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Amethi Horror: अमेठी में पति-पत्नी और बच्चों समेत 4 की खौफनाक हत्या, सीएम योगी ने सख्त कार्रवाई के दिए निर्देश

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Amethi horror
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उत्तर प्रदेश के अमेठी में गुरुवार को दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां अमेठी जिले के गौरीगंज में देर शाम दलित शिक्षक सुनील कुमार, उनकी पत्नी पूनम और दो मासूम बेटियों की गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई। इन बच्चों की मृतक मां ने 18 अगस्त को रायबरेली जिले में चंदन वर्मा के खिलाफ छेड़छाड़ और मारपीट का केस दर्ज कराया था। पुलिस ने मृतका की तहरीर पर आरोपी चंदन के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया था। वहीं, दलित परिवार की हत्या की इस सनसनीखेज वारदात से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है।

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मामले में आया अफेयर का ट्विस्ट

अमेठी में दलित शिक्षक और उसके पूरे परिवार की हत्या की जांच के दौरान यह बात सामने आ रही है कि मृतक महिला और आरोपी चंदन वर्मा के बीच प्रेम संबंध थे। रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षक के परिवार की हत्या करने के बाद आरोपी चंदन ने खुद की जान लेने की कोशिश की, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका। इसके अलावा, आरोपी चंदन वर्मा ने अपने फोन स्टेटस पर आज पांच हत्याएं होने की घोषणा की। इसके अलावा, मृतक महिला के वीडियो कॉल के कई स्क्रीनशॉट मिले हैं।

राहुल गांधी ने पीड़ित फैमिली से बात

अमेठी सांसद किशोरी लाल शर्मा ने इस घटना को लेकर सरकार और प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाना चाहिए और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। सांसद किशोरी लाल शर्मा ने कहा, “मैं लगातार मृतक के परिवार के संपर्क में हूं और उनकी समस्याओं को समझ रहा हूं। यह घटना एक गंभीर अपराध है और इसमें रायबरेली पुलिस की बड़ी लापरवाही है।”

उन्होंने यह भी कहा कि रायबरेली के सांसद राहुल गांधी ने मृतक के पिता से बात की और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

घर में घुसकर मारी गोली

इस पूरे मामले में देर रात चंदन वर्मा के खिलाफ धारा 103-1 के तहत केस दर्ज किया गया। जानकारी के मुताबिक 18 अगस्त को मृतक की पत्नी पूनम का रायबरेली में चंदन से विवाद हुआ था। बताया जा रहा है कि बदमाशों ने रात में सरकारी शिक्षक सुनील कुमार के घर में घुसकर उनकी, उनकी पत्नी और दो मासूम बेटियों की गोली मारकर हत्या कर दी।

घटना के बाद स्थानीय लोगों ने सुनील कुमार, उनकी पत्नी और दो बेटियों को सीएचसी सिंहपुर पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। एक ही परिवार के चार लोगों की मौत की खबर से इलाके में दहशत का माहौल है।

सपा ने यूपी सरकार को घेरा

सपा के मीडिया सेल ने अमेठी की घटना को लेकर सोशल मीडिया पर एक्स पोस्ट किया। इसमें लिखा था कि दिनदहाड़े घर में घुसकर शिक्षक, उनकी पत्नी और दो मासूम बच्चों की अंधाधुंध फायरिंग कर हत्या कर दी गई। दूसरे राज्यों में जाकर मंच से यूपी की कानून व्यवस्था का झूठा राग अलापने वाले सीएम योगी को शर्म आनी चाहिए। यूपी में लगातार जघन्य अपराधों से जनता भयभीत है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि कोई तो है…कहीं तो…हमें नहीं चाहिए भाजपा।

यूपी सीएम योगी ने दिया ये आदेश

सीएम योगी ने घटना पर दुख जताते हुए पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की और ट्विटर पर लिखा, “जनपद अमेठी में घटित घटना अत्यंत निंदनीय एवं अक्षम्य है। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ हैं। दुख की इस घड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। इस घटना के दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा, उनके विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

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अक्षय कुमार की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म कौन-सी है?

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बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार ने अपने करियर में कई सुपरहिट फिल्मे दी है. अक्षय कुमार को इंडस्ट्री में तीन दशक पूरे हो गए हैं. अक्षय कुमार ने बॉलीवुड में फिल्म ‘सौगंध’ से डेब्यू किया था. ये फिल्म बॉक्स ऑफिस कुछ खास कमाल नहीं कर पाई थी. लेकिन एक दौर था जब हर ओर अक्षय कुमार ही थे…साल में 5-5 हिट देने का रिकार्ड भी अक्षय कुमार के नाम है…उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्में की हैं…जिनमें से कई फिल्में आइकॉनिक हैं. आज हम आपको अक्षय की एक ऐसी ही फिल्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कुछ साल पहले रिलीज हुई थी और आते ही बॉक्स ऑफिस पर छा गई थी. उस वक्त इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कई फिल्मों के रिकॉर्ड तोड़े थे.

अक्षय की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म

आज के समय में अक्षय कुमार की फिल्में भले ही फ्लॉप साबित हो रही हैं. लेकिन एक समय था जब बॉलीवुड में अक्षय को हिट फिल्मों की गारंटी कहा जाता था. बीते 2 साल में अक्षय की ज्यादातर फिल्में फ्लॉप रही हैं. उनकी दो साल में 8 से ज्यादा फिल्में रिलीज हुई हैं, जो बॉक्स ऑफिस पर बुरी फ्लॉप हुईं. हालांकि, आने वाले समय में वो कुछ अच्छा लाने की ट्राई कर रहे हैं. इतना ही नहीं, उनके फैंस भी उनसे काफी उम्मीद लगाए बैठे हैं. खैर, अक्षय के साथ ऐसा पहले नहीं था. 2022 से पहले अक्षय की कई फिल्म रिलीज हुईं, जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई की, जिसमें से एक ये फिल्म भी है.

ये फिल्म 6 साल पहले यानी 2018 में रिलीज़ हुई थी. इस फिल्म में अक्षय के साथ साउथ फिल्मो के सुपरस्टार रजनीकांत भी थे. ये फिल्म 2.0 थी. जिसमें मोबाइल के यूज के बुर प्रभावों के बारे में बताया गया था. इस फिल्म में अक्षय कुमार ने ‘पक्षीराजन’ का किरदार निभाया था, जो पक्षियों से बेहद प्यार करता है, लेकिन ज्यादा मोबाइल यूज करने की वजह से वो मर रहे होते हैं, जिनका वो बदला लेता है. वही जब ये फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी तो इसने पहले ही दिन 20.25 करोड़ रु. का कारोबार किया था. इसके अलवा फिल्म ने Worldwide Gross पर 665 करोड़ और Domestic Net collection(Hindi) में 190 करोड़ का बिजनेस किया था.

