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Rose plant care tips: खूबसूरत और स्वस्थ गुलाब के लिए ऐसे करें अपने पौधे की देखभाल, हर मौसम में खिलेगा आपका बगीचा

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Rose plant care tips
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Rose plant care tips: गुलाब अपने आकर्षक फूलों और मीठी खुशबू के लिए मशहूर हैं। उन्हें उचित देखभाल और ध्यान की आवश्यकता होती है ताकि वे लंबे समय तक खिल सकें और आपको सुंदर फूल दे सकें (Rose plant growth Tips)। गुलाब के पौधों की उचित देखभाल न केवल उन्हें सुंदर बनाए रखती है बल्कि उनकी उम्र भी बढ़ाती है। नियमित सिंचाई, उचित उर्वरक, छंटाई और कीट नियंत्रण से आप अपने गुलाब के पौधे को स्वस्थ और मजबूत रख सकते हैं। यहाँ गुलाब के पौधे की देखभाल के कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं:

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सूरज की रोशनी- Rose plant care tips

गुलाब के पौधों को अच्छी मात्रा में धूप की आवश्यकता होती है। उन्हें प्रतिदिन कम से कम 6-8 घंटे सीधी धूप मिलनी चाहिए।

– यदि आप अपने पौधे को ऐसी जगह लगाते हैं जहाँ सूरज की रोशनी नहीं पहुँचती है, तो फूल मुरझा सकता है।

सिंचाई (पानी देना)

– गुलाब के पौधों को नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है, खासकर गर्मियों में। मिट्टी को सूखने न दें लेकिन ज़्यादा पानी भी न डालें।

– सुबह पानी देना सबसे अच्छा है ताकि पत्तियाँ सूख सकें और फंगल संक्रमण न हो।

खाद और पोषण

– गुलाब के पौधों (How to grow Rose plant )को नियमित पोषण की आवश्यकता होती है। हर 6-8 सप्ताह में गुलाब के लिए विशेष रूप से तैयार जैविक खाद या खाद का उपयोग करें।

– पौधे को अच्छी तरह से बढ़ने के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की संतुलित मात्रा की आवश्यकता होती है।

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काटना और छंटाई

– गुलाब के पौधों को समय-समय पर छंटाई की आवश्यकता होती है (How to grow Rose plant)। सूखी और मुरझाई हुई शाखाओं को हटा दें।

– नई कलियों को निकलने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए पुरानी और कमजोर शाखाओं को काट देना चाहिए। छंटाई का सबसे अच्छा समय सर्दियों के अंत या वसंत ऋतु है।

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– छंटाई के बाद पौधे को कुछ दिनों के लिए छाया में रखें और हल्का पानी दें। इससे उसे जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी।

– छंटाई के बाद पौधे को पोषक तत्व देना न भूलें, ताकि नए फूलों का उत्पादन ज्यादा हो।

कीट और रोग नियंत्रण

– गुलाब के पौधे कीटों और रोगों से ग्रस्त होते हैं। एफिड्स, स्पाइडर माइट्स और अन्य कीट अक्सर उनकी पत्तियों पर हमला करते हैं।

– कीट नियंत्रण के लिए नीम के तेल या साबुन के घोल का छिड़काव करें। रोग नियंत्रण के लिए नियमित रूप से पौधों की जाँच करें और ज़रूरत पड़ने पर जैविक या रासायनिक कवकनाशी का उपयोग करें।

मिट्टी का चयन

– गुलाब के पौधों को अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की जरूरत होती है (Choosing Soil for Rose Plants)। मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों का मिश्रण अच्छा होता है, जो पौधे को पोषण और विकास में मदद करता है

– अगर मिट्टी बहुत भारी है, तो उसमें रेत या जैविक खाद डालकर उसे तैयार करें।

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मौसम के हिसाब से देखभाल

– गुलाब के पौधों को सर्दियों में ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। ठंड से बचाने के लिए आप पौधों को ढक सकते हैं।

– गर्मियों में नियमित रूप से पौधे को पानी दें और उसे ज्यादा देर तक धूप में न रखें।

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‘दिमाग और शरीर में सूजन, आंख, कान में दिक्कत’, ये कैसी हालत हो गई है साध्वी प्रज्ञा की, कांग्रेस को बताया जिम्मेदार, बोलीं- ‘अगर जिंदा रही तो…’

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Sadhvi Pragya Singh Thakur
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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भोपाल (Bhopal) से पूर्व बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Former BJP MP Sadhvi Pragya Singh Thakur) को मुंबई की स्पेशल एनआईए कोर्ट ने जमानती वारंट जारी किया है। कोर्ट ने प्रज्ञा को 13 नवंबर को कोर्ट में पेश होने को कहा है। इस बीच प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने अपनी बिगड़ती तबीयत दिखाते हुए एक पोस्ट किया है और पोस्ट कर कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा है ‘अगर मैं जिंदा रही तो कोर्ट जरूर जाऊंगी।’  दरअसल पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मालेगांव ब्लास्ट मामले में वारंट मिला है।

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प्रज्ञा के खिलाफ जमानती वारंट जारी

2008 के मालेगांव ब्लास्ट (2008 Malegaon blast) मामले में पेश न होने के कारण प्रज्ञा सिंह ठाकुर मुंबई एनआईए कोर्ट से जमानती वारंट का सामना कर रही हैं। कोर्ट के जज एके लाहोटी के अनुसार, मामले की अंतिम बहस शुरू होने तक प्रज्ञा सिंह ठाकुर की मौजूदगी जरूरी है। इसके चलते पूर्व सांसद के खिलाफ 10 हजार रुपये का जमानती वारंट जारी किया गया है। इस वारंट को वापस करने के लिए 13 नवंबर तक का समय है।

