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इस रहस्यमयी कुंड के कई अनसुलझे राज का वैज्ञानिक भी नहीं लगा सके पता, नहाने से ये रोग होता है दूर!

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इस रहस्यमयी कुंड के कई अनसुलझे राज का वैज्ञानिक भी नहीं लगा सके पता, नहाने से ये रोग होता है दूर!

दुनियाभर में कई एक से बढ़कर एक नजारें हैं, जिन्हें कई बार आंखे केवल निहारना ही चाहती हैं और कई तो ऐसे भी नजारे होते हैं जो काफी हैरान कर देने वाले होते हैं. कई इमारते, किले, कोई प्राचीन मंदिर या फिर जलकुंड ये भी उन में से एक ही हैं. जो देखने में जीतने अनोखे होते हैं उतने ही रहस्यमय से भरे हुए होते हैं, अगर बात करें जलकुंड की तो दुनिया में कई ऐसे भी जलकुंड हैं जिनके रहस्य जानकर हैरान होने में कोई दोहराए की बात नहीं है.

वहीं, आज हम आपको भारत के ही एक ऐसे जलकुंड के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके रहस्य और अनसुलझे राज के बारे में जानकर आप हैरत में पड़ सकते हैं. तो आइए आपको इस रहस्यमय जलकुंड के बारे में विस्तार से बताते हैं…

ताली बजाते ही कुंड से पानी ऊपर

दरअसल, हम जिस रहस्यमय जलकुंड की बात कर रहे हैं वो झारखंड के बोकारो जिल में स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि यहां के जलकुंड के सामने अगर ताली बजाई जाती है तो पानी अपने आप ऊपर उठने लगता है. जिसे देखकर आपको ऐसा लगेगा मानों किसी बर्तन में पानी का उबाल आ रहा हो. आज तक इस रहस्य का पता कोई भू-वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाया है.

कुंड का एक और रहस्य अनसुलझा

आपको बता दें कि इस जलकुंड को दलाही कुंड(dalahi kund) के नाम से भी जाना जाता है. ये कुंड कंक्रीट की दीवारों से घिरा हुआ है. ताली बजाकर पानी ऊपर आने के अलावा इस कुंड का एक और रहस्य ये है कि कुंड का जल गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म निकलता है, इसके बारे में भी अभी तक कोई वैज्ञानिक पता नहीं लगा सका है.

कुंड को लेकर लोगों में मान्यता

दलाही कुंड को लेकर लोगों की ये मान्यता है कि इस कुंड में नहाने वाले चर्म रोगियों का ये रोग दूर हो जाता है. जिसके चलते इस कुंड में नहाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. वहीं, भू-वैज्ञानिकों के अनुसार इस कुंड में नहाने से अगर चर्म रोग दूर होता है तो इसका मतलब ये है कि इस कुंड के पानी में गंधक और हीलियम गैस मिली हुई है.

मकर संक्रांति पर लगता है मेला

हर साल मकर संक्रांति के मौक पर यहां मेला लगता है. इस दौरान दूर-दूर से लोग कुंड में नहाने आते हैं. इस कुंड के पास ही दलाही गोसाईं नामक देवता का स्थान है और हर रविवार को पूजा करने के लिए श्रद्धालु आते हैं.

भारत में दोषियों को मौत की ‘फांसी’ ही क्यों? जानें दुनियाभर में कैसे दिया जाता है मृत्युदंड ?

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भारत में दोषियों को मौत की ‘फांसी’ ही क्यों? जानें दुनियाभर में कैसे दिया जाता है मृत्युदंड ?

देखा जाए तो भारत में हर साल कई लोगों को फांसी की सजा सुनाई जाती है लेकिन आंकड़े तो कुछ और ही गवाही देते हैं. क्योंकि सजा सुनाई तो जाती है लेकिन अमल उस पर बहुत ही कम हो पाता है. बता दें साल 1991 से लेकर अभी तक सिर्फ 16 लोग ऐसे हैं जिनको फांसी पर लटकाया गया है. लेकिन भारत के अलावा ऐसे कई देश हैं जिनको अलग अलग तरीके से मौत की सजा सुनाई जाती है. आइये जाने भारत में मौत के लिए क्यों निर्धारित की गई है फांसी की सजा और दुनिया के बाकी देश कौन सा तरीका अपनाते हैं?

भारत में क्यों होती है फांसी ?

दरअसल ये पृथा ब्रिटिश काल से चली आ रही है. इसकी शुरुआत ब्रिटेन के विलियम मारवुड ने 1872 से की थी. इसमें जब तक दोषी की गर्दन न टूट जाए तब तक उसे फंदे से लटका कर रखा जाता है. भारत में स्वतंत्रता के बाद सबसे पहले फांसी की सजा महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को दी गई थी. आंकड़ों की मानें तो कि साल 2018 में दुनिया के 20 देशों में कम से कम 690 लोगों को मौत की सजा दी गई. इसमें चीन सबसे पहले नंबर पर आता है.