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दरअसल, ये फिल्म 2010 में आई फिल्म रोबोट की रीमेक थी. फिल्म 2.0 में भी रजनीकांत एक बार फिर रोबोट के किरदार में ही नजर आये थे. फिल्म में अक्षय कुमार और रजनीकांत के साथ एमी जैक्सन भी नजर आई थीं. इस फिल्म के डायरेक्टर शंकर और राइटर जयमोहन है. इस फिल्म का बजट 400 से 600 करोड़ रुपये का था. फिल्म 2.0 को दुनिया की सबसे बेहतरीन वैज्ञानिक फिल्मों में से एक माना जाता है. वही इस फिल्म को आप YouTube और OTT प्लेटफार्म पर देख सकते है. इस फिल्म को IMDb पर भी अच्छी रेटिंग मिली हुई है.

वर्कफ्रंट पर अक्षय कुमार

वर्कफ्रंट की बात करें तो अक्षय कुमार की पाइप लाइन में इन दिनों कई बड़ी फिल्में हैं. जिनका फैन्स को बेसब्री से इंतज़ार है. अक्षय इस साल सुनील शेट्टी, निमरत कौर और सारा अली खान के साथ ‘स्काई फोर्स’ में भी नजर आएंगे. वही तापसी पन्नू के साथ फिल्म खेल खेल में भी दिखाई देंगे हैं. इसके अलावा वह रोहित शेट्टी की फिल्म सिंघम अगेन में भी नजर आएंगे. इसके अलावा उनके पास वेलकम टू द जंगल भी है.

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लाख कोशिशों के बाद भी छुप ना पाया कमरा नंबर 301 का राज, दिल्ली से राजस्थान तक मचा हंगामा

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भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को सत्ता से बेदखल करने के बाद एक मुख्यमंत्री और दो डिप्टी सीएम के मॉडल से सरकार बनाई. बीजेपी ने पहली बार के विधायक भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री तो दिव्या कुमारी और दलित नेता प्रेमचंद बैरवा को राज्य का डिप्टी सीएम बनाया. प्रेम चंद बैरवा दलित समाज से आने वाले राज्य के पहले डिप्टी सीएम हैं और हाल ही में बेटे की रील वायरल होने के बाद विपक्ष के निशाने और सुर्खियों में हैं. जहाँ उनका बेटा आशु जो एक वीडियो में एक रॉयल जीप चलाता दिख रहा है. इसके साथ ही बैरवा का कनेक्शन दिल्ली के एक मशहूर होटल के कमरा नंबर 301 से भी जोड़ा जा रहा है.

जानें क्या है पूरा मामला

इन दिनों राजस्थान के डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा के बेटे की एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रही है. प्रेमचंद बैरवा का बेटा खुली रॉयल जीप में बैठकर रील बनाते दिख रहा है. इस रील में ये भी साफ़-साफ़ नजर आ रहा है बैरवा के बेटे की जीप के पीछे राजस्थान पुलिस की गाड़ी भी उन्हें एस्कॉर्ट करती हुई चल रही है. वही, इस वायरल रील ने सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी है. इधर, इस मामले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, बैरवा का बचाव करते हुए नजर आए. उन्होंने मीडिया से बेवजह इस मामले को तूल नहीं देने के लिए कहा है. उन्होंने बैरवा की तरफदारी करते हुए कहा कि उनके बच्चे ने यह सब बालपन में किया है. इस मामले को यही खत्म कर देना चाहिए.

इस मामले में प्रेमचंद बैरवा ने मीडिया में जो बयान दिया है, उसके बाद बैरवा सोशल मीडिया पर जमकर ट्रॉल हो रहे हैं. इसको लेकर पार्टी में भी नाराजगी है. इस मामले में पार्टी हाईकमान ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ से इस मामले में रिपोर्ट मांगी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मदन राठौड़ का कहना है कि यह गाड़ी प्रेमचंद बैरवा की नहीं थी, उनका बेटा अपने दोस्तों के साथ था, जो साथ में पढ़ते हैं. वहीं, बैरवा ने अपनी सफाई में कहा है कि बच्चों से गलती हो गई है.

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ध्यान देने वाली बात है कि खुली जीप में बैठकर रील बनाने के मामले में जयपुर के एक एडवोकेट ने पुलिस को ईमेल द्वारा शिकायत की है. उन्होंने यह शिकायत डिप्टी सीएम बैरवा के 18 साल से कम उम्र के बेटे के खिलाफ की है. इसमें उन्होंने यातायात नियमों और लाइसेंस का हवाला दिया है. शिकायत में बताया कि बैरवा का बेटा 18 साल से कम उम्र का है. इसके बावजूद चार पहिया वाहन चला रहा है. नाबालिक के गाड़ी चलाने पर सजा का प्रावधान है और नाबालिक के पिता को भी सजा का प्रावधान है. लेकिन परिवहन विभाग क्या कर रहा है?

उधर डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा इस मामले दो बार सफाई दे चुके है. पहली बार सफाई देते हुए बैरवा ने कहा कि उनके बेटे ने किसी भी यातायात नियम का उल्लंघन नहीं किया है. उन्होंने कहा कि वे प्रदेश के डिप्टी सीएम बने हैं. ऐसे में उनके बेटे की दोस्ती किसी अमीर परिवार के बेटे के साथ हुई है तो यह अच्छी बात है कि एक साधारण से परिवार से आने वाले लड़के को अच्छी, सुंदर और महंगी गाड़ी को देखने का अवसर मिला. अगर वह अपने अमीर दोस्त की गाड़ी में बैठकर घूम रहा है, तो इसमें गलत क्या है? वही लोग अब इस पर सवाल कर रहे हैं कि अगर नियम कायदे स्टेटस देखकर ही तय होंगे तो फिर पुलिस आम लोगों का चालान क्यों करती है?

कमरा नंबर 301 की कहानी क्या है?

इसके अलावा डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा पर कई अन्य आरोप भी है. मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि डिप्टी सीएम बनने के बाद बैरवा ने अपने स्टाफ में एक राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सांवरमल चायल को लगाया था. पर जब ये बात मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक पहुंची कि यह अधिकारी विभागों से मंत्री जी की वसूली कर रहा है तो इसे हटा दिया गया था. वही ये खबर भी सामने आई कि इस अधिकारी के साथ दो माह पूर्व दुबई जाकर डिप्टी सीएम ने अपना और इस अधिकारी का खाता भी खुलवाया है. कहा जा रहा है कि सारा दो नंबर का लेनदेन का रूपया यहां हवाला के मार्फत जमा हो रहा है. हालांकि, इसके पीछे की सच्चाई क्या है, कोई नहीं जानता. कहा जा रहा है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री के साथ इन्वेस्टमेंट यात्रा पर कोरिया और जापान गए बैरवा ने 75,000 के जूते पहन रखे थे. सोशल मीडिया पर उनका 35,000 का चश्मा भी चर्चा का विषय बना हुआ है.

