीरे ख़त्म हो रही है और एक दिन ऐसा भी आ सकता है जब ये आपको कभी टेस्ट करने को न मिले.

ये है मुख्य वजह

दरअसल ऐसा ग्लोबल वार्मिंग के चलते बताया जा रहा है. जैसे जैसे ये ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है, वैसे वैसे इसके ख़त्म होने की आशंका भी तेज होती जा रही है. यूएस नेशनल ओसिएनिक एंड एटमोसफेयरिंक एडमिनिस्ट्रेश की रिपोर्ट के मुताबिक अगले आने वाले 40 सालों में चॉकलेट का नामो-निशां खत्म हो सकता है. क्योंकि चॉकलेट के सोर्स कोको के फलने फूलने के लिए 20 डिग्री से कम तापमान होना जरूरी है. लेकिन बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के चलते ऐसा आने वाले सालों में असंभव सा दिख रहा है.

चॉकलेट उत्पादन खतरे में

अगर ऐसी ही स्थिति बरकारार रही तो चॉकलेट उत्पादन धीरे धीरे खतरे में पड़ता चला जाएगा. इससे आने वाले सालों में चॉकलेट मैन्युफैक्चरर्स को काफी नुकसान होने की उम्मीद है. ये सब बढ़ते प्रदूषण, आबादी और बदलते भौगोलिक समीकरणों के चलते हो रहा है और आने वाले 30 सालों में धरती का तापमान करीब 2.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ने की संभावना है. इसका सबसे बड़ा असर चॉकलेट पर पड़ेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि चॉकलेट इंडस्ट्री के पास बड़ी मुश्किल से 10 साल बचे हैं. उसके बाद ये सारा धंधा चौपट हो जायेगा. अगर अच्छी बारिश होती है तो इससे जलस्तर सुधरेगा और बढ़ते तापमान पर लगाम लगेगी.

कहां सर्वाधिक उगाई जाती है कोको

  1. कोटे डी’आइवर- 201 करोड़ किग्रा
  2. घाना – 17.9 करोड़ किग्रा
  3. इंडोनेशिया- 29 करोड़ किग्रा
  4. इक्वाडोर- 27 करोड़ किग्रा
  5. कैमरून- 24 करोड़ किग्रा
  6. नाइजीरिया- 22.5 करोड़ किग्रा
  7. ब्राजील- 18 करोड़ किग्रा
  8. पापुआ न्यू गिनी- 04 करोड़ किग्रा

ये आंकड़े 2016-17 के हैं. इनका स्त्रोत स्टैटिस्टा है.

लाल किले हिंसा के बाद फरार, एक लाख का इनाम और अब गिरफ्तारी…कुछ यूं पुलिस के हत्थे चढ़ा दीप सिद्धू

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लाल किले हिंसा के बाद फरार, एक लाख का इनाम और अब गिरफ्तारी…कुछ यूं पुलिस के हत्थे चढ़ा दीप सिद्धू

दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद से ही पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू फरार चल रहा था। अब इस मामले में करीबन 15 दिनों में पुलिस को आखिरकार कामयाबी हाथ लग ही गई है। दीप सिद्धू पुलिस के शिकंजे में आ गया। पंजाब के जिरकपुर से दीप सिद्धू को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया है।

लाल किले हिंसा के बाद आरोपों के घेरे में

रिपब्लिक डे के दिन लाल किले पर जो भी घटना घटी, उस दौरान दीप सिद्धू भी मौजूद था। जिसके बाद से ही वो कई तरह के आरोपों के घेरे में आ गया। दीप सिद्धू को पकड़ने की कोशिश में पुलिस लगातार कर रही थी। उस पर एक लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया। वो पुलिस को लगातार चकमा देता हुआ नजर आ रहा था। अब वो आखिरकार स्पेशल सेल के हत्थे चढ़ गया।

पुलिस को यूं चकमा दे रहा था दीप सिद्धू

दीप सिद्धू गणतंत्र दिवस हिंसा के बाद से ही फरार चल रहा था, लेकिन वो फिर भी सोशल मीडिया पर एक्टिव था और उसने कई बार वीडियोज अपलोड कर अपनी बातें रखीं। जिसके चलते ये सवाल लगातार उठ रहे थे कि जब दीप सिद्धू फेसबुक पर लगातार वीडियोज अपलोड कर रहा है, तो पुलिस उसे पकड़ क्यों नहीं पा रही?