दुनियाभर में फांसी देने के तरीके

फांसी – फांसी की सजा दोषी को मौत देने का सबसे आम तरीका है. साल 2014 तक का रिकॉर्ड देखें तो ईरान में 369 लोगों को फांसी की सजा दी जा चुकी थी. 26 अप्रैल 2014 को एक ईरानी कैदी को बलात्कार का दोषी पाए जाने के बाद सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया गया था. एक अन्य ईरानी ने 2007 में सड़क पर लड़ाई में एक युवक की चाकू से गोदकर हत्या करने का दोषी मानते हुए 15 अप्रैल को फांसी दे दी थी. 2013 में फांसी देने वाले अन्य देशों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, बोत्सवाना, भारत, इराक, जापान, कुवैत, मलेशिया, नाइजीरिया, गाजा में फिलिस्तीनी प्राधिकरण, दक्षिण सूडान और सूडान शामिल हैं.

फायरिंग स्क्वाड – इंडोनेशिया में फायरिंग स्क्वाड मौत की सजा के लिए सबसे ज्यादा अपनाया जाता है. इसमें बारह सशस्त्र जल्लाद कैदी को सीने में गोली मारते हैं. अगर कैदी अभी भी मृत नहीं है, तो कमांडर अंतिम गोली जारी सिर में शूट करता है. एक बहुप्रचारित मामले में, जनवरी 2013 में इंडोनेशिया ने 56 वर्षीय ब्रिटिश महिला लिंडसे सैंडिफ़ोर्ड को बाली के नगुराह राय अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में कोकीन की तस्करी के आरोप में फायरिंग स्क्वाड द्वारा मौत की सजा सुनाई थी. 2013 में फायरिंग स्क्वाड द्वारा अंजाम देने वाले अन्य देशों में चीन, उत्तर कोरिया, सऊदी अरब, सोमालिया, ताइवान और यमन शामिल हैं. इसको यूनाइटेड अरब एमिरेट्स भी ज्यादातर अपनाता है.

सिर काटना– सऊदी अरब दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां पर मृत्युदंड में सिर काटा जाता है. साल 2013 में, सऊदी अरब ने पांच यमनी पुरुषों और एक सऊदी को मार दिया था. यमनी पुरुषों को एक सशस्त्र गिरोह बनाने, सशस्त्र डकैती और हत्या का दोषी ठहराया गया था. सऊदी को हत्या का भी दोषी ठहराया गया था. इस सजा में सार्वजनिक जगह पर दोषियों का सिर तलवार से काट दिया जाता है.

जानलेवा इंजेक्शन –  वैसे तो मृत्यु का अंतिम परिणाम मृत्युदंड के सभी तरीकों में समान है, लेकिन इसके बावजूद जहरीले इंजेक्शन को अक्सर सबसे कम क्रूर के रूप में देखा जाता है. इन सब में कैदी में ड्रग्स की घातक खुराक को इंजेक्ट करना यूएस में मृत्यु दंड का प्राथमिक तरीका बन गया है. हालांकि, घातक दवाओं के साथ आपूर्ति करने वाले राज्यों से जुड़े विवाद के परिणामस्वरूप, दवा कंपनियों ने घातक उपयोग के लिए अपनी दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है.

बिजली से मौत – संयुक्त राज्य अमेरिका 2013 में इलेक्ट्रोक्यूशन का उपयोग करते हुए मृत्युदंड की सजा देने वाला एकमात्र देश है. 42 साल के दो कैदियों की हत्या के दोषी 42 साल के रॉबर्ट ग्लिसन जूनियर को 16 जनवरी, 2013 को वर्जीनिया में इलेक्ट्रिक चेयर का इस्तेमाल करके मार डाला गया था.

2019 के बाद शतक नहीं लगा पाए हैं कोहली, गावस्कर ने कहा- वह जल्द खेलेंगे बड़ी पारी

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2019 के बाद शतक नहीं लगा पाए हैं कोहली, गावस्कर ने कहा- वह जल्द खेलेंगे बड़ी पारी

भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज का पहला मैच खेला जा रहा है। इंग्लैंड की टीम ने कप्तान जो रुट के दोहरे शतक की मदद से पहली पारी में 578 रन बनाए थे। जिसके जवाब में भारतीय टीम (IND vs AUS Chennai Test) पहली पारी में 337 रनों पर ढ़ेर हो गई। चेतेश्वर पुजार को छोड़कर शीर्ष क्रम का अन्य कोई भी बल्लेबाज अच्छी पारी नहीं खेल पाया।

पुजारा, ऋषभ पंत और निचले क्रम में बल्लेबाजी करने आए वाशिंगटन सुंदर की पारियों ने भारत को संभाला और भारत 337 रन बनाने में कामयाब रहा। इंग्लैंड के कप्तान जो रुट ने अपनी टीम को आगे से लीड किया और पहली पारी में भारतीय गेंदबाजों की जमकर खबर ली। रुट ने 19 चौके और 1 छक्के की मदद से 218 रनों की शानदार पारी खेली थी।

जिसके बाद भारतीय टीम के फैंस उम्मीद जता रहे थे कि इंग्लैंड के खिलाफ वापसी करने वाले भारतीय कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) भी टीम को फ्रंट से लीड करेंगे और बड़ी पारी खेलेंगे। लेकिन विराट कोहली पहली पारी में मात्र 11 रन ही बना पाए। इसी बीच पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने विराट कोहली के परफॉरमेंस को लेकर प्रतिक्रिया दी है।