अब हाल ही में उनपर आरोप लगा है कि प्रेमचंद बैरवा विदेश से लौटने के बाद दिल्ली के एक पांच सितारा होटल के कमरा नंबर 301 में रुके और मन बहलाने के लिए एक विदेशी रूसी महिला को बुलाने के बाद फंस गए. बताया जा रहा है कि रूसी महिला दिल्ली पुलिस के निशाने पर थी, ऐसे में पुलिस रेड में मंत्री जी के साथ वह पकड़ी गई. इसके बाद इन दोनों को थाने ले जाया गया, बाद में स्टाफ ने पहुंचकर थानेदार को बताया कि साहब कौन हैं, फिर बात कमिश्नर तक पहुंची. जिसके बाद मामला दबा दिया गया और किसी को कोई खबर नहीं रही. सोशल मीडिया पर ये मामला सुर्खियां बटोर रहा है. नेड्रिक न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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Merry Christmas Wishes: क्रिसमस के मौके पर अपने प्रियजनों को भेजें ये खास संदेश

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क्रिसमस जो की ईसाई धर्म का त्यौहार है और हर साल की तरह 25 दिसंबर को ये क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है. ईसाई धर्म के लोग इस दिन को यीशू मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं और देश में त्यौहार मनाया जाता हैं. वहीँ इस पोस्ट के जरिए हम आपको क्रिसमस के उन संदेशों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आप अपने प्रियजनों को भेजकर विश कर सकते हैं.

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ना रहे कोई ख्वाहिश अधूरी,

ना रहे कोई सपना अधूरा,

यीशु दें आपको इतनी खुशियां,

कि आपके दिल का हर ख्वाब हो पूरा।

Merry Christmas

चांद ने अपनी चांदनी बिखेरी है

और तारो ने आसमान सजाया है,

लेकर तोहफा अमन और प्यार का,

देखो स्वर्ग से कोई फरिश्ता आया है।

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Merry Christmas !

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हैप्पी क्रिसमस हैप्पी लाइफ

ज़िन्दगी हो आपकी सबसे ब्राइट

सबसे पहले हैप्पी क्रिसमस डे

किया है आपको विश!

Merry Christmas

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फ़रिश्ता बनके कोई आएगा,

सारी उम्मीदें तुम्हारी, पूरी करके जाएगा,

क्रिसमस के इस शुभ दिन पर,

गिफ्ट खुशियों के दे जाएगा!

क्रिसमस दिवस की शुभकामनाएं!!

Merry Christmas 

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इस बार क्रिसमस पर मिले आपको ढेरों उपहार,

खुशियों का साथ अपनों का प्यार।

खूब अच्छा हो आपका आने वाला साल,

मुबारक हो आपको क्रिसमस का त्यौहार।

मैरी क्रिसमस!

As you embrace this wonderfully vibrant and blessed day, my prayer is for your enduring joy and success.  Merry Christmas 

Christmas wishes
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Christmas wishes
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This joyous season offers us a chance to break free from our routine lives and spend the best time of the year with the most important people in our lives. Merry Christmas

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Wishing my family a Christmas where the glow of each festive light becomes a symbol of hope, illuminating the path to brighter days ahead. Merry Christmas 

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May the Christmas season bring you the gift of faith, the blessing of hope, and the enduring peace of His love, not just for now, but always!” Merry Christmas 

 

 

इटली का ‘डरावना गैरेज’! 17 साल के बॉडीबिल्डर और उसकी 42 साल की गर्लफ्रेंड की खौफनाक वारदात, ब्राउजिंग हिस्ट्री से खुला पूरा राज

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Jodhpur Beautician murder
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डेटिंग ऐप्स का चलन इन दिनों लगातार बढ़ रहा है। कुछ लोगों को यहां सच्चा प्यार मिल जाता है, जबकि कुछ लोग यूं ही किसी अपराध का शिकार हो जाते हैं। आए दिन डेटिंग ऐप्स से जुड़ा कोई न कोई अपराध सामने आता रहता है। हाल ही में कुछ ऐसा ही हुआ है इटली में। यहां 42 साल की मारिया कुछ समय पहले डेटिंग ऐप के जरिए एक लड़के से मिली और दोनों में बातचीत होने लगी। बातचीत प्रेम प्रसंग में बदल गई और दोनों ने 19 सितंबर को मिलने का प्लान बनाया। लेकिन मारिया को नहीं पता था कि ये मुलाकात उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती साबित होने वाली है।

जॉब इंटरव्यू के लिए घर से निकली मारिया जब शाम तक घर नहीं पहुंची तो परिवार को चिंता हुई और उन्होंने थाने में उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। और इसके बाद पुलिस को जो पता चला वो जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।

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ये है पूरा मामला

इटली की रहने वालीं 42 वर्षीय मारिया कैम्पाई को एक बॉडीबिल्डर से प्यार हो गया जो उससे 25 साल छोटा था। डेटिंग ऐप के ज़रिए दोनों एक-दूसरे के करीब आए। उसके बाद दोनों नियमित रूप से मिलने लगे। मारिया ने अपने प्रेमी को अपने घर के नीचे गैरेज में जाने की अनुमति दी ताकि वह अपना निजी जिम शुरू कर सके। उसके प्रेमी ने उसे 19 सितंबर को डेट पर चलने के लिए कहा। गैरेज के नीचे उसका प्रेमी उसका इंतज़ार कर रहा था।

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प्रेमी ने की हत्या

मारिया जैसे ही वहां पहुंची, उसके साथी ने आते ही उसके चेहरे पर डंबल से वार किया। डंबल से उसके सिर पर वार करने के बाद मारिया वहीं बेहोश हो गई। अब, इस बॉडीबिल्डर ने मारिया का गला घोंटकर उसे मार डाला। उसने मारिया को मार डाला और उसके शव को एक खाली पड़े घर के बरामदे में दफना दिया। यह सब करने के बाद भी वह सामान्य व्यवहार करता रहा ताकि किसी को उस पर शक न हो। हालांकि, पुलिस को गैराज में खून के निशान मिले और सीसीटीवी फुटेज के जरिए उसे पकड़ लिया गया।

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खौफनाक है मोबाइल की ब्राउजिंग हिस्ट्री

मारिया के बॉडीबिल्डिंग प्रेमी ने उसके साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया, यह सवाल अब बना हुआ है। पूछताछ के दौरान, आरोपी ने कथित तौर पर पुलिस के सामने स्वीकार किया कि वह यह अनुभव करना चाहता था कि हत्या करना कैसा होता है। पुलिस को यह भी लगता है कि मारिया और उसका साथी पहले भी एक साथ सो चुके थे, लेकिन मारिया ने उसके साथ फिर से संभोग करने से इनकार कर दिया, जिसके कारण उनके बीच बहस हुई।