जिसके बाद पुलिस की ओर से ये दावा किया गया कि सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड करने के लिए दीप सिद्धू अपनी एक विदेश में बैठी महिला मित्र की मदद ले रहा है। पुलिस ने ये दावा किया था कि पंजाबी सिंगर दीप सिद्धू जो भी वीडियोज फेसबुक या फिर दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डाल रहा है, उसमें उसकी मदद एक महिला दोस्त ने की। जिसके चलते वो लगातार पुलिस को चकमा देने में कामयाब हो पा रहा था।

NIA भेज चुकी है नोटिस

दीप सिद्धू को पकड़ने की कोशिश करने के लिए पुलिस पंजाब में लगातार दबिश दे रही थीं। पंजाबी एक्टर लगातार वीडियोज अपलोड करके खुद को निर्दोष बताता हुआ नजर आ रहा था। दीप किसान आंदोलन को लेकर बीते 2 महीनों से एक्टिव था। कुछ दिन पहले ही दीप सिद्धू को खालिस्तानी समर्थक सिख फॉर जस्टिस (SFJ) संगठन के साथ रिश्तों को लेकर NIA ने नोटिस भी भेजा था।

गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में हिंसा करने वालेे उपद्रवियों की तलाश में लगातार पुलिस जुटी हुई है। बीते हफ्ते ही दीप सिद्धू समेत जुगराज सिंह, गुरजोत सिंह और गुरजंत सिंह पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। वहीं जजबीर सिंह, बूटा सिंह, सुखदेव सिंह और इकबाल सिंह पर 50 हजार रुपये का इनाम रखा गया। दो दिन पहले ही चंडीगढ़ से पुलिस ने सुखदेव सिंह को गिरफ्तार किया था।

इशांत शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट में बनाया महारिकार्ड, ऐसा करने वाले बने तीसरे तेज गेंदबाज

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इशांत शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट में बनाया महारिकार्ड, ऐसा करने वाले बने तीसरे तेज गेंदबाज

भारतीय टीम के अनुभवी तेज गेंदबाज इशांत शर्मा ने अपने टेस्ट करियर में 300 विकेट चटका दिए हैं। इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच की दूसरी पारी में इंग्लिश बल्लेबाज डेनियल लॉरेंस को आउट कर उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की।

इसके साथ ही इशांत शर्मा क्रिकेट के सबसे लंबे फॉरमेट में 300 विकेट चटकाने वाले तीसरे भारतीय तेज गेंदबाज बन गए हैं। इससे पहले भारत को पहली बार विश्वकप में जीत दिलाने वाले पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव और रिवर्स स्विंग के मास्टर जहीर खान यह कारनामा कर चुके हैं।

काफी उतार-चढ़ाव से भरा रहा इशांत का करियर

टेस्ट क्रिकेट में इस उपलब्धि को हासिल करने के बाद इशांत शर्मा ने अपने करियर से जुड़ी कई बातें सार्वजनिक की। तेज गेंदबाज ने कहा कि उनका जीवन काफी उतार-चढ़ाव से भरा रहा है लेकिन इस दौरान उन्हें कई मेंटर मिले जिन्होंने उन्हें घरेलू और विदेशी जमीन पर हर माहौल में किस तरह गेंदबाजी करनी है वो सिखाया है।

इंग्लैंड के खिलाफ चौथे दिन का खेल समाप्त होने के बाद इशांत शर्मा ने ये बातें कही। उन्होंने कहा, ‘जीवन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। मुझे काफी अनुभव मिला। कई मेंटर मिले जिन्होंने मुझे भारतीय जमीन पर तथा विदेशी जमीन पर किस तरह गेंदबाजी करनी है वो सिखाया है। घरेलू क्रिकेट में चार ओवर गेंदबाजी करने के बाद पिछले तीन-चार दिनों के अंदर 35 ओवर गेंदबाजी करने से मुझे थोड़ी दिक्कत हुई।‘