दबाव में बेहतर खेलते हैं कोहली

सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने कहा है कि दबाव में कोहली (Virat Kohli) का प्रदर्शन काफी बेहतर होता है और वह जल्द ही कोई बड़ी पारी खेलेंगे। गावस्कर ने स्टार नेटवर्क से कहा, ‘जब आप नंबर चार पर बल्लेबाजी करने उतरे हैं तो स्कोर 200/2 रहता है। ऐसे में आप सोचते हैं कि बल्लेबाजी करना आसान है, वह अब जानते हैं कि बल्लेबाजी करना आसान नहीं है और उन्हें इस पर ध्यान लगाना होगा।‘

बड़ी पारी खेलने के करीब है कोहली

पूर्व भारतीय बल्लेबाज (Sunil Gavaskar) ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि वह एक बड़ी पारी खेलने के करीब हैं। पिछले साल ऐसा पहली बार हुआ था, जब उनके बल्ले से किसी भी फॉर्मेट में शतक नहीं आया था। इससे पहले लगातार 7-8 सालों से कोहली के बल्ले से पांच-छह शतक देखने को मिलते थे। मुझे पता है कि पिछले साल कोरोना महामारी से क्रिकेट प्रभावित हुआ था, लेकिन कोहली के बल्ले से शतक नहीं आना काफी दुर्लभ संयोग था। मुझे उम्मीद है कि वह 2021 में इसे बदलना चाहेंगे।‘

कोहली ने 2019 में लगाया था शतक

बता दें, भारतीय कप्तान विराट कोहली ने अपना अंतिम शतक 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ कोलकाता के इडेन गार्डन में खेले गए डे-नाइट टेस्ट मैच के दौरान लगाया था। उसके बाद से ही क्रिकेट के किसी भी फॉरमेट में वह शतक लगाने में नाकाम रहे हैं। जिसे लेकर लगातार सवाल भी उठ रहे हैं। पिछले एक साल से विराट कोहली टेस्ट, वनडे और टी-20 में कुल 853 रन ही बना पाए हैं। कोहली ने टेस्ट की पिछली 7 पारियों में एक अर्धशतक समेत सिर्फ 127 रन बनाए हैं।

अब क्या है ड्रैगन की मंशा? जिनपिंग ने सेना को ‘जंग की तैयारी’ का दिया मैसेज, बढ़ा रहा सैनिकों की तैनाती और…

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अब क्या है ड्रैगन की मंशा? जिनपिंग ने सेना को ‘जंग की तैयारी’ का दिया मैसेज, बढ़ा रहा सैनिकों की तैनाती और…

भारत और चीन के बीच बीते कुछ महीनों में रिश्ते काफी खराब हुए। LAC पर लगातार तनातनी का माहौल बना हुआ है। दोनों देशों के बीच 9 दौर की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन विवाद का हल कुछ नहीं निकल पा रहा। लेकिन बातचीत की टेबल पर जो चीन इस पूरे मसले को सुलझाने की बात कहता है, वहीं वो जमीनी स्तर पर इसे लागू नहीं करता। चीन कई बार पीठ में छुरा घोंपने का काम कर चुका है।

एक बार फिर से ड्रैगन की मंशा पर शक गहराने लगा है। दरअसल, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी PLA को युद्ध के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए। चीन की मीडिया का ये कहना है कि चीनी राष्ट्रपति का ये बयान भारत और ताइवान के साथ चल रहे तनावपूर्ण रिश्ते के लिए दिया गया।

वहीं चीन द्वारा पैंगोंग झील वाले क्षेत्र में नए सिरे से बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती, मिसाइल और हथियार इकट्ठे करने की खबरें भी आ रही हैं। इंडियन नेशनल सिक्योरिटी प्लानर्स के मुताबिक तीनों सेक्टरों में PLA नई तैनाती कर रहा है। सैनिकों और भारी सैन्य उपकरणों को एक जगह से दूसरी जगह भेजा जा रही है। साथ में चीन पैंगोंग त्सो के फिंगर क्षेत्रों में नया निर्माण कर भारत को उकसाने की कोशिश की जा रही है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वी लद्दाख के चुमार में LAC से केवल 82 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शिंकाने पीएलए कैंप के आसपास चीन ने 35 भारी सैन्य वाहन, चार 155 एमएम पीएलजेड, 83 सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर तैनात किए।

वहीं चीन की हर हरकत पर पैनी नजर बनाए रखने के लिए भारत भी उत्तरी सीमाओं पर अपनी सर्विलांस क्षमता बढ़ाने जा रहा है। वहां पर बड़ी संख्या में ड्रोन, सेंसर, सैनिक सर्वेक्षण और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण तैनात किए जाएंगे, जिससे चीनी सेना की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।

गौरतलब है कि चीन और भारत के बीच तनातनी का माहौल बीते साल अप्रैल-मई के महीने से चला आ रहा है। ये टकराव तब और गहरा गया था, जब जून के महीने में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई और भारतीय सेना 20 जवान शहीद हो गए। चीन ने झड़प के दौरान मारे गए अपने सैनिकों के सच को आज तक छिपा कर  रखा हुआ है। हालांकि बताया जाता रहा है कि चीन को भी इस दौरान काफी नुकसान पहुंचा। इसके बाद से कई बार भारत और चीन आमने-सामने आ चुके है।

जब दोनों देशों के बीच बातचीत होती है, तब तो चीन विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने की बात कहता हुआ नजर आता है। लेकिन जमीनी स्तर पर वो इसे लागू नहीं करता। चीन की हर हरकत से भारत काफी वाकिफ है, इसलिए पहले से ज्यादा कई सतर्क भी।

