WFI अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह जिन पर लगा हैं यौन उत्पीड़न का आरोप
2011 से कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद पर अपना कब्जा जमाए रहने वाले बृजभूषण शरण सिंह (WFI President Brij Bhushan Sharan Singh) गोंडा (Ghonda) के कैसरगंज से भाजपा (BJP) सांसद हैं और फिलहाल उनके ऊपर कई आरोपों को लेकर विवादों में चल रहे है. बृजभूषण का विवादों से भी काफी गहरा नाता है, इसके पहले वे मंच पर एक पहलवान को थप्पड़ मारने के बाद काफी ज्यादा विवादों में रहे थे।
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कौन है बृजभूषण शरण सिंह ?
भाजपा के बृजभूषण शरण सिंह उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) में कैसरगंज निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा सांसद हैं। वह वर्तमान में इस क्षेत्र में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। वह 2009 के आम चुनावों में कैसरगंज निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए जहां उन्होंने बसपा के सुरेंद्र नाथ अवस्थी को 72,199 मतों के अंतर से हराया। वह 2014 में उसी निर्वाचन क्षेत्र से फिर से चुने गए। उन्होंने पहली बार 1991 में चुनाव लड़ा, जहाँ उन्होंने गोंडा निर्वाचन क्षेत्र से अपना पहला चुनाव जीता। हालांकि, वह सपा के कीर्ति वर्धन सिंह से उसी निर्वाचन क्षेत्र में 12 वीं लोकसभा चुनाव हार गए। हार से विचलित हुए बिना उन्होंने अपने पूर्व प्रतिद्वंद्वी कीर्ति वर्धन सिंह को हराकर 1999 का चुनाव लड़ा और जीता। उस जीत के बाद, उन्होंने 2004, 2009 और 2014 में लगातार तीन चुनाव जीते और बीजेपी के कब्ज़े में एक मजबूत दावेदार साबित हुए।
क्या है ताजा विवाद
फिलहाल दो तीन दिन से देशभर के रेसलिंग खिलाड़ी दिल्ली के जंतर मंतर पर कुश्ती महासंघ खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं जिसमे मुख्य आरोप कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर हैं। पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह और कुछ कोच पर महिला रेसलर्स के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. धरना देने वाले पहलवानों में बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक,विनेश फोगाट, सरिता मोर और सुमित मलिक जैसे बड़े नाम शामिल हैं, जिन्होंने समय समय पर ओलंपिक से लेकर कॉमनवेल्थ गेम्स तक कुश्ती की कई वैश्विक प्रतियोगिताओ में मेडल जिताकर देश का सिर गर्व से ऊंचा किया है। लेकिन यह पहली बार नहीं है, जब बृजभूषण शरण सिंह चर्चा या विवादों में हैं. इससे पहले वे मंच पर एक पहलवान को थप्पड़ भी जड़ चुके हैं. इतना ही नहीं उन्होंने पार्टी की लाइन से हटकर राज ठाकरे के खिलाफ भी मोर्चा खोला था.
विपक्षी नेता कट्टर दुश्मन पंडित सिंह का करते थे सम्मान
‘2008 में न्यूक्लियर डील (Nuclear deal) से नाराज बृजभूषण सिंह भाजपा से अलग होकर समाजवादी (सपा) पार्टी (samajwadi party) में आ गए। 2009 के लोकसभा चुनाव (loksabha election) में कैसरगंज सीट से भारी मतों से विजयी हुए। इस दौरान उन्हीं के कट्टर विरोधी पंडित सिंह के साथ उनका उठना-बैठना था। पार्टी मीटिंग में भी साथ हो जाते थे। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बृजभूषण सिंह फिर से बीजेपी में आ गए। इसी साल मई में जब कोरोना से पंडित सिंह का निधन हुआ तो बृजभूषण सिंह ने उनकी डेडबॉडी को कंधा दिया। ये तस्वीरें हर किसी के दिल को छू लेने वाली थीं।’
बाबरी मस्जिद को ढहाने के थे आरोपी
बृजभूषण शरण सिंह पर अयोध्या में विवादित ढांचे (Babri masjid) को गिराने के मामले में भी आरोपी घोषित थे लेकिन बाद में कोर्ट ने उनको बरी कर दिया. दरअसल लालकृष्ण आडवाणी समेत कुल 40 नेताओं पर आरोप तय थे जिसमें से बृजभूषण शरण से एक थे, जिन्हें 2020 में बरी कर दिया गया.
कुश्ती के अखाड़े से राजनीति की रणभूमि तक का सफर
बृजभूषण की दबंगई का वर्चस्व पचास किलोमीटर दूर तक फैला था. जब वो टांडा के तहत तिहाड़ जेल में बंद थे, तब उनकी पत्नी केतकी देवी ने बीजेपी के टिकट पर गोंडा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा.लेकिन लोग तब भौंचक्के रह गए जब उन्होंने कांग्रेस के आनंद सिंह को 80,000 वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया था तभी शायद भाजपा को इस बात का अंदाजा हो गया था की अगर बलरामपुर बचानी है तो बृजभूषण में लाना पड़ेगा, और इसी के चलते साल 1999 में पार्टी ने बलरामपुर लोकसभा से उन्हें प्रत्याशी बनाया. लगातार दो बार से बलरामपुर लोकसभा जीतने वाले समाजवाद पार्टी के धाकड़ नेता रिज़वान ज़हीर को बृजभूषण सिंह ने हरा दिया. 2004 में एक बार फिर बलरामपुर लोकसभा पर वो विजयी रहे. ये भारतीय जनता पार्टी में एक बाहुबली नेता का उदय था, जिसने पहलवानों के अखाड़े से लेकर सियासी रणभूमि तक अपनी ताक़त का एहसास कराया. पहलवानी से लेकर भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष तक और बीजेपी से लेकर समाजवादी पार्टी तक बाहुबली नेता बृजभूषण ने हर बार खुद को सियासी दुनिया का बाहुबली साबित किया है.