गैराज को मिला डरावना गैराज का नाम

इस घटना के बाद इटली मीडिया ने उस गैराज को ‘डरावना गैराज’ का नाम दिया। पुलिस के मुताबिक, आरोपी ने इसी गैराज में मारिया की हत्या की और फिर उसके शव को घसीटकर दूसरी जगह ले गया। पुलिस को आरोपी के मोबाइल की ब्राउजिंग हिस्ट्री से पता चला कि उसने ‘चेहरे के किस हिस्से पर सबसे ज्यादा चोट लगनी चाहिए’ और ‘मिक्स मार्शल आर्ट तकनीक का इस्तेमाल करके किसी को कैसे मारना चाहिए’ जैसी चीजें सर्च की थीं।

इसके साथ ही मारिया के सिरफिरे आशिक ने ‘नंगे हाथों से किसी व्यक्ति का गला कैसे घोंटा जाए’ भी सर्च किया। पुलिस फिलहाल इस मामले की कई एंगल से जांच कर रही है।

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कौन हैं वो लोग जो दबाए बैठे हैं 2000 के नोट… 2 फीसदी करेंसी का पता नहीं, RBI ने दिया बड़ा अपडेट

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में ₹2000 के नोटों को लेकर एक अहम अपडेट जारी किया है, जिसके मुताबिक बाजार में अभी भी बड़ी संख्या में ₹2000 के नोट चलन से बाहर नहीं हुए हैं। RBI के मुताबिक, ₹2000 के ₹7117 करोड़ मूल्य के नोट अभी भी लोगों के पास हैं और उन्हें वापस नहीं किया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अक्टूबर के पहले दिन इन करेंसी नोटों पर बड़ा अपडेट देते हुए कहा कि प्रचलन से बाहर किए जाने के बाद से कुल 2000 रुपये के नोटों में से 98 फीसदी वापस आ चुके हैं।

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आरबीआई ने 2023 में 2000 रुपये के नोटों को धीरे-धीरे प्रचलन से बाहर करने का फैसला किया था और लोगों से इन नोटों को बैंक में जमा करने या अन्य छोटे मूल्य के नोटों से बदलने के लिए कहा था। हालांकि, लाखों लोगों के पास अभी भी ये नोट हैं।

2% नोटों की वापसी का अभी भी इंतजार 

मंगलवार, 1 अक्टूबर, 2024 को केंद्रीय बैंक RBI द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, चलन से बाहर किए गए 2000 रुपये के 98 प्रतिशत नोट बैंकों में वापस आ गए हैं। पीटीआई के अनुसार, रिजर्व बैंक ने कहा है कि लोगों के पास अभी भी 7,117 करोड़ रुपये के गुलाबी नोट हैं। ये नोट चलन से बाहर कर दिए गए थे और पहले तो जल्दी वापस आ गए, लेकिन अब ये बहुत धीमी गति से वापस आ रहे हैं।

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जुलाई से अब तक कितने नोट रिटर्न

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 1 जुलाई 2024 को जारी की गई जानकारी के अनुसार, 7581 करोड़ रुपये के 2000 रुपये के नोट सर्कुलेशन में बचे थे; 1 सितंबर को भी यह राशि 7000 करोड़ रुपये से कम नहीं हो सकती। इन दो महीनों में सिर्फ़ 320 करोड़ रुपये के नोट ही वापस आ पाए। अब जबकि अक्टूबर का डेटा सामने आया है, तो यह साफ़ है कि नोट कितनी धीमी गति से वापस आ रहे हैं। पिछले साल मई 2023 में जब इन नोटों को बंद किया गया था, तब 3.56 लाख करोड़ रुपये के नोट सर्कुलेशन में थे; 29 दिसंबर 2023 तक यह राशि घटकर 9,330 करोड़ रुपये रह गई।

इसलिए बंद किए गए थे 2000 के नोट

19 मई, 2023 को RBI ने कहा कि स्वच्छ नोट नीति (Clean Note Policy)  के अनुसार प्रचलन में सबसे अधिक मूल्य वाले 2000 रुपये के नोट को पूरे देश में बंद कर दिया जाएगा। इसके बाद केंद्रीय बैंक ने स्थानीय बैंकों और RBI के 19 क्षेत्रीय कार्यालयों को इन नोटों को वापस स्वीकार करने और उन्हें बदलने के लिए 30 सितंबर, 2023 तक का समय दिया। लेकिन उसके बाद, समय सीमा को बढ़ाया जाता रहा।

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यहां जमा करें 2000 के नोट

हम आपको बताना चाहेंगे कि हालांकि स्थानीय बैंक यह काम नहीं कर पाएंगे, लेकिन फिर भी इन नोटों को बदला जा सकता है। केंद्रीय बैंक ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि लोग इन नोटों को भारतीय डाक के माध्यम से किसी भी नजदीकी डाकघर के माध्यम से जमा कर सकते हैं, इसके अलावा RBI के 19 कार्यालयों में भी जा सकते हैं, जो अहमदाबाद, बेंगलुरु, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना और तिरुवनंतपुरम में स्थित हैं।

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सपने में किसी को लड़ाई करते हुए देखना शुभ या अशुभ, स्वप्न शास्त्र के अनुसार जानिए इसका मतलब?

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स्वप्न शास्त्र के अनुसार कुछ सपने ऐसे होते हैं जो हमें आंतरिक खुशी या संतुष्टि देते हैं। वहीं कई बार हमें ऐसे सपने भी आ जाते हैं जिन्हें लेकर हम पूरा दिन परेशान रहते हैं। लेकिन हमें बिना उसका मतलब जाने किसी भी सपने को लेकर बेवजह परेशान नहीं होना चाहिए। लेकिन ये भी सच है कि इन सपनों का मतलब खुद से जानना मुश्किल होता है, ऐसे में हमें स्वप्न शास्त्र की मदद लेनी चाहिए। आज स्वप्न शास्त्र के जरिए हम आपको बताएंगे कि अगर कोई व्यक्ति सपने में खुद को झगड़ा करते हुए देखता है तो इसका क्या मतलब है और क्या ये सपना शुभ संकेत की ओर इशारा करता है या फिर किसी बुरे संकेत के बारे में बताता है।

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हमें सपने क्यों आते हैं?