300 से ज्यादा विकेट लेने वाले छठे भारतीय गेंदबाज

बता दें, साल 2007 में इशांत शर्मा ने ढ़ाका में बांग्लादेश के खिलाफ डेब्यू किया था। अपने डेब्यू मैच में उन्होंने मशरफे मोर्तजा को अपना पहला शिकार बनाया था। 32 वर्षीय इशांत को इस मुकाम तक पहुंचने में 14 साल लगे। इशांत शर्मा भारत की ओर से 300 से ज्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले छठे गेंदबाज है।

भारतीय टीम के पूर्व गेंदबाज अनिल कुंबले इस मामले में टॉप पर बरकरार है। कुंबले ने अपने टेस्ट करियर में 619 विकेट चटकाएं। कपिल देव (434), हरभजन सिंह (417), आर अश्विन (386) और जहीर खान (311) विकेटों के साथ इस क्लब में पहले से ही शामिल हैं।

जल्द ही 100 टेस्ट खेलने वाले दूसरे टेस्ट गेंदबाज बन जाएंगे इशांत

अनुभवी इशांत ने 98 टेस्ट मैचों की 177 पारियों में इस रिकार्ड को हासिल किया है। इस दौरान वह 11 बार एक ही पारी में 5 विकेट चटका चुके हैं। उनका बेस्ट परफॉर्मेंस 74/7 हैं। उनसे पहले आर अश्विन (54 मैच), अनिल कुंबले (66), हरभजन सिंह (72), कपिलदेव (83) और जहीर खान ने (89) मैचों में यह उपलब्धि हासिल की थी।

इशांत ने भारत के लिए 80 वनडे और 14 टी20 मुकाबले खेले हैं, जिनमें उन्होंने क्रमश: 115 और आठ विकेट झटके हैं। अगर इशांत शर्मा को इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के अगले मैचों में मौका मिलता है तो वह भारत की ओर से 100 टेस्ट मैच खेलने वाले दूसरे तेज गेंदबाज बन जाएंगे। इससे पहले कपिलदेव (131 टेस्ट) यह कारनामा कर चुके हैं।

पुलिस की पाठशाला: IPS अधिकारी ने ऑफिस में खोला निशुल्क पुस्कालय, कुछ ऐसे की इस खास मुहिम की शुरुआत

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पुलिस की पाठशाला: IPS अधिकारी ने ऑफिस में खोला निशुल्क पुस्कालय, कुछ ऐसे की इस खास मुहिम की शुरुआत

छत्तीसगढ़ के गौरेला पेंड्रा मरवाही (GPM) जिले के SP सूरज सिंह परिहार अपने नेक कामों के लिए अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं। वो समाज के लिए कई अच्छे काम करते आए हैं। कुछ महीनों पहले सूरज सिंह परिहार ने एक बुक बैंक शुरू करने की बात कही थी, जिसमें उन्होनें लोगों से अपनी पुरानी और नई किताबें दान करने की अपील की थीं। परिहार की इस मुहिम में लोगों ने उन्हें खूब सपोर्ट किया और किताबें दान भी कीं। मुहिम को सफल बनाने में सोशल मीडिया की ताकत काम आई।

अब IPS सूरज सिंह परिहार ने एक निशुल्क ‘पुलिस की पाठशाला’ पुस्कालय की शुरुआत की। बिलासपुर के IG आइजी रतनलाल डांगी ने ‘पुलिस की पाठशाला’ का लोकार्पण किया, जिसका नाम शहीद शिव नारायण बघेल के नाम पर रखा गया। सूरज सिंह परिहार का कहना है कि इस पुस्तकालय में लगभग सभी कोर्स और सारे करियर एंट्रेस एग्जाम की लेटेस्ट किताबें उपलब्ध हैं।

इस वजह से की पुस्कालय की शुरुआत

IPS सूरज सिंह परिहार ने इस पुस्कालय की शुरुआत करने की पीछे की वजह बताई। उन्होनें कहा कि प्रतियोगिता परीक्षाओं की किताबे काफी महंगी होती है, छात्राओं की पढ़ाई में वित्तीय बाधा ना आए इसलिए इसकी शुरुआत की गई।