कोरोना का विश्व में खौफनाक साया, जानें इससे पहले किन खतरनाक वायरसों ने दुनिया को डराया

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कोरोना का विश्व में खौफनाक साया, जानें इससे पहले किन खतरनाक वायरसों ने दुनिया को डराया

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को डराया. चीन के वुहान से फैले इस वायरस ने धीरे धीरे दुनियाभर में अपने पैर पसारे और करोड़ों लोगों को मौत की नींद सुला दिया. सुपरपॉवर अमेरिका में इस वायरस ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया. कोरोना ऐसा पहला वायरस नहीं, जिसने इतनी तबाही मचाई. इससे पहले भी ऐसे कई खतरनाक वायरस आए हैं जिन्होंने दुनिया में दहशत का माहौल पैदा कर दिया था. आइये जानते हैं कौन से थे वो वायरस.

इबोला वायरस

इबोला वायरस की खोज सबसे पहले 1976 में इबोला नदी के पास हुई थी जो अब कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य है. तब से, वायरस समय-समय पर लोगों को संक्रमित करता आया है. 2014 में पश्चिमी अफ्रीका में इसके फैलने से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी. इसमें करीब 74 प्रतिशत संक्रमण परिवार के सदस्यों से हुआ था. इबोला एक दुर्लभ लेकिन घातक वायरस है जो बुखार, शरीर में दर्द और दस्त का कारण बनता है. इससे कभी-कभी शरीर के अंदर और बाहर ब्लीडिंग होती है. जैसे ही वायरस शरीर में फैलता है, यह प्रतिरक्षा प्रणाली और अंगों को नुकसान पहुंचाता है. इससे संक्रमित मरीजों के मरने के स्थिति 90 प्रतिशत होती है.

मारबर्ग वायरस

मारबर्ग वायरस की सबसे पहले पहचान 1967 में की गयी थी. ये बीमारी युगांडा के कुछ बंदरों में पायी गयी जिससे जर्मनी में लैब में काम करने वाले लोग इसका शिकार हो गए थे. दरअसल इन बंदरों को जर्मनी में इम्पोर्ट किया गया था. इसके लक्षण इबोला से काफी मिलते जुलते थे. इससे संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार और ब्लीडिंग जिसके बाद शरीर के अंग निष्क्रिय होते चले जाते थे. और फिर उस व्यक्ति की मौत हो जाती थी. 1998-2000 में फैली इस बीमारी से 80 फीसद से ज्यादा मौत हुई थी.

एचआईवी

ये माना जाता है कि HIV कांगो के लोकतांत्रिक गणराज्य में किंशासा से 1920 में उत्पन्न हुआ था. ये चिंपांज़ी से इंसानों में आया है. 1980 से पहले किसी को सही रूप से इस बीमारी की जानकारी भी नहीं थी. 1980 तक, एचआईवी पहले से ही पांच महाद्वीपों (उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया) में फैल गया होगा. इस अवधि में, 100,000 से 300,000 लोगों का पहले ही संक्रमित होने का अनुमान है. ये वायरस इतना खतरनाक है कि अभी तक इस ये बीमारी लाइलाज है. अगर सही समय पर बीमारी का पता चल जाए तो पीड़ित की जान बचाई जा सकती है.

​स्मॉलपॉक्स या चेचक

1980 में दुनिया को चेचक मुक्त घोषित किया गया. उससे पहले इंसान हजारों साल तक चेचक से जूझते रहे हैं. बड़ी संख्या में चेचक से लोगों की मौत हुई. अकेले 20वीं सदी में करीब 30 करोड़ लोग इसकी वजह से मारे गए थे.

इस देश के ये 17वें प्रधानमंत्री रहस्यमय तरीके से हुए थे गायब, आज तक नहीं मिली इनसे जुड़ी कोई जानकारी, जानिए….

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इस देश के ये 17वें प्रधानमंत्री रहस्यमय तरीके से हुए थे गायब, आज तक नहीं मिली इनसे जुड़ी कोई जानकारी, जानिए….

दुनियाभर के देशों में कई ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो कुछ न कुछ अलग वजहों से जाने जाते हैं. आपने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अली भुट्टो के बारे में तो सुना ही होगा, जिन्हें रात के करीब 2 बजे फांसी के फंदे से लटका दिया गया था. वहीं, आज हम आपको एक ऐसे ही पीएम के बारे में बताने जा रहे हैं जो रहस्यमय तौर पर गायब हो गए थे. हैरत की बात तो ये हैं कि इस प्रधानमंत्री का कुछ पता ही नहीं चल सका है. वो जिंदा है या फिर मर चुके हैं इससे जुड़ी को जानकारी अभी तक नहीं मिल सकी है. आइए आपको उनके बारे में विस्तार से बताते हैं…

हम आपको जिस प्रधानमंत्री के बारे में बताने जा रहे हैं उसका नाम हेरोल्ड एडवर्ड होल्ट (Harold Edward Holt) है. 26 जनवरी, 1966 में इन्होंने ऑस्ट्रेलिया के 17वें प्रधानमंत्री (17th Prime Minister of Australia) का पद संभाला था. ऑस्ट्रेलिया के उस समय प्रधानमंत्री मेनजिस के रिटारमेंट के बाद वो बिना किसी विरोध के चुनाव में चुने गए थे. उन्होंने उसी वर्ष बाद में हुए लोकसभा चुनाव में भी भाग लिया था. इस दौरान उन्हें भारी बहुमत के साथ जीत की प्राप्ति हुई थी.