लेकिन उससे पहले आइए जानते हैं कि हमें सपने क्यों आते हैं। हमारा शरीर पांच महाभूतों से बना है: आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। इन पांच महाभूतों को जीवन शक्ति कहा जाता है। आत्मा जीवन शक्ति के ऊपर निवास करती है। जब हम नींद की अवस्था में होते हैं तो हमारा शरीर सो जाता है लेकिन हमारी आत्मा जागृत अवस्था में रहती है और वह ब्रह्मांड में घूमती रहती है। हमारी जागृत आत्मा की प्रेरणा से हमारी बुद्धि तीन प्रकार की होती है। चेतन, अवचेतन और अतिचेतन, जो अतीत में हमारे द्वारा किए गए कार्य और वर्तमान में हम जो कार्य कर रहे हैं, उन्हें जोड़कर सपनों के माध्यम से संकेत देते हैं कि भविष्य कैसा होगा। यदि हम अच्छे कर्म करते हैं तो अच्छे सपने साकार होते हैं; यदि हम बुरे कर्म करते हैं तो बुरे सपने ही फलित होते हैं।

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आंतरिक संघर्ष

सपने में लड़ाई देखना यह संकेत दे सकता है कि आपके मन में किसी मुद्दे को लेकर संघर्ष या संघर्ष चल रहा है। आप किसी निर्णय, स्थिति या रिश्ते को लेकर मानसिक तनाव महसूस कर सकते हैं।

अनसुलझे मुद्दे

अगर आप सपने में किसी और को लड़ते हुए देख रहे हैं, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आप अपने आस-पास के लोगों के बीच तनाव या संघर्ष देख रहे हैं, लेकिन हस्तक्षेप करने में असमर्थ हैं।

आक्रामकता या गुस्सा

सपने में लड़ाई देखने का एक और कारण यह हो सकता है कि आप अपने जीवन की किसी स्थिति को लेकर नाराज़ हैं और उसे व्यक्त करने का सही तरीका नहीं खोज पा रहे हैं। यह दबा हुआ गुस्सा या आक्रामकता का प्रतीक हो सकता है।

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 रिश्तों में तनाव

अगर आप सपने में अपने किसी करीबी को लड़ते हुए देखते हैं, तो यह आपके रिश्ते में तनाव या असहमति को दर्शाता है। यह सपना आपके रिश्ते को बेहतर बनाने की ज़रूरत का संकेत हो सकता है।

खुद के लिए खड़ा होना

सपने में लड़ाई करना कभी-कभी आपके आत्मसम्मान और आत्मरक्षा की भावना का भी प्रतीक हो सकता है। यह सपना दिखा सकता है कि आपको अपने लिए खड़े होने और अपनी सीमाएँ तय करने की ज़रूरत है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। नेड्रिक न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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Lucknow Top Cricket Academy: ये 5 अकादमियां आपके बच्चे को बना सकती हैं विराट कोहली या रोहित शर्मा, यहां जानें पूरी जानकारी

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भारत में क्रिकेट सिर्फ़ खेला ही नहीं जाता बल्कि जिया भी जाता है। देश के 50 प्रतिशत युवा और बच्चों की आंखों में क्रिकेटर बनने का सपना आप आसानी से देख सकते हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ न सिर्फ़ अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और नवाबी संस्कृति के लिए मशहूर है, बल्कि खेल प्रतिभाओं को निखारने का अहम केंद्र भी बनता जा रहा है। खासकर क्रिकेट के क्षेत्र में लखनऊ की क्रिकेट अकादमियां युवा खिलाड़ियों को बेहतरीन ट्रेनिंग और सुविधाएं दे रही हैं।

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लखनऊ में कई क्रिकेट अकादमियाँ हैं जो युवा खिलाड़ियों को बेहतरीन क्रिकेट प्रशिक्षण प्रदान करती हैं। नीचे लखनऊ की शीर्ष 5 क्रिकेट अकादमियाँ दी गई हैं, जिनमें उनकी फीस और संपर्क नंबर शामिल हैं:

आरपी सिंह क्रिकेट अकादमी

फीस: ₹3000-₹4000 प्रति माह (उम्र और स्तर के अनुसार)

पता: गोमती नगर, लखनऊ

संपर्क नंबर: +91 9876543210

भारतीय टीम के पूर्व तेज गेंदबाज आरपी सिंह द्वारा स्थापित यह अकादमी लखनऊ में क्रिकेट प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां खिलाड़ियों को पेशेवर कोचिंग, शारीरिक फिटनेस और मानसिक मजबूती पर विशेष ध्यान दिया जाता है। आरपी सिंह की अनुभव और मार्गदर्शन से युवा क्रिकेटरों को अपने खेल में सुधार का मौका मिलता है।

अवध क्रिकेट अकादमी

फीस: ₹2500-₹3500 प्रति माह

पता: कानपुर रोड, लखनऊ

संपर्क नंबर: +91 9123456789

लखनऊ के कानपुर रोड पर स्थित इस अकादमी में आधुनिक तकनीक और विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां उभरते खिलाड़ियों को बेहतर कोचिंग, टर्फ पिच और पेशेवर माहौल में प्रशिक्षण मिलता है। अकादमी के प्रशिक्षक खिलाड़ियों की तकनीक सुधारने और उनकी मानसिक शक्ति बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

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लखनऊ स्पोर्ट्स हॉस्टल

फीस: ₹2000-₹3000 प्रति माह

पता: राजाजीपुरम, लखनऊ

संपर्क नंबर: +91 9988776655

लखनऊ के खेल प्रेमियों के बीच यह अकादमी काफी लोकप्रिय है। यहां खिलाड़ियों को न केवल क्रिकेट की तकनीक सिखाई जाती है बल्कि खेल के विभिन्न पहलुओं पर गहन प्रशिक्षण भी दिया जाता है। यहां से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकले हैं, जो इस अकादमी की सफलता का प्रमाण है।

ध्रुव क्रिकेट अकादमी

फीस: ₹3000-₹4500 प्रति माह

पता: अलीगंज, लखनऊ

संपर्क नंबर: +91 9876543211

ध्रुव क्रिकेट अकादमी का उद्देश्य युवा खिलाड़ियों को पेशेवर क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित करना है। यहाँ की सुविधाएँ अत्याधुनिक हैं और खिलाड़ियों को हर पहलू में विकसित होने के लिए बेहतरीन प्रशिक्षण दिया जाता है। खिलाड़ियों को मैच अभ्यास के दौरान दबाव को संभालने और अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के गुर सिखाए जाते हैं।

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एलडीए क्रिकेट अकादमी

फीस: ₹2500-₹3500 प्रति माह

पता: एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड, लखनऊ

संपर्क नंबर: +91 8765432109

लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) द्वारा संचालित यह अकादमी शहर के प्रमुख क्रिकेट केंद्रों में से एक है। यह अकादमी युवा खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की कोचिंग और सुविधाएं प्रदान करती है। एलडीए अकादमी की टर्फ पिच, नेट प्रैक्टिस और फिटनेस सुविधाएं खिलाड़ियों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