प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Sadhvi Pragya Singh Thakur) को इसे रद्द करवाने के लिए कोर्ट जाना होगा। मालेगांव बम मामले में प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर पहले ही वारंट जारी हो चुका है। एनआई कोर्ट ने इस साल मार्च की शुरुआत में ही गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था। स्वास्थ्य कारणों से वह पिछले कुछ महीनों से कोर्ट में नहीं आई हैं।

साध्वी ने अपना हाल बताया- Sadhvi Pragya Singh Thakur health update

इस बीच साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने अपनी खराब सेहत का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है। उन्होंने लिखा, ‘कांग्रेस_का_टॉर्चर सिर्फ ATS कस्टडी तक ही नहीं, मेरे जीवन भर के लिए मृत्यु दाई कष्ट का कारण हो गया। ब्रेन में सूजन, आंखों से कम दिखना, कानों से कम सुनना, बोलने में असंतुलन, स्टेरॉयड और न्यूरो की दवाओं से पूरे शरीर में सूजन। एक हॉस्पिटल में उपचार चल रहा है, जिंदा रही तो कोर्ट अवश्य जाऊंगी।’


भोपाल से साध्वी प्रज्ञा सांसद रह चुकी हैं। उनके बयानों से पार्टी को अक्सर परेशानी होती रही है। उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी से टिकट नहीं मिला है। वे सार्वजनिक समारोहों से भी बचती हैं।

क्या कहा प्रज्ञा के वकील ने?

पूर्व सांसद के वकील जेपी मिश्रा ने कोर्ट में दलील दी है कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की तबीयत ठीक नहीं है। जिसके चलते उन्हें कोर्ट में मामले की सुनवाई की इजाजत दी जाए। वहीं कोर्ट ने कहा है कि मामले में अंतिम बहस चल रही है और साध्वी का पेश होना जरूरी है। इसलिए वारंट जारी किया गया है।

नेमप्लेट विवाद पर भी सुर्खियों में आई थी प्रज्ञा

इससे पहले साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने हिंदू दुकानदारों से कहा था कि वे अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर अपना नाम लिखें ताकि हिंदुओं और गैर-हिंदुओं के बीच अंतर किया जा सके। भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड द्वारा कांवड़ यात्रा मार्गों पर रेस्तरां मालिकों और कर्मचारियों के नाम उपलब्ध कराने के निर्देश पर मचे बवाल के बीच भोपाल की पूर्व सांसद ने यह अनुरोध किया था। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इन निर्देशों पर रोक लगा दी थी।

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दिल्ली में एक और निर्भया कांड: ऑटो में सामाजिक कार्यकर्ता से दरिंदगी, पीड़िता की मानसिक हालत बिगड़ी

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delhi Rape case
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Another Nirbhaya case in Delhi: दिल्ली में एक बार फिर निर्भया कांड (Delhi Nirbhaya case) जैसी घटना सामने आई है। एक बार फिर देश की बेटी की अस्मत को दिल्ली की सड़कों पर रौंदा गया है। घटना नई दिल्ली के आईटीओ इलाके से सामने आई है। अमर उजाला में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल वर्क में मास्टर डिग्री हासिल करने वाली लड़की ने नर्सिंग की नौकरी छोड़कर गरीबों, महिलाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए समाज सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया, लेकिन उसे दिल्ली में ऐसा दर्द मिला है कि वह शायद ही इसे जिंदगी भर भूल पाएगी। इस घटना से पीड़िता का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है।

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नौसेना के अधिकारी ने दी पुलिस को सूचना- Another Nirbhaya case in Delhi

दरअसल यह घटना 11 अक्टूबर की रात करीब साढ़े नौ बजे की है, जब ओडिशा की 34 वर्षीय एक महिला (Delhi Odisha Girl rape case) को राजघाट से सराय काले खां तक ​​अर्धनग्न अवस्था में घूमते देखा गया। इस दौरान उसके निजी अंगों से खून बह रहा था। सराय काले खां में मौजूद नौसेना के एक अधिकारी ने पुलिस को इस लड़की के बारे में सूचना दी। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का दावा है कि अगर नौसेना के अधिकारियों ने पुलिस को इस बारे में नहीं बताया होता तो लड़की की मौत हो सकती थी। इसके बाद, युवती को दिल्ली के एम्स भेजा गया, जहां उसके निजी अंगों की सर्जरी की गई और वर्तमान में उसे मानसिक स्वास्थ्य देखभाल मिल रही है। दरअसल बार-बार किए गए दुष्कर्म से युवती का मानसिक संतुलन बिगड़ गया। करीब 21 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने तीनों संदिग्धों को हिरासत में ले लिया।

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अंधेरे का फायदा उठाकर आईटीओ पर किया सामूहिक दुष्कर्म

अमर उजाला में छपी रिपोर्ट के मुताबिक गैंगरेप की घटना राजघाट के पास एक ऑटो में हुई। यहां, संदिग्ध प्रमोद और शमशुल उसे मेट्रो स्टेशन के बगल में झाड़ियों में खींच रहे थे। ऑटो चालक प्रभु ने यह देखा। फिर तीनों ने मिलकर युवती के साथ बलात्कार किया। आरोपियों की दरिंदगी यहीं नहीं रुकी। प्रभु ने उसे ऑटो में बिठाया और रिंग रोड और फिरोजशाह कोटला किले के पीछे सर्विस रोड पर ले गया। ऑटो में, उसने लड़की के साथ बार-बार यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार किया। फिर आरोपी ने उसे आंशिक रूप से नग्न अवस्था में छोड़ दिया।