सूरज सिंह परिहार ने अपनी फेसबुक पोस्ट में इसके बारे में बताया। उन्होनें कहा कि पुलिस समाज की डॉक्टर होती है। समाज की बीमारियों को ठीक करने की जिम्मेदारियों पुलिस की होती है। पुस्तकालयर में उच्च गुणवत्ता की किताबें उपलब्ध कराकर शिक्षा और रोजगार का प्रसार ही वो दवाव है, जिससे समाज की बुरी बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। इसलिए उन्होनें पुस्कालय की शुरुआत करने का फैसला लिया।

सूरज सिंह परिहार ने आगे ये बताया कि क्यों उन्होनें इसके लिए GPM जिले को ही चुना? उन्होनें कहा कि GPM जिला एक दूरस्थ अंचल में स्थित आदिवासी बाहुल्य जिला है। उन्होनें बताया कि अक्सर छात्र यहां पर उचित गुणवत्ता की किताबें की कमी के बारे में बात करते थे। जिले में कई बार अप टू डेट पुस्कालय की मांग की गई।

कहां से आया इसके लिए विचार?

IPS ने बताया कि इस पुस्कालय को खोलने का विचार उनके मन में कहां से आया? उन्होनें कहा कि मेरे और मेरी पत्नी के पास ऐसी कई किताबें थीं, जिसका हम सदुपयोग करना चाहते थे। लेकिन हमारे पास इतनी भी किताबें नहीं थी कि लाइब्रेरी खोल सकें। जब दंतेवाड़ा में पोस्टिंग के दौरान भटके हुए युवाओं को करीब से देखने का मौका मिला, तो इसको लेकर विचार और मजबूत हुआ। उन्होनें बताया कि कोरोना काल के दौरान उनका ये प्लान बैक सीट पर चला गया। फिर सितंबर में लोगों के आह्वान पर ट्वीट किया और सोशल मीडिया की शक्ति और समार्थ्य का फायदा उठाकर इसकी शुरुआत की।

परिहार ने अपनी फेसबुक पोस्ट में बताया कि ये निशुल्क पुस्कालय एसपी ऑफिस के आगे के दो कमरों में है, जिसमें पहले कक्ष में रिसेप्शन और इश्यू रूम है, जबकि दूसरे में सीमित संख्या में बैठकर पढ़ सकते हैं। उन्होनें कहा कि इस पुस्कालय में करीब-करीब हर कोर्स और करियर एंट्रेंस एग्जाम की सभी किताबें उपलब्ध है।

जानिए कौन हैं IPS सूरज सिंह परिहार?

ऐसा पहली बार नहीं जब IPS सूरज सिंह परिहार इस तरह का नेक काम कर रहे हो। इससे पहली भी वो कई बार अपने अच्छे कामों को लेकर सुर्खियों में आ चुके हैं। खुद सूरज सिंह परिहार ने काफी मेहनत करने के बाद अपने IPS बनने को पूरा किया। उनका ये सफर संघर्षों से भरा रहा। साल 2000 में उन्हें भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर.नारायणन के हाथों क्रिएटिव राइटिंग और कविता के लिए बाल श्री अवार्ड से नावाजा गया था।

छोटे से परिवार में जन्मे सूरज सिंह परिहार देश की सेवा करना चाहते थे। उनका सपना IPS बनने का था। आर्थिक स्थिति के चलते उन्होनें कॉल सेंटर में भी जॉब की। उन्होनें इस जॉब को छोड़कर सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन 6 महीनों में ही उनकी सारी सेविंग खत्म हो गई। जिसके बाद सूरज सिंह परिहार ने बैंक में भी जॉब की। 2012 में एसएससी सीजीएल की परीक्षा में उनका सेलेक्शन हो गया। जिसके बाद उन्होंने कस्टम और एक्साइज इंस्पेक्टर की नौकरी ज्वाइन कर ली।

इसके साथ ही वो सिविल सर्विस की तैयारी में भी जी जान से जुटे रहे। तीसरे प्रयास में वो अपने सपने को पूरा करने में कामयाब हुए। ट्रेनिंग के बाद उनको रायपुर में एसपी सिटी नियुक्त किया गया। वहां अच्छे कामों को देखते हुए प्रमोट किया और फिर पोस्टिंग नक्सली प्रभावित इलाके दंतेवाड़ा में हुईं। वहां उन्होनें युवाओं को जागरूक करने के लिए एक शॉर्ट फिल्म भी बनाई, जिसका नाम था ‘नई सुबह का सूरज’। वो अक्सर ही समाज के लिए अच्छे काम करने के लिए जान जाते हैं।