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भारत छोड़कर चीन की ओर क्यों भाग रहे हैं निवेशक? ड्रैगन के एक कदम ने बदल दी पूरी स्थिति

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पिछले कुछ सालों में निवेशक अपना सारा पैसा चीन की तरफ़ भाग रहे हैं। यह सब उभरते बाज़ार के निवेशकों की ‘भारत में खरीदो और चीन में बेचो’ की नीति के तहत हो रहा है। हालांकि, यह सब अचानक नहीं हुआ है। चीन ने इसके लिए ऐसा कदम उठाया है जिसने पूरी स्थिति को बदल दिया है। इतना ही नहीं, चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन पैकेज की भी घोषणा की है। इसके बाद वहां के शेयर बाज़ार में काफ़ी उछाल आया है। इसके चलते निवेशक भारत से पैसा निकालकर चीन का रुख़ कर रहे हैं। चीन का सीएसआई 300 इंडेक्स एक हफ़्ते में 25 फ़ीसदी उछला है जबकि हैंगसेंग 16 फ़ीसदी चढ़ा है।

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चीन कर रहा है तरक्की

सोमवार को एफआईआई ने बाजार से लगभग 1 बिलियन डॉलर निकाल लिए। परिणामस्वरूप, सेंसेक्स में लगभग 1,300 अंकों की गिरावट आई। सिंगापुर स्थित वित्तीय सेवा कंपनी डीबीएस ग्रुप के जोआन सिउ चिन के अनुसार, भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया है, और अन्य बाजारों पर भी नज़र रखी जा रही है। वास्तव में, आसियान और चीन अधिक सक्षम हैं। वास्तव में, भारत एक डोमेस्टिक लिक्विडिटी मार्केट है। इस वर्ष के शेष समय में, चीन सरकार द्वारा मौद्रिक और तरलता नीतियों की शुरूआत के बाद चीन भारत से बेहतर प्रदर्शन करेगा। चीन ने तरलता जारी करने के लिए बैंकों के लिए आरक्षित अनुपात को 50 आधार अंकों से कम कर दिया है। मौजूदा घरों पर बंधक दर में भी 50 आधार अंकों की कमी की गई है।

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चीन में तेजी

चीनी सरकार के कदमों से देश में उपभोक्ता मांग बढ़ेगी। इसके अलावा, पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने संकेत दिया है कि वह जल्द ही अपने दिशा-निर्देशों में ढील देगा। नोमुरा के चेतन सेठ के अनुसार, निवेशकों की प्रतिक्रिया और कुछ बाजार संकेतकों के विश्लेषण से पता चलता है कि यह वृद्धि पिछली वृद्धि की तुलना में अधिक लचीली हो सकती है। चीनी और हांगकांग के शेयरों में कम पैसा लगाया जा रहा था। लेकिन अब चीजें बदलने लगी हैं। एक लंबी नींद के बाद, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि चीनी बाजार अब जाग उठेंगे।

चीनी शेयरों का सस्ता वैल्यूएशन आकर्षण का कारण

MSCI AC वर्ल्ड इन्वेस्टेबल मार्केट इंडेक्स में अब भारत का वेट चीन से ज़्यादा है। इससे FII को चीन में फिर से निवेश करने के लिए काफ़ी जगह मिल गई है। वे चीनी शेयरों की ओर इसलिए आकर्षित हो रहे हैं क्योंकि उनका मूल्य कम है। जियोजित के डॉ. वीके विजयकुमार के अनुसार, चीन की आर्थिक तेज़ी कुछ समय तक जारी रहने की संभावना है। इसका मतलब है कि FII भारत में अपनी बिक्री जारी रख सकते हैं और बेहतर प्रदर्शन वाले बाज़ारों में अतिरिक्त फंड आवंटित कर सकते हैं। लेकिन चूंकि यहां बहुत सारे मज़बूत घरेलू निवेशक हैं, इसलिए इसका भारतीय बाज़ार पर कोई बड़ा असर पड़ने की संभावना नहीं है।

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ये होगा असर

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों के अनुसार, भारत में एफआईआई प्रवाह निष्क्रिय रहा है, और सक्रिय एफआईआई अब चीन की ओर देख रहे हैं। हालांकि, उन्होंने नहीं सोचा था कि सक्रिय एफपीआई अपने भारतीय स्टॉक का एक बड़ा हिस्सा बेच देंगे और इसे चीन में स्थानांतरित कर देंगे। जीईएम ईटीएफ फंड से निष्क्रिय या ईटीएफ वृद्धिशील प्रवाह में थोड़ी गिरावट आ सकती है। अलग-अलग बेंचमार्क इंडेक्स में दो देशों के सापेक्ष भार में किसी भी बदलाव से प्रभावित होने वाली एकमात्र चीज जीईएम ईटीएफ फंड से वृद्धिशील प्रवाह है।

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निहत्थे गांधीवादी इंजीनियर से डरा भारत का ‘सुल्तान’? यहां जानिए सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और छठी अनुसूची से जुड़ी हर एक बात

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Sonam Wangchuk, Modi Government
Source- Nedrick News

‘देश का राजा डरता है…डरपोक है…राजा आंदोलनों से डरता है…उसे डर लगता है अपनी कुर्सी के खिसकने का…उसे डर लगता है जब कोई उसके खिलाफ बोलता है…उसे डर लगता है जब कोई उसकी नीतियों पर सवाल उठाता है…उसे डर लगता है जब उसके नाम देश के मशहूर उद्योगपतियों के साथ जोड़े जाते हैं….उसे डर लगता है जब देश में लोग अपने अधिकारों की मांग करते हैं…हर तानाशाह डरता है लोगों की आवाज से…डर का आलम ऐसा होता है कि लोगों को कुचलने का काम शुरू हो जाता है.’ सभी तानाशाहों ने ऐसा ही किया है…हम यहां किसी को तानाशाह नहीं बता रहे लेकिन पैटर्न देखें तो काफी हद तक चीजें स्पष्ट हो जाती है.

किसान आंदोलन के समय किसानों को रोकने के लिए रोड पर कील की दीवार खड़ी करना हो…आंदोलनकारी किसानों पर लाठीचार्ज करा कर उनकी आवाज दबानी हो या फिर शांतिपूर्ण मार्च निकाल कर अपने अधिकारों की मांग करने वाले सोनम वांगचुक और लद्दाखियों की गिरफ्तारी का मामला हो…मोदी सरकार डरी है…हर बार डरी है…जब किसी ने अपने हक की मांग की है तब मोदी सरकार डरी है…सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी क्यों हुई है, अगर इसकी पड़ताल करें तो मोदी सरकार का घिनौना चेहरा निकल कर सामने आता है. मोदी सरकार लद्दाख पर अपने फैसले से कैसे पलटी मार गई, जिसके कारण यह सब शुरु हुआ? सोनम वांगचुक की मांगें क्या हैं ? छठी अनुसूची क्या है? षड्यंत्र के तहत वांगचुक की गिरफ्तारी कैसे हुई? इन सारे सवालों के जवाब इस लेख के जरिए हम ढूंढने का प्रयास करेंगे.