ओडिशा के सीएम ने बताई गिरफ़्तारी की बात

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी (Odisha Chief Minister Mohan Charan Majhi) ने ओडिशा के लोगों को जानकारी दी कि दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने 10 और 11 अक्टूबर की रात को दिल्ली में ओडिशा की एक लड़की के साथ हुए सामूहिक बलात्कार में कथित रूप से शामिल तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। घटना के बाद लड़की को एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया, जहाँ उसका इलाज चल रहा है। इसी तरह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भी दो मामले दर्ज किए गए हैं।

Odisha Chief Minister Mohan Charan Majhi
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तलाक की खबरों के बीच बड़े पर्दे पर साथ नजर आएंगे अभिषेक-ऐश्वर्या; मणिरत्नम करेंगे डायरेक्ट

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Aishwarya Rai , Abhishek Bachhhan
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Aishwarya Rai Abhishek Bachchan New Movie: बॉलीवुड स्टार ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन बॉलीवुड के सबसे प्रसिद्ध और पॉपुलर जोड़ियों में से एक हैं. दोनों ने न केवल अपनी फिल्मों से दर्शकों का दिल जीता है, बल्कि उनकी शादी और परिवार भी मीडिया की ध्यान का केन्द्र बने रहे हैं. अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय ने 2007 में शादी की थी और शादी के 4 साल बाद दोनों बेटी आराध्या के माता-पिता बने थे. लेकिन काफी समय से ऐश्वर्या और अभिषेक अपने रिश्तों को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. इसी बीच दोनों को लेकर नई खबर सामने आई है कहा जा रहा है कि दोनों एक बार फिर बड़े पर्दे पर साथ नजर आने वाले हैं. वही कई रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया है कि दोनों के रिश्तों में खटास आ चुकी है और दोनों जल्द ही एक दूसरे से तलाक लेने वाले हैं.

क्या है पूरा मामला जानें

बॉलीवुड स्टार अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय ने साल 2007 में शादी की थी. वही अब कुछ समय से दोनों को लेकर खबर सामने आ रही कि दोनों के रिश्ते बीच अनबन चल रही हैं. दोनों जल्द ही तलाक लेने वाले हैं. हालांकि, इन खबरों को लेकर बच्चन परिवार या ऐश्वर्या की ओर से कभी कोई बयान सामने नहीं आया. लेकिन दोनों के तलाक की अफवाहों के बीच एक खबर दोनों के फैंस का खूब ध्यान खींच रही है. हर कोई ये जानना चाहता है कि क्या ये खबर सच है? क्या सच में ऐसा कुछ होने वाला है?

दरअसल, कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये कहा जा रहा है कि ऐश्वर्या और अभिषेक जल्द ही बड़े पर्दे पर साथ नजर आने वाले हैं. दोनों मणिरत्नम की एक फिल्म में साथ काम करने वाले हैं. अब इस बात में कितनी सच्चाई ये वक़्त ही बताएगा लेकिन दोनों को लेकर इस बात ने फैन्स का ध्यान खींचा हैं.

मणिरत्नम की फिल्म में साथ करेंगे काम?

ऐसा माना जा रहा है कि बॉलीवुड फिल्म प्रोडूसर मणिरत्नम एक नई हिंदी फिल्म बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं, जिसमें ऐश्वर्या और अभिषेक साथ नजर आ सकते हैं. हालांकि, शादी से पहले दोनों ने साथ में कई फिल्मों में काम किया है, जिनमें से एक 2007 मे आई ‘गुरु’ भी थी और इस फिल्म को भी मणिरत्नम ने ही डायरेक्ट किया था. वहीं, दोनों के एक बार फिर साथ काम करने की खबरों को लेकर कपल के फैंस काफी खुश नजर आ रहे हैं. ‘गुरु’ में दोनों ऐश्वर्या और अभिषेक की केमिस्ट्री को खूब पसंद किया गया था.

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ऐश्वर्या-अभिषेक संग तीसरी फिल्म बनाने जा रहे मणिरत्नम

इसी के बाच मणिरत्नम ने दोनों ‘रावण’ फिल्म में कास्ट किया था, लेकिन वो फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास चल नहीं पाई. टाइम्स नाउ डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, फिल्म निर्माता को अब आखिरकार एक ऐसी दिलचस्प कहानी मिली है, जिसमें वे एक बार फिर ऐश्वर्या और अभिषेक को साथ कास्ट कर सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो कपल के साथ मणिरत्नम की ये तीसरी फिल्म होगी. वहीं, ऐश्वर्या राय को पिछले साल मणिरत्नम की फिल्म ‘पोन्नियिन सेलवन: I’ में देखा गया था, जिसका पहला पार्ट 2022 में रिलीज हुआ था.

आगे पढ़े : किन्नर अखाड़े का इंटरनेशनल लेवल पर होगा विस्तार, जानें  महाकुंभ में किन्नरों की भूमिका.

वर्कफ्रंट पर अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय 

अगर कपल के वर्कफ्रंट की बात करें तो आखिरी बार अभिषेक बच्चन फिल्म घुमर में नज़र आयें थे. वही जल्द ही वो अब फिल्म किंग और फिल्म बिग हैप्पी में नजर आने वाले हैं. इसके अलवा ऐश्वर्या के वर्कफ्रंट की बात करें तो ऐश्वर्या ने हाल ही में मणिरत्नम की ‘पोन्नियिन सेलवन 2’ में अपनी शानदार परफॉर्मेंस के लिए SIIMA अवॉर्ड्स में बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड जीता हैं. इसके अलवा उनकी पाइप लाइन में कई बड़े प्रोजेक्ट्स भी शामिल हैं.