जानिए कैसा रहेगा 09 फरवरी को आपका दिन

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जानिए कैसा रहेगा 09 फरवरी को आपका दिन

जैसा कि हम सभी जानते हैं ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है, जिसके चलते हमें कभी अच्छे तो कभी बुरे दिनों का सामना करना पड़ता। वहीं आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आज का राशिफल आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन लेकर आ सकता है। तो आइए आपको बताते हैं आज के दिन के बारे में आपके सितारे क्या कहते हैं और 09 फरवरी का दिन आपके लिए कैसा रहेगा…

मेष राशि- आपका दिन मिला जुला बीतेगा। नए कामों की शुरुआत के लिए दिन अच्छा है। विदेश से शुभ समाचार मिलने के आसार है। स्वास्थ्य डामाडोल रहेगा।

वृषभ राशि- आपका दिन अच्छा बीतेगा। कामों में आ रही बाधाएं कम होगी। जल्दबाजी में कोई भी काम करना भारी पड़ सकता है। पैसों से जुड़ा लेन-देन ना करें।

मिथुन राशि- आपका दिन सामान्य रहेगा। घर में सुख शांति का माहौल रहेगा। आज के दिन जीवनसाथी के साथ थोड़ी अनबन होने के आसार है। आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा।

कर्क राशि- आज का दिन आपका ठीक ठाक रहेगा। दोस्तों के साथ अच्छा समय बिताएंगे। कार्यक्षेत्र में बढ़िया वक्त बिताएंगे। आर्थिक स्थिति थोड़ी डामाडोल रहेगी।

सिंह राशि- आपका दिन ठीक रहेगा। कामों में आ रही रुकावटें दूर होगी। आज आप एक नई ऊर्जा के साथ सभी काम करेंगे। आत्मविश्वास से भरपूर रहेंगे।

कन्या राशि- आपका दिन अच्छा रहेगा। घर में हर्षोल्लास का माहौल रहेगा। आज आपको थोड़ी भाग-दौड़ करनी पड़ सकती है। मेहनत के नतीजे मिलेंगे।

तुला राशि- आपका दिन ठीक ठाक बीतेगा। घर में सुख शांति का माहौल रहेगा। आज के दिन आपका स्वास्थ्य थोड़ा खराब रहेगा। किसी भी काम में मन नहीं लगेगा।

वृश्चिक राशि- आपका दिन तनाव से भरा हुआ बीतेगा। कार्यक्षेत्र में आज किसी के साथ टकराव हो सकता है। आपका मन उदास रहेगा। हर परिस्थति में कुछ खास करीबियों का साथ जरूर मिलेगा।

धनु राशि- आपके दिन की शुरुआत बहुत अच्छी होगी। सुबह सुबह संतान की तरफ से अच्छी खबर मिलने के आसार है। आपका मन प्रसन्न रहेगा। आज किस्मत का भी भरपूर सहयोग मिलेगा।

मकर राशि- आपका दिन सामान्य बीतेगा। कार्यों में आ रही बाधाएं कम होगी। आज के दिन आपका मन धार्मिक कार्यों में लगेगा। जरूरतमंद की मदद जरूर करें।

कुंभ राशि- दिन आपका मिला जुला बीतेगा। पारिवारिक जीवन में तनाव रहने के आसार है। किसी करीबी का स्वास्थ्य आपकी चिंता बढ़ाएगा। कोई भी बड़ा फैसला आज के दिन सोच-समझकर ही लें।

मीन राशि- आपका दिन शानदार बीतेगा। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। रुका हुआ पैसा मिलने की उम्मीद है। घर का माहौल आज हर्षोल्लास से भरा रहेगा।

IND vs ENG Day 4 updates: अश्विन के आगे इंग्लैंड ने किया सरेंडर, जीत के लिए 420 का लक्ष्य, रोहित आउट

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IND vs ENG Day 4 updates: अश्विन के आगे इंग्लैंड ने किया सरेंडर, जीत के लिए 420 का लक्ष्य, रोहित आउट