आपको बता दें कि न्यू साउथ वेल्स के स्टैनमोर में 5 अगस्त, 1908 को हेरोल्ड एडवर्ड होल्ट का जन्म हुआ था. इनके जन्म से सिर्फ 7 महीने पहले ही उनके माता-पिता ने जनवरी 1908 में विवाह किया था. इसके बाद उनके छोटे भाई क्लिफोर्ड का जन्म साल 1910 में हुआ था.

तैराकी और मछली पकड़ने के बेहद शॉकिंग हेरोल्ड एडवर्ड होल्ट विक्टोरिया के शेविओट बीच पर 17 दिसंबर 1967 को तैरने के वक्त अचानक से गायब हो गए थे. उनकी काफी खोजबीन की गई लेकिन वो कहीं नहीं मिले. जिसके बाद आखिर में उन्हें 20 दिसंबर 1967 को आधिकारिक रूप में मृतक घोषित किया गया, लेकिन आज तक उनका शव नहीं मिल पाया.

हेरोल्ड एडवर्ड होल्ट के रहस्यमय तौर पर गायब होने के कारण तरह-तरह की बातें भी हुईं. किसी ने उनके गायब होने के मामले को हत्या से जोड़ा तो किसी का कहना था कि उन्हें शार्क ने खा लिया होगा. और तो और कुछ ऐसे भी लोग थे जिनका कहना था कि उन्होंने आत्महत्या कर ली होगी. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि उन्हें यूएफओ उठा कर ले गए होंगे. हालांकि इनमें से किसी भी बात की अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है. इन्हें केवल मनगढ़ंत कहानियां कहा जा सकता है और अभी तक ये रहस्य ही बना हुआ है कि आखिरकार ऑस्ट्रेलिया के 17वें प्रधानमंत्री हेरोल्ड एडवर्ड होल्ट कहां गायब हुए हैं.

आज भी कई युवा एक्टर से ज्यादा फिट हैं अनिल कपूर, इस फिल्म ने उन्हें बॉलीवुड में मिली थी पहचान

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आज भी कई युवा एक्टर से ज्यादा फिट हैं अनिल कपूर, इस फिल्म ने उन्हें बॉलीवुड में मिली थी पहचान

बॉलीवुड में कुछ एक्टर ऐसे है जो पिछले कई सालों से हिंदी सिनेमा पर राज कर रहे हैं और उन्हीं में से एक अनिल कपूर हैं. लंबे समय से अनिल अपनी दमदार एक्टिंग से लोगों का दिल जीतते आ रहे हैं. एक्टिंग के अलावा अनिल कपूर को एक और चीज के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है और वो है उनकी फिटनेस. 64 साल के अनिल आज भी कई युवा कलाकारों से ज्यादा हैंडसम और एनर्जेटिक लगते हैं. उनमें आज भी उतना ही जोश है जितना तब था जब उन्होनें अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की थी. आइए आज हम आपको अनिल कपूर की जिंदगी से जुड़ी कुछ चीजों पर नजर डालते हैं…

फिल्मी फैमिली से ही रखते हैं ताल्लुकात

24 दिसंबर 1956 को अनिल कपूर का जन्म मुंबई में हुआ था. वो फिल्म मेकर सुरेंद्र कपूर के बेटे हैं. शुरूआत से ही उनके घर का माहौल फिल्मी रहा है. उनके बड़े भाई बोनी कपूर हिंदी सिनेमा के जाने-माने अभिनेता है, वहीं छोटे भाई संजय कपूर भी एक एक्टर ही हैं. हालांकि बॉलीवुड में अपनी छाप छोड़ने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी, उन्होनें अपने दमदार अभिनय के जरिए बॉलीवुड में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया.

1979 में रखा फिल्मों में कदम

अनिल कपूर ने बॉलीवुड में कदम 1979 में रखा था. फिल्म ‘हमारे तुम्हारे’ में एक सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर काम किया था. इसके बाद अनिल ने ‘हम पांच’ और ‘शक्ति’ जैसी कुछ फिल्मों में भी काम किया. इसके अलावा अनिल कूपर ने साउथ इंडस्ट्री में भी अपना हाथ आजमाया है. इसके बाद उनको यश चोपड़ा की फिल्म ‘मशाल’ में दिलीप कुमार के साथ काम करने का एक खास मौका मिला.

फिर उन्होनें ‘वो सात दिन’ में काम किया, इसमें उनके साथ पद्मिनी कोल्हापुरी भी थी. ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई और इसी फिल्म से अनिल कूपर को बॉलीवुड में जो पहचान मिलनी चाहिए थी, वो मिली. इसके बाद 1985 में अनिल ने फिल्म ‘मेरी जंग’ में काम किया, जिनसे उनको एक मशहूर एक्टर बना दिया. फिल्म में अनिल की एक्टिंग, उनके डॉयलाग को खूब सराहा गया. इस फिल्म के लिए अनिल कूपर को बेस्ट एक्टर का फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिल चुका हैं.