किन्नर अखाड़े का इंटरनेशनल लेवल पर होगा विस्तार, जानें  महाकुंभ में किन्नरों की भूमिका

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kinnar akhada Maha Kumbh
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kinnar role in Maha Kumbh: कुंभ मेला (Maha Kumbh Mela) हर 12 साल में आयोजित होता है। इसे पूर्ण कुंभ मेला कहा जाता है। कुंभ मेला (Kumbh Mela) चार जगहों पर आयोजित किया जाता है: हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन, नासिक। इस बार संगम की धरती पर जनवरी 2025 में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है। महाकुंभ में जहां देशभर से संत-महात्मा जुटते हैं, वहीं आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित अखाड़े भी कुंभ और महाकुंभ मेले की शोभा बढ़ाते हैं। इसी कड़ी में किन्नर अखाड़ा भी विस्तार की योजना बना रहा है। भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थाओं का हिस्सा बन चुके किन्नर अखाड़े ने अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने कदम बढ़ाने का फैसला किया है। इस पहल के जरिए किन्नर समुदाय की संस्कृति, परंपराओं और अनूठी जीवनशैली को दुनिया भर में फैलाने की योजना है।

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किन्नर अखाड़े की संस्थापक ने दी जानकारी

किन्नर अखाड़े की संस्थापक और आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी (Kinnar Akhara Founder Dr. Laxmi Narayan Tripathi) ने कहा है कि उनका इरादा किन्नर अखाड़े को वैश्विक स्तर पर ले जाने का है। आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के अनुसार, बैंकॉक, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, सेंट फ्रांसिस्को, अमेरिका, हॉलैंड, फ्रांस और रूस सहित दुनिया भर के विभिन्न देशों से 200 से अधिक ट्रांसजेंडर लोगों को किन्नर अखाड़े में शामिल किया जाएगा। किन्नर अखाड़े से जुड़े ट्रांसजेंडर लोग विशेष रूप से विदेशों में किन्नर अखाड़ा स्थापित करना चाहते हैं।

Kinnar Akhara Founder Dr. Laxmi Narayan Tripathi
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दर्जनों किन्नरों की घर वापसी भी कराई

बता दें, किन्नर अखाड़े (Kinnar Akhara) की स्थापना 2016 के सिंहस्थ कुंभ से पहले अक्टूबर 2015 में हुई थी। तब से किन्नर अखाड़ा लगातार बढ़ रहा है। हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम अपनाने वाले दर्जनों किन्नरों को भी किन्नर अखाड़े ने फिर से अपने साथ जोड़ा है। किन्नर अखाड़े ने अब तक कई महामंडलेश्वर और मंडलेश्वर भी बनाए हैं। इसके अलावा, किन्नर अखाड़े ने 2019 के कुंभ से पहले संन्यासी परंपरा के सबसे बड़े अखाड़े श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के साथ लिखित समझौता किया था। जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरि के साथ किन्नर अखाड़ा भी इस बार शहर में आया है। किन्नर अखाड़े ने पहले ही कह दिया है कि वह भी कुंभ में भाग लेगा।

2014 में आया अस्तित्व में

साल 2014 में जब नालसा का जजमेंट आया था, तब प्रयागराज में पहला कुंभ आयोजित हुआ। उस समय किन्नर अखाड़े के अस्तित्व का भी पता चला था। किन्नर अखाड़ा उन सभी किन्नरों से जुड़ा है, जिनकी धार्मिक मान्यताएं हैं और जो धार्मिक विचारधाराओं से प्रभावित हैं। कुंभ मेले में किन्नर अखाड़े के सदस्यों ने तंबू लगाए। जहां लोगों ने खूब आशीर्वाद लिया। किन्नर समुदाय के सदस्यों ने आम लोगों को किन्नर सभ्यता के बारे में भी जानकारी दी।

किन्नर अखाड़े की भूमिका- kinnar role in Maha Kumbh

कुंभ में किन्नरों (Kumbh Mela Kinnar Akhara) की विशेष और ऐतिहासिक भूमिका होती है। भारतीय संस्कृति में किन्नरों को शुभ माना जाता है और उनकी उपस्थिति को शुभ माना जाता है। कुंभ मेले में किन्नरों का अपना अलग अखाड़ा होता है, जिसे किन्नर अखाड़ा के नाम से जाना जाता है।

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यह अखाड़ा आध्यात्म, समर्पण और परंपराओं का प्रतीक है। किन्नर अखाड़े की स्थापना का उद्देश्य किन्नर समुदाय को समाज में सम्मान और धार्मिक स्थान दिलाना है। कुंभ के दौरान वे विभिन्न धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेते हैं, शाही स्नान में शामिल होते हैं और अपने अखाड़े की विशेष परंपराओं का पालन करते हैं।

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क्या होता सैन्य बेस जानें भारत के बाद किस देश के पास हैं, दुनिया में सबसे ज्यादा मिलिट्री बेस

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Which Country has Most Military Base – सुरक्षा के कई माध्यम है, लेकिन हर देश के पास अपनी सुरक्षा के कई तरह के मिलिट्री बेस हैं. ये मिलिट्री बेस होना देश की सुरक्षा के लिए काफी ज़रूरी हैं. इन मिलिट्री बेस पर घातक हथियार और साजो-सामान रखे होते हैं, जो किसी भी वक्त दुश्मन देश पर अटैक करने के काम आते हैं. इतना ही नहीं दुश्मन देश तक मदद पहुंचाने से रोकने में भी इन मिलिट्री बेस का काफी बड़ा योगदान होता है. लेकिन क्या आप जानते है, दुनिया में सबसे ज्यादा मिलिट्री बेस किस देश के पास हैं. अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख बताते हैं.

क्या होता सैन्य बेस

सैन्य बेस (Military Base) एक प्रकार का सैन्य अड्डा होता है जहां पर सेना, वायुसेना, नौसेना या अन्य सुरक्षा बलों के लिए आवश्यक उपकरण, जवान, और संसाधन तैनात होते हैं. यह एक संरचित स्थान होता है जहाँ सैनिकों के प्रशिक्षण, हथियारों का भंडारण, उपकरणों का रख-रखाव, और विभिन्न सैन्य गतिविधियों का संचालन किया जाता है. सैन्य बेस का उद्देश्य सुरक्षा, रक्षा, और सैन्य अभियानों की योजना बनाना होता है.