लद्दाख पर पलटी क्यों मार गई मोदी सरकार

दरअसल, 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार संसद में एक बिल लेकर आई…370 को निरस्त कर दिया गया…जम्मू कश्मीर और लद्दाख को 2 हिस्सों में बांट दिया गया…इसके 1 महीने बाद ही सितंबर 2019 में सरकार के अंतर्गत आने वाली संस्था राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत शामिल करने की सिफारिश कर दी…इस आयोग का मानना था कि नया केंद्रशासित प्रदेश मुख्य रूप से आदिवासी बहुल है और इसकी विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकता है. आपको बता दें कि लद्दाख में 97 फीसदी आदिवासी हैं.

लेकिन साल 2023 आते आते सरकार अपने इस फैसले से पलट गई.. गृह मंत्रालय ने लद्दाख के लोगों के लिये “भूमि और रोज़गार की सुरक्षा सुनिश्चित करने” हेतु केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के लिये एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया..साथ ही गृह मंत्रालय ने  स्पष्ट कर दिया कि लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांगों पर विचार-विमर्श भी नहीं किया जाएगा…सरकार के इस फैसले के बाद पूरे लद्दाख में लोग सड़कों पर उतर आए थे…उसके बाद फिर से गृह मंत्रालय और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस और लेह एपेक्स बॉडी के प्रतिनिधियों के बीच मांगों के समाधान के लिए बातचीत शुरु हुई लेकिन फरवरी 2024 में यह बातचीत फेल गई और लद्दाख में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया.

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सोनम वांगचुक का अनशन

अगले ही महीने पेश से इंजीनियर और पर्यावरण एक्टिवस्ट सोनम वांगचुक ने 6 मार्च 2024 से लद्दाख की मांगों को लेकर शून्य से नीचे के तापमान पर भूख हड़ताल शुरु कर दिया. उनके साथ-साथ उनके कई साथियों ने भी लद्दाख की मांगों को लेकर भूख हड़ताल शुरु किया था. 26 मार्च 2024 को इन्होंने अपना भूख हड़ताल खत्म किया…इतने दिनों तक वे सिर्फ नमक और पानी के सहारे जिंदा रहे…सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल को लद्दाख में काफी जनसमर्थन मिला था. इसके बाद उनकी हड़ताल ने सभी का ध्यान खींचा था. हालांकि, सरकार ने तब भी इनकी बातें नहीं सुनी.

उसके बाद सरकार को नींद से जगाने के लिए लद्दाखियों ने दिल्ली आने का फैसला किया…1 सितंबर 2024 को लेह के एनडीएस मेमोरियल पार्क से सोनम वांगचुक और लेह एपेक्स बॉडी के पदाधिकारियों के नेतृत्व में 100 से अधिक लद्दाखी पैदल ही दिल्ली के लिए निकल गए…लेह से दिल्ली की दूरी करीब 930 किलो मीटर के आस पास है…ऐसे में लद्दाख से निकले लोग हर दिन 25-30 किमी पैदल और शांतिपूर्ण यात्रा करते हुए दिल्ली की ओर बढ़ते रहे…30 सितंबर को लद्दाख से निकले लोग जैसे ही अपनी 1 महीने की पदयात्रा के बाद दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचते हैं…दिल्ली पुलिस उन्हें उठा लेती है.

सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी कैसे हुई

सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को देखें तो यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार को उनके पग-पग की खबर थी…कब और कितने बजे तक लद्दाखी दिल्ली पहुंचेंगे..उन्हें पता था…यही कारण था कि 30 सितंबर को दिन में ही यह खबर आती है कि दिल्ली में बीएनएस की धारा 163 लागू कर दी गई (यह वही धारा है, जिसे पहले 144 के नाम से जाना जाता था…) इसे लागू करने के बाद राज्य में कहीं भी किसी भी जगह पर 5 से अधिक लोग एक साथ इकठ्ठा नहीं हो सकते…ऐसे में जैसे ही शाम तक सोनम वांगचुक के साथ लद्दाख से निकले लोग दिल्ली बॉर्डर पहुंचते हैं…इसी धारा के तहत पुलिस उन्हें उठा लेती है…तय तय कार्यक्रम के अनुसार, उन्हें दो अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन महात्मा गांधी की समाधि पर पहुंचना था और सरकार को अपने मांगों के बारे में बताना था..

सोमवार की रात ख़ुद सोनम वांगचुक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर हिरासत में लिए जाने की बात कही. उन्होंने खुद की एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, “दिल्ली बॉर्डर पर 150 पदयात्रियों के साथ मुझे हिरासत में लिया जा रहा है. इसके लिए 100 पुलिस वाले हैं. कुछ का कहना है कि ये 1000 हैं.”

उन्होंने बताया, ”उनके साथ पदयात्रियों में 80 साल से ज़्यादा उम्र के बुज़ुर्ग भी हैं. इसमें महिलाएं भी शामिल हैं. इसके साथ कुछ दर्जन सेना से रिटायर्ड लोग भी हैं. आगे क्या होगा, कुछ पता नहीं है. हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में बापू की समाधि तक सबसे शांतिपूर्ण मार्च पर थे.” अब पुलिस की हिरासत में ही सोनम वांगचुक ने अनिश्चितकालीन अनशन शुरु कर दिया है. उधर वांगचुक और अन्य को हिरासत में लेने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है. मंगलवार को इस मामले का उल्लेख मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ में किया गया. इस पर कल यानी 3 अक्टूबर को सुनवाई होगी.

आप समझिए कि लद्दाखियों के दिल्ली पहुंचने वाले दिन ही दिल्ली में 163 लागू किया जाता है…बॉर्डर पर पहुंचते ही उनकी गिरफ्तारी होती है और उन्हें दिल्ली पहुंचने से रोक दिया जाता है. मामला कोर्ट में जाता है लेकिन डेट उस दिन का नहीं मिलता…अगले दिन 2 अक्टूबर की छुट्टी होती है और सुनवाई 3 अक्टूबर तक खींच जाती है…इसे ही बोलचाल की भाषा में षड्यंत्र कहा जाता है…बाकी आप खुद समझदार हैं!

सोनम वांगचुक की मांगें और छठी अनुसूची

अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद लद्दाख को एक केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था. जबकि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी यह सुनिश्चित किय गया. साथ ही यह स्पष्ट हुआ कि लद्दाख में कोई परिषद नहीं होगी. लेकिन छठी अनुसूची में शामिल किए जाने के बाद लद्दाख के लोग स्वायत्त जिला और क्षेत्रीय परिषद बना सकेंगे. इसके अलावा उनकी मांगों में दो लोकसभा की सीटें और एक राज्यसभा की सीट भी शामिल है.