90 के दशक के हैं मशहूर एक्टर

इसके बाद 90 के दशक में अनिल का करियर बुलदिंयों पर था. उन्होनें एक के बाद एक कई सुपरहिटों फिल्मों में काम किया. जिसमें ‘मिस्टर इंडिया’, ‘बेटा’, ‘तेजाब’, ‘कर्मा’, ‘राम लखन’, ‘वेलकम’, ‘स्लमडॉग मिलेनियर’, ‘त्रिमूर्ति’ और ‘शूट आउट एट वडाला’ जैसी कुछ फेमस फिल्में शामिल है. अनिल और माधुरी दीक्षित की एक्टिंग तो लोगों को खुब पंसद आईं. दोनों ने एक साथ ‘परिंदा, ‘ईश्वर’, ‘राम लखन’, ‘किशन कन्हैया’, ‘जीवन एक संघर्ष’, ‘जमाई राजा’, ‘खेल’ और ‘बेटा’ इन फिल्मों में काम किया.

माधुरी के अलावा श्रीदेवी के साथ भी उनकी जोड़ी को काफी पंसद किया गया. अनिल और श्रीदेवी ने साथ में ‘मिस्टर इंडिया’, ‘राम अवतार’, ‘लम्हे’, ‘रूप की रानी चोरो का राजा’, ‘हीर रांझा’, ‘लाडला’, ‘मिस्टर बेचारा’ और ‘जुदाई’ जैसी फिल्‍मों में काम किया. वहीं अनिल ने ऐश्वर्या राय के साथ भी दो सुपरहिट फिल्में दी, जिसमें ‘हमारा दिल आपके पास है’ और ‘ताल’ फिल्म शामिल हैं.

कई अवॉर्ड से किए जा चुके हैं सम्मानित

2001 में अनिल कपूर ने फिल्म ‘पुकार’ में काम किया था, जिसे नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका हैं. इसके अलावा वो हाल ही में ‘पागलपंती’ में नजर आए थे. अनिल कपूर ने 125 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है. फिल्मों के अलावा वो छोटे पर्दे पर भी नजर आ चुके हैं. 40 साल के करियर में उन्हें एक्टर और मेकर के रूप में 6 फिल्मफेयर और 2 नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका हैं.

1984 में सुनीता से की थी शादी

फिल्मों के अलावा उनकी निजी जिंदगी की बात करेंगे तो उनकी शादी सुनीता कपूर से हुईं है. सुनीता एक समय की काफी फेमस सुपरमॉडल थे. जब अनिल कपूर को बॉलीवुड में पहचान नहीं मिली थी, तब उनकी सुनीता से मुलाकात हुई थीं. सुनीता सुपरमॉडल थी इसलिए वो उनसे बात करने से थोड़ा घबराते थे. उनसे शादी करने के लिए अनिल ने अपने करियर पर ज्यादा ध्यान देना शुरू किया.

1984 में ही अनिल और सुनीता शादी के बंधन में बंध गए थे. अनिल और सुनीता के तीन बच्चे हैं. उनकी बेटी सोनम कपूर बॉलीवुड की एक मशहूर एक्ट्रेस हैं, इसके अलावा बेटे हर्षवर्धन भी एक्टर करियर में ही अपनी पहचान बना रहे हैं. वहीं दूसरी बेटी रिहा कपूर एक प्रोड्यूसर और फैशन डिजाइनर हैं.

47 साल की उम्र में भी लगती हैं काफी खूबसूरत ऐश्वर्या, जानिए मिस वर्ल्ड से जुड़ी कुछ खास बातें

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47 साल की उम्र में भी लगती हैं काफी खूबसूरत ऐश्वर्या, जानिए मिस वर्ल्ड से जुड़ी कुछ खास बातें

मिस वर्ल्ड रह चुकीं एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय की गिनती बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत एक्ट्रेस में होती हैं. इन्होंने ना केवल फिल्मों में बल्कि मॉडलिंग में भी ऊंचाइयों को छुआ है. ये देश की पहली अभिनेत्री हैं जिन्होंने मिस वर्ल्ड का खिताब हासिल करने के साथ-साथ कई ऐसे कारनामे किए जो फिल्मी दुनिया में किसी और अभिनेत्री ने नहीं किए हैं. तो आइए आपको आज हम आपको ऐश्वर्या से जुड़ी खास बाते बताते हैं…

एक्टिंग के साथ-साथ अपनी खूबसूरती से फैंस के दिलों पर राज करने वाली ऐश्वर्या का जन्म 1 नवंबर, 1973 को कर्नाटक के मंगलौर में एक तुलु परिवार में हुआ था. बाद में इनका परिवार मुंबई में शिफ्ट हो गया था. इनके पिता कृष्णराज राय आर्मी में बायोलॉजिस्ट थे. अगर बात करें ऐश्वर्या के स्कूली दौर की तब उनका रुझान मेडिसिन की पढ़ाई की ओर अधिक था और उनका पसंदीदा विशेष जुलोजी था.

स्कूल पढ़ाई के बाद ऐश्वर्या ने आर्टिटेक्ट बनने का भी मन बनाया, जिसके चलते उन्होंने पढ़ाई के लिए रचना संसद अकेडमी में दाखिला भी लिया, लेकिन इसके बाद उनकी रुचि मॉडलिंग की ओर बढ़ी और उन्होंने अपना करियर मॉडलिंग में बनाना सही समझा.