मिलिट्री बेस सबसे ज्यादा किससे पास हैं.

अमेरिका (America) – इस लिस्ट में पहले नंबर पर है अमेरिका. करीब 80 देशों में 750 मिलिट्री बेस अमेरिका के हैं.  करीब 159 देशों में उसके 1,75000 सैनिक तैनात हैं. अगर किसी भी जगह कोई जंग छिड़ती है या विवाद खड़ा होता है, तो अमेरिका तुरंत एक्शन ले सकता है. अमेरिका के मिडिल ईस्ट में कई मिलिट्री बेस हैं, जहां 30,000 से ज्यादा सैनिक हैं. कतर में अल-उदीद एयर बेस, जो दोहा के पश्चिम में स्थित है, इस क्षेत्र में सबसे बड़ा अमेरिकी मिलिट्री बेस है, और मध्य पूर्व और पहले अफ़गानिस्तान में अमेरिकी अभियानों के लिए महत्वपूर्ण रहा है.

रूस (Russia)रूस दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्तियों में से एक है. एक से बढ़कर एक हथियार रूस के पाक हैं. मिलिट्री ताकत में कोई देश अमेरिका को सीधी टक्कर देता है तो वह रूस है. सेंट्रल और वेस्ट एशिया में रूस के पहले से कई मिलिट्री बेस हैं. अब वह अफ्रीका की तरफ रुख कर रहा है. कई देशों  को उसने हथियार सप्लाई किए हैं.  रूस ने सूडान में मिलिट्री बेस बनाने के लिए एग्रीमेंट किया है.

तुर्किये (Turkey) – सेंटर फॉर एप्लाइड तुर्किये स्टडीज के मुताबिक तुर्किये के पूरी दुनिया में तीन मिलिट्री बेस हैं. पहला नॉर्दन साइप्रस में 1974 में स्थापित किया गया था, जिसमें 30-40 हजार सैनिक तैनात हो सकते हैं. इसके बाद 2015 में मिडिल ईस्ट में उसने अपना पहला मिलिट्री बेस कतर में बनाया. 2017 में उसका तीसरा बेस बना सोमालिया में.

भारत (India) – चीन-पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए भारत भी लगातार अपना दबदबा पूरी दुनिया में बढ़ा रहा है. भारत के पास विदेशों में तीन मिलिट्री बेस हैं. भारत ने भारतीय जहाजों की मरम्मत के लिए ओमान में अपना सपोर्ट बेस बनाया है. इसके अलावा मॉरिशस में भारत का मिलिट्री बेस है, जिसमें हवाई पट्टी भी है. भारत का मध्य एशिया में भी मिलिट्री बेस है, जहां वह ताजिकिस्तान के साथ मिलकर पिछले दो दशकों से दुशांबे में आयनी एयरबेस का संचालन कर रहा है.

चीन (China) – चीन का पूरी दुनिया में एक ही मिलिट्री बेस है, जो जिबूती में है. यह बेस अमेरिका के कैंप लेमोनियर से कुछ मील की दूरी पर स्थित है. इससे चीन की पहुंच जिबूती-अंबौली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे तक है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि एशिया और अफ्रीका तक अगले 5-10 साल में चीन अपना सैन्य दबदबा फैलाना चाहता है.

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सैन्य बेस के उद्देश्य

सुरक्षा – सैन्य बेस देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए होते हैं, खासकर जब अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा खतरों का सामना करना होता है.

सैन्य प्रशिक्षण – ये जगहें सैनिकों का प्रशिक्षण देने और युद्ध के लिए तैयार रखने के लिए बनाई जाती हैं.

संसाधनों का भंडारण –  यहाँ हथियार, गोला-बारूद, वाहन, और अन्य सैन्य उपकरणों का भंडारण होता है.

विभिन्न अभियानों का संचालन –  सैन्य ठिकाने विभिन्न प्रकार के अभियानों, जैसे कि युद्ध, शांति स्थापित करने, मानवीय सहायता और आपातकालीन कार्यों का संचालन करने में मदद करते हैं.

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Chhath Puja Ghat 2024: ये हैं Delhi NCR के 5 सबसे बेहतरीन छठ घाट, ज़रूर जाएँ

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Chhath Puja Ghat 2024: जैसे की आप सभी को पता है की छठ पूजा का 4 दिवसीय महापर्व शुरू हो चूका है. इसके लिए जगह-जगह बाजार सजे हुए हैं. चारो और जोर-शोर के तैयारी चल रही है, वही दिल्ली-एनसीआर में कई बड़े घाट साफ़-सफ़ाई के साथ सजाएं जा रहे हैं. वही ये छठ पर्व 7 नवंबर को ‘नहाय-खाय’ से शुरू होकर 11 नवंबर को सूर्य देव को अंतिम ‘अर्घ्य’ देने के साथ समाप्त होगा. तो चलिए आपको इस लेख में दिल्ली एनसीआर के 5 बड़े घाट के बारें में बताते है.

ये है टॉप 5 छठ घाट 

छठ पूजा के दौरान, विशेष रूप से उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में, नदी किनारे, तालाबों और अन्य जल स्रोतों के किनारे “छठ घाट” सजाए जाते हैं. छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देवता की पूजा करना है, और इसलिए पूजा स्थल को नदी या तालाब के किनारे चुना जाता है ताकि श्रद्धालु सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर सकें.

यमुना घाट (Yamuna Ghat) – यमुना घाट दिल्ली का सबसे पुराना और सबसे ज्यादा पूजा जाने वाला छठ पूजा स्थल है. आईटीओ का यमुना घाट, हर साल हजारों भक्तों को आकर्षित करता है. इस ऐतिहासिक घाट पर पर्व की शुरुआत पहले सफाई अनुष्ठान से होती है, फिर आखिर में अर्घ्य दिया जाता है. यहां का पारंपरिक माहौल और बढ़िया सुविधाएं इस जगह को सबका पसंदीदा बनाती हैं.

नोएडा स्टेडियम (Noida Stadium) – सेक्टर 21A में स्थित नोएडा स्टेडियम का एक नया घाट टेम्परेरी रूप में बनाया गया है. मतलब आप इस जगह को छठ के दिन इस्तेमाल कर सकते हैं. 150 फीट लंबाई और 60 फीट चौड़ाई में फैली हुई इस जगह पर 2.5 लाख से अधिक भक्त सूर्यदेव को ‘अर्घ्य’ दे सकते हैं. सुबह के दौरान यहां सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है.

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कश्मीरी गेट (Kashmree Gate) – कश्मीरी गेट पर स्थित कुदेसिया घाट अपनी खूबसूरती और साफ-सुथरी जगह के लिए जाना जाता है. यहां की सुविधाओं को देखकर आपका दिल खुश हो जाएगा. ये जगह आध्यात्मिक और प्राकृतिक सुंदरता का एक परफेक्ट मिश्रण है. दिल्ली सरकार भी त्योहारों के समय यहां का नियमित रखरखाव रखती है, जिससे श्रद्धालुओं को ये जगह साफ-सुथरी लगे और वातावरण भी साफ दिखे.

वाजिराबाद पुल (Wazirabad Pool) – वाजिराबाद पुल के पास यमुना घाट पर भी आप छठ पर्व सेलिब्रेट कर सकते हैं. दिल्ली के लोग अपनी थाली लेकर फैमिली के साथ यहां पूजा करने के लिए पहुंचते हैं. फोटोग्राफी के शौकीनों के बीच ये घाट सबसे लोकप्रिय है. इस जगह का आध्यात्मिक महत्व होने के साथ-साथ खूबसूरत नजारे भी यहां देखे जा सकते हैं.

ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) – ग्रेटर नोएडा के डेल्टा-1 में शांत पाम पार्क,भक्तों के बीच एक शांतिपूर्ण जगह है. हाल ही में इस जगह को स्थानीय अधिकारियों द्वारा साफ और तैयार किया गया है. ये जगह छठ पूजा अनुष्ठान के लिए सही है. आराम से अपनी फैमिली के साथ यहां सुबह के समय आ सकते हैं. इनके अलावा भी कई छोटे-छोटे गांवों और कस्बों में, खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के क्षेत्रों में, छठ पूजा के समय जल स्रोतों के किनारे विशेष तौर पर घाट सजाए जाते हैं.

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जानिए कौन थे रामस्वरूप वर्मा? जिन्हें राजनीति का ‘कबीर’ कहा जाता है

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Ramswaroop Verma works politics
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Ramswaroop Verma works: भारतीय समाज सुधारकों और सामाजिक न्याय के आंदोलन में रामस्वरूप वर्मा का नाम महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उत्तर प्रदेश के एक साधारण किसान परिवार में जन्मे रामस्वरूप वर्मा ने भारतीय समाज में व्याप्त जातिवाद, असमानता और शोषण के खिलाफ आवाज उठाई। उनके जुझारू व्यक्तित्व और दलितों के उत्थान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें उत्तर भारत में अंबेडकर जैसे नायक का दर्जा दिया है। यहां तक ​​कि 1950 के दशक में उत्तर भारत में जब पेरियार और अंबेडकर के संघर्ष और विचारधारा से प्रेरित एक सांस्कृतिक आंदोलन शुरू हुआ, तो महामना रामस्वरूप वर्मा इस आंदोलन के नेता थे।

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प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

22 अगस्त 1923 को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के गौरीकरन नामक गांव के एक किसान परिवार में जन्मे रामस्वरूप वर्मा का उद्देश्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना था, जिसमें सभी लोग पूर्ण मानवीय सम्मान के साथ रह सकें। किसान परिवार में जन्म लेने के बावजूद उनकी शिक्षा में रुचि थी और उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। महामना रामस्वरूप वर्मा एक किसान परिवार से थे। उन्होंने 1949 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. किया। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की।

राजनीतिक सफर- Ramswaroop Verma political career

रामस्वरूप वर्मा ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत समाजवादी विचारधारा से की और धीरे-धीरे सामाजिक न्याय के आंदोलन से जुड़ते गए। राम मनोहर लोहिया और आचार्य नरेंद्र देव के करीबी रहे राम स्वरूप वर्मा बार-बार विधायक चुने गए। 1967 में चौधरी चरण सिंह के मुख्यमंत्री रहने के दौरान वे उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री रहे। राम स्वरूप वर्मा आज़ादी के बाद की भारतीय राजनीति में उस पीढ़ी के सक्रिय राजनेता थे, एक जोशीले और समर्पित समाजवादी जिन्होंने अपना जीवन राजनीति और व्यापक जनहित के दर्शन के लिए समर्पित कर दिया।

राजनीति के कबीर थे रामस्वरूप वर्मा

राजनीति के कबीर कहे जाने वाले रामस्वरूप वर्मा पचास साल से भी अधिक समय तक राजनीति में सक्रिय रहे। रामस्वरूप वर्मा मात्र 34 वर्ष की आयु में 1957 में भोगनीपुर विधानसभा से सोशलिस्ट पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए। विधान सभा ने उन्हें 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में, 1969 में निर्दलीय के रूप में, 1980 और 1989 में शोषित समाज दल के प्रतिनिधि के रूप में तथा 1999 में छठी बार शोषित समाज दल के प्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित किया।

सामाजिक न्याय की दिशा में योगदान- Ramswaroop Verma works

रामस्वरूप वर्मा ने सामाजिक न्याय की दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने “अर्जक संघ” (Ramswaroop Verma Arjak Sangh) नामक संगठन की स्थापना की जिसका उद्देश्य दलितों और पिछड़े वर्गों के लिए समानता, शिक्षा और सामाजिक न्याय की दिशा में काम करना था (Ramswaroop Verma work for dalits)। उन्होंने 1 जून 1968 को अर्जक संघ की स्थापना की। अर्जक संघ के माध्यम से उन्होंने समाज में व्याप्त धार्मिक और जातिगत कुरीतियों का विरोध किया और समाज के हर वर्ग में समानता की भावना जागृत की।

उनकी विचारधारा और कार्यशैली से प्रेरित होकर अनेक लोग उनके अनुयायी बने और समाज में जागरूकता लाने के उनके प्रयासों में उनका साथ दिया। रामस्वरूप वर्मा का यह योगदान उन्हें एक महान समाज सुधारक और दलित आंदोलन के प्रतीक के रूप में स्थापित करता है।

रामस्वरूप का अंबेडकर के लिए आंदोलन

रामस्वरूप ने अंबेडकर की पुस्तकों को जब्त किए जाने के खिलाफ भी आंदोलन किया था। डॉ. भगवान स्वरूप कटियार द्वारा संपादित पुस्तक ‘रामस्वरूप वर्मा: व्यक्तित्व और विचार’ में उपेंद्र पथिक लिखते हैं, जब उत्तर प्रदेश सरकार ने डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित पुस्तक जाति भेद का उच्छेद और अछूत कौनपर प्रतिबंध लगाया तो रामस्वरूप ने अर्जक संघ के बैनर तले सरकार के खिलाफ आंदोलन किया और अर्जक संघ के नेता ललई सिंह यादव की ओर से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इस प्रतिबंध के खिलाफ मुकदमा दायर किया। वर्मा जी स्वयं कानून के अच्छे जानकार थे। अंततः मुकदमा जीत गए और उन्होंने सरकार से अंबेडकर के साहित्य को सभी राजकीय पुस्तकालयों में रखने की अनुमति दिलवा दी।

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साल 2012 और 6 एक्ट्रेसेस का डैब्यू,  लेकिन सिर्फ 2 की ही चमकी किस्मत, बाकी पिछले 12 साल से कर रही हैं स्ट्रगल

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Yami Gautam Hits: आलिया भट्ट, यामी गौतम, ईशा गुप्ता, इलियाना डिक्रूज, हुमा कुरैशी और डायना पेंटी… ये उन बॉलीवुड अभिनेत्रियों के नाम हैं जिन्होंने साल 2012 में एक साथ बॉलीवुड में डेब्यू किया था। लेकिन हैरानी की बात ये है कि इनका करियर उतना अच्छा नहीं चला जितना इन्होंने बड़े धूमधाम से बॉलीवुड में एंट्री मारी थी। इन अभिनेत्रियों में से सिर्फ दो अभिनेत्रियां ही आज तक बॉलीवुड में टिक पाई हैं जो हैं आलिया भट्ट और यामी गौतम, बाकी 4 अभी भी इंडस्ट्री में स्ट्रगल कर रही हैं। आलिया भट्ट की सफलता के पीछे जहां करण जौहर का हाथ था वहीं यामी गौतम ने बिना किसी गॉडफादर के इंडस्ट्री में सफलता हासिल की है।

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आलिया भट्ट का करियर (Alia Bhatt)

वरुण धवन और सिद्धार्थ मल्होत्रा ​​के साथ फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ आलिया भट्ट की भी पहली फिल्म थी (Alia Bhatt Bollywood career) और इस फिल्म के बाद उन्हें जबरदस्त सफलता मिली। आलिया ने अपनी पहली फिल्म के बाद से ही लोगों पर अपना जादू चलाना शुरू कर दिया और आज उनका नाम मशहूर अभिनेत्रियों की लिस्ट में शामिल है।

Alia bhatt Hit films
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कहा जाता है कि आलिया ने बॉलीवुड में बिना किसी संघर्ष के सफलता हासिल की है क्योंकि हर कदम पर बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर करण जौहर (Famous director Karan Johar) का हाथ उनके सिर पर था। करण की सलाह पर ही संजय लीला भंसाली ने आलिया को गंगूबाई काठियावाड़ी में कास्ट किया था, करण के कहने पर ही आलिया को अपनी पसंद की फिल्म में काम करने का मौका मिलता है।

यामी गौतम का करियर (Yami Gautam Hits)

वहीं यामी गौतम ने अपनी एक्टिंग स्किल्स और कड़ी मेहनत के दम पर बॉलीवुड में अपनी एक मजबूत पहचान बनाई है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में जन्मी यामी की शुरुआती शिक्षा चंडीगढ़ में हुई। शुरुआत में वह आईएएस अधिकारी बनना चाहती थीं, लेकिन एक्टिंग के प्रति उनके जुनून ने उन्हें मुंबई खींच लिया।

Yami Gautam Hits
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यामी ने अपने करियर की शुरुआत टेलीविजन धारावाहिक ‘चांद के पार चलो’ (2008) से की थी। इसके बाद ‘ये प्यार ना होगा कम’ (2009) में उनकी भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना दिया। हालांकि, उन्हें असली पहचान फेयर एंड लवली के विज्ञापन से मिली, जिसने उन्हें घर-घर में मशहूर कर दिया।

यामी का फिल्मी करियर

यामी ने 2012 में फिल्म (Yami Gautam hit films) ‘विक्की डोनर’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था, जिसमें उन्होंने आयुष्मान खुराना के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी। यह फिल्म न केवल व्यावसायिक रूप से सफल रही बल्कि क्रिटिक्स द्वारा भी इसे पसंद किया गया था। इसके बाद यामी ने ‘बदलापुर’ (2015), ‘काबिल’ (2017), ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ (2019) और ‘बाला’ (2019) जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा बिखेरा। यामी ने अपने करियर में विभिन्न प्रकार के किरदार निभाए हैं, जिससे उनकी बहुमुखी प्रतिभा का पता चलता है।

बता दें, 2021 में यामी ने फिल्म निर्देशक आदित्य धर से शादी की, जो ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ के निर्देशक हैं। उनकी शादी की सादगी और पारंपरिकता ने लोगों का ध्यान खींचा।

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गुरु नानक देव जी का अवंतीपोरा से रिश्ता है बहुत अनोखा, “चरण स्थान गुरु नानक देव जी” के नाम से प्रसिद्ध है यहां का गुरुद्वारा

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Guru Nanak dev, Gurudwara Nanak Jhira Sahib
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Guru Nanak dev connection to Awantipora: पुलवामा जिले में श्रीनगर शहर से 32 किलोमीटर दूर अवंतीपोरा में शांत वितस्ता या झेलम के तट पर ऐतिहासिक महत्व का एक गुरुद्वारा स्थित है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित इस गुरुद्वारे को “चरण स्थान गुरु नानक देव जी” (Charan Sthan Guru Nanak Dev Ji) के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह स्थान सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की यात्राओं से जुड़ा हुआ है। गुरु नानक देव जी ने अपने जीवनकाल में चार प्रमुख यात्राएँ (उदासियाँ) कीं, जिनमें से एक के दौरान वे इस क्षेत्र में आए थे। अवंतीपोरा में स्थित यह गुरुद्वारा उन स्थानों में से एक है जहाँ गुरु नानक देव जी ने अपनी शिक्षाओं के माध्यम से मानवता, समानता और एकता का संदेश फैलाया था। यह गुरुद्वारा सिख समुदाय के लिए विशेष धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है।

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भाई मरदाना के साथ की थी यात्रा Guru Nanak dev connection to Awantipora

ऐसा कहा जाता है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी अपने विश्वस्त अनुयायी मरदाना (Bhai Mardana) के साथ वर्ष 1518 ई. में अपनी तीसरी मिशनरी यात्रा (सिख इतिहास में उदासी) के दौरान इस स्थान पर आए थे। इस यात्रा में उन्होंने बीरवाह, काजीगुंड, बिजबिहाड़ा, अमर नाथ जी मंदिर, पहलगाम, मट्टन और लेह का भी दौरा किया था। गुरु जी की यात्रा की याद में इन सभी स्थानों पर गुरुद्वारे भी बनाए गए हैं।

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मट्टन में दिए प्रवचन

मट्टन में गुरु नानक देव जी ने छायादार चिनार के नीचे ब्राह्मणों की एक बड़ी सभा को संबोधित किया। उन्होंने मट्टन में ब्रह्म दास जी के साथ प्रवचन भी किया। और मैग्नेटिक हिल लेह के पास पाथेर साहिब गुरुद्वारा में भी दुनिया भर के कई देशों से पर्यटक आते हैं। श्रीनगर शहर में गुरुजी हरि पर्वत पर शारिका मंदिर में रुके थे। उन्होंने शंकराचार्य मंदिर का भी दौरा किया।

प्रमुख संतों से भी की मुलाकात

सिख इतिहास के अनुसार, गुरु जी ने कश्मीर के कुछ प्रमुख संतों से भी मुलाकात की, जिनमें श्री अविनाश मुनि जी (जो एक छोटे से मंदिर में रुके थे, जिसे वर्तमान में आचार्य श्री चंद चिनार मंदिर रेजीडेंसी रोड श्रीनगर के नाम से जाना जाता है। बाद में गुरु नानक देव जी के पुत्र श्री चंद जी भी कुछ समय के लिए इसी मंदिर में रुके थे) और दरवेश कमाल साहिब शामिल थे। अवंतीपोरा गुरुद्वारे से एक बगीचा जुड़ा हुआ है। यह गुरुद्वारा इस ऐतिहासिक शहर की भव्यता को और बढ़ाता है। साथ ही, गुरुद्वारा का प्रबंधन बिना किसी जाति या पंथ के आगंतुकों के लिए आवास और मुफ्त रसोईघर प्रदान करता है।

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इन स्थानों पर भी की यात्रा

किताबों और सिख इतिहास में दिए गए संकेतों से पता चलता है कि गुरु नानक देव जी ने सिक्किम से होते हुए कैलाश मानसरोवर की यात्रा की और वहाँ से वे तिब्बत और फिर लेह आए। उन्होंने लेह की ओर से कश्मीर में प्रवेश किया और घाटी में कई स्थानों का दौरा किया और अंत में उस मार्ग से लाहौर लौटे जिसे वर्तमान में मुगल रोड के रूप में जाना जाता है। गुरु नानक देव जी ने अपनी मिशनरी यात्राओं या उदासी में लगभग 14000 मील पैदल यात्रा की। उन्होंने बांग्लादेश, पाकिस्तान, तिब्बत, नेपाल, भूटान, दक्षिण पश्चिम चीन, अफगानिस्तान, ईरान, इराक, सऊदी अरब, मिस्र, इजरायल, जॉर्डन, सीरिया, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान की यात्रा की।स

यदि आप इस क्षेत्र की यात्रा कर रहे हैं, तो इस गुरुद्वारे (Awantipora Gurdwara) का दर्शन अवश्य करें और गुरु नानक देव जी के संदेशों से प्रेरणा प्राप्त करें।

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