भारत और इंग्लैंड (IND vs ENG Day 4) के बीच चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में टेस्ट सीरीज का पहला मैच खेला जा रहा है। इंग्लैंड ने पहली पारी में 578 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। जिसके जवाब में भारतीय टीम पहली पारी में 357 रनों पर सिमट गई। डॉम बेस ने भारत को कम स्कोर पर रोकने में बड़ी भूमिका निभाई।

उन्होंने 4 भारतीय बल्लेबाजों को चलता किया। उनके अलावा जेम्स एंडरसन, जोफ्रा आर्चर और लीच ने 2-2 विकेट चटकाए। इंग्लैंड की दूसरी पारी 178 रनों पर सिमट गई है। अब भारत को जीत के लिए 420 रनों की जरुरत है।  चौथे दिन का खेल खत्म होने तक भारत ने 1 विकेट के नुकसान पर 39 रन बना लिए है।

अश्विन ने दूसरी पारी में चटकाए 6 विकेट

इंग्लैंड की दूसरी पारी कुछ खास नहीं रही। पारी के पहले ही गेंद पर अनुभवी स्पीनर आर अश्विन ने रॉरी बर्न्स को चलता किया। बर्न्स शून्य पर चलते बने। जिसके बाद डॉमनिक सिब्ले और डेनियल लॉरेंस ने पारी को संभालने की कोशिश की। लेकिन अश्विन ने सिब्ले को पुजारा के हाथों कैच कराकर इंग्लैंड को दूसरा झटका दिया। डेनियल लॉरेंस के रुप में इंग्लैंड को तीसरा झटका लगा।

इशांत शर्मा ने लॉरेंस को आउट कर टेस्ट क्रिकेट में अपना 300 विकेट पूरा किया। जिसके बाद बल्लेबाजी करने आए बेन स्टोक्स के साथ इंग्लिश कप्तान जो रुट ने पारी को आगे बढ़ाया। लेकिन दूसरी पारी में स्टोक्स भी सस्ते में चलते बने। बेन स्टोक्स ने 7 रनों की पारी खेली और अश्विन के शिकार बने। दूसरे छोर पर जो रुट मजबूती के साथ अड़े हुए थे और एक बार फिर बड़े स्कोर की ओर बढ़ते जा रहे थे।

लेकिन यॉर्कर किंग जसप्रीत बुमराह ने रुट को एलबीडबल्यू कर इंग्लैंड को 5 वां झटका दिया और साथ ही इंग्लैंड की उम्मीदों पर पानी भी फेर दिया। पहली पारी में 19 चौके और 1 छक्के की मदद से दोहरा शतक जड़ने वाले इंग्लैंड के कप्तान जो रुट दूसरी पारी में भी टीम की ओर से टॉप स्कोरर है। उन्होंने दूसरी पारी में 40 रनों की पारी खेली। उनके बाद पोप और बटलर अपना दूसरा टेस्ट मैच खेल रहे शाहबाज नदीम के शिकार बने।

पुच्छले बल्लेबाजों को अश्विन ने चलता किया। अश्विन ने बेस, आर्चर और एंडरसन के विकेट झटके, जिसके साथ ही उन्होंने दूसरी पारी में कुल 6 विकेट चटका लिए हैं। जबकि पहली पारी में अश्विन ने 3 बल्लेबाजों को आउट किया था। यानी इंग्लैंड के खिलाफ अश्विन ने पहले टेस्ट मैच में 9 विकेट चटकाए हैं।

जीत के लिए 420 रन

भारत को जीत के लिए 420 रनों का दारोमदार है। (IND vs ENG Day 4) ओपनर बल्लेबाज रोहित शर्मा, इंग्लैंड के स्पीनर गेंदबाज जैक लीच के शिकार बन चुके हैं। चेतेश्वर पुजारा (12) और शुभमन गिल (15) पीच पर टिके हुए हैं। किसी भी टीम के लिए चौथी पारी में इतना बड़ा स्कोर हासिल करना आसान नहीं है। ऐसे में भारतीय टीम को अगर अच्छी साझेदारियां मिलती हैं तो वे जरुर जीतने का प्रयास करेंगे। लेकिन अगर मध्यक्रम की बल्लेबाजी में उतार चढ़ाव आया तो निश्चित तौर पर भारतीय टीम इस मैच को ड्रॉ कराने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।