साल 1994 में ऐश्वर्या का करियर पूरी तरह से तब बदल गया जब उन्होंने ‘मिस वर्ल्ड’ का खिताब जीता था. बता दें कि ये पहली ऐसी बॉलीवुड अभिनेत्री और दूसरी भारतीय हैं, जिन्होंने ‘मिस वर्ल्ड’ का खिताब अपने नाम किया था. इनसे पहले साल 1966 में भारत की तरफ से रिता फारिया ने ये खिताब जीता था, लेकिन उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम नहीं रखा.

साल 2007 में ऐश्वर्या राय ने कई लोगों का दिल तोड़ दिया था, क्योंकि उस दौरान उन्होंने महानायक अमिताभ बच्चन और जया बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन से सात फेरों के साथ शादी के बंधन में बंध गई थीं, अब इनकी शादी को 12 साल हो चुके हैं और दोनों का रिश्ता बहुत मजबूत है.

अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन की एक बेटी भी है, जिसका नाम अराध्या है. वहीं, इन तीनों की तस्वीरें अक्सर सोशल मीडिया पर देखने को मिलती रहती है. साथ ही अभिषेक और ऐश्वर्या की अच्छी बॉन्डिंग भी कई मौकों पर देखने को मिलती है.

पीएम मोदी के MSP वाले बयान पर आई राकेश टिकैत की प्रतिक्रिया, कहा- हमने कब कहा कि MSP खत्म होगा?

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पीएम मोदी के MSP वाले बयान पर आई राकेश टिकैत की प्रतिक्रिया, कहा- हमने कब कहा कि MSP खत्म होगा?

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन तेज हो गया है। दिल्ली के बॉर्डरों पर पिछले 74 दिनों से प्रदर्शन हो रहे हैं और केंद्र सरकार से इन कानूनों को रद्द करने की मांग की जा रही है। आज सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने किसान आंदोलन को लेकर टिप्पणी की।

साथ ही उन्होंने किसानों से आंदोलन को खत्म करने का आग्रह भी किया। जिस पर अब भारतीय किसान यूनियन के नेता और प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि सरकार इस मसले को सुलझाने की बजाय लगातार उलझा रही है।

MSP को अनिवार्य बनाने के लिए कानून बनाए सरकार

पीएम मोदी की एमसपी पर टिप्पणी पर राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, हमने कब कहा कि MSP खत्म हो जाएगा। MSP को अनिवार्य बनाने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए। किसान नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी यदि किसानों से बातचीत करना चाहते हैं को उनका किसान मोर्चा उनसे बात करेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि जैसे पीएम मोदी लोगों से गैस सिलिंडर की सब्सिडी छोड़ने की अपील करते हैं वैसे ही अपील एक बार सांसद-विधायकों से पेंशन छोड़ने की भी कर दें।

देश में पानी से सस्ता दूध बिकता है

पिछले दिनों कई नेताओं ने किसान आंदोलन को जाट आंदोलन बताया था। जिस पर टिप्पणी करते हुए राकेश टिकैत ने कहा है कि ये मसला पहले पंजाब और हरियाणा का था, फिर जाटों का बना। अब यह आंदोलन छोटे बड़े किसानों का हो गया है। सभी किसान एक हैं, छोटा बड़ा क्या है? किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा देश में भूख का व्यापार नहीं होगा। अनाज की कीमत भूख पर तय नहीं होगी। उन्होंने कहा, देश में पानी से सस्ता दूध बिकता है, उसका भी रेट तय होगा।

MSP था, MSP है और MSP रहेगा– PM मोदी

बता दें, पीएम मोदी ने आज राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान कहा कि कानून को लेकर किसानों की हर शंका का समाधान किया जाएगा। किसानों की बड़ी मांग पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, ‘MSP को कोई खत्म नहीं कर सकता। MSP था, MSP है और MSP रहेगा।‘ गौरतलब है कि किसान लगातार नए कृषि कानूनों को रद्द करने और MSP पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।

‘आंदोलनजीवी’, ‘शादी में फूफी’, ‘भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी’…राज्यसभा में फुल फॉर्म में दिखे पीएम मोदी, जानिए क्या-क्या कहा?

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‘आंदोलनजीवी’, ‘शादी में फूफी’, ‘भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी’…राज्यसभा में फुल फॉर्म में दिखे पीएम मोदी, जानिए क्या-क्या कहा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में जवाब दिया। इस दौरान पीएम मोदी ने कोरोना से लेकर किसान आंदोलन तक तमाम मुद्दों पर विपक्ष को घेरा। पीएम मोदी ने राज्यसभा में तंज कसते हुए ऐसी बातें बोली, जिस पर विपक्षी नेता भी हंस पड़े। साथ ही MSP के मुद्दे पर एक बार फिर से किसानों को भरोसा देते हुए आंदोलन खत्म की अपील भी पीएम मोदी ने की। आइए आपको बताते हैं पीएम मोदी के राज्यसभा में दिए भाषण की खास बातें…

‘MSP रहेगी जारी, खत्म करें आंदोलन’

पीएम मोदी ने किसानों को MSP पर भरोसा देते हुए आंदोलन खत्म करने को कहा। पीएम मोदी ने कहा कि MSP थी, है और रहेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें आगे बढ़ना चाहिए। गालियों को मेरे खाते में जान दें, लेकिन सुधार होने दें। बुजुर्ग आंदोलन में बैठे हैं, उनको घर जाना चाहिए। आंदोलन खत्म करें, चर्चा जारी रहेगी। किसानों के साथ बातचीत जारी रहेगी। MSP थी, है और रहेगी।

‘मोदी है, मौका लीजिए’

राज्यसभा में विपक्ष पर पीएम मोदी ने जमकर हमला बोला। उन्होनें मजाकिया अंदाज में कहा कि आपने चर्चा के दौरान मेरे खिलाफ कई टिप्पणियां की। कोरोना की वजह से आप लोग फंसे रहते होंगे। घर में किचकिच भी चलती होगी। आप अपना सारा गुस्सा मेरे पर उतार दिया। इससे आपका मन हल्का हुआ होगा। चलो, मैं आपके काम तो आया, ये मेरा सौभाग्य है। आप ये आनंद लगातार लेते रहिए और मोदी है, मौका लीजिए।

मनमोहन सिंह का पढ़ा पुराना कथन

राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने मनमोहन सिंह के एक कथन को भी पढ़ा, जिसमें उन्होनें बड़े बाजार की वकालत की थीं। पीएम मोदी ने कहा कि मैं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक कथन को कोट करना चाहता हूं। उन्होनें किसानों को अपनी उपज कहीं पर भी बेचने का हक देने की बात कही थी। इस हिसाब से तो इस पर गर्व करने की जरूरत है, क्योंकि जो मनमोहन सिंह ने कहा वो मोदी को करना पड़ रहा है।

‘परिवार में नाराज फूफी की तरह…’

राज्यसभा में पीएम मोदी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि किसी ने भी किसान कानून पर चर्चा नहीं की। सबने यही कहा कि कानून को जल्दबाजी में लाया गया और बिना चर्चा के लाया गया। परिवार में शादी होती है तो फूफी नाराज होकर कहती है… मुझे कहां बुलाया… वो तो रहता है… इतना बड़ा परिवार है तो।’

‘बिना आंदोलन के जी नहीं सकते कुछ लोग’

पीएम मोदी ने कहा कि हम कुछ शब्दों से परिचित हैं, जैसे श्रमजीवी, बुद्धिजीवी। लेकिन बीते कुछ लोग आंदोलनजीवी हो गए। ये लोग किसी का भी आंदोलन हो, वहां पर नजर आ जाएंगे..चाहे वो स्टूडेंट का आंदोलन हो, मजदूर का या किसी और का..ये लोग आपको दिख जाएंगे। कभी पर्दे के पीछे कभी आगे। ये टोली आंदोलनजीवी की है, जो बिना आंदोलन के जी नहीं सकते हैं। हमें ऐसे लोगों को पहचानने की जरूरत है। ये आंदोलनजीवी ही परजीवी होते हैं, जो हर जगह नजर आते हैं।’

‘देश को हर सिख पर गर्व’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ लोग भारत को अस्थिर करने की कोशिश करते हैं, जिनसे हमको सतर्क रहने की जरूरत है। पंजाब का बंटवारा हुआ, 1984 में दंगे, कश्मीर और नार्थ ईस्ट में जो कुछ हुआ उससे देश को नुकसान पहुंचा। कुछ लोग सिख भाइयों के दिमाग में गलत चीजें भरने में लगे हैं। देश को हर सिख पर गर्व है।

‘…जब शास्त्री जी ने’

पीएम मोदी ने सदन में बोलते हुए कहा कि यहां पर केवल आंदोलन की ही बात हो रही है, लेकिन सुधारों पर कोई भी चर्चा नहीं हुई। जब लाल बहादुर शास्त्री जी ने कृषि सुधारों को किया, तो उनको भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, फिर भी वो पीछे नहीं हटे। तब लेफ्ट ने कांग्रेस को अमेरिका का एजेंट कह दिया था। आज मुझे ही वो गाली दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी कानून हो, कुछ समय के बाद उसमें सुधार होते ही हैं।

‘भारत को दुनिया के उपदेश की जरूरत नहीं’

पीएम मोदी बोले कि हमें लोकतंत्र को लेकर कई उपदेश दिए गए। हमें लोकतंत्र को लेकर दुनिया से सीखने की जरूरत नहीं। भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं, जिसकी खाल ऐसे उधेड़ सकें। भारत लोकतंत्र की जननी है। भारत का प्रशासन लोकतांत्रिक है, इसकी परंपरा, संस्कृति, विरासत, और इच्छाशक्ति लोकतांत्रिक है, जो हमें एक लोकतांत्रिक देश बनाता है। ये सत्यम, शिवम, सुंदरम के मूल्यों से प्रेरित है।

कोरोना को लेकर भी विपक्ष को घेरा

कोरोना को लेकर भी पीएम ने विपक्ष को घेरा। उन्होनें कहा कोरोना काल में दुनिया भारत के लिए चिंतित थी। अगर भारत नहीं संभला, तो दुनिया पर संकट आएगा। लेकिन देश ने नागरिकों की रक्षा के लिए जंग लड़ी और आज पूरी दुनिया गर्व कर रही है कि भारत ने इस जंग को जीता। ये लड़ाई किसी सरकार या व्यक्ति की नहीं थी, बल्कि इसे पूरे हिंदुस्तान ने जीता। विपक्ष पर हमला बोलते हुए पीएम ने कहा कि कोरोना संकट में एक बूढ़ी महिला ने झोपड़ी के बाहर दीया जलाया, लेकिन उसका भी मजाक उड़ाया गया। विपक्ष ऐसी बातों में ना उलझे, जिनसे देश के मनोबल को चोट पहुंचता हो।