सोनम वांगचुक की ये हैं मांगें…

  • लद्दाख के लिए एक लोक सेवा आयोग की मांग
  • लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीट बनाने की मांग
  • साथ ही जल्द भर्ती प्रक्रिया और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है

अब समझते हैं कि लद्दाख के लिए छठी अनुसूची जरुरी क्यों है…ध्यान देने वाली बात है कि छठी अनुसूची संविधान के अनुच्छेद 244 के अंतर्गत आता है, जिसके तहत स्वायत्त ज़िला परिषदों का गठन किया जाता है. छठी अनुसूची में पूर्वोत्तर के चार राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित विशेष प्रावधान हैं. इन चार राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्त ज़िलों के रूप में गठित किया गया है. राज्यपाल के पास स्वायत्त ज़िलों के गठन और पुनर्गठन से संबंधित अधिकार है. संसद या राज्य विधानमंडल के अधिनियम स्वायत्त ज़िलों पर लागू नहीं होते हैं अथवा विशिष्ट संशोधनों और अपवादों के साथ लागू होते हैं. इस संबंध में निर्देशन की शक्ति या तो राष्ट्रपति या फिर राज्यपाल के पास होती है… प्रत्येक स्वायत्त ज़िले में एक ज़िला परिषद होती है और इसमें सदस्यों की संख्या 30 होती हैं, जिनमें से चार राज्यपाल द्वारा मनोनीत किये जाते हैं और शेष 26 वयस्क मताधिकार के आधार पर चुने जाते हैं.

स्वायत्त परिषद के अधिकार क्षेत्र में तमाम चीजें आती हैं…

  • वे भूमि, जंगल, नहर का पानी, झूम खेती, ग्राम प्रशासन, संपत्ति की विरासत, विवाह और तलाक, सामाजिक रीति-रिवाज़ों आदि जैसे कुछ विशिष्ट मामलों पर कानून बना सकती हैं. लेकिन ऐसे सभी कानूनों हेतु राज्यपाल की सहमति की आवश्यकता होती है.
  • वे जनजातियों के बीच मुकदमों और मामलों की सुनवाई के लिये ग्राम सभाओं या न्यायालयों का गठन कर सकती हैं. वे उनकी अपील सुनती हैं. इन मुकदमों एवं मामलों पर उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र राज्यपाल द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है.
  • ज़िला परिषद ज़िले में प्राथमिक विद्यालयों, औषधालयों, बाज़ारों, घाटों, मत्स्य पालन, सड़कों आदि की स्थापना, निर्माण या प्रबंधन कर सकती है.
  • उन्हें भू-राजस्व का आकलन करने और एकत्र करने एवं कुछ निर्दिष्ट कर लगाने का अधिकार है.

लद्दाख में मौजूदा समय में कोई परिषद नहीं है…साथ ही लद्दाख में आदिवासियों की जनसंख्या 97 फीसदी के करीब है…इसके अलावा पर्यावरणीय स्थिति को देखते हुए भी इसे छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की जा रही है..लेकिन दूसरी ओर गृह मंत्रालय की ओर से स्पष्ट तौर पर कहा जा रहा है कि लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करना मुश्किल होगा..संविधान की छठी अनुसूची पूर्वोत्तर के लिये है तथा पाँचवीं अनुसूची देश के बाकी हिस्सों के आदिवासी क्षेत्रों के लिये है…यहां भी एक पेंच ये फंसता है कि अगर सारे नियम कायदों के मुताबिक लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल नहीं किया जा सकता तो सरकार के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत शामिल करने की सिफारिश कैसे कर दी.

लद्दाख में तेजी से पिघल रहे हैं ग्लेशियर

आपको बता दें कि लद्दाखियों की लड़ाई इस बात के लिए भी है कि लद्दाख में ग्लेशियर पिघल रहे हैं…दुनिया के हर 4 में से 1 एक इंसान ऐसे इलाके में रहता है जो पानी के लिए ग्लेशियर या मौसमी बर्फ पर निर्भर है..ग्लेशियर एक सुरक्षा कवच की तरह हैं…ये सैकड़ों हजारों सालों की जमापूंजी हैं लेकिन ये अब नाटकीय रुप से तेजी से पिघल रहे हैं..शोधकर्ताओं का कहना है कि पूर्व हिमालयी क्षेत्र के अधिकतर ग्लेशियर अगले एक दशक में पिछल जाएंगे…इसे  लेकर सोनम वांगचुक कहते हैं कि “लद्दाख और आसपास के हिमालय के ग्लेशियर ग्रह का तीसरा ध्रुव हैं. इसमें ताजे पानी का सबसे बड़ा भंडार है और दो अरब लोगों को भोजन मिलता है, जो ग्रह की कुल आबादी का एक-चौथाई है. जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ इंसानी गतिविधि और कार्बन उत्सर्जन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं.”

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर लद्दाख के नाजुक ईकोसिस्टम में खनन और उद्योगों की अनुमति दी गई, तो “कुछ ही समय में ग्लेशियर पिघल जाएंगे. गाड़ियों से निकलने वाला धुआं सफेद चमचमाती बर्फ पर बैठ जाता है और इसे बहुत तेजी से पिघला देता है. यदि यह जारी रहा तो हम जलवायु शरणार्थी बन सकते हैं. इसका मतलब यह भी है कि पूरे उत्तर भारत में सर्दियों के महीनों से लेकर वसंत तक पानी के भंडार नहीं होंगे.”

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छठी अनुसूची में शामिल नहीं किया गया तो क्या होगा

ऐसे में  अगर लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल नहीं किया जाता है तो वहा पूर्ण  रूप से चीजें उपराज्यपाल के हाथों में होंगी…कोई रोक टोक नहीं होगा…विकास के नाम पर वहां फैक्ट्रियां लगाई जाएंगी…अपने  करीबियों को जमीन दिया जाएगा….जमकर प्रदूषण होगा…फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं ग्लेशियर को पिघलाते रहेंगे और देखते ही देखते हमारी सैकड़ों हजारों साल से संरक्षित की गई पूंजी स्वाहा हो जाएगी…और आने वाले वर्षों में हमें इसके भयानक परिणाम देखने को मिल सकते हैं….सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी काफी सोच समझ कर की गई है, जिसे कोई भी सपोर्ट नहीं कर सकता…लद्दाख का विकास जरुरी है लेकिन सरकार को इन षड्यंत्र और गिरफ्तारियों से ऊपर उठकर कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए और लद्दाख की संस्कृति और अपनी प्राकृतिक धरोहरों को बचाते हुए विकास पर जोर देना चाहिए.