अनगिनत स्कूल कॉलेज और Luxury गाड़ियों का भण्डार
गोंडा, बलरामपुर और आसपास के ज़िलों में बृजभूषण शरण सिंह के दर्जनों इंटर कॉलेज, डिग्री कॉलेज और शिक्षण संस्थान हैं. वो कहते हैं, शिक्षित समाज उनका सपना है, जबकि विरोधी कहते हैं कि गोंडा और आसपास के ज़िलों में उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में एकछत्र राज स्थापित कर लिया. हालांकि, सच ये है कि वीआईपी नंबर वाली महंगी गाड़ियां बृजभूषण सिंह के बाहुबली वाले अंदाज़ की मिसाल देती हैं. उनकी सभी गाड़ियों का नंबर 9000 हैं. उनके क़ाफ़िले में शामिल कारों की क़ीमत और मॉ़डल बहुत ही आला और ऊंचे दर्जे हैं, टोयोटा लैंड क्रूजर जिसकी क़ीमत 1.41 करोड़ रुपये है. टोयोटा फॉर्च्यूनर जिसकी कीमत करीब 40 लाख रुपए हैं और टाटा सफारी जिसकी कीमत करीब 16 लाख रुपए है.
विवादों से जुड़ा गहरा नाता
पहला विवाद
बृजभूषण सिंह भले ही पहलवानी का अखाड़ा बरसों पहले छोड़ चुके हैं, लेकिन राजनीतिक अखाड़े में अभी भी विरोधियों से भिड़ने में पीछे नहीं रहते. हालांकि, कई बार बात ज़्यादा बिगड़ जाती है. बात 4 मई 2019 की है जब उन्होंने बतौर बीजेपी उम्मीदवार बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP supremo Mayawati) पर विवादित बयान दे दिया था. जब उनसे सवाल पूछा गया कि ऐसा क्यों कहा, तब जवाब दिया कि मायावती ने एक रैली में उन्हें गुंडा और आंतकवादी बताया था. लिहाज़ा मैंने उन्हें जवाब दिया है.
दूसरा विवाद
इससे पहले 24 जून 2018 को उन्होंने कह दिया था कि कांग्रेस आतंकवादी पैदा करती है और आतंकवाद को बढ़ावा देती है . उन्होंने जम्मू-कश्मीर के कांग्रेस नेता सैफ़ुद्दीन सोज़ (Congress leader Saifuddin Soz) पर पलटवार किया था. ओवैसी, आज़म ख़ान समेत तमाम नेताओं को लेकर वो तीखे बयान दे चुके हैं. बाहुबली बृजभूषण शरण सिंह हिंदूवादी छवि के नेता हैं और वो उस ख़ुद को उस भूमिका में बरक़रार रखने के लिए अपने अंदाज़-ए-बयां का सहारा लेते हैं. विरोधी उन्हें शिक्षा माफ़िया कहते हैं, तो कई उन्हें दबंगई के दम पर चुनाव जीतने वाला बाहुबली कहता है.
तीसरा विवाद
विवादित ढांचा गिराने के मामले में 28 साल बाद 30 सितंबर 2020 को सांसद बृजभूषण बरी हो गए. देश के सबसे विवादित, चर्चित और लंबे समय तक चलने वाले मुक़दमे में जब वो बरी हुए, तो समर्थकों ने जश्न मनाया. तमाम आरोपों, विवादों और जेल यात्रा के बावजूद वो चुनाव जीतते रहे. उनके नाम पर उनका परिवार भी राजनीतिक रसूख हासिल करता रहा. पत्नी सांसद बनीं और बेटा विधायक. समाज में उनकी सक्रियता अक्सर देखी जाती है. लेकिन, ये सच है कि बृजभूषण शरण सिंह अपने राजनीतिक सफ़र में सिर्फ़ नेता नहीं बल्कि बाहुबली के तौर भी पहचाने जाते हैं.
चौथा और पांचवा विवाद
पिछले साल जब राज ठाकरे ने अयोध्या के दौरे का ऐलान किया था. उसके बाद बृजभूषण ने पार्टी स्टैंड से अलग राज ठाकरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. यहां तक कि अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह ने कहा था कि राज ठाकरे का अयोध्या में स्वागत है, पर बृजभूषण ने ऐलान कर दिया था कि राज ठाकरे को अयोध्या में घुसने नहीं देंगे। हाल ही में बाबा रामदेव के खिलाफ भी बृजभूषण में मोर्चा खोला था. इसके बाद पतंजलि की ओर से बृजभूषण शरण सिंह को नोटिस भी भेजा